हिन्दू विवाह अधिनियम धारा 24
तलाक या दहेज से संबंधित कानून महिलाओं को सुरक्षा और उचित न्याय के उद्देश्य से बनाए गए हैं। किंतु कुछ महिलाओं द्वारा इनका दुरुपयोग के कारण माननीय न्यायालय इन मामलों पर विचार कर रहा है। ऐसे में गुजारा भत्ता मांगने से पहले अच्छे से सोच लें। ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं, जिसमें पत्नी द्वारा पति पर झूठे आरोप लगाकर फंसाए जाने, बिना कारण के पति का घर छोडऩे और संपन्न होने के बाद भी गुजारा भत्ता मांगने आदि अनेक प्रकरणों में माननीय न्यायालय ने ठोस परीक्षण कर पति के पक्ष में निर्णय दिए हैं।
इस संबंध में कानूनी पक्ष एकदम स्पष्ट है कि पतिप त्नी के बीच जब तलाक का प्रकरण दायर हो जाता है, उसके पश्चात ही पति अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने के लिए उत्तरदायी हो जाता है। विवाहित स्त्री हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा-24 के तहत गुजारा भत्ता ले सकती है। यही नहीं पति की मृत्यु के पश्चात यदि स्त्री दूसरा विवाह नहीं करती तो उसे सास-ससुर से भी गुजारा भत्ता लेने का अधिकार है। हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार पत्नी अपने बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा और भरण-पोषण के लिए आवेदन कर सकती है।
किसी महिला को यदि मासिक गुजारा भत्ता पाना है, तो उसे यह साबित करना होता है कि जीवन यापन के लिए उसके पास आय का कोई स्थायी स्रोत नहीं है और वह वित्तीय तौर पर अपना गुजारा नहीं कर सकती। मेरा मानना है कि पति-पत्नी अपने विवाद को न्यायालय में ले जाकर अपने आपको दूर ले जाते हैं। अपने आपको खरा साबित करने के लिए पतिप त्नी को झूठ का सहारा लेना पड़ता है। पति-पत्नी को कोर्ट की शरण में जाने से पहले हर पहलू पर विचार कर लेना चाहिए। तलाक के मामले में पत्नी सोचती है कि न्यायालय में प्रकरण दायर कर दो, जब तक निर्णय होगा गुजारा भत्ता मिलता रहेगा। किन्तु हर प्रकरण में गुजारा भत्ता मिल ही जाएगा यह जरूरी नहीं।
कुछ प्रकरणों में माननीय न्यायालय ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इंकार भी कर दिया है। भोपाल का एक ऐसा ही मामला है जिसमें जहांगीराबाद के आकाश ने भोपाल निवासी सपना से आर्य समाज मंदिर में विवाह कर लिया। शादी के चार माह के पश्चात ही दोनों में विवाद होने लगे। सपना ने आकाश पर मारपीट, धमकी देने और घरेलू हिंसा के झूठे आरोप लगाकर दहेज प्रताडऩा का मामला दायर किया। मामला कोर्ट में चला, पति ने साबित कर दिया कि उसे दहेज प्रताडऩा के झूठे प्रकरण में फंसाया गया है। कोर्ट ने पति के पक्ष में निर्णय दिया। पति केस तो जीत गया लेकिन इस दौरान उसका कारोबार चौपट हो गया। इसके बाद पति ने अपनी पत्नी से क्षतिपूर्ति वसूलने का प्रकरण दायर किया। पत्नी ने झूठे प्रकरण दर्ज करने के मामले मे कार्यवाही करने के लिए कोर्ट में इस्तगासा लगाया। कोर्ट के आदेश के बाद पत्नी ने पति को क्षतिपूर्ति के रूप में कुछ राशि दी। यही नहीं पति ने पत्नी से भरण-पोषण की भी मांग की। पति को क्षतिपूर्ति की राशि मिली। हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत उसे भरण-पोषण का लाभ भी मिल सकता है।
एक दूसरे प्रकरण में पत्नी ने शादी के डेढ़ साल बाद ही पति का घर छोड़ दिया था। पति ने उसे इसके लिए कभी उकसाया नहीं था। पति ने उसे घर वापस बुलाने के लिए नोटिस भेजा। कोई जवाब नहीं मिला तो उसने फैमिली कोर्ट में वैवाहिक अधिकारों को लेकर याचिका दायर की। इस बीच पत्नी ने गुजारा भत्ता पाने के लिए याचिका दायर कर दी। फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका स्वीकार कर पत्नी की याचिका खारिज कर दी। पत्नी ने ट्रायल कोर्ट में गुजारा भत्ता के लिए याचिका दायर की तो पति ने इस मुकदमे पर चल रही सुनवाई को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। माननीय न्यायाधीश महोदय ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि यदि पत्नी ने बिना किसी ठोस कारण के पति का घर छोड़ा है तो उसे गुजारा भत्ता पाने का कोई हक नहीं है।
धारा 24 हिंदू विवाह अधिनियम में पारित आदेश का क्रियान्वयन किया जा सकता है जब पक्षकार धारा 13 के मुकदमे में उपस्थित ना रहा हो
Meri patni Mera aur meri man Kamasutra Karti hai Maine iske liye talaqnama pesh Kiya hai ab vah bacchon Ko padhaai kar mayke mein baithi Hui hai tatha Hindu Vivah adhiniyam dhara 24 ke tahat gujara Bhatta tatha bacchon ka bharan poshan mang rahi hai main kya Karun
Meri patni Mera aur meri man ka mansik utvidan Karti hai iske liye Maine court mein tanak Nama pesh Kiya ha mayke mein bacchon ka padhaai likha kar baithi hai ab dhara 24 ke dadriyon ke tahat gujara Bhatta mang rahi hai main kya Karun
Kay section 24 HMA act me interim mentanece ke bad high court me kaha is order ko challenge kare
फैमेली कोर्ट ने 2020 में धारा २४ हिंदू विवाह अधिनियम में ५००० रुपए देने का आदेश दिया था। मेरे पति की 2021 में मृत्यु हो गई तो धारा 24 हिंदू विवाह अधिनियम की राशि मेंरे ससूर से वसूल कर सकते हैं
मेरा 2 वर्ष पूर्व घर छोड़कर चला गया मैं किराए के मकान में रहती हूं जिसका एग्रीमेंट मेरे पति के नाम पर है मेरे वकील ने धारा 9,24 ,25,27 में केस लगाया 2 साल तक कोरोना के कारण कोर्ट बंद नहीं अब जाकर कोर्ट ने ₹20000 अंतरिम भरण-पोषण आदेश दिया अगर मेरा पति साथ रहने नहीं आता तो क्या मुझे यह भरण-पोषण जिंदगी भर मिलता रहेगा अभी अंतिम भरण पोषण की कार्यवाही बाकी है मेरे पति ने धारा 13 में तलाक का केस लगा रखा है
मेरा पति2 वर्ष पूर्व घर छोड़कर चला गया मैं किराए के मकान में रहती हूं जिसका एग्रीमेंट मेरे पति के नाम पर है मेरे वकील ने धारा 9,24 ,25,27 में केस लगाया 2 साल तक कोरोना के कारण कोर्ट बंद नहीं अब जाकर कोर्ट ने ₹20000 अंतरिम भरण-पोषण आदेश दिया अगर मेरा पति साथ रहने नहीं आता तो क्या मुझे यह भरण-पोषण जिंदगी भर मिलता रहेगा अभी अंतिम भरण पोषण की कार्यवाही बाकी है मेरे पति ने धारा 13 में तलाक का केस लगा रखा है၊ क्या मुझे सीआरपीसी 125 में भी केस लगाना पड़ेगा तब ही मुझे जिंदगी भर गुजारा भत्ता मिल सकेगा
मेरी पत्नी ने अपने मामा के साथ प्रेमप्रसंग के कारण मेरे पर धारा 125 दायर करी है जीस मे उनके अग्रिम भरण पोषण के आवेदन को माननीय न्यायालय ने निरस्त कर दिया है। आदेश के मुख्य बिन्दु यह है
(a) प्रकरण मे संलग्न दस्तावेजो के अवलोकन से स्पष्ट है कि आवेदिका पढ़ी लिखी है जो कि बी.एससी कि पढ़ाई कर रही है। साथ ही आवेदिका सतना मे भी नोकरी करती थी तथा जबलपुर मे Services Pvt. Ltd. मे बतौर H.R. Associates पद पर श्रीमति दिवेदी के नाम से नोकरी कर रही है। इसके साथ ही आवेदिका टिफीन व मेहँदी कार्य भी करती है।
(b) अनावेदक की ओर से यह भी तर्क पेश किया गया है की आवेदिका के प्रेम संबंध उसके रिश्ते के मामा पुष्पेंद्र दिवेदी से उसके विवाह के पूर्व से है इस बावत उसकी ओर से दस्तावेजी प्रमाण पेश किया गया है।
उक्त तर्को के परिप्रेक्ष्य मे प्रकरण मे संलग्न दस्तावेजो का अवलोकन किया जावे तो उसमे भी आवेदिका के मामा पुष्पेंद्र दिवेदी के नाम का उल्लेख है जिसका किसी प्रकार से कोई खंडन आवेदिका की ओर से नहीं किया गया है। आवेदिका की स्वीकोरोक्तियों तथा उसके शिक्षा के स्तर को देखते हुये यह ही प्रकट हो रहा है की आवेदिका कार्य करके आर्थोपार्जन कर रही है।
(c) उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह पता चल रहा है कि आवेदिका अपने बच्चे को पति के पास छोड़कर प्रथक रह रही है जिसका कोई वैध कारण परिलक्षित नहीं हो रहा है।
इस आदेश से यह स्पष्ट है की अगर आप के पास साक्ष्य दस्तावेजी स्वरूप मे उपलब्ध है तो माननीय न्यायालय काही सुनी बाटो के विपलित दस्तावेजो के आधार पर अपना फैसला सुनती है। यह मेरी सलाह है की आप अपने आवेदन के जवाब दावा की तरह ही अपना तर्क (argument) लिखित रूप मे करे। ओर हर संभव घटना ओर साक्ष्य का वर्णन करे जीस से न्यायालय को आप की व्यथा की सत्यता पता लगे। अपने कथन के समर्थन मे हर आवश्यक दस्तावेज़ को संलग्न्न करे।
मेरी पत्नि का पुराना अफेयर की वज़ह से मे ने धारा 13 का केस दर्ज किया है और मेरे पास पूरे सबूत हैं और मेरे दोनों बच्चे भी मेरे ही पास है क्या मुझे फिर भी मेंटनेंस देना होगा
Dhara 24 se kaise bacha kay
Ydi section 13 , husband party ne kiya h aur wife educated and private job bHi krti h ,to kya section 24 mai fir bhi husband ,wife ko gujara dega,
Plz tell section 24 se husband kaise bche
Pati ko gujara Bhaiya kaise milega
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