कक्षा कक्ष का सामाजिक वातावरण
शिक्षक के रूप में आप चाहते हैं कि आपके विद्यार्थी अपनी विज्ञान की शिक्षा से यथासंभव सर्वश्रेष्ठ परिणामों को हासिल करें। इससे उन्हें अपने जीवन में मौकों और अनुभवों को हासिल करने के लिए अंतदृर्ष्टि और अवसर प्राप्त होंगे। हो सकता है कई परिवार के बच्चे पहल बार स्कूल जाते हैं, जो कि उनके लिए रोमांचक और चुनौतीपूर्ण दोनों होता है। कक्षा का वातारण रूचिपूर्ण और रचनात्मक होना चाहिए। इससे बच्चे जाने के लिए और उद्धेश्य पूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्सहित होंगे। उनकी रुचि और रचनात्मकता को संवेग प्रदान करता है, उन्हें स्कूल जाते रहने और सार्थक शिक्षा को हासिल करने के लिए प्रोत्साहन प्राप्त होगा।
आप और आपके विद्यार्थियों के लिए कक्षा के वातावरण को ज्यादा रचनात्मक तरीके से उपयोग में लाने के लिए बहुत अवसर हैं, जिससे उनकी रुचि को पेररित कर सकते और उनके अनुभव को बढ़ावा दिया जा सकता है। इन विचारों को विज्ञान के किसी विषय पर भी लागू कर सकते है। यह इकाई उदाहरण के रूप में अंकुरण के विषय का उपयोग करती है। पढ़ाई के परिवेश में वृद्धि करने के लिए कुछ संभावनाओं को उभारती है, लेकिन आप विज्ञान के किसी भी विषय पर इन विचारों को लागू कर सकते हैं।
मैंने जैसे ही पत्र को पढ़कर उन्हें सुनाया वैसे ही मेरे विद्यार्थी उसकी स्थिति को लेकर अत्यधिक चिंतित हो गए और वे उसकी मदद करने के लिए आतुर थे।
सबसे पहले मैंने उनसे इस विषय में सोचने के लिए कहा, कि सफल अंकुरण के लिए आवश्यक ज़रूरतों क्या है? जिन्हें कि मैंने ब्लैकबोर्ड पर लिख दिया था। इसके बाद मैंने अपने विद्यार्थियों से पूछा, ‘हम किस प्रकार से आश्वस्त हो सकते हैं कि यह जानकारी सही है? अगर हम श्री देसाई के पास गलत जानकारी भेजते हैं और उनके बीज सही तरह से नहीं उगते हैं तो क्या होगा?
मेरे एक विद्यार्थी ने सुझाव दिया कि हमें यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ बीजों को खरीदने के लिए सुझाव दे सकते हैं और उन्हें विभिन्न दशाओं के तहत उगाने की कोशिश करते हैं ताकि श्री देसाई को सही जानकारी प्राप्त हो। अगले दिन, मैं स्कूल में कुछ बीज लेकर आई।
मैंने छहः के समूहों में अपने विद्यार्थियों को बांटा और उनसे इस बारे में सोचने के लिए कहा कि वे क्या तलाश करना चाहते हैं? इससे श्री देसाई को किस प्रकार से मदद मिलेगी। मैंने उनसे ऐसे किन्हीं प्रश्नों को लिख कर ले जाने के लिए कहा जो उनके मन में बीजों के बारे में थे। इस बारे में सोचने के लिए कहा कि हम किस प्रकार से बीजों के बढ़ने के साथ-साथ परिणामों को रिकार्ड कर सकते हैं। मैंने उन्हें कक्षा परिवेश सुधारने की अपनी इच्छा के बारे में बताया कि हमें अन्वेषणों से प्राप्त परिणामों को साझा करने की ज़रूरत है। हम उन्हें कैसे साझा करें जिससे हम नियमित रूप से ऐसा कर पाएं तथा कक्षा को सुधार भी पाएं।
