Gandharv Mahavidyalaya गन्धर्व महाविद्यालय

गन्धर्व महाविद्यालय



GkExams on 09-02-2019


गान्धर्व महाविद्यालय भारत का एक प्रमुख संगीत शिक्षण संस्थान है। यह दिल्ली में स्थित है।

गान्धर्व संगीत महाविद्यालय की स्थापना 1901 में पं॰ विष्णु दिगम्बर पलुस्कर द्वारा लाहौर में की गई थी। यह भारत का पहला ऐसा संगीत विद्यालय था, जो जनता के सहयोग और दान-दक्षिणा से संचालित हो रहा था, न कि किसी तरह के राज्य आश्रय के रूप में। यहाँ पर सभी लोगों को संगीत की शिक्षा देने की व्यवस्था की गयी थी। उन दिनों में यह बहुत कठिन था कि ऐसा कोई संगीत संस्थान हो, जहां पारम्परिक रूप से शिष्य और गुरु एक ही स्थान पर रह कर संगीत साधना कर सकें, वो भी बिना राज्य सहायता के। इसीलिए दिगम्बर जी द्वारा बहुत सी संगीत प्रस्तुतियां दी जाती थीं, ताकि विद्यालय के काम काज में कोई बाधा न आए।


वर्ष 1931 में पंडितजी ने अपने सभी शिष्यों के साथ अहमदाबाद में एक गोष्ठी की और इस प्रकार गान्धर्व संगीत महाविद्यालय मंडल की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ, जिसकी कार्यकारी परिषद् और अन्य सदस्यों को चुनाव के माध्यम से पद दिया जाता था। इतना ही नहीं, उनके सभी शिष्यों ने देश के विभिन्न भागों में अपने संगीत विद्यालय स्थापित किये और उन्हें गन्धर्व संगीत मंडल से संबद्ध कर लिया। 1931 में ही पंडित जी की मृत्यु हो गयी, जिससे सारे विद्यालयों को संचालित करने का काम इस गन्धर्व संगीत मंडल का हो गया।


भारत में संगीत की शिक्षा को समरूपता देने और संगठित करने के लिए इस मंडल ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया। मंडल द्वारा संगीत से जुड़े पाठय़क्रमों को निर्मित किया गया। इसमें सभी केंद्र के विद्यार्थियों को एक ही तरह की शिक्षा और परीक्षा से गुजरना होता था। इस प्रकार 1950 तक गन्धर्व संगीत मंडल से जुड़े 50 से भी ज्यादा विद्यालय तत्कालीन लगभग सभी प्रेसीडेंसी में खोले जा चुके थे। 1946 में इसे सरकार द्वारा सोसाइटी के रूप में रजिस्टर किया गया, जिससे इसकी ख्याति और भी बढ़ गई।

गान्धर्व संगीत महाविद्यालय, दिल्ली

दिल्ली के गान्धर्व संगीत महाविद्यालय की स्थापना 1939 में ग्वालियर घराने के संगीतज्ञ पद्मश्री विनयचन्द्र मुद्गल द्वारा की गयी। पहले यह कनॉट प्लेस के प्रेम हाउस में संचालित होता था। इसी की एक शाखा के रूप में यह कमला नगर में दिल्ली विश्वविद्यालय के पास भी संचालित होने लगा। 1972 में इसे इसके वर्तमान स्थान दिल्ली के आईटीओ के पास दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थानांतरित कर दिया गया और कमला नगर वाला केंद्र अलग से चतुरंग संगीत संस्थान के रूप में कार्य करने लगा। आज भी मुद्गल परिवार के मधुप मुद्गल इसके प्रमुख के रूप कार्य करते हैं। दिल्ली का गान्धर्व महाविद्यालय संगीत के क्षेत्र में अपना एक अलग मुकाम रखता है। यह प्रतिवर्ष विष्णु दिगम्बर उत्सव का भी आयोजन करता है।

पाठ्यक्रम

गान्धर्व संगीत मंडल से जुड़े सभी विद्यालयों में संगीत में शिक्षा हेतु संगीत प्रवेशिका (सीनियर सेकेंडरी समकक्ष), संगीत विशारद (स्नातक समकक्ष) और संगीत अलंकार (परास्नातक समकक्ष) जैसे डिप्लोमा और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। इस प्रकार इन सभी पाठ्यक्रमों के माध्यम से आपको संगीत में पारंगत होने के लिए 8 वर्ष का समय देना होता है। गान्धर्व संगीत मंडल के सभी पाठ्यक्रमों को विभिन्न राज्य सरकारों और शिक्षा बोर्डो ने मान्यता प्रदान की हुई है और इस प्रकार आज भी संगीत के विद्यालयों का यह संगठन सम्पूर्ण देश में संगीत की सेवा करते हुए संगीत शिक्षा को उपलब्ध करा रहा है। अब तक लाखों कलाकारों ने यहां प्रशिक्षण लिया है। उन्होंने देश की सांस्कृतिक विरासत की गहरी छाप विश्व पटल पर छोड़ी है। 2007 में मंडल से संबद्ध विद्यालयों में पंजीकृत कुल शिक्षार्थियों की संख्या 1 लाख को भी पार कर गई थी।


गान्धर्व महाविद्यालय में संगीत और नृत्य की इन कुछ शाखाओं का प्रशिक्षण दिया जाता है:

  • हिन्दुस्तानी संगीत: गायन
  • हिन्दुस्तानी संगीत (वाद्य यंत्र): सितार, बांसुरी, तबला, हारमोनियम और वायलिन
  • भारतीय शास्त्रीय नृत्य: कथक, भरतनाट्य़म व ओडिसी




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Ritu on 10-06-2022

Sangeet prabhakar krne k baad Sangeet visharad Krna jaroori h kya

banmali saw on 12-05-2019

Mera sawal his ki mera sangit me Diploma via me kahi Vekensy bhar Santa hu ya nahi







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