Arvind Ghosh Ka Jeevan Parichay अरविन्द घोष का जीवन परिचय

अरविन्द घोष का जीवन परिचय

GkExams on 12-05-2022


अरविन्द घोष का जीवन परिचय (Sri Aurobindo Biography) : इनका जन्म 15 अगस्त 1872 में कोलकाता में हुआ था। अरविंद घोष एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। वह एक स्वतंत्रता सेनानी, कवि, प्रकांड विद्वान, योगी और महान दार्शनिक थे।





उन्होंने अपना जीवन भारत को आजादी दिलाने और पृथ्वी पर जीवन के विकास की दिशा में समर्पित कर दिया। अरविंद के पिता का नाम "केडी घोष" और माता का नाम "स्वमलता" था।


इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद ग्रन्थों आदि पर टीका लिखी। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं।


यह (aurobindo ghosh in hindi) कवि भी थे और गुरु भी। इनकी पत्नी का नाम "मृणालिनी देवी" था जिनसे इनका विवाह वर्ष 1901 में हुआ था। इनका निधन 05 दिसम्बर 1950 को पुदुच्चेरी में हुआ था।


अरविन्द घोष का शिक्षा में योगदान :




जैसा की हमने ऊपर पढ़ा अरविन्द घोष एक महान शिक्षाविद एवं दार्शनिक थे। वे अपने शैक्षिक विचारों को अपनी पुस्तक “नेशनल सिस्टम ऑफ एजुकेशन” तथा “आन एजुकेशन” में व्यक्त किए हैं। उपनिषद् एवं वेदान्त के मौलिक सार तत्व उनके जीवन दर्शन के आधार थे। उन्होंने आध्यात्मिक अभ्यास, योग तथा ब्रह्मचर्य को अपने जीवन में विशेष महत्व दिया था।


अरविन्द घोष के विचार (aurobindo ghosh quotes) :


ऐसा कुछ भी नहीं है जो मन की चंचलता और विचार-मुक्त चित्त में बेहतर ढंग से न किया जा सके।
जब मन स्थिर होता है, तब सत्य को मौन की शुद्धता में सुनने का मौका मिलता है..!


हमारा वास्तविक शत्रु कोई बाहरी ताकत नहीं है,
बल्कि हमारी खुद की कमजोरियो का रोना,
हमारी कायरता, हमारा स्वार्थ, हमारा पाखंड, हमारा पूर्वाग्रह है..!


एक शांत दिमाग का मतलब यह नहीं कि कोई विचार या मानसिक गति बिल्कुल नहीं होगी।
यह केवल सतही होंगे। आप अपने सच्चे होने का एहसास करेंगे।
आप इनसे अलग रहेंगे और उनका अवलोकन करेंगे..!


यदि कोई धर्म सार्वभौमिक नहीं है, तो वह शाश्वत नहीं हो सकता है।
एक संकीर्ण धर्म, एक सांप्रदायिक धर्म, एक विशेष धर्म केवल सीमित
समय और सीमित उद्देश्य के लिए रह सकता है..!

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Comments Akhilesh yadav on 14-02-2021

Aravind dhosh Jovan parichay


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