सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना बिहार
सामाजिक सुरक्षा और नि:शक्तता निदेशालय, नि:शक्तों, वृध्दजनों, नशीले पदार्थों से प्रभावित व्यक्तियों, निराश्रित लोगों और साथ ही भिखारियों और विधवाओं से संबंधित समस्त नीतियों और कार्यक्रमों के लिए उत्तारदायी है। निदेशालय विशिष्ट रूप से निम्नलिखित कार्यों से सरोकार रखता है:
सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से संबंधित एक नोडल एजेंसी होने के नाते सामाजिक सुरक्षा और नि:शक्तता निदेशालय, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यक्रमों और योजनाओं का समन्वय करता है, जैसे कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना , इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय नि:शक्तता पेंशन योजना । इसके अलावा राज्य सरकार बिहार नि:शक्तता पेंशन योजना, लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, मुख्यमंत्री सामर्थ्य योजना (नि:शक्त लोगों को सहायक यंत्र एवम् कृत्रिम उपकरण प्रदान करने हेतु), राज्य नि:शक्तता पेंशन योजना, राज्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, कबीर अंतेष्टि अनुदान योजना, नि:शक्तों के लिए स्व-रोजगार ऋण योजना, शिक्षा ऋण योजना, नि:शक्तों के लिए छात्रवृत्ति योजना और भिक्षावृत्ति करने वालों का पुनर्वास आदि।
सामाजिक सुरक्षा और नि:शक्तता निदेशालय का निदेशक सामाजिक सुरक्षा कल्याण और पुनर्वास से संबंधित सभी कार्यक्रमगत कार्यकलापों का प्रभारी होता है। निदेशक की सहायता के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम होती है जिसमें एक संयुक्त निदेशक शामिल होते हैं। पांच सहायक निदेशकों का एक समूह कार्यक्रमों के दैनिक कार्य का संचालन करता है। इसमें विभिन्न पेंशन योजनाएं व वृद्धजन और निःशक्त व्यक्तियों के लिए अन्य योजनाएं, नि:शक्तों के विशेष विद्यालय और पुनर्वास केंद्र आदि शामिल हैं।
नि:शक्त व्यक्तियों के लिए कल्याण और विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन हेतु राज्य कार्य योजना के अनुसार विभाग के अंतर्गत राज्य नि:शक्तता आयुक्त का एक स्वतंत्र कार्यालय स्थापित किया गया है।
जिला स्तर पर विभाग के सभी कार्यक्रमों के निष्पादन और कार्यान्वयन के लिए सहायक निदेशक, जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग मुख्य कार्यान्वयन अधिकारी होते हैं।
राष्ट्रीय वृध्दावस्था पेंशन योजना वर्ष 1995 से राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत् बिहार में कार्यान्वित है। नवम्बर 2007 से इसका नाम इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय वृध्दावस्था पेंशन योजना हो गया है। यह योजना उन बी0पी0एल0 परिवार के वृध्द लोगों के लिए है जिनकी आयु 60-79 वर्ष है।
लाभ और पात्रता
इस योजना के अंतर्गत बीपीएल परिवारों के 60-79 आयु के सभी वृध्दजनों (पुरुषों और महिलाओं) को कम से कम 200/- रु. प्रति माह की पेंशन प्रदान की जाती है। वित्तीय वर्ष 2011-12 से भारत सरकार द्वारा 80 वर्ष या उससे अधिक आयु के वद्धजनों को इस योजना के अन्तर्गत 500/- रु0 प्रति माह पेंशन देने का निर्णय लिया गया है।
कैसे प्राप्त करें
