महाराष्ट्र मीणा समाज
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डेडवाल गोत्र के कुलदेवता का नाम और पता बताते?
Marmat samajki kuldevi ka mandir Kha hay
अहमदनगर की जनसंख्या 360000 इसमें मीणा समाज की जनसंख्या कितनी है। महाराष्ट्र में जिल्ला वाइज मीणा समाज की जनसंख्या कितनी है
Bilwal gotra ki kuldevi konsi hai
Dajiwala bhi gotr hai
जानियें अपना मीणा इतिहास
Meena History
राजस्थान के मीणा क्षत्रिय राजाओ का प्रारंभिक इतिहास।
पौराणिक काल,रामायण महाभारत काल से इस धरा पर मुलनिवासी मीणा क्षत्रियों का 12सदी तक एकक्षत्र राज रहा था।
मीणा राजा प्रकृति पूजक के साथ शिव और शक्ति के उपासक रहे थे।
आज भी मीणा राजाओं द्वारा निर्मित आमेर जयपुर के आस पास क्षेत्रों सहित संपूर्ण राजस्थान में 1500-2000साल पुराने शिव मंदिर आज भी मौजूद हैं।
प्राचीन काल में यह क्षेत्र
मत्स्य प्रदेश कहलाता था।
यानि मीन वंश, मीणा क्षत्रियों का देश।
सोचो कहां गया मीणाओं का हजारों साल का गौरवशाली इतिहास।
10वीं सदी में यहां आयें बाहरी आक्रमणकारियों(राजपुतों) ने भोले भाले मीणा आदिवासी राजाओं को धोखे से मारकर चितौड़,आमेर,अलवर,दौसा,करौली,रणथंम्भोर,कोटा-बुंदी,अजमेर,मारवाड़,डूंगरपुर,बांसवाडा़,कुंभलगढ़ सहित आज के समस्त राजस्थान,मत्स्य प्रदेस पर कब्ज़ा करके पुरर्वती मीणा शासकों, राजाओं की बेशकीमती ऐतिहासिक निशानियां मिटा दी गई या अपने नाम कर ली गई।
राजस्थान के इतिहास को लिखने में गलती हुई है।वह सुधारने का वक्त आ गया है।
गलती होने का कारण था, जब तक हमारे समाज के लोगों का राज था।पढते लिखते थे।बाद में राजपुतो ने बैन कर दिया।दादा पड़दादा पढ़े लिखे नहीं थे।मौखिक इतिहास सुनाया करते थे।जब हम आज पढ़ने लिखने लगे तब हमें उनका इतिहास पढा़या गया तो उसमें मीणा ओ का इतिहास कभी नहीं पढा़या गया
इसलिए हम अपने ही गौरवशाली इतिहास को पढ़ने से वंचित रह गए।
इतिहास में राजस्थान के राजपूत राजाओं और मुगलों का ही पांच सात सौ साल का इतिहास ही पढा़या,रटाया जाता रहा है।
जबकि मीणा ओं का इतिहास जानबूझकर राजपुतों द्वारा छुपाया जाता रहा है।
क्योंकि उन्हें मालूम था कि मीणा इस मत्स्य प्रदेश,मध्य प्रदेश सहित राजस्थान के विशाल भू मण्डल के प्रारंभिक शासक,राजा,रहें थे।अगर उनकी बहादुरी का इतिहास अगली पिढि़यो को मालूम हुआ तो वे उनके इतिहास की पुनरावृत्ति आसानी से करने में सफल हो जाएंगे। इसी कारण से मीणा ओं का इतिहास छुपाया गया है।हमारे पुर्वजो द्वारा ज्ञात हुआ मालूम है।मीणा राजस्थान में क्षत्रिय शासक वर्ग से रहे थे।और राजस्थान के असली वारिस यहाँ के मूल निवासी मीणा, कौम रही हैं।न की राजपूत। क्योंकि राजपुतो की फुट डालो राज करो,अंग्रेजों वाली, नीति की तरह से मीणा जाति को अन्य श्रेणीयो में विभाजित कर दिया तोड़ने की भरपूर कौशिश की गई।कुछ अन्य राज्यों में भी पलायन कर गये।फिर भी कई श्रेणियाँ होने के बावजूद मीणा अपनी एकता बनाये हुएँ है।मीणा समाज की विशालता 32तड़,5200गौत्र हैं।आज भी राजस्थान में 1.25करोड़ आबादी के साथ सर्वाधिक बने हुएँ हैं।आज भी हम हमारा इतिहास उजागर कर सकते हैं। बल्कि करेंगे भी, क्योंकि अटुट धैर्य,सम्मान, शौर्य, संकल्प पुरा करना यह मीणा ओ का जन्म जात गुणधर्म रहा है। जो कभी नहीं बदल सकता, क्योंकि सत्य की राह पर चलते हुए कितना भी संघर्ष करना पड़े,लेकिन परिणाम सत्य यानि आखिर में सत्य की ही जीत होती हैं।
