विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव
उष्मीय प्रभाव
चालक का प्रतिरोध धारा बहने में रुकावट डालता है, जिससे गतिशील इलेक्ट्रॉन निरन्तर चालक के परमाणुओं से टकराते हैं तथा इस प्रक्रिया में अपनी ऊर्जा चालक के परमाणुओं को स्थानान्तरित करते हैं। इसके कारण चालक का ताप बढ़ जाता है। चालक के ताप बढ़ने की इस घटना को विद्युत् धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहते हैं। किसी चालक में विद्युत् धारा द्वारा उत्पन्न ऊष्मा
H = I2Rt जूल (SI पद्धति में)
जहाँ,
H = उत्पन्न ऊष्मा,
I = चालक में बहने वाली धारा,
R = चालक का प्रतिरोध,
r = धारा बहने का समय
H = I2Rt में विद्युत् धारा द्वारा उत्पन्न ऊष्मा के जो नियम सम्मिलित है, वे जूल के नियम (Joule's Laws) कहलाते हैं, जो निम्नांकित हैं-
(i) यदि किसी चालक का प्रतिरोध नियत रहता है, तो उसमें नियत समय में उत्पन्न ऊष्मा धारा के वर्ग के समानुपाती होती है। अर्थात् H ∝ I2जब R एवं t नियत है।
(ii) यदि किसी चालक में बहती हुई धारा का का मान नियत हो, तो किसी निश्चित समय में उत्पन्न ऊष्मा चालक के प्रतिरोध के समानुपाती होती है।
अर्थात् H ∝ R, जब I एवं t नियत है।
(iii) यदि किसी चालक का प्रतिरोध तथा बहती हुई धारा नियत हो, तो उसमें उत्पन्न ऊष्मा समय का समानुपाती होती है।
अर्थात् H ∝ t, जब I एवं R नियत है।
ऊष्मा विद्युत् Thermo Electricity
जब किसी तार को गर्म किया जाता है, तो उससे होकर विद्युत् धारा बहती है। अतः ऊष्मा विद्युत् में किसी तार को गर्म करने से उसमें प्रवाहित विद्युत् धारा का अध्ययन किया जाता है।
सीबेक प्रभाव Seebeck Effect
सीबेक ने दो भिन्न-भिन्न पदार्थों के तारों को उनके दोनों सिरे अलग-अलग मिलाकर दो जंक्शन बनाया, जंक्शनों के तापों में अन्तर रहने पर तारों से होकर विद्युत् धारा प्रवाहित होने लगती है। इसी प्रभाव को सीबेक प्रभाव कहते हैं। इस प्रकार बहने वाली विद्युत् धारा को ऊष्मा-विद्युत् धारा कहते हैं। जिस विद्युत् बाहक बल के कारण यह ऊष्मा विद्युत् धारा बहती है, उसे ऊष्मा विद्युत् वाहक बल (Thermo electro motive force) कहते हैंI
सीबेक ने भिन्न-भिन्न धातुओं के जोड़े (couple) बनाकर अपने प्रभाव को दिखाया । इसने धातुओं की एक ऊष्मा विद्युत् श्रेणी बनाई। इस श्रेणी वाले किन्हीं दो धातुओं से ऊष्मा वैद्युत् युग्म बनाने पर उनमें जो धातु श्रेणी में पहले आता है, उससे धारा श्रेणी में अपने से नीचे वाले धातु की ओर ठंढे जंक्शन होकर प्रवाहित होती है। ऊष्मा विद्युत् श्रेणी के कुछ धातु निम्नलिखित है-
1. ऐन्टीमनी | 2. लोहा | 3. जस्ता | 4. चाँदी |
5. सोना | 6. टिन | 7. सीसा | 8. ताँबा |
9. प्लैटिनम | 10. निकल | 11. बिस्मथ |
ऊपर की तालिका में क्रम संख्या में सीसा से ऊपर वाली धातु यानी ऐन्टीमनी, लोहा, जस्ता, चाँदी, सोना एवं टिन ऊष्मा विद्युतीय ऋणात्मक एवं क्रम संख्या में सीसा से नीचे वाली धातु यानी ताँबा, प्लैटिनम, निकेल एवं बिस्मथ ऊष्मा विद्युतीय धनात्मक है। ऊष्मा वैद्युत् युग्म में एक धातु से दूसरे धातु में धारा को बहने की दिशा का ज्ञान आसानी से A, B और C शब्द से होता है, जैसे A से एण्टीमनी, B से बिस्मथ और C से ठंडा (Cold) यानि Current Flows from A to B through C, गर्म जंक्शन होने पर धारा की दिशा उलट जाती है, जैसे ताँबे एवं लोहे के युग्म में Current Flows from Copper to Iron at the Hot Junction.
