शिक्षा मनोविज्ञान का महत्व
Pradeep Chawla on 26-10-2018
शिक्षा को अंग्रेजी में Education कहते हैं जो लैटिन भाषा के Educatum का रूपान्तर है जिसका अर्थ है जव bring up together हिन्दी में शिक्षा का अर्थ ज्ञान से लगाया जाता है। गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का तात्पर्य व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा के समुचित विकास से है।
अंग्रेजी का Psychology शब्द दो शब्दों 'Psyche' और 'logus' से मिलकर बना है। Psyche का अर्थ है ‘आत्मा’ और सवहने का अर्थ है ‘विचार विमर्श’। अर्थात आत्मा के बारे में विचार-विमर्श या अध्ययन मनोविज्ञान में किया जाता है। Aristotle ने इस विषय को यथार्थ बनाया और कहा कि आत्मा शरीर से अलग नही है। विचार मनुष्य की क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। शरीर क्रिया विज्ञान ने मनोविज्ञान के अध्ययन में शरीर विशेष रूप से मस्तिष्क की क्रिया-प्रतिक्रिया को महत्व दिया। 1879 में वुन्ट ने विश्व की सर्वप्रथम मनोविज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना की। इस प्रयोगशाला में व्यक्ति के चेतन मन का अध्ययन किया गया। 20वीं शताब्दी में फ्रायड ने मन को तीन भागों में बांटा - चेतन, अवचेतन और अचेतन। मनोविज्ञान में चेतन के साथ-साथ अचेतन मन का अध्ययन भी किया जाने लगा। इसके पश्चात व्यवहारवादियों ने मनोविज्ञान के अन्तर्गत व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन करने की बात कही। मनोविज्ञान वास्तव में मानव व्यवहार के समस्त पहलुओं का अध्ययन करने वाला विज्ञान है। शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की एक शाखा है। शिक्षा के सभी पहलुओं जैसे शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधि, पाठ्यक्रम, मूल्यांकन, अनुशासन आदि को मनोविज्ञान ने प्रभावित किया है। बिना मनोविज्ञान की सहायता के शिक्षा प्रक्रिया सुचारू रूप से नही चल सकती।
- सर्वप्रथम Pestalozzi ने शिक्षा की मनोवैज्ञानिक परिभाषा दी- शिक्षा मनोविज्ञान से तात्पर्य शिक्षण एवं सीखने की प्रक्रिया को सुधारने के लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रयोग करने से है। शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन करता है।
- Skinner (1958) के अनुसार - शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षण एवं अधिगम से सम्बन्धित है।
- Crow एवं Crow (1973) के अनुसार -शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से लेकर वद्धावस्था तक के अधिगम अनुभवों का विवरण एवं व्याख्या देता है। इस प्रकार शिक्षा मनोविज्ञान में व्यक्ति के व्यवहार, मानसिक प्रक्रियाओं एवं अनुभवों का अध्ययन शैक्षिक परिस्थितियों में किया जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसका ध्येय शिक्षण की प्रभावशाली तकनीकों को विकसित करना तथा अधिगमकर्ता की योग्यताओं एवं अभिरूचियों का आंकलन करना है। यह व्यवहारिक मनोविज्ञान की शाखा है जो शिक्षण एवं सीखने की प्रक्रिया को सुधारने में प्रयासरत है।
शिक्षा मनोविज्ञान का विषय क्षेत्र
शिक्षा की महत्वपूर्ण समस्याओं के समाधान में मनोविज्ञान मदद करता है और यही सब समस्याएं व उनका समाधान शिक्षा मनोविज्ञान का कार्य क्षेत्र बनते है -
- शिक्षा कौन दे ? अर्थात् शिक्षक कैसा हो। मनोविज्ञान शिक्षक को अपने छात्रों को समझने में सहायता प्रदान करता है साथ ही यह भी बताता है कि शिक्षक को छात्रों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। शिक्षक का व्यवहार पक्षपात रहित हो। उसमें सहनशीलता, धैर्य व अर्जनात्मक शक्ति होनी चाहिए।
- विकास की विशेषताएं समझने में सहायता देता है। प्रत्येक छात्र विकास की कुछ निश्चित अवस्थाओं से गुजरता है जैसे शैशवास्था (0-2 वर्ष) बाल्यावस्था (3-12 वर्ष) किशोरावस्था (13-18 वर्ष) प्रौढ़ावस्था (18-21 वर्ष)। विकास की दश्ष्टि से इन अवस्थाओं की विशिष्ट विशेषताएं होती है। यदि शिक्षक इन विभिन्न अवस्थाओं की विशेषताओं से परिचित होता है वह अपने छात्रों को भली प्रकार समझ सकता है और छात्रों को उसी प्रकार निर्देशन देकर उनको लक्ष्य प्राप्ति में सहायता कर सकता है।
- शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान शिक्षक को सीखने की प्रक्रिया से परिचित कराता है। ऐसा देखा जाता है कि कुछ शिक्षक कक्षा में पढ़ाते समय अधिक सफल साबित होते है तथा कुछ अपने विषय पर अच्छा ज्ञान होने पर भी कक्षा शिक्षण में असफल होते है। प्रभावपूर्ण ढंग से शिक्षण करने के लिए शिक्षक को सीखने के विभिन्न सिद्धान्तों का ज्ञान, सीखने की समस्याओं एवं सीखने को प्रभावित करने वाले कारणों और उनको दूर करने के उपायों की जानकारी होनी चाहिए। तभी वह छात्रों को सीखने के लिए प्रेरित कर सकता है।
- शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्तिगत भिन्नता का ज्ञान कराता है। संसार के कोर्इ भी दो व्यक्ति बिल्कुल एक से नही होते है। प्रत्येक व्यक्ति अपने में विशिष्ट व्यक्ति है। एक कक्षा में शिक्षक को 30 से लेकर 50 छात्रों को पढ़ाना होता है जिनमें अत्यधिक व्यक्तिगत भिन्नता होती है। यदि शिक्षक को इस बात का ज्ञान हो जाए तो वह अपना शिक्षण सम्पूर्ण सभी छात्रों की आवश्यकताओं को पूर्ण करने वाला बना सकता है।
- व्यक्ति के विकास पर वंशानुक्रम एवं वातावरण का क्या प्रभाव पड़ता है यह मनोविज्ञान बताता है। वंशानुक्रम किसी भी गुण की सीमा निर्धारित करता है और वातावरण उस गुण का विकास उसी सीमा तक करता है। अच्छा वातावरण भी गुण को उस सीमा के आगे विकसित नहीं कर सकता।
- पाठ्यक्रम निर्माण में सहायता - विभिन्न स्तरों के छात्रों के लिए पाठ्यक्रम बनाते समय मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त सहायता पहुंचाते है। छात्रों की आवश्यकताओं, उनके विकास की विशेषताओं, सीखने के तरीके व समाज की आवश्यकताएं यह सब पाठ्यक्रम में परिलक्षित होनी चाहिए। पाठ्यक्रम में व्यक्ति व समाज दोनों की आवश्यकताओं को सम्मिश्रित रूप में रखना चाहिए।
- विशिष्ट बालकों की समस्याओं एवं आवश्यकताओं का ज्ञान मनोविज्ञान शिक्षक को देता है। जिससे शिक्षक इन बच्चों को अपनी कक्षा में पहचान सकें। उनको आवश्यकतानुसार मदद कर सकें। उनके लिए विशेष कक्षाओं का आयोजन कर सके व परामर्श दे सकें।
- मानसिक स्वास्थ्य का ज्ञान भी शिक्षक के लिए लाभकारी होता है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लक्षणों को पहचानना तथा ऐसा प्रयास करना कि उनकी इस स्वस्थता को बनाए रखा जा सकें।
- मापन व मूल्यांकन के मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का ज्ञान भी मनोविज्ञान से मिलता है। वर्तमान की परीक्षा प्रणाली से उत्पन्न छात्रों में डर, चिन्ता, नकारात्मक प्रवश्त्ति जैसे आत्महत्या करने से छात्रों के व्यक्तित्व का विघटन साथ ही समाज का भी विघटन होता है। अत: सीखने के परिणामों का उचित मूल्यांकन करना तथा उपचारात्मक शिक्षण देना शिक्षक का ध्येय होना चाहिए।
- समूह गतिकी का ज्ञान शिक्षा मनोविज्ञान कराता है। वास्तव में शिक्षक एक अच्छा पथ-प्रदर्शक, निर्देशक व कुशल नेता होता है। समूह गतिकी के ज्ञान से वह कक्षा रूपी समूह को भली प्रकार संचालित कर सकता है और छात्रों के सर्वांगीण विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकता है।
- शिक्षा मनोविज्ञान बच्चों को शिक्षित करने सम्बन्धी विभिन्न विधियों के बारे में अध्ययन करता है और खोज करता है कि विभिन्न विषयों जैसे गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, भाषा, साहित्य को सीखने से सम्बन्धित सामान्य सिद्धान्त क्या है।
- शिक्षा मनोविज्ञान विभिन्न प्रकार के रूचिकर प्रश्नों जैसे बच्चे भाषा का प्रयोग करना कैसे सीखते है ? या बच्चों द्वारा बनायी गयी ड्राइंग का शैक्षिक महत्व क्या होता है ? पर भी विचार करता है। Kelley ने शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यो का निम्न प्रकार विश्लेषण किया है -
- बच्चें की प्रकृति के बारे में ज्ञान प्रदान करता है।
- शिक्षा की प्रकृति एवं उद्देश्यों को समझने में सहायता प्रदान करता है।
- ऐसे वैज्ञानिक विधियों व प्रक्रियाओं को समझाता है जिनका शिक्षा मनोविज्ञान के तथ्यों एवं सिद्धान्तों को निकालने में उपयोग किया जाता है।
- शिक्षण एवं अधिगम के सिद्धान्तों एवं तकनीकों को प्रस्तुत करता है।
- विद्यालयी विषयों में उपलब्धि एवं छात्रों की योग्यताओं को मापने की विधियों में प्रशिक्षण देता है।
- बच्चों के वृद्धि एवं विकास के बारे में ज्ञान प्रदान करता है।
- बच्चों के अच्छे समायोजन में सहायता प्रदान करता है और कुसमायोजन से बचाता है।
- संवेगों के नियन्त्रण एवं उसके शैक्षिक निहितार्थ का अध्ययन करता है।
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Comments
सवाल on 18-11-2022
वविकसआत्मक मनोविज्ञान का महत्व
Kulsum on 21-12-2020
ManoVigyan avam shararik siksha
mein kya mahatva hai
मनोहरलाल on 05-10-2020
शिक्षण में manovigyan ka mahtv
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muskan on 17-04-2020
discuss educational psychology in the context of its nature, importance.
Udhesya on 19-11-2019
Sunil on 15-11-2019
Shiksha ka manovigan mahatav
M.Mishra on 12-09-2019
Shikshy manovigyan kya hai? Shiksha ke Kshetra me Shiksha manovigyan ke mahatva vistrat se bataiyey
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