इस योजना को 15 अगस्त, 2011 से लोक सेवा अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत लाया गया है। योजना के लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदक को प्रखण्ड कार्यालय में विहित प्रपत्र (प्रपत्र-I) में दो प्रतियों में फोटो सहित एवं बी.पी.एल. प्रमाण पत्र, आयु प्रमाण पत्र तथा अधिवास प्रमाण पत्र के साथ आवेदन अपने प्रखंड कार्यालय में जमा करना होता है। आवेदक को आवेदन पत्र के जमा करने के पश्चात् प्राप्ति रसीद प्राप्त कर लेना है जिसके आधार पर वे अपने आवेदन के संबंध में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। निश्चित समय में आवेदन पत्र के आधार पर अनुमण्डल पदाधिकारी द्वारा पेंशन की स्वीकृति दी जाती है। आवेदन रद्द होने की सूचना भी आवेदक को दी जाती है। स्वीकृति के उपरान्त स्वीकृत्यादेश की एक प्रति संबंधित डाकघर को प्रेषित की जाती है। पेंशन की राशि पोस्ट ऑफिस में लाभार्थी के बचत खाते में जमा की जाती है।
वृध्दजनों के लिए समेकित कार्यक्रम (आईपीओपी) 1992 से कार्यान्वित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आवास, भोजन, चिकित्सा देखरेख और मनोरंजनात्मक अवसर प्रदान कर वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। वृध्दजनों की विविधतापूर्ण जरूरतों को पूरा करने के लिए इस योजना को लचीला बनाया गया है। इसमें वृध्दजनों के मुद्दों पर जागरूकता निर्माण, वृध्दावस्था के लिए आजीवन तैयारी की अवधारणा को लोकप्रिय बनाना और फलदायक वृध्दता को सुगम बनाना शामिल है।
केन्द्रीय सरकार द्वारा संचालित इस समेकित कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रस्ताव जो जिला पदाधिकारी से अनुशंसित होकर आते हैं, उन्हें सामाजिक न्याय एवम् अधिकारिता मंत्रालय को अनुदान विमुक्ति हेतु अनुशंसित कर भेजती है।
लाभ और पात्रता
आईपीओपी के एक घटक के अंतर्गत गैर-सरकारी संस्थाओं को वृध्दावस्था गृह, दिवाकालीन देखरेख केंद्रों और सचल स्वास्थ्य देखरेख इकाइयों (मोबाइल मेडिकेयर यूनिट) के निर्माण के लिए अनुदान सहायता प्रदान की जाती है। स्वयंसेवी संस्था को परियोजना लागत के 90 प्रतिशत की सहायता प्रदान की जाती है। इस परियोजना के लाभ प्राप्त करने के लिए किसी भी संस्था को निम्न शर्तें पूरी करनी होती हैं:
सोसाइटीज पंजीकरण अधिनियम,1860 के अंतर्गत या किसी अन्य प्रासंगिक राज्य पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण।
किसी वर्तमान कानून के अंतर्गत पंजीकृत सार्वजनिक ट्रस्ट।
कंपनीज़ अधिनियम, 1958 के भाग 25 के अंतर्गत लाइसेंसशुदा परोपकारी कंपनी।
सोसाइटीज़ पंजीकरण अधिनियम, 1860 या सार्वजनिक ट्रस्ट के अंतर्गत पंजीकृत वृद्ध जनों का स्वयं सहायता समूह।
कैसे प्राप्त करें
समाज कल्याण विभाग के अधीन वृद्धजन कल्याण, विकलांग कल्याण एडिप एवम् मद्य एवम् औषधि दुरुपयोग से संबंधित स्वयंसेवी संस्थाओं के परियोजना प्रस्ताव सामाजिक न्याय एवम् अधिकारिता मंत्रालय को अनुदान विमुक्ति हेतु भेजा जाता है।
इच्छुक गैर-सरकारी संस्था संबंधित जिला पदाधिकारी के कार्यालय में परियोजना प्रस्ताव समर्पित कर सकतें हैं। जिला पदाधिकारी जिला स्तरीय पदाधिकारी से स्थलीय जॉच कराने के उपरांत अनुशंसा/मन्तव्य सहित समाज कल्याण विभाग को भेजते हैं। राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय अनुदान समिति के अनुशंसा उपरांत केंद्रीय मंत्रालय को भेजा जाता है। इस समिति का स्वरूप निम्नवत् है।
1. विकास आयुक्त - अध्यक्ष
2. प्रधान सचिव, वित्त विभाग -सदस्य
3. प्रधान सचिव, ग्रामीण विकास विभाग, सदस्य
4. दो स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि - सदस्य
परियोजना प्रस्ताव संबंधित आवेदन प्रपत्र सामाजिक न्याय एवम् अधिकारिता मंत्रालय के वेबसाइट पर देखा जा सकता है।
अन्नपूर्णा योजना को उन वरिष्ठ नागरिकों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए आरंभ किया गया था जो राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के दायरे से बाहर रह गए हैं। अन्नपूर्णा एक केंद्रीय रूप से प्रायोजित योजना है जिसका निष्पादन बिहार सरकार का खाद्य आपूर्ति और वाणिज्य विभाग करता है। ज़िला मजिस्टे्रट को ज़िला स्तर पर कार्य-निष्पादन हेतु नोडल अधिकारी नामांकित किया गया है और ग्राम पंचायत को इस योजना के अनुश्रवण और पर्यवेक्षण के लिए उत्तारदायी बनाया गया है।
खाद्य और उपभोक्ता विभाग, बिहार सरकार के अनुसार बिहार में निराश्रित वृद्ध जनों को इस योजना के अंतर्गत लाभ प्रदान किया जा रहा है।
लाभ और पात्रता
इस योजना के अंतर्गत निराश्रित वृध्द जनों को प्रतिमाह 10 किलोग्राम खाद्यान्न (छह किलोग्राम गेहूं और चार किलोग्राम चावल) मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है। अपने-अपने क्षेत्रों में नगरपालिकाएं इस योजना के संचालन के लिए उत्तारदायी हैं।
योग्यता
आवेदन (महिला या पुरुष) की आयु 65 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
आवेदक निराश्रित होना चाहिए जिसके पास खुद अपनी आय से या परिवार के सदस्यों या अन्य स्रोतों से प्राप्त होने वाले जीवन निर्वाह के साधन न के बराबर या फिर बिल्कुल न हों। निराश्रयता की परिभाषा के लिए राज्य में इस समय अपनाये जाने वाले मानदंडों (अगर हैं तो) का पालन किया जा सकता है।
आवेदक को राष्ट्रीय वृध्दावस्था पेंशन योजना, राज्य पेंशन योजना के अंतर्गत पेंशन प्राप्त नहीं होनी चाहिए।
कैसे प्राप्त करें
ग्रामीण क्षेत्रों में लाभार्थियों की पहचान और चयन ग्राम सभाओं और ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाता है। ग्राम सभाओं द्वारा चयनित लाभार्थियों की सूची ग्राम पंचायतों के सूचना-पट्ट पर प्रदर्शित की जाती है। ग्राम पंचायतें ग्राम सभा की बैठकों के दौरान लाभार्थियों को हकदारी कार्ड वितरित करती हैं।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय नि:शक्तता पेंशन योजना राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के अंग के रूप में वर्ष 2009-10 से बिहार राज्य में आरंभ किया गया है। इस योजना का कार्यान्वयन भारत सरकार द्वारा प्राप्त राशि के आधार पर किया जाता है। इस योजना में 18-79 वर्ष आयु वर्ग केगंभीर या बहु विकलांगता बी.पी.एल. परिवार के व्यक्ति को पेंशन दिया जाता है। पेंशन का भुगतान डाकघर के बचत खाता के माध्यम से किया जाता है।
लाभ और पात्रता
इस योजना के अंतर्गत राज्य पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले सभी लोगों को 300/- रु. प्रतिमाह की राशि प्रदान करता है। पात्र व्यक्ति 18-79 वर्ष आयु समूह का, गरीबी रेखा से नीचे के परिवार का ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो गंभीर या बहु विकलांग नि:शक्तता से पीड़ित हो।
कैसे प्राप्त करें
इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र व्यक्ति को विधिवत रूप से भरे गए आवेदन पत्र की दो प्रतियाँ,विकलांगता प्रमाण पत्र के साथ प्रखंड विकास अधिकारी के पास जमा करनी होती हैं। इस योजना में भी लोक सेवा अधिकार अधिनियम लागू है। प्रखंड विकास पदाधिकारी आवेदन के जांच के बाद स्वीकृति हेतु अनुमण्डल पदाधिकारी को आवेदन पत्र अग्रसारित करते हैं या अस्वीकृत करने पर आवेदक को जानकारी दी जाती है। अनुमण्डल पदाधिकारी की स्वीकृति के उपरान्त स्वीकृत्यादेश की प्रति संबंधित डाकघर को प्रेषित की जाती है जहाँ बचत खाता खोलकर पेंशनधारियों के पेंशन का भुगतान किया जाता है।
मुख्य मंत्री सामर्थ्य योजना का उद्देश्य राज्य के नि:शक्त व्यक्तियों के शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक पुनर्वास को सुगम बनाना है।
कार्यान्वयन स्थिति
वर्ष 2011 में इस योजना के अंतर्गत 500 लाख रु. का आवंटन किया गया। प्रतिवर्ष 8500-10,000 नि:शक्त लोगों को सहायक उपकरण प्रदान किये जा रहें हैं ।
लाभ और पात्रता
इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार लाभार्थियों को व्हीलचेयर, तिपहिया साइकिल, श्रवण यंत्र, कैलिपर्स और इस प्रकार के अन्य सहायक यंत्र प्रदान करती है।
लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदन की आयु 14-60 वर्ष होनी चाहिए, उसका परिवारिक वार्षिक आय अधिकतम एक लाख से कम होना चाहिए और शारीरिक रूप से इस प्रकार का नि:शक्त होना चाहिए कि उसके सामान्य शारीरिक कार्यकलाप कम से कम 40 प्रतिशत क्षतिग्रस्त हों।
कैसे प्राप्त करें
आवेदन पत्र सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा के कार्यालय से नि:शुल्क प्राप्त किया जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा गठित चिकित्सा बोर्ड द्वारा जारी किये गये नि:शक्तता प्रमाणपत्र और अंचलीय अधिकारी द्वारा जारी आय प्रमाणपत्र के साथ आवेदन पत्र को भर कर सहायक निदेशक के कार्यालय में जमा करना होता है।
नि:शक्त छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना का उद्देश्य अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए राज्य के नि:शक्त छात्रों को छात्रवृत्ति और अनुदान प्रदान करना है। ये छात्रवृत्तियां कक्षा एक से स्नातकोत्तार स्तर तक किसी भी स्तर पर तथा व्यावसायिक और तकनीकी पाठयक्रमों के लिए भी उपलब्ध हैं।
लाभ और पात्रता
छात्रवृत्ति का पात्र होने के लिए नि:शक्त छात्र की पारिवारिक वार्षिक आय एक लाख रूपये कम होनी चाहिए और उसकी नि:शक्तता शारीरिक कार्यकलाप की कम से कम 40 प्रतिशत क्षति के स्तर की होनी चाहिए।
कैसे प्राप्त करें
छात्रवृत्ति के लिए आवेदन सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा के पास जमा किया जा सकता है, जो कि जिला स्तर पर इस योजना का नोडल अधिकारी होता है। आवेदन पत्र के साथ राजय सरकार द्वारा जारी नि:शक्तता प्रमाण पत्र को संलग्न करना आवश्यक है।
मुख्यमंत्री नि:शक्तजन शिक्षा ऋण योजना उच्चतर पेशेवर शिक्षा के लिए नि:शक्त छात्रों को ऋण प्रदान करती है। इसके अंतर्गत भारत सरकार, राज्य सरकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, भारतीय चिकित्सा शोध परिषद द्वारा मान्यताप्राप्त डिग्री, डिप्लोमा और अन्य समकक्ष तकनीकी और वाणिज्यिक पाठयक्रम शामिल हैं। इस योजना के कार्यान्वयन के लिए बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम नोडल एजेंसी है।
लाभ और पात्रता
इस योजना के अंतर्गत लाभार्थी चार प्रतिशत की निम्न ब्याज दर पर 5 लाख रु. तक के ऋण उपलब्ध कर सकते हैं। ऋण राशि का संवितरण संबंधित शिक्षा संस्था के माध्यम से बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम द्वारा किया जा सकता है। लाभार्थी इस ऋण राशि का उपयोग प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क, हॉस्टल फीस, पुस्तकों की खरीद और पाठयक्रम से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण चीज़ों की खरीद के लिए कर सकता है।
लाभार्थी 18-30 वर्ष आयु समूह बिहार का निवासी होना चाहिए और उसकी नि:शक्तता का स्तर कम से कम 40 प्रतिशत होना चाहिए। ऋण केवल उन नि:शक्त छात्रों को प्रदान किये जाते हैं जो केंद्र या राज्य सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त संस्थाओं से डिग्री/डिप्लोमा पाठयक्रम की पढ़ाई करना चाहते हैं।
कैसे प्राप्त करें
ऋणों के लिए आवेदनपत्र प्रबंध निदेशक, बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम के पास जमा किये जाते हैं। आवेदक को आवेदन पत्र के साथ संस्था द्वारा जारी प्रवेश प्रमाणपत्र संलग्न करना होता है। इस संबंध में लाभार्थी को निगम द्वारा दिये गये प्रपत्र में संस्था द्वारा जारी प्रमाणपत्र ही जमा करना होता है। आवश्यक मानदंडों की जांच के बाद निगम लाभार्थियों का चयन करता है।
मुख्यमंत्री नि:शक्तजन स्वरोजगार योजना नि:शक्त व्यक्तियों को स्वरोज़गार के लिए ऋण प्रदान करती है। ऋण उन नि:शक्त व्यक्तियों को निम्न ब्याज दरों पर दिये जाते हैं जो लघु स्तर के उद्यम स्थापित करना चाहते हैं या विनिर्माण और कृषि कार्य करना चाहते हैं। योजना के अंतर्गत 5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर अधिकतम 1.5 लाख रुपए का ऋण प्रदान किया जाता है। ऋण का भुगतान ऋण मंजूरी के 6 महीने बाद या स्वरोजगार आरंभ करने के छह महीने बाद शुरू किया जाता है। बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम इस योजना के निष्पादन के लिए नोडल एजेंसी है।
लाभ और पात्रता
लाभ प्राप्त करने के लिए लाभार्थी को निम्न शर्तें पूरी करनी होती हैं:
वह बिहार का निवासी हो (संबंधित अधिकारी द्वारा जारी आवास का प्रमाणपत्र)
18-65 वर्ष की आयु का हो।
उसकी नि:शक्तता का स्तर 40 प्रतिशत हो।
वह उस ज़िले का हो जहां से उसे ऋण प्राप्त करना है।
उसने मान्यताप्राप्त संस्थान से डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त किया हो।
कैसे प्राप्त करें
इस ऋण के लिए आवेदन ज़िला स्तर पर सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा और प्रबंध निदेशक, बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम के माध्यम से किया जा सकता है।
आवेदक को आवेदन पत्र के साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करने होंगे:
1. चिकित्सा बोर्ड द्वारा प्रमाणित चित्र और नि:शक्तता प्रमाण।
2. पात्र प्राधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र।
3. उप-प्रभागीय अधिकारी द्वारा जारी वार्षिक आय प्रमाणपत्र।
4. पासपोर्ट जैसे आवासीय प्रमाण, भूमि संबंधी दस्तावेज़।
5. उस शिक्षा संस्था द्वारा जारी प्रवेश प्रमाणपत्र जिसमें लाभार्थी ने प्रवेश लिया है।
6. राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र/आवधिक जमा/बीमा नीति पार्श्विक गारंटी के रूप में।
लाभार्थियों का चयन सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा की अध्यक्षता में 8 सदस्यीय जिला स्तरीय चयन समिति द्वारा किया जाता है। जिला चयन समिति द्वारा चयनित लाभार्थी को चयन प्रमाणपत्र की तीन प्रतियां दी जाती हैं।
बिहार नि:शक्तता सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के अन्तर्गत 40 प्रतिशत या उससे अधिक विकलांगता वाले किसी भी आय एव आयु वर्ग के व्यक्ति जो इंदिरा गांधी राष्ट्रीय नि:शक्तता पेंशन योजना (आईजीएनपीएस) के अंतर्गत शामिल नहीं है को पेंशन प्रदान किया जाता है।
लाभ और पात्रता
इस योजना के अंतर्गत पात्र लोगों को 300/- रु. की राशि प्रदान की जाती है। आवेदक शारीरिक रूप से नि:शक्त होना चाहिए और उसके पास इस आशय का प्रमाण पत्र होना चाहिए। योजना के लाभ प्राप्त करने की कोई न्यूनतम या अधिकतम आयु सीमा नहीं है। पेंशन प्राप्ति के लिए वार्षिक आय की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। आवेदक कम से कम 10 वर्ष से राज्य का निवासी होना चाहिए।
कैसे प्राप्त करें
इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र व्यक्ति को विधिवत रूप से भरे गए आवेदन पत्र की दो प्रतियाँ, विकलांगता प्रमाण पत्र एवं अधिवास प्रमाण पत्र के साथ प्रखंड विकास अधिकारी के पास जमा करनी होती हैं। इस योजना में भी लोक सेवा अधिकार अधिनियम लागू है। प्रखंड विकास पदाधिकारी आवेदन के जांच के बाद स्वीकृति हेतु अनुमण्डल पदाधिकारी को आवेदन पत्र अग्रसारित करते हैं या अस्वीकृत करने पर आवेदक को जानकारी दी जाती है। अनुमण्डल पदाधिकारी की स्वीकृति के उपरान्त स्वीकृत्यादेश की प्रति संबंधित डाकघर को प्रेषित की जाती है जहाँ बचत खाता खोलकर पेंशनधारियों के पेंशन का भुगतान किया जाता है।
