न्यायपालिका पर निबंध
हमारे संविधान में राज्य की शक्तियों को तीन अंगों में बाँटा गया है। ये तीन अंग हैं- कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका। इसके अनुसार विधानपालिका का काम विधि निर्माण करना, कार्यपालिका का काम विधियों का कार्यान्वयन तथा न्यायपालिका को प्रशासन की देख-रेख,विवादों का फैसला और विधियों की व्याख्या करने का काम सौंपा गया।
भारत की न्यायपालिका के बारे में कहा जा सकता है की जैसा इसका नाम है वैसा ही इसका काम है। इस न्यायपालिका का मूल काम, हमारे संविधान में लिखे क़ानून का पालन करना और करवाना है, तथा क़ानून का पालन न करने वालों को दंडित करने का अधिकार भी इसे प्राप्त है।
भारतीय न्यायिक प्रणाली को अंग्रेजों ने औपनिवेशिक शासन के दौरान बनाया था और उसी के अनुसार ये आज भी राज्य में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने में कार्यरत है। न्यायाधीश अपने आदेश और फैसले संविधान में लिखे क़ानून के अनुसार लेते हैं और देश का विकास करते है।
देश में कई स्तर की न्यायपालिका बनाई गई है। न्यायपालिका के अंतर्गत कोई एक सर्वोच्च न्यायालय होता है एवं उसके अधीन विभिन्न न्यायालय (कोर्ट) होते हैं, उदाहरण के लिए विभिन्न राज्यों में हाई कोर्ट दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट के अंतर्गत आते हैं। सर्वोच्च न्यायालय अपने अंतर्गत आने वाले मामलो को देखने के अलावा उच्च न्यायालयों के विवादों को भी सुलझाता है। इसके अलावा न्याय पंचायत, ग्राम कचहरी, पंचायत अदालत,इत्यादि का कार्यक्षे त्र थोड़ा संकरा कहा जा सकता है।
भारत का सुप्रीम कोर्ट 28 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया जिसमें मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में 30 अन्य न्यायाधीश होते हैं जो 65 साल की उम्र तक अपनी सेवाएं देते हैं। किसी भी विवाद का अंतिम निर्णायक होने के साथ साथ उच्चतम न्यायालय भारत के संविधान का रक्षक भी है और इसके उल्लंघन को रोकता है।
हाई कोर्ट का कार्य क्षेत्र राज्य स्तरीय होता है। भारत देश में कुल 24 उच्च न्यायालय हैं जिनमें से कोलकाता हाई कोर्ट जिसकी स्थापना सन् 1862 में हुई देश का सबसे पुराना न्यायालय है। सिविल और आपराधिक निचली अदालतें और ट्रिब्यूनल हाई कोर्ट के अंतर्गत कार्य करते हैं तथा सभी हाई कोर्ट भारत की सुप्रीम कोर्ट के अंतर्गत आते हैं।
जिला स्तरीय अधिकार क्षेत्र वाली ये अदालतें उच्च न्यायालय के तहत आती हैं। जिला अदालत का दर्ज़ा अधीनस्थ अदालतों के उपर होता है। जिला न्यायाधीश की उपाधि हाई कोर्ट के न्यायाधीश के बाद सबसे बड़ी होती है। अधीनस्थ अदालतों पर जिला अदालतों का भी अधिकार रहता है।
ट्रिब्यूनल सामान्यत: एक व्यक्ति या संस्था से बनता है जैसे की एक न्यायाधीश वाली अदालत को भी ट्रिब्यूनल कहा जा सकता है।
1. संविधान को सर्वोच्च मानना और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना।
2. लिखित संविधान की व्याख्या करना।
3. महत्वपूर्ण राजनैतिक कार्यो को अंजाम देना।
4. विवादों को क़ानून के अनुसार सुलझाना।
5. नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना।
कारण- भारत की न्यायपालिका को स्वतंत्र अधिकार देने का प्रमुख कारण यह था कि न्यायपालिका सरकार के किसी भी अंग के प्रति जवाबदेह न हो और अपना न्याय किसी बाधा के बिना दे सके। इसके अलावा केन्द्र तथा राज्यों के मध्य विवादों को न्यायिक ढंग से निपटाने के लिए भी स्वतंत्र न्यायपालिका की आवश्यकता थी।
भारतीय संविधान ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए कई उपाए किये हैं जो कि निम्नलिखित अनुसार हैं:
इस प्रकार हम कह सकते हैं की न्यायपालिका सुनिश्चित करती है की देश की जनता को किसी प्रकार की तकलीफ न हो, धर्म-जाति के नाम पर विवाद न हों, शासन सुचारु रूप से चले तथा सबके मौलिक अधिकार सुरक्षित रहें।
न्यायपालिका के बारे में 10 लाइन
Swatantra naye palika ki avashyakta per project
Bhartiya sanvidhan ki Pramukh visheshtaen ki vyakhya kijiye
Neyay palika ki suhatantrt a par nidaband
Jajo ka kiram Suneet juneer ke hisab se
Jajo ka kiram Seneer juneer ke hisab se
Nyaypalika par nibandh
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