जो जाति अपना इतिहास भूल जाती है।वह बिना जड़ वाले पेड़ की तरह होते हैं। सोचो अपने मीणा समाज के इतिहास की जडे़ कितनी प्राचीनतम,विशालतम,और गहरी और गौरवशाली रही हैं।
मत्स्य राजा विराट सेमीणा राजा मोरध्वज से श्री कृष्ण ने अर्जुन को लेकर गयें सच्चा भक्त दिखाया,यह स्थान दौसा लालसोट के पास मोरागढ़ हैं।राजा मोरध्वज के 2800साल बाद इसी वंश में 300ई़ पूर्व मीणा राजा मोरध्वज की 43वीं पीढ़ी में महान् चक्रवृति सम्राट अशोक का जन्म हुआ। इसी मोरागढ़ की धरती से महान चाणक्य, अशोक (यहां के मीणा राजा के बेटे को)पाटलीपुत्र,पटना लेकर गया।अशोक की माता मोरा माता का मंदिर आज भी मोरागढ़ में है।2600साल पहले 600ई.पूर्व जैनबौद्ध काल में यहाँ के बहुत से मीणा राजाओं ने जैन बौद्ध धर्म अंगीकार कर लिया।इस क्षेत्र के मीणा, जैन धर्म स्वीकार कर व्यापार करने लगे।
अलवर का मीणा, सती नारायणी माता धाम भी मीणा समाज का प्रसिद्ध तीर्थ हैं।यह "नाय-मीणा" गौत्र के मीणा राजा की बेटी थी। जो जन आस्था का केन्द्र हैं।बस्सी,जयपुर नई नाथ(शिव) धाम भी जन आस्था का केन्द्र हैं।यह अंतिम मीणा राजा बाधाराव गौत्र गोमलाडू,द्वारा निर्मित शिव मंदिर हैं।16वीं सदीं में अकबर और राजस्थान के समस्त राजपुतो व (भारमल) ने अपनी बेटियाँ मुसलमानों से ब्याहकर,वैवाहिक रिश्ते कायम कर संयुक्त रूप से इसे हरा दिया।यहां का मीणा राजा यहां से गुजरने पर आगरा(अकबर) जयपुर सहित मेवाड़ के शासकों से भी कर लेता था।यहां का मीणा राजा स्वतंत्रता प्रेमी, प्रताप का समकालीन था। इसने राजपुतो और मुगलो की अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया था।राजपुतो और मुगलो ने इसे हरा कर बहुमुल्य खजाना लूट कर इसे नष्ट कर दिया।
आमेर, खों गंग, मांचनगरी पर मीणा राजाओं ने 1000-1200साल तक राज किया। मांचनगरी(जमुवारामगढ़)के सीहरा गौत्र की वंशावली उज्जैन के राजा विक्रमादित्य,राजा भरतहरी से रही हैं।दूसरी सदी में यहां आ गये थे।उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की33वीं पिढी़ में महान मीणा राजा मैदा सिहरा हुआ।जिसे मीणाओ की आपसी फूट का फायदा उठाकर कच्छावा काकिंलदेव ने सन् 1037में धोखे से मार दिया।
मैदा सिंहरा मीणा राजा देवतुल्य राजा थे।आज 1000साल बाद भी भौमियां जी के रुप में पुजे जा रहे हैं।जनहित में आज भी साक्षात परिचय दे रहे हैं।वहाँ आज भी 2000साल पुराने मैदा सीरा के वंशजों के महलों और शिव मंदिरो को देख सकते हैं।
जयपुर में आमेर सहित,नाहरगढ़ का किला,भी नाहर सिंह मीणा राजा का रहा था।ये भी बिना सिर राजपुतो से लड़ते रहे।सिर नाहर गढ़ किले में धड़ घाट की गुणी किले पर भौमियां जी के रूप पुजे जा रहे है।
खो घाटी जयपुर में चांदा मीणा राजवंश ने भी 1000वर्ष तक राज किया।अंतिम मीणा राजा आलनसिंह मीणा भी राजपुतो के धोखे के शिकार हुये।
आलन सिंह मीणा से आशावरी माता साक्षात बात करती थी।
खो गंग घाटी में, मीणा राजाओं के आज 2000 साल पुराने महल, शिवमंदिर,बावडी़,आशावरी माता मंदिर आज भी मौजूद हैं।
इसलिए मीणा भाईयों जