1857 Ki Kranti Me Rajasthan Ka Yogdan 1857 की क्रांति में राजस्थान का योगदान

1857 की क्रांति में राजस्थान का योगदान

GkExams on 12-05-2019

राजस्थान में 1857 का संग्राम व किसान आन्दोलन

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• 1857

की क्रांति के समय राजस्थान में 6 सैनिक छावनियां थी: नसीराबाद, नीमच, देवली, ब्यावर, एरिनपुरा एवं खेरवाड़ा जिनमें से 2 छावनियों ब्यावर, खेरवाड़ा ने क्रांति में भाग नहीं लिया । 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राजस्थान की जनता एवं जागीरदारों ने विद्रोहियों को सहयोग एवं समर्थन दिया।

• राजस्थान में क्रांति का प्रारम्भ 28 मई, 1857 को नसीराबाद छावनी के 15 वीं बंगाल नेटिव इन्फेन्ट्री के सैनिकों द्वारा हुआ। नसीराबाद छावनी के सैनिकों में 28 मई, 1857 को विद्रोह कर छावनी को लूट लिया तथा अग्रेंज अधिकारियों के बंगलों पर आक्रमण किए। मेजर स्पोटिस वुड एवं न्यूबरी की हत्या के बाद शेष अंग्रेजों ने नसीराबाद छोड़ दिया था।

• नसीराबाद की क्रांति की सूचना नीमच पहुँचने पर 3 जून, 1857 को नीमच छावनी के भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। उन्होंने शस्त्रागार को आग लगा दी तथा अंग्रेज अधिकारियों के बंगलों पर हमला कर एक अंग्रेज सार्जेन्ट की पत्नी तथा बच्चों का वध कर दिया। नीमच छावनी के सैनिक चित्तौड़, हम्मीरगढ़ तथा बनेड़ा में अंग्रेज बंगलों को लूटते हुए शाहपुरा पहुँचे।



- • विद्रोही सैनिक ”चलो दिल्ली, मारो फिरंगी“ के नारे लगाते हुए दिल्ली की ओर चल पड़े। एरिनपुरा के विद्रोही सैनिकों की भेंट ‘खैरवा’ नामक स्थान पर आउवा ठाकुर कुशालसिंह से हुई। ठाकुर कुशालसिंह, जो कि अंग्रेजों एवं जोधपुर महाराजा से नाराज थे, ने इन सैनिकों का नेतृत्व करना स्वीकार कर लिया।

• ठाकुर कुशालसिंह के आह्वान पर आसोप, गूलर, व खेजड़ली के सामन्त अपनी सेना के साथ आउवा पहुँच गये। वहाँ मेवाड़ के सलूम्बर, रूपनगर तथा लसाणी के सामंतों ने अपनी सेनाएँ भेजकर सहायता प्रदान की। ठाकुर कुशालसिंह की सेना ने जोधपुर की राजकीय सेना को 8 सितम्बर, 1857 को बिथोड़ा नामक स्थान पर पराजित किया। जोधपुर की सेना की पराजय की खबर पाकर ए.जी.जी. जार्ज लारेन्स स्वयं एक सेना लेकर आउवा पहुँचा। मगर 18 सितम्बर, 1857 को वह विद्रोहियों से परास्त हुआ। इस संघर्ष के दौरान जोधपुर का पोलिटिकल एजेन्ट मोक मेसन क्रांतिकारियों के हाथों मारा गया। उसका सिर आउवा के किले के द्वार पर लटका दिया गया। अन्त में, आउवा के किलेदार को रिश्वत देकर अंग्रेजों ने अपनी ओर मिला लिया और किले पर अधिकार कर लिया।

• बीकानेर महाराज सरदारसिंह राजस्थान का अकेला ऐसा शासक था जो सेना लेकर विद्रोहियों को दबाने के लिए राज्य से बाहर भी गया। महाराजा ने पंजाब में विद्रोह को दबाने में अंग्रेजों का सहयोग किया। महाराजा ने अंग्रेजों को शरण तथा सुरक्षा भी प्रदान की।



- • मेवाड़ के महाराणा स्वरूपसिंह ने अपनी सेना विद्रोहियों को दबाने के लिए अंग्रेजों की सहायतार्थ भेजी। बाँसवाड़ा का शासक महारावल लक्ष्मण सिंह भी विद्रोह के दौरान अंग्रेजों का सहयोगी बना रहा। 11 दिसम्बर, 1857 को तांत्या टोपे ने बाँसवाड़ा पर अधिकार कर लिया था। महारावल राजधानी छोड़कर भाग गया। राज्य के सरदारों ने विद्रोहियों का साथ दिया। डूँगरपुर, जैसलमेर, सिरोही और बूँदी के शासकों ने भी विद्रोह के दौरान अंग्रेजों की सहायता की।

• राजस्थान में 1857 क्रांति में कोटा सर्वाधिक प्रभावित स्थान रहा। कोटा की क्रांति की यह भी उल्लेखनीय बात रही कि इसमें राज्याधिकारी भी क्रांतिकारियों के साथ थे तथा उन्हें जनता का प्रबल समर्थन था। वे चाहते थे कोटा का महाराव अंग्रेजों के विरुद्ध हो जाये तो वे महाराव का नेतृत्व स्वीकार कर लेंगे किन्तु महाराव इस बात पर सहमत नहीं हुए। आउवा का ठाकुर कुषालसिंह को मारवाड़ के साथ मेवाड़ के कुछ सामंतों एवं जनसाधारण का समर्थन एवं सहयोग प्राप्त होना असाधारण बात थी।

• क्रांति का अन्त सर्वप्रथम दिल्ली में हुआ, जहाँ 21 सितम्बर, 1857 को मुगल बादशाह को परिवार सहित बन्दी बना लिया। जून, 1858 तक अंग्रेजों ने अधिकांश स्थानों पर पुनः अपना नियन्त्रण स्थापित कर लिया।

• तांत्या टोपे ने राजस्थान के सामन्तों तथा जन साधारण में उत्तेजना का संचार किया था। परन्तु राजपूताना के सहयोग के अभाव में तांत्या टोपे को स्थान-स्थान पर भटकना पड़ा। अंत में, उसे पकड़ लिया गया और फांसी पर चढ़ा दिया। क्रांति के दमन के पश्चात् कोटा के प्रमुख नेता जयदयाल तथा मेहराब खाँ को एजेन्सी के निकट नीम के पेड़ पर सरेआम फांसी दे दी गई।

• 1857 ई. की क्रान्ति की असफलता के प्रमुख कारणों में राजस्थान में आउवा ठाकुर कुशालसिंह के अलावा सभी प्रमुख राजपूत शासकों का अंग्रेजों का वफादार होने के कारण राजस्थान में अलवर और कोटा को छोडक़र क्रान्ति का विशेष प्रभाव नहीं रहा

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Comments Khushi on 08-02-2024

Rajasthan mein 1857 ke Kranti mein mewad ke yogdan ka varnan kere

Vikas on 23-08-2023

Rajasthan mein Tarata niche Ki Kranti Mein mewad ka yogdan varnan karo

Skboyal on 31-05-2023

Kisan aandolan kb pura huwa

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S.s.t on 29-05-2023

Rajasthan mein 1897 Ki Kranti Mein mewad ke yogdan ka varnan kijiye

Junja on 12-05-2023

भारत की स्वतंत्रता में राजस्थान का योगदान पर निबन्ध

Ritu on 27-04-2023

कोटा के अन्दर मेजर बर्टन था उसके पुत्रो का क्या नाम था।

Jagdish Singh on 27-03-2023

1857 की क्रान्ति मे मेवाड़ का क्या योगदान रहा

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Kanu jangid on 21-10-2022

1857 ke kranti me Rajasthan ke kya nishkarsh rha

Rocky bhai on 01-10-2022

राजस्थान क्रांति कब हुई

Ajay saini on 13-06-2022

क्या स्वतंत्रता आंदोलन 1857 की क्रान्ति के बाद शुरू हुआ

Pooja on 01-06-2022

1857 ki kranti ke samay rajathan ke saako ka yogadan

Vikash Meena on 29-12-2021

Yes

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Prem kumar on 28-11-2021

Rajasthan me 1857 e. Ki krati me mevad ke yogadan ka varnan kijiye

Rinkubl bhati on 01-11-2021

राजस्थान मे 1857 की क्रांति के दौरान स्थानीय शासकों कि भूमिका की आलोचनात्मक व्याख्या किजिए

PURA VIVRAN DO SIR on 04-08-2021

PURA VIVRAN DO SIR

Harveer Singh gurjar on 16-05-2021

Bharat ke swatantrata movement me rajasthan ka yogadan

Pawan meena on 13-05-2021

राजस्थान के उन तीन राजाओं के नाम का उल्लेख कीजिये जिन्होंने 1857ई. कान्ति में कान्तिकारियो का सहयोग किया

Kanchan on 24-02-2021

Rajasthan me teen teen rajaon ke naam likhiye jinhone 1857 ki kranti mein krantikariyon ka sahyog Kiya

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Nikita on 29-12-2020

Rajasthan mein 1857 isvi Ki Kranti mein mewad ke rogdan ka varnan kijiye

Prkash parihar on 21-02-2020

आउवा आपके ठाकुर कुशाल सिंह का ट्रक से 57 ईसवी के संघर्ष में योगदान को स्पष्ट कीजिए


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