तंत्रिका कोशिका के भाग
तंत्रिका तंत्र का निर्माण तंत्रिका कोशिका से होता है तंत्रिका कोशिकाओं को न्यूरॉन के नाम से जाना जाता है न्यूरॉन शरीर की सबसे बड़ी या लंबी कोशिकाएं हैं। तंत्रिका कोशिकाओं में पुनरुदभन की क्षमता सबसे कम होती है अर्थात मस्तिष्क में पुनरुदभवन की क्षमता सबसे कम होती है। यकृत मनुष्य के शरीर का ऐसा अंग है जिसमें पुनरुदभवन की संख्या सबसे ज्यादा होती है
मस्तिष्क,मेरुरज्जु तथा तंत्रिकाएं सभी ऊतक के बने होते है या तंत्रिका ऊतक की कोशिकाएं तंत्रिका कोशिका(Neuron)कहलाती है। तंत्रिका कोशिका शरीर की सबसे बड़ी कोशिका है। इस कोशिका का निर्माण केवल एक बार होता है अर्थात इनमें कोशिका विभाजन की क्षमता नहीं पाई जाती है।तंत्रिका कोशिका के तीन प्रमुख भाग:- 1.साइटोन 2.डेंड्रोन तथा 3.एक्सॉन होते है।
तंत्रिका तंत्र का वह भाग जो संपूर्ण शरीर तथा स्वयं तंत्रिका तंत्र पर नियंत्रण रखता है,केंद्रीय तंत्रिका तंत्र कहलाता है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का निर्माण मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु के द्वारा होता है। इन अंगों में तंत्रिकाओं से प्राप्त संवेदनाओं का विश्लेषण होता है।
मस्तिष्क केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का महत्वपूर्ण भाग है। यह पूरे शरीर तथा स्वयं तंत्रिका वक नियंत्रण कक्ष है। मनुष्य के मस्तिष्क का भार लगभग 1400 ग्राम होता है। मस्तिष्क अस्थियों के खोल क्रेनियम में बंद रहता है। क्रेनियम मस्तिष्क की बाहरी आघातों से रक्षा करता है। मस्तिष्क के चारों ओर आवरण पाए जाते है, जिन्हें मस्तिष्कावरण(Meninges) कहते है। यह आवरण तीन स्तरों का बना होता है:-
:-मस्तिष्क के इन आवरणों में यदि संक्रमण(Infection)होता है,तो यह रोग “मेनिनजाइटिस”(मस्तिष्कावन शोध) कहलाता है।
पायामेटर में स्थित रक्तक जलिकाओं से लसिका के समान द्रव स्त्रावित होता जा जो प्रमस्तिष्क मेरुद्रव कहलाता है।यह मस्तिष्क की बाह्य आघातों से रक्षा करता है तथा मस्तिष्क से पोषक प्रदार्थों,ऑक्सीजन तथा अन्य उत्सर्जी पदार्थों का आदान-प्रदान करता है।
1.प्रमष्तिष्क या अग्रमस्तिष्क (presence phalon):- यह पूरे मस्तिष्क का2/3भाग होता है। यह दो भागों सेरिब्रम एवं डाएनसिफेलोन का बना होता है। सेरिब्रम में अनेक उभार एवं गर्त पाए जाते हैं। वलयी उभारों को गायरी एवं दो गायरीयो के मध्य धसे भाग को सलक्स कहते है सेरिब्रम में एक गुहा होती है जिसके बाहरी भाग को धूसर द्रव्य तथा भीतरी भाग को श्वेत द्रव्य कहते है। डाएनसिफेलोन में दो भाग पाए जाते है। हाईपोथैलेमस व थैलेमस, इसका प्रमुख भाग हाइपोथैलेमस है जिसमें पिट्यूटरी ग्रँन्थि पाई जाती है।
कार्य:-