पेल्टियर प्रभाव Peltier Effect
पेल्टियर प्रभाव सीबेक प्रभाव का व्युत्क्रम प्रभाव है। जब दो भिन्न-भिन्न धातुओं के जोड़े होकर एक धारा प्रवाहित होती है, तब जंक्शन पर या तो ऊष्मा का उत्पादन होता है या अवशोषण होता है। किसी जंक्शन से होकर यदि एक दिशा में धारा के बहने से ऊष्मा का उत्पादन होता है, दूसरी दिशा में धारा के बहने पर उसी जंक्शन पर ऊष्मा का अवशोषण होता है।
थॉम्सन प्रभाव Thomson Effect
यदि किसी तार के सिरे पर के तापों को नियत रखकर तार के बीच वाले भाग के ताप को बढ़ाया जाता है और साथ-साथ तार से होकर विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है, तो तार का पहला आधा भाग ठंढा और दूसरा आधा भाग गर्म हो जाता है। तार में धारा की दिशा बदल देने पर गर्म एवं ठंढे भाग भी आपस में बदल जाते हैं। इस प्रभाव को थॉम्सन प्रभाव कहते हैं।
उष्मीय प्रभाव पर आधारित Home Appliances Based on Heating Effect
विद्युत् धारा के ऊष्मीय प्रभाव का उपयोग घरेलू उपकरणों जैसे-विद्युत् हीटर, विद्युत् प्रेस, बल्ब, ट्यूब-लाइट आदि में किया जाता है।
विद्युत् हीटर Electric Heater
इसमें प्लास्टर ऑफ पेरिस का बना एक खांचेदार प्लेट होता है, जिसमें मिश्रधातु निक्रोम (निकल एवं क्रोमियम का मिश्रधातु) का एलीमेंट लगा होता है। अत्यधिक प्रतिरोध होने कारण जब इससे विद्युत् धारा गुजारी जाती है, तो यह लाल तप्त हो जाता है और अत्यधिक ऊष्मा देता है। लाल तप्त अवस्था में तार का ताप 800°C से 1000°C तक होता है। एक अच्छे हीटर के एलीमेण्ट की प्रतिरोधकता अधिक होनी चाहिए साथ ही उच्च ताप पर ऑक्सीकरण नहीं होना चाहिए।
विद्युत् प्रेस Electric Iron
घरेलू विद्युत् प्रेस में अभ्रक के ऊपर नाइक्रोम का तार लिपटा हुआ रहता हैं। अभ्रक एक अच्छा प्रतिरोधी है, जो ऊँचे ताप पर भी नहीं पिघलता है। इस प्लेट को इस्पात के उचित आकार के आवरण के अन्दर रखा जाता है। इस आवरण के ऊपर कुचालक पदार्थ का हत्था लगा रहता है। जब तार में धारा प्रवाहित की जाती है तो वह गरम हो जाती है, जिससे आवरण भी गरम हो जाती है, जो कपड़े को प्रेस कर देती है।
विद्युत् बल्ब Electric Bulb
विद्युत् बल्ब का आविष्कार थॉमस एल्वा एडीसन (Thomas Alva Edison) ने किया था। इसमें टंगस्टन धातु का तन्तु (फिलामेंट) लगा होता है। टंगस्टन के ऑक्सीकरण को रोकने के लिए बल्ब के अन्दर निर्वात् कर दिया जाता है। कभी-कभी पूर्णतः निर्वात् न करके उसके अन्दर नाइट्रोजन या आर्गन गैस भर दी जाती है, ताकि उच्च ताप पर टंगस्टन का वाष्पीकरण न हो। उच्च ताप पर टंगस्टन वाष्पीकृत होकर बल्ब की दीवारों को काला कर देता है, जिसे ब्लैकनिंग (Blackening) कहते हैं। टंगस्टन धातु का प्रयोग बल्ब में उसके गलनांक (3500°C) उच्च होने के कारण किया जाता है। धारा प्रवाहित किए जाने पर तन्तु का ताप 1500°C से 2500°C तक हो जाता है। साधारण बल्ब में दी गई विद्युत् ऊर्जा का 5% से 10% भाग ही प्रकाश में परिवर्तित होता है।
ट्यूब लाइट Tube Light
इसमें काँच की एक लम्बी ट्यूब होती है, जिसके अन्दर की दीवारों पर प्रतिदीप्तशील पदार्थ (Fluorescent substances) का लेप चढ़ा रहता है। ट्यूब के अन्दर अक्रिय गैस जैसे आर्गन को कुछ पारे के साथ भर देते हैं। ट्यूब के दोनों किनारों पर बेरियम ऑक्साइड की तहें चढ़े हुए दो तन्तु लगे होते हैं। जब तन्तुओं में धारा प्रवाहित की जाती है, तो इनसे इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं, जो ट्यूब में भरी गैस का आयनीकरण करते हैं। आयनीकरण से उत्पन्न आयनों के प्रवाह के फलस्वरूप ट्यूब में धारा बहने लगती है। ट्यूब स्थित पारा गरमी पाकर वाष्पित होता है तथा इससे विद्युत् उत्सर्जन होने के कारण पराबैंगनी किरणे (UV Rays) उत्पन्न होती हैं।
जब ये किरणे ट्यूब की दीवारों पर पुते प्रतिदीप्तशील पदार्थ पर पड़ती है, तो वह उन्हें अवशोषित करके निचली आवृत्ति के दृश्य प्रकाश का उत्सर्जन करती है। ट्यूब में उपयोग किया जाने वाला प्रतिदीप्तशील इस प्रकार लगाया जाता है कि उससे उत्पन्न प्रकाश सूर्य के प्रकाश के समान श्वेत दिखाई पड़ता है। ट्यूब में ऊष्मा ऊर्जा कम उत्पन्न होती है, इसीलिए लगभग 60 से 70% विद्युत् ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा में बदल जाती है। इसीलिए ट्यूब की दक्षता बल्ब की तुलना में अधिक होती है। जैसे- एक 40 वाट की टयूब एक 40 वाट की बल्ब की तुलना में 6 से 8 गुना अधिक प्रकाश देती है।
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