मैंन उनकी बातें सुनते हुए कक्षा का चक्कर लगाया। जब मैंने कक्षा को रोका और उनसे अपने प्रश्नों को साझा करने को कहा, विद्यार्थियों ने जो कहा उससे मुझे सुखद आश्चर्य हुआ। एक समूह ने प्रश्न पूछा, ‘अगर आप बहुत ज्यादा पानी दें तो क्या बीज मर सकते हैं?’ हमने इस पर चर्चा की कि इन विचारों की जाँच कैसे की जा सकती है? और हर समूह इस बात पर सहमत हुआ कि एक पायलट बीज स्थापित किया जाए, जिसमें वृद्धि के लिए जरूरी सभी बातें हों। प्रत्येक समूह ने एक ऐसा बीज बोया, जिसे प्रकाश, पानी, मिट्टी, परवरिश या गर्मी कुछ भी हासिल नहीं था। एक समूह ने एक गमले में एक बीज बोया जिसमें खूब पानी दिया जाएगा। एक अन्य समूह ने गर्मी को छोड़ कर सभी स्थितियाँ पूरी करते हुए एक बीज बोया, उसे एक फ्ऱीजर में रख दिया।
मैंने विद्यार्थियों को अपने अवलोकन रिकॉर्ड करने के लिए एक आसान सा चार्ट दिया और उनसे अपने बीजों की देखभाल करने के लिए कहा और दो सप्ताह तक कम से कम हर दो दिनों पर अपने अवलोकन को रिकॉर्ड करने के लिए कहा। कुछ विद्यार्थियों ने अपने अवलोकन रिकॉर्ड करने के लिए चित्र बनाए। अन्य ने लेबल और शीर्षक लिखे। सभी ने वृद्धि की जाँच को एक पैमाने से मापा।
जैसे–जैसे बीज विकसित हुए उनके परिणामों को साझा करने के लिए हमने सारे चार्टों को हर गमले के ऊपर लगा दिया। प्रत्येक समूह का नाम भी दर्शाया गया। ऐसा इसलिए किया ताकि वे एक दूसरे से उनके पौधों के बारे में पूछ सकें। मैंने ‘अंकुरण’ नामक एक पोस्टर बनाया, उन्होंने जो किया था, उसे लिखा और चार्टों के साथ उसे प्रदर्शित किया। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि उन्होंने बीजों को देखा और जो हो रहा था उसके बारे में उन्होंने परस्पर बातें की। जब भूमि से पहला अंकुर फूटता हुआ दिखाई दिया तो उनमें बहुत अधिक उत्साह था। प्रत्येक ने जाँच की कि वह कौन-सा बीज था?
तीन सप्ताह बाद, मैंने प्रत्येक समूह से श्री देसाई को वापस इसका वर्णन करते हुए एक पत्र लिखने के लिए कहा कि उन्होंने अपने बीज के साथ क्या किया था उन्होंने क्या सबूत जुटाए? और उस सबूत ने उन्हें बीज वृद्धि के बारे में क्या बताया? इन पत्रों को चार्टों के पास उनके बीजों के ऊपर प्रदर्शित किया गया। मैंने चार्टों को दीवार पर छोड़ दिया। बाद में, जब हम पौधों पर कुछ और काम कर चुके तो हमने इसे अंकुरण प्रदर्शन के पास रख दिया। अब हमारी योजना मात्र विद्यार्थियों के कार्यो का चार्ट पेपर पर प्रदर्शित करना ही नही बल्कि बड़े विषयों के सन्दर्भो को भी चार्ट पेपर पर लिखकर प्रदर्शित करना है। प्रत्येक बड़े विषय के
आजमाने के लिए कुछ दर्षाएं की है- हमेशा विद्यार्थियों के कार्य को ही नहीं बल्कि कभी-कभी हमारे स्कूल के चार्टों का उपयोग करते हुए भी। विद्यार्थियों ने दीवार पर लगी सामग्री कैसी लगी? इस पर प्रायः टिप्पणी की। सामग्री देखने में रोचक थी। इसमें निश्चित रूप से उनकी रूचि और बातचीत को बढ़ाया।
विचार के लिए रुकें
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गतिविधि 2 के अपने जवाबों का उपयोग करते हुए अपने विद्यार्थियों से अन्वेषण करवाने की अपनी योजना में सुधार करें। आप विद्यार्थियों को इसका परिचय किस तरह देंगे? आप श्रीमती यादव जैसे पत्र का उपयोग कैसे करेंगे? अपने विद्यार्थियों को इस बारे में सोचने के लिए कैसे प्रोत्साहित करेंगे? और प्रश्न पूछेंगे कि क्या उनकी योजना इस प्रश्न का जवाब देगी ‘अंकुरण के लिए सर्वश्रेष्ठ दशाएँ कौन-सी हैं?’ इसकी पहचान करें कि आप पौधों को कहाँ रखेंगे जहाँ आप रिकॉर्डिंग शीटों को प्रदर्शित कर सकें (एक नमूने की रिकॉर्डिंग शीट के लिए संसाधन 4 देखें)। इस पर विचार करें कि आप उनके परिणामों को कक्षा और स्कूल में एक व्यापक समूह को संचारित करने के लिए इस प्रदर्शन को कैसे विकसित कर सकते हैं?
अब अपने विद्यार्थियों को अंकुरण पाठ पढाएँ।
विचार के लिए रुकें
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अपनी कक्षा का संवर्धन करने और अपने विद्यार्थियों के लिए इसे अधिक संवादात्मक और प्रेरक शिक्षण परिवेश बनाने के कई तरीके हैं। उदाहरण के लिए, अपने विद्यार्थियों की विज्ञान में रुचि बनाए रखने के लिए एक समाचार बोर्ड लगाना एक अच्छा तरीका है। यहाँ, आप और आपके विद्यार्थी समाचार-पत्रों के लेख या उनके द्वारा विज्ञान के संबंध में देखी गई किसी चीज़ के बारे में कोई टिप्पणी लिख सकते हैं। जब दूसरे विद्यार्थी इसे देखेंगे तो यह उन्हें बात करने और अपने विचारों को आपके और एक दूसरे के साथ साझा करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। आप अपने कक्षा परिवेश को अधिक रोचक और संवादात्मक बनाने के अन्य तरीकों के बारे में सोचने में सक्षम होंगे।
इस इकाई में दिखाया गया है कि कैसे छोटे-छोटे परिवर्तन और नई परिपाटियों तथा काम करने के नए तरीकों की शुरुआत आपके विद्यार्थियों के लिए एक बड़ा अन्तर ला सकती है। अंकुरण के लिए आवश्यक दशाओं के अन्वेषण के माध्यम से, इस इकाई में वे तरीके खोजे गए हैं, जिनसे आप अपनी कक्षा में शिक्षण परिवेश में सुधार कर सकते हैं। अपने अध्यापन के दृष्टिकोण के एक भाग के रूप में भौतिक परिवेश का उपयोग करके इसे रोचक तथा प्रेरक बना सकते है। कक्षा परिवेश के संवर्धन में अपने विद्यार्थियों को शामिल करके, आपने एक निरापद सुरक्षित परिवेश का निर्माण करना आरंभ कर दिया है, जहाँ वे प्रभावी ढंग से सीख सकते हैं। इससे उनका आत्म-सम्मान और किसी भी विषय को संभाल लेने के विश्वास का निर्माण होगा।
एक अध्यापक के रूप में अपने विद्यार्थियों के लिए यथासंभव सर्वश्रेष्ठ अवसर प्रदान करना आपकी जिम्मेदारी है वे अवसर जो सार्थक हों, आपके विद्यार्थियों के जीवन के अनुभवों तथा क्षमताओं से जुड़े होते हैं कक्षा में शिक्षण के संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। व्यावहारिक अन्वेषणों सहित, विभिन्न तरीकों का उपयोग करके ही विद्यार्थी आवश्यक विचार कौशल विकसित कर सकते हैं। जैसे प्रमाण इकट्ठे करना और उनकी व्याख्या करना। यह भविष्य में सोचने की अधिक जटिल प्रक्रिया के विकास में योगदान देगा।
संस्कृति और समाज की विविधता कक्षा में प्रतिबिंबित होती है। विद्यार्थियों की भाषाएं, रुचियां और योग्यताएं अलग-अलग होती हैं। विद्यार्थी विभिन्न सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमियों से आते हैं। हम इन भिन्नताओं को नज़रअंदाज नहीं कर सकते। वास्तव में, हमें उनका उत्सव मनाना चाहिए, क्योंकि वे एक दूसरे और हमारे अपने अनुभव से परे दुनिया के बारे में अधिक जानने का जरिया बन सकते हैं। सभी विद्यार्थियों को शिक्षा पाने और सीखने का अधिकार है चाहे उनकी स्थिति, योग्यता और पृष्ठभूमि कुछ भी हो, और इसे भारतीय कानून और अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकारों में मान्यता दी गई है। 2014 में राष्ट्र को अपने पहले संदेश में, प्रधानमंत्री मोदीजी ने जाति, लिंग या आय पर ध्यान दिए बिना भारत के सभी नागरिकों का सम्मान करने के महत्व पर जोर दिया। इस संबंध में स्कूलों और शिक्षकों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।
हम सभी के दूसरों के बारे में पूर्वाग्रह और दृष्टिकोण होते हैं जिन्हें हो सकता है हमने नहीं पहचाना है या संबोधित नहीं किया है। एक अध्यापक के रूप में, आप में हर विद्यार्थी की शिक्षा के अनुभव को सकारात्मक या नकारात्मक ढंग से प्रभावित करने की शक्ति है। चाहे जानबूझ कर या अनजाने में, आपके अंतर्निहित पूर्वाग्रह और दृष्टिकोण इस बात को प्रभावित करेंगे कि आपके विद्यार्थी कितने समान रूप से सीखते हैं। आप अपने विद्यार्थियों के साथ असमान व्यवहार से बचने के लिए कदम उठा सकते हैं।
ऐसे कई विशिष्ट दृष्टिकोण हैं जो सभी विद्यार्थियों को शामिल करने में आपकी सहायता करेंगे। इनका अन्य प्रमुख संसाधनों में अधिक विस्तार से वर्णन किया गया है, लेकिन एक संक्षिप्त परिचय यहाँ प्रस्तुत है–
विभिन्न कार्यविधियाँ हैं जिनका उपयोग आप अन्वेषणों में उनके कौशल का विकास करने में मदद करने के लिए कर सकते हैं। निम्न सूची में उन बुनियादी कदमों को सारांशित किया गया है, जिनको आप अपने विद्यार्थियों के साथ अन्वेषण करते समय शामिल कर सकते हैं।
यह बहुत जरूरी है कि आप, शिक्षक, आरंभ में चर्चा में छाएँ नहीं। विद्यार्थियों को, शायद खुले प्रश्नों के माध्यम से, आपके द्वारा चाही गई और उनके नतीजों से बन सकने वाली मुख्य शिक्षण व्याख्याओं पर ले जाने से पहले उन्हें अपने विचार व्यक्त करने दें (मौखिक या लिखित रूप में)।
अध्यापन के लिए केवल पाठ्यपुस्तकों का ही नहीं – परन्तु अनेक शिक्षण संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है। यदि आप विभिन्न ज्ञानेंद्रियों (दृष्टि, श्रवण, स्पर्श, गंध, स्वाद) का उपयोग करने वाले तरीकों की पेशकश करते हैं, तो आप विद्यार्थियों के सीखने के विभिन्न तरीकों को आकर्षित करेंगे। आपके इर्दगिर्द ऐसे संसाधन उपलब्ध हैं जिनका उपयोग आप कक्षा में कर सकते हैं, और जिनसे आपके विद्यार्थियों की शिक्षण-प्रक्रिया को समर्थन मिल सकता है। कोई भी स्कूल शून्य या जरा सी लागत से अपने स्वयं के शिक्षण संसाधनों को उत्पन्न कर सकता है। इन सामग्रियों को स्थानीय ढंग से प्राप्त करके, पाठ्यक्रम और आपके विद्यार्थियों के जीवन के बीच संबंध बनाए जाते हैं।
आपको अपने नजदीकी पर्यावरण में ऐसे लोग मिलेंगे जो विविध प्रकार के विषयों में पारंगत हैं। आपको कई प्रकार के प्राकृतिक संसाधन भी मिलेंगे। इससे आपको स्थानीय समुदाय के साथ संबंध जोड़ने, उसके महत्व को प्रदर्शित करने, की सहायता मिलेगी। विद्यार्थियों को उनके पर्यावरण की प्रचुरता और विविधता को देखने के लिए प्रोत्साहित करने में सहायता मिलेगी और संभवतः सबसे महत्वपूर्ण रूप से, विद्यार्थियों के शिक्षण में समग्र दृष्टिकोण – यानी, स्कूल के भीतर और बाहर शिक्षा को अपनाने की ओर काम करने में सहायता मिल सकती है।
लोग अपने घरों को यथासंभव आर्कषक बनाने के लिए कठिन मेहनत करते हैं। उस पर्यावरण के बारे में सोचना भी महत्वपूर्ण है जहाँ आप अपने विद्यार्थियों को शिक्षित करने की अपेक्षा करते हैं। आपकी कक्षा और स्कूल को पढ़ाई की एक आकर्षक जगह बनाने के लिए आप जो कुछ भी कर सकते हैं उसका आपके विद्यार्थियों पर सकारात्मक प्रभाव होगा। अपनी कक्षा को रोचक और आकर्षक बनाने के लिए आप बहुत कुछ कर सकते हैं – उदाहरण के लिए, आप:
यदि आप गणित में पैसे या परिमाणों पर काम कर रहे हैं, तो आप बाज़ार के व्यापारियों या दर्जियों को कक्षा में आमंत्रित कर सकते हैं और उन्हें यह समझाने के लिए कह सकते हैं कि वे अपने काम में गणित का उपयोग कैसे करते हैं? वैकल्पिक रूप से, यदि आप कला विषय के अंतर्गत परिपाटियों और आकारों जैसे विषय पर काम कर रहे हैं, तो आप मेहंदी डिजाइनरों को स्कूल में बुला सकते हैं जिससे वे भिन्न-भिन्न आकारों, डिजाइनों, परम्पराओं और तकनीकों को समझा सकें। अतिथियों को आमंत्रित करना तब सबसे उपयोगी होता है जब शैक्षणिक लक्ष्यों के साथ संबंध हर एक व्यक्ति को स्पष्ट होता है और सामयिकता की साझा अपेक्षाएं मौजूद होती हैं।
आपके पास स्कूल समुदाय में विशेषज्ञ उपलब्ध हो सकते हैं जैसे (रसोइया या देखभालकर्ता) जिन्हें विद्यार्थियों द्वारा अपने शिक्षण के संबंध में प्रतिबिंबित किया जा सकता है अथवा वे उनके साथ साक्षात्कार कर सकते हैं; उदाहरण के लिए, पकाने में इस्तेमाल की जाने वाली मात्राओं का पता लगाने के लिए, या स्कूल के मैदान या भवनों पर मौसम संबंधी स्थितियों का कैसे प्रभाव पड़ता है
आपकी कक्षा के बाहर ऐसे अनेक संसाधन उपलब्ध हैं, जिनका प्रयोग आप अपने पाठों में कर सकते हैं। आप पत्तों, मकड़ियों, पौधों, कीटों, पत्थरों या लकड़ी जैसी वस्तुओं को एकत्रित कर सकते हैं (या अपनी कक्षा से एकत्रित करने को कह सकते हैं)। इन संसाधनों को अंदर लाने से कक्षा में रूचिकर प्रदर्शन तैयार किए जा सकते हैं जिनका संदर्भ पाठों में किया जा सकता है। इनसे चर्चा या प्रयोग आदि करने के लिए वस्तुएं प्राप्त हो सकती हैं जैसे वर्गीकरण से संबंधित गतिविधि, या सजीव या निर्जीव वस्तुएं। बस की समय सारणियों या विज्ञापनों जैसे संसाधन भी आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं जो आपके स्थानीय समुदाय के लिए प्रासंगिक हो सकते हैं – इन्हें शब्दों को पहचानने, गुणों की तुलना करने या यात्रा के समयों की गणना करने के कार्य निर्धारित करके शिक्षा के संसाधनों में बदला जा सकता है।
कक्षा में बाहर से वस्तुएं लाई जा सकती हैं- लेकिन बाहरी स्थान भी आपकी कक्षा का विस्तार हो सकते हैं। सामान्यतः सभी विद्यार्थियों के लिए चलने-फिरने और अधिक आसानी से देखने के लिए बाहर अधिक जगह होती है। जब आप सीखने के लिए अपनी कक्षा को बाहर ले जाते हैं, तो वे निम्नलिखित गतिविधियो को कर सकते हैं–
बाहर, विद्यार्थियों शिक्षण वास्तविकताओं तथा उनके स्वयं के अनुभवों पर आधारित होता है जो शायद अन्य संदर्भों में अधिक लागू हो सकता है।
यदि आपके बाहर के काम में स्कूल के परिसर को छोड़ना शामिल हो तो, जाने से पहले आपको स्कूल के मुख्याध्यापक की अनुमति लेनी चाहिए, समय सारणी बनानी चाहिए, सुरक्षा की जाँच करनी चाहिए और विद्यार्थियों को नियम स्पष्ट करने चाहिए। इससे पहले कि आप बाहर जाएं, आपको और आपके विद्यार्थियों को यह बात स्पष्ट रूप से पता होनी चाहिए कि किस संबंध में जानकारी प्राप्त की जाएगी।
चाहें तो आप मौजूदा संसाधनों को अपने विद्यार्थियों के लिए कहीं अधिक उपयुक्त बनाने हेतु उन्हें अनुकूलित कर सकते हैं। ये परिवर्तन छोटे से हो सकते हैं किंतु बड़ा अंतर ला सकते हैं, विशेष तौर पर यदि आप शिक्षण को कक्षा के सभी विद्यार्थियों के लिए प्रासंगिक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, आप स्थान और लोगों के नाम बदल सकते हैं यदि वे दूसरे राज्य से संबंधित है, या गाने में व्यक्ति के लिंग को बदल सकते हैं, या कहानी में शारीरिक रूप से अक्षम विद्यार्थी बच्चे को शामिल कर सकते हैं। इस तरह से आप संसाधनों को अधिक समावेशी और अपनी कक्षा और उनकी शिक्षण-प्रक्रिया के उपयुक्त बना सकते हैं।
साधन संपन्न होने के लिए अपने सहकर्मियों के साथ काम करें। संसाधनों को विकसित करने और उन्हे अनुकूलित करने के लिए आपके बीच में ही आपको कई कुशल व्यक्ति मिल जाएंगे। एक सहकर्मी के पास संगीत, जबकि दूसरे के पास कठपुतलियाँ बनाने या कक्षा के बाहर के विज्ञान को नियोजित करने के कौशल हो सकते हैं। आप अपनी कक्षा में जिन संसाधनों को उपयोग करते हैं उन्हें अपने सहकर्मियों के साथ साझा कर सकते हैं जिससे अपने स्कूल के सभी क्षेत्रों में एक प्रचुर शिक्षण पर्यावरण बनाने में आप सबकी सहायता हो सके।
Kaksha or kaksh mein chetna
Kaksha or kaksh mein chetna nibandh
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