2.मध्य मस्तिष्क (Mesencephalic) :- यह सेरिब्रम पेंडकल तथा कार्पोरा क्वाड्रिजिमिना दो भागों का बना होता है। मानव मस्तिष्क में चार ऑप्टिक पिंड पाए जाते है अतः इन चारों को संयुक्त रूप से कार्पोरा क्वाड्रिजिमिना कहते है।इनमें अग्र दो पिंडो में देखने के,पीछे के दो पिंडो में सुनने के केंद्र स्थित होते है। सेरिब्रम कोर्टेक्स को मस्तिष्क के अन्य भागों तथा मेरुरज्जु से जोड़ता है।
इसका मुख्य कार्य आंखों से आने वाले संवेगों पर नियंत्रण रखना है आँख की पेशियों, दृष्टि के संवेदन, श्रवण संवेदन , गर्दन व धड़ की गति पर नियंत्रण इसी भाग द्वारा होता है।
3.पश्च मस्तिष्क( Rhombencephalon ) :- यह मस्तिष्क का सबसे पीछे का भाग है,जो सेरिबेलम(अनु मस्तिष्क) तथा मेडुला आब्लोंगेटा का बना होता है। सेरिबेलम सेरिब्रम के बाद मस्तिष्क का दूसरा बड़ा भाग है। इस भाग में श्वेत द्रव वृक्ष की शाखाओं की तरह फैला होता है,जिसे “जीवन वृक्ष” या “darbar vitae” कहते है।
मेडुला आब्लोंगेटा मस्तिष्क का अंतिम भाग है।इसका अंतिम सिरा फोरामेन मैग्नम से मेरुरज्जु (Spinal Cord)के रूप में बाहर निकल जाता है।
कार्य’-
मेडुला आब्लागेटा का पिछला भाग मेरुरज्जु बनाता है।यह रीढ़ की हड्डी की कशेरुकाओं की नाल में सुरक्षित रहता है।
कार्य:-
न्यूरॉन के प्रकार- न्यूरॉन तीन प्रकार के होते हैं
1 संवेदी न्यूरोन- तंत्रिकीय आवेगों को केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक लेकर जाती है
2 प्रेरक न्यूरॉन- तंत्रिकीय आवेगो मस्तिष्क के आदेश को केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से लेकर अंग तक पहुंचाती है और
3 मिश्रित न्यूरॉन
प्रश्न-1 तंत्रिका तंत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर – वह तंत्र जो विभिन्न कार्यों को करने वाले अंगों के समन्वय का कार्य करता है तंत्रिका तंत्र कहलाता है
प्रश्न-2 तंत्रिका कोशिका को किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर- तंत्रिका कोशिका को न्यूरॉन के नाम से जाना जाता है न्यूरॉन तंत्रिका तंत्र की इकाई है न्यूरॉन शरीर की सबसे लंबी कोशिकाएं होती है
प्रश्न-3 स्वायत्तता तंत्रिका तंत्र का वर्णन कीजिए ?
उत्तर-3.. स्वायत्त तंत्रिका तंत्र कुछ मस्तिष्क और कुछ मेरूरज्जु तंत्रिकाओं का बना होता है यह शरीर के सभी आंतरिक अंगों और रक्तवाहिनियों को तंत्रिकाओं की आपूर्ति करता है स्वायत्त तंत्रिका तंत्र की अवधारणा को सबसे पहले लैंगली ने 1921 में प्रस्तुत किया था यह भाग शरीर की अनेक क्रियाओं का नियंत्रण करता है अनैच्छिक क्रिया स्वत: होती है अतः इसे स्वायत्त तंत्रिका तंत्र कहा जाता है स्वायत्त तंत्रिका तंत्र की अधिकांश क्रियाएं मेरुरज्जु और मस्तिष्क की प्रतिवर्ती क्रियाओं के द्वारा नियंत्रित की जाती है स्वायत्त तंत्रिका तंत्र के दो भाग होते हैं—
इस तंत्र का कार्य सामान्यता अनुकंपी तंत्र के कार्य के विपरीत है
प्रश्न-4 परिधीय तंत्रिका तंत्र का वर्णन कीजिए ?