राज्य ने नि:शक्त व्यक्तियों को चिन्हित करने की प्रक्रिया को संस्थागत रूप प्रदान किया है। इसके अंतर्गत हर जिले में नि:शक्त व्यक्तियों को चिन्हित करने के उद्देश्य से सर्वेक्षण किया जाता है और उसके उपरांत उन्हें नि:शक्तता प्रमाणपत्र जारी किये जाते हैं।
कैसे प्राप्त करें
नि:शक्तता प्रमाणीकरण की प्रक्रिया के विकेंद्रीकरण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए राजकीय चिकित्सा महाविद्यालयों, जिला/अनुमण्डलीय अस्पतालों, सैनिक अस्पताल दानापुर एवम् गया संयुक्त पुनर्वास केंद्र (सी.आर.सी.) पटना तथा सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को नोडल बिंदुओं के रूप में चिन्हित किया गया है। संबंधित अधिसूचना 987 दिनांक 13 देख्रा जा सकता है ।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना की शुरूआत वर्ष 2009-10 से विधवाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के अंग के रूप में की गई थी।
लाभ और पात्रता
इस योजना के अंतर्गत पात्र व्यक्ति को रु. 300/- की मासिक पेंशन प्रदान की जाती है। इसके अंतर्गत 40-79 वर्ष की बीपीएल परिवारों की विधवा महिलाएं लाभ प्राप्त करने की पात्र हैं।
कैसे प्राप्त करें
इस योजना को 15 अगस्त, 2011 से लोक सेवा अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत लाया गया है। योजना के लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदक को प्रखण्ड कार्यालय में विहित प्रपत्र (प्रपत्र-I) में दो प्रतियों में फोटो सहित अपने प्रखंड कार्यालय में जमा करना होता है। आवेदक को आवेदन पत्र के जमा करने के पश्चात् प्राप्ति रसीद प्राप्त कर लेना है जिसके आधार पर वे अपने आवेदन के संबंध में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। निश्चित समय में आवेदन पत्र के आधार पर अनुमण्डल पदाधिकारी द्वारा पेंशन की स्वीकृति दी जाती है। आवेदन रद्द होने की सूचना भी आवेदक को दी जाती है।
स्वीकृति के उपरान्त स्वीकृत्यादेश की एक प्रति संबंधित डाकघर को प्रेषित की जाती है। पेंशन की राशि पोस्ट ऑफिस में लाभार्थी के बचत खाते में जमा की जाती है।
राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना (एनएफबीएस) का कार्यान्वयन सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की सहायता के लिए किया जाता है। इसके अंतर्गत परिवार के मुख्य आय-अर्जनकर्ता की मृत्यु पर परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
लाभ और पात्रता
इस योजना के अंतर्गत परिवार के मुख्य आय-अर्जनकर्ता की मृत्यु पर परिवार को 20,000/- रु. एकमुश्त की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। जिस मुख्य आय अर्जनकर्ता की मृत्यु हुई है उसकी आयु 18 से 64 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
कैसे प्राप्त करें
लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदक को सबसे निकट के ग्राम पंचायत कार्यालय, नगर पालिका या प्रखंड कार्यालय में विधिवत रूप से भरे गये आवेदन पत्र की दो प्रतियां जमा करनी होती हैं। आवेदन पत्र पर आवेदक का फ़ोटो लगा होना चाहिए तथा, मृतक की आयु, बीपीएल संख्या, वार्षिक आय जैसे विवरण दर्ज होने चाहिए।
प्रखंड विकास अधिकारी आवेदन पत्र को विवरणों की पुष्टि हेतु संबंधित पंचायतों को अग्रसरित करता है। विवरणों की जांच के बाद आवेदन को स्वीकार या अस्वीकार किया जाता है।
