भारत में जातियों का प्रतिशत
ऊंची जाति: ७६.८%
ओबीसी: ६.९%
अनुसूचित जाति: ११.५%
अनुसूचित जनजाति: ४.८%
1931 में अंतिम जाति आधारित जनगणना हुई थी। सन 2011 में आठ दशक बाद फिर से जाति जनगणना हुई है। यह संभव हुआ ओबीसी संगठनों के दवाब के कारण जो जाति-जनगणना की मांग करते रहे हैं। जनगणना में शामिल एक शिक्षक ने बताया कि पूछे जाने वाले प्रश्नों को सार्वजनिक न करने का सरकार का सख्त निर्देश था। ऑनलाईन जवाब तो लेपटॉपों में बंद हो गए। उन्होंने बताया कि जो सवाल पूछे गए थे, वे थे : 1. आपके घर में कितने लोग है 2. परिवार के सदस्य कहाँ तक पढ़े-लिखें हैं? 3. जाति, धर्म क्या है? 4. घर में टीवी, कम्प्यूटर, फ्रिज़, मोबाईल व शौचालय है क्या? 5. घर में कितने कमरे हैं? व 6. महिला सदस्य कहाँ तक शिक्षित हैं? घर में अगर कोई आश्रित हो तो उसे अलग परिवार का दिखाया गया। परिवार की सालाना आय पूछी गयी। इस प्रकार इतनी बातों का सरकार ने बारीकी से जायज़ा लिया लेकिन इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करने से सरकार क्यों डर रही है?
सरकार ने जाति के बारे में आंकड़े न बताते हुए ग्रामीण भारत के सम्बन्ध में आंकड़े जारी किए। शहरों के आंकड़े भी जाहिर नहीं किये गये। जो आंकड़े सार्वजनिक किये गए, उनसे साफ़ है कि गरीबी बढ़ रही है। अनुसूचित जाति-जनजाति के हर तीन परिवारों में से एक भूमिहीन है और इनका प्रमाण बढ़ रहा है। किसानों और आदिवासियों की जमीन हड़पनेवाले पूंजीपति बढ़ रहे है। इस सर्वेक्षण में दो भारत दिखते है।
काँग्रेस की नरसिम्हाराव सरकार के समय से ही शोषितों व दुर्लक्षित लोगों के सामाजिक, आर्थिक विकास की योजनाओं के लिए आवंटन में कटौती शुरू हो गई थी। बड़े उद्योगपतियों को पानी, जमीन, बिजली आदि मिट्टी के मोल उपलब्ध कराई जाने लगी थीं। नई आर्थिक नीति गरीबों को मिलने वाली सब्सिडी में कटौती लेकर आई थी। भारत में 24.39 करोड़ परिवार में रहते है। उनमें से 17.91 करोड़ परिवार ग्रामीण इलाकों में रहते है। अनुसूचित जाति-जनजाति के 3.86 करोड़ परिवार, यानी 21.53 प्रतिशत ग्रामीण भारत में रहते है। 2.37 करोड़ (13.25 प्रतिशत) ग्रामीण एक कमरें मे रहते है और उनके घर के छप्पर और दीवारें पक्की नही हैं। 65.15 लाख ग्रामीण परिवारों में 18.59 वर्ष आयु वर्ग के पुरुष सदस्य नहीं हैं। 68.96 लाख परिवारों की प्रमुख महिलाएं हैं। 5.37 करोड़ (29.97 प्रतिशत परिवार भूमिहीन है व मजदूरी करके जीते है। 17.91 करोड़ परिवारों में से 3.3 करोड़ यानी 18.46 प्रतिशत परिवार अनुसूचित जातियों से हैं तो 1.9 करोड़ (10.97 प्रतिशत) अनुसूचित जनजातियों के। अनुसूचित जाति के 1.8 करोड़ (54.67 प्रतिशत) परिवार भूमिहीन हैं और आदिवासियों के 70 लाख यानी 35.62 प्रतिशत। अनुसूचित जाति और जनजाति को शैक्षणिक संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण होते हुए भी 3.96 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 4.38 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लोग ही नौकरी में हैं। सार्वजनीक क्षेत्र की नौकरियों में अनुसूचित जाति यों की भागीदारी 0.93 प्रतिशत है जबकि अनुसूचित जनजाति की 0.58 प्रतिशत है। निजी क्षेत्र की नौकरियों में अनुसूचित जातियों की भागीदारी 2.42 प्रतिशत है तो अनुसूचित जनजाति का 1.48 प्रतिशत है।