उत्तर- परिधीय तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क और मेरुरज्जु से निकलने वाली तंत्रिकाओं का बना होता है मस्तिष्क से निकलने वाली तंत्रिकाएं कपालीय तंत्रिकाएं और मेरुरज्जु से निकलने वाली तंत्रिकाएं मेरुरज्जु तंत्रिकाएं कहलाती हैं मनुष्य में जोड़ी कपाल तंत्रिकाएं और 31 जोड़ी मेरुरज्जु तंत्रिकाएं पाई जाती है केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के समस्त कार्य इसी के माध्यम से संपन्न होते हैं
प्रश्न-5 मानव तंत्रिका तंत्र के केंद्रीय भाग का वर्णन कीजिए ?
उत्तर- तंत्रिका तंत्र का वह भाग जो संपूर्ण शरीर और स्वयं तंत्रिका तंत्र पर नियंत्रण रखता है केंद्रीय तंत्रिका तंत्र कहलाता है मनुष्य का केंद्रीय तंत्रिका तंत्र दो भागों से मिलकर बना है— मस्तिष्क और मेरुरज्जु
यह शरीर के समन्वय और कार्यों पर नियंत्रण रखता है केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तीन वर्णों से घिरा होता है जिसे मेनिंजेज कहा जाता है यह कपाल और मेरुदंड के रक्षात्मक अस्थि खोल में पाया जाता है कपाल में मस्तिष्क और मेरुदंड में मेरूरज्जु सुरक्षित रहता है ड्यूरा मैटर ,अरेक्नाइड और पायामेटर मस्तिष्क और मेरुरज्जु इन आवरणों से घिरे रहते हैं
सेरीब्रोस्पाइनल- मस्तिष्क और मेरुरज्जु की आघातों से रक्षा करने वाला तरल पदार्थ जो ड्यूरा मैटर और पायामेटर के मध्य पाया जाने वाले स्थान (सब अरेक्नाइड क्षेत्र )में पाया जाता है
मेरुरज्जु- मेड्युला आँब्लोंगेटो का पिछला भाग ही मेरुरज्जु बनता है मेरुरज्जु का मुख्य कार्य प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियंत्रण और समन्वय करना अथार्थ प्रतिवर्ती क्रिया के केंद्र का कार्य करता है मस्तिष्क से आने जाने वाले उद्दीपन ओ का संवहन करता है
नोट–प्रतिवर्ती क्रियाओं का पता सर्वप्रथम मार्शल हाल नामक वैज्ञानिक ने लगाया था
मस्तिष्क- समूचे ब्रह्मांड की सर्वाधिक जटिल और अत्यल्प ज्ञात संरचना मस्तिष्क है मस्तिष्क लगभग एक खराब तंत्रिका कोशिकाओं से बना हुआ है मस्तिष्क के प्रति घन सेंटीमीटर में पाए जाने वाली तंत्रिका कोशिकाओं की लंबाई लगभग 1600 किलोमीटर होती है मानव मस्तिष्क का औसत भार 1400(1350) ग्राम होता है जबकि आयतन 1300 CC होता है पुनरुदभवन की सबसे ज्यादा क्षमता यकृत में और सबसे कम मस्तिष्क में होती है मनुष्य का मस्तिष्क अस्थियो के खोल क्रेनियम में बंद रहता है जो इसे बाहरी आघातों से बचाता है
अल्जाइमर रोग- मस्तिष्क पर आघात पहुंचाता है
मानव मस्तिष्क मुख्यतः तीन भागों में बटा हुआ है–
अग्र मस्तिष्क/अर्ध गोला.- मानव मस्तिष्क का दो तिहाई भाग संरचना में वलयित होता है इसका सतही क्षेत्रफल अन्य जंतुओं से अधिक होता है अतः मनुष्य सर्वाधिक बुद्धिमान होता है
सल्कस-वलयी संरचना में उभार को गायरी और दो गायरियों के मध्य पाया जाने वाला धसा हुआ भाग सल्कस कहलाता है।यह मानव मस्तिष्क में अन्य स्तनधारियों की अपेक्षा सर्वाधिक विकसित होता है यह चेतनाशील होता है और सूचनाएं संचित करता है