कबीर अंत्येष्टि अनुदान योजना को राज्य में वर्ष 2007 में आरंभ किया गया था। इसके अंतर्गत बी.पी.एल. परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु के उपरान्त, अन्त्येष्टि क्रिया के लिए 1500/- रु0 की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
लाभ और पात्रता
इस योजना के अन्तर्गत बी.पी.एल. परिवार के किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति की मृत्यु के उपरान्त उसके आश्रित परिवार को अन्त्येष्टि क्रिया हेतु राशि दी जाती है।
कैसे प्राप्त करें
ग्रामीण क्षेत्रों में मुखिया एवं शहरी क्षेत्रों में वार्ड कमिश्नर के पास नगद भुगतान हेतु राशि की व्यवस्था रहती है ताकि मृतक के आश्रित को त्वरित भुगतान किया जा सके। इसके लिए आवेदक को मुखिया/वार्ड कमिश्नर के पास सादे कागज पर आवेदन कर राशि का तुरत भुगतान प्राप्त किया जा सकता है।
बिहार राज्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के अन्तर्गत 60 से 64 वर्ष आयु के वैसे गरीब परिवार के व्यक्ति जिनकी आय शहरी क्षेत्रों में रु. 5500/- वार्षिक एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रु. 5000/- वार्षिक से कम हो को रु. 300/- प्रति माह प्रति पेंशनधारी की दर से पेंशन दिया जाता है। बंधुआ मजदूर के मामले में आय एवं उम्र की सीमा लागू नहीं है।
लाभ और पात्रता
इस योजना के अंतर्गत पात्र व्यक्तियों को प्रतिमाह 200 रु. की राशि प्रदान की जाती है। आवेदक की आयु 60 से 64 वर्ष के बीच होनी चाहिए, वह निर्धनता रेखा से नीचे के परिवार का होना चाहिए और आईजीएनओएपीएस का लाभार्थी नहीं होना चाहिए। आवेदक की अधिकतम वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्र के मामले में 5,000/- रु. और शहरी क्षेत्र के मामलों में 5,500/- रु. तक होनी चाहिए।
कैसे प्राप्त करें
लाभार्थियों की पहचान मुखिया और पंचायत सचिव द्वारा की जाती है। ग्राम सभा भी लाभार्थियों की सिफ़ारिश कर सकती है। पेंशन का संवितरण पेंशनभोगी के पोस्ट ऑफिस बचत खाते के माध्यम से किया जाता है।
लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना को मुख्यत: विधवाओं के कल्याण के लिए वर्ष 2007 में आरंभ किया गया है। वर्तमान में इस योजना में वैसी विधवा महिला को पेंशन दिया जाता है जो:-
(i) 18-39 वर्ष आयु वर्ग की हो एवं जो या तो बी.पी.एल. परिवार की हो या जिनकी वार्षिक आय रु. 60000/- से कम हो।
(ii) 40 से 59 वर्ष आयु वर्ग की हो एवं जिनकी वार्षिक आय रु. 60000/- से कम हो।
(iii) 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की हो एवं जिनकी वार्षिक आय रु. 60000/- से कम हो।
लाभ और पात्रता
इस योजना के अंतर्गत पात्र व्यक्तियों को प्रतिमाह 300 रु. की राशि प्रदान की जाती है। 18-65 वर्ष आयु समूह की और 65 वर्ष से अधिक की वे विधवा महिलाएं- जो राष्ट्रीय वृध्दावस्था पेंशन योजनाओं के लाभ प्राप्त करने की पात्र नहीं हैं- इस योजना के अंतर्गत लाभों की पात्र हैं। इसके पात्रता मानदंड इस प्रकार हैं:-
18-39 वर्ष आयु वर्ग की हो एवं जो या तो बी.पी.एल. परिवार की हो या जिनकी वार्षिक आय रु. 60000/- से कम हो।
40 से 59 वर्ष आयु वर्ग की हो एवं जिनकी वार्षिक आय रु. 60000/- से कम हो।
60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की हो एवं जिनकी वार्षिक आय रु. 60000/- से कम हो।
60 या उससे अधिक वर्ष की वे महिलाएं जो लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना की पिछली लाभार्थी थीं और जिन्हें बीपीएल सूची में शामिल न होने के कारण राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना में शामिल नहीं किया गया।
वे महिलाएं जो बिहार की निवासी हैं और आवेदन की तिथि के बाद कम से कम दस वर्ष से राज्य में रह रही हैं।
कैसे प्राप्त करें
इस योजना को 15 अगस्त, 2011 से लोक सेवा अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत लाया गया है। योजना के लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदक को प्रखण्ड कार्यालय में विहित प्रपत्र (प्रपत्र-I) में दो प्रतियों में फोटो सहित एवं बी0पी0एल0 प्रमाण पत्र/आय प्रमाण पत्र, आयु प्रमाण पत्र तथा अधिवास प्रमाण पत्र के साथ आवेदन अपने प्रखंड कार्यालय में जमा करना होता है। आवेदक को आवेदन पत्र के जमा करने के पश्चात् प्राप्ति रसीद प्राप्त कर लेना है जिसके आधार पर वे अपने आवेदन के संबंध में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। निश्चित समय में आवेदन पत्र के आधार पर अनुमण्डल पदाधिकारी द्वारा पेंशन की स्वीकृति दी जाती है। आवेदन रद्द होने की सूचना भी आवेदक को दी जाती है। स्वीकृति के उपरान्त स्वीकृत्यादेश की एक प्रति संबंधित डाकघर को प्रेषित की जाती है। पेंशन की राशि पोस्ट ऑफिस में लाभार्थी के बचत खाते में जमा की जाती है।
मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना का उद्देश्य राज्य में भिक्षावृत्ति की कुप्रथा का उन्मूलन करना और भिक्षावृत्ति करने वालों का पुनर्वास करना है। इस योजना के अंतर्गत निदेशालय निराश्रितों और विशेषकर वृद्धजनों के पुनर्वास के लिए चिकित्सा और अन्य सुविधाओं के साथ आश्रय गृह स्थापित करता है। यह योजना युवा भिक्षावृत्ति करने वालों का पुनर्वास भी करती है। पटना में अग्रगामी आधार पर पहलकदमी करने के बाद अब इन कार्यकलापों का चरणबद्ध तरीके से सभी प्रभागीय और जिला मुख्यालयों में विस्तार किये जाने की योजना है।
लाभ और पात्रता
इस योजना का उद्देश्य भिक्षावृत्ति करने वालों को भिक्षावृत्तिा से अलग करना और उनका पुनर्वास करना है।
अति गरीब व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए स्टेट सोसाइटी फॉर रीहैबीलिटेशन ऑफ़ अल्ट्रा पूअर की स्थापना की गई है। अति गरीब लोगों में निःशक्त व्यक्ति व भिखारी आते हैं| वर्तमान समय में संयुक्त निदेशक, सामाजिक सुरक्षा और निःशक्तता परियोजना अधिकारी, परियोजना सेल की भूमिका निभाएंगे स्टेट सोसाइटी फॉर रीहैबीलिटेशन ऑफ़ अल्ट्रा पूअर के अन्य पदों के लिए विज्ञापन निकाल कर कुल पदों पर संविदा के आधार पर नियुक्ति की गयी है| इसके साथ गैर सरकारी संस्था 'मेधा' का चुनाव भी कर लिया गया है, यह संस्था भिखारियों का सर्वेक्षण करेगी| जिला स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी अंत में भिखारियों के नामों का चुनाव करेगी| इस कमेटी के सदस्य गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि, निःशक्त व्यक्ति व ज़िला मजिस्ट्रेट होंगे। पुनर्वास के लिए एक तीन स्टेप मॉडल निर्धारित किया गया है - सुझाव और पुनर्वास, कौशल विकास और स्वरोज़गार के अवसर।
कैसे प्राप्त करें
इस योजना का कार्यान्वयन करने के उद्देश्य से 'अत्यंत निर्धनों के पुनर्वास हेतु बिहार राज्य सोसाइटी' का पंजीकरण किया गया है। भिक्षावृत्तिा करने वालों और 'अत्यंत निर्धनों' या निराश्रितों की नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच और चिकित्सीय सहायता के लिए पटना में एक अस्पताल को नोडल अस्पताल के रूप में चिन्हित किया गया है। भिक्षावृत्तिा करने वालों के पुनर्वास की प्रक्रिया में साझेदारी हेतु गैर-सरकारी संस्थाओं को चिन्हित किया गया है।
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