ग्रामिण भारत में रुपये 5000 प्रतिमाह में जीवन जीने वाले अनुसूचित जाति के 83.53 प्रतिशत परिवार हैं और अनुसूचित जनजाति के 86.56 प्रतिशत। शेष लोगों में 5000 रूपये में बसर करने वाले परिवार 74.49 प्रतिशत हैं। 0.46 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 0.97 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति तथा 2.46 प्रतिशत शेष परिवारों के पास चार पहिया गाडिय़ां हैं।
पंजाब, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में बहुजनों की सरकारें हैं, परन्तु वहां भी गरीबी कम चिंताजनक नहीं है। अनुसूचित जाति के लोगों की जनसंख्या पंजाब में 36.74 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 28.45 प्रतिशत, तमिलनाडु में 25.55 प्रतिशत, पांडीचेरी में 23.86 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 23.96 प्रतिशत, उत्तरप्रदेश मे 23.88 प्रतिशत, हरियाणा में 19.3 प्रतिशत है तो राजस्थान, ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, त्रिपुरा आदि में 18 प्रतिशत है। महाराष्ट्र के ग्रामीण भाग में 12.07 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं। अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या लक्षद्वीप में 96.59 प्रतिशत, मिजोरम में 98.79 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 36.86 प्रतिशत, मध्यप्रदेश में 25.31 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 13.40 प्रतिशत है। भारत में 6.68 लाख (0.37 प्रतिशत) परिवार सड़कों पर भीख मांगते है। 4.08 लाख यानी 0.23 प्रतिशत लोग कूड़ा-कचरा जमा करते हैं। ग्रामीण भारत में में 9.16 करोड़ परिवार मजदूरी करके जीते है। काम नहीं मिला नही तो भूखे रहने वाले लोगों में से 5.39 करोड़ (30.10 प्रतिशत) खेती से संबंधित हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार एससी-एसटी के 21.53 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं। देश की आबादी में ओबीसी का प्रतिशत 52 बताया गया है,जो आज बदल चुका है। इसलिए ओबीसी को दिये जानेवाले आरक्षण को 27 प्रतिशत से बढ़ाना जरुरी है। केंद्र सरकार ने आर्थिक, सामाजिक जातिगणना का डाटा जारी किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय के तत्कालीन राज्यमंत्री वी नारायणासामी ने संसद में शरद यादव के एक प्रश्न का उश्रर देते हुए नौकरियों में भागीदारी का निम्न विवरण दिया था :
ऊंची जाति: ७६.८%
ओबीसी: ६.९%
अनुसूचित जाति: ११.५%
अनुसूचित जनजाति: ४.८%
ये कुछ आंकड़े हैं, जो अनुसूचित जाति-जनजाति के बारे में तो जानकारी देते हैं, लेकिन ओबीसी जातियों का कोई विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया हैं। इसके पीछे की मानसिकता स्पष्ट है। जाति जनगणना की सही तस्वीर समतामूलक समाज की स्थापना में मददगार साबित होगी।
Prajapati
भारत की कुल जनसंख्या
Bharat ke kul aabadi pertisat batao
भारत हिन्दू राष्ट्र कब घोषित होगा
Bihar me Mandal ki sankhya kitani hai
india me pathan kitna hai
कौन सी जाती की शिक्षित प्रतिशतता अधिक है
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Kalwar kitne prakar ke hote Hain
Obc
Barat me baaman samaj ki population kitane persent hai 2018
दिनेश कौशिक एडवोकेट,,गांव काबरछा,जिला जींद,, हरियाणा
Bhinmal(rajsthan) karat janitor Kay pratisat
कृपया भारत देशकी जातीवार जनसंख्या बताइये
Bhart me sc ka partisat
Sudh jal ka parsent
भारत की जातिवार जनसंख्या
भारत में कितने प्रतिशत सवर्ण वोटर हैं ।
भारत की कुल जनसंख्या में सवर्ण जाति का प्रतिशत क्या है?
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