सेरीब्रम-अग्र मस्तिष्क का यह भाग अर्ध गोलाकार पाली नुमा संरचनाओं में पाया जाता है इसका मुख्य कार्य सचेतनता के लिए उत्तरदाई होना मस्तिष्क का यह भाग बुद्धि तर्क व्यक्तित्व अधिगम भावना और इच्छा आदि पर नियंत्रण रखता है
डाइन सिफेलोन- यह सेरीब्रम के पिछले भाग में स्थित होता है इसका स्थान सेरीब्रम और मध्य मस्तिष्क के बीच में होता है इसमें थैलेमस और हाइपोथैलेमस पाए जाते हैं
1-थैलेमस–व्यक्ति में दर्द गर्मी सर्दी और अन्य वातावरणीय कारको की पहचान का कार्य करता है
2-हाइपोथेलेमस- शरीर के आंतरिक संवेगों जैसे भूख-प्यास ताप नियंत्रण रक्तदाब नियंत्रण पसीना घृणा गुस्सा प्रेम आदि मनोभावों पर नियंत्रण के लिए उत्तरदाई होता है इससे शरीर की प्रमुख अंत स्त्रावी ग्रंथि पीयूष ग्रंथि जुडी होती है जिसका नियंत्रण हाइपोथेलेमस से होता है
हेड मास्टर ग्रंथि-हाइपोथेलेमस को हेड मास्टर ग्रंथि कहा जाता है मानव में दृष्टि का कार्य अग्र मस्तिष्क करता है
मध्यमस्तिष्क/अनु मस्तिष्क– अग्र मस्तिष्क और पश्च मस्तिष्क के मध्य स्थित मस्तिष्क का यह भाग सेरीब्रम को मस्तिष्क के अन्य भागों और मेरुरज्जु से जोड़ता है इसका मुख्य कार्य आंखों से आने वाले संवेगों पर नियंत्रण रखना है आँखों की पेशियों दृष्टि के संवेदन श्रवण संवेदन गर्दन और धड़ की गति पर नियंत्रण इसी भाग का होता है
मध्य मस्तिष्क के दो भाग होते हैं—
पश्च मस्तिष्क– पश्च मस्तिष्क तीन मुख्य अवस्थाओं में विभाजित होता है
6. सेरीब्रम व सेरीबेलम किसका भाग है ?
उत्तर – सेरीब्रम जो प्रमस्तिष्क का भाग है तथा सेरीबेलम पश्च मस्तिष्क का भाग है।
7. मनुष्य में कितनी जोड़ी कपाल तंत्रिकाएं तथा कितनी जोड़ी मेरु तंत्रिकाएं पायी जाती है ?
उत्तर -मनुष्य में जोड़ी कपाल तंत्रिकाएं तथा 31 जोड़ी मेरु तंत्रिकाएं पायी जाती है।
8. सेरीबेलम का मुख्य कार्य है ?
उत्तर- सेरीबेलम का मुख्य कार्य शरीर का संतुलन बनाए रखना है। यह शरीर की ऐच्छिक पेशियों के संकुचन पर नियंत्रण करता है यह शरीर का गायरोस्कोप कहलाता है।
9.मेरुरज्जु (स्पाइनल कॉर्ड) के बारे मैं बताइये?
उत्तर- मेडुला ऑब्लांगेटा का पिछला भाग मेरुरज्जु बनाता है। मेरुरज्जु की लंबाई 42-45cm. होती है।तथा इसका अंतिम सिरा एक पतले सूत्र के रूप में होता है। मेरुरज्जु में श्वेत द्रव्य बाहर होता है तथा धूसर द्रव्य अंदर की तरफ होता हैं मेरुरज्जु के अंतिम सिरे पर कई तंत्रिकाओं के निकलने से यह भाग सामान्य से मोटा होता है इसे कोर्ड़ा इक्विना कहते है मेरुरज्जु बीच में खोखली होती है तथा इसकी गुहा को न्यूरोसिल कहते है।
मेरुरज्जु के कार्य- यह प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वय करती है। तथा मष्तिष्क के आने-जाने वाले उद्दीपतों को संवहन करती है।
कोशिका किसे कहते है
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तंत्रिका तंत्र के कितने भाग होते है और उनके नाम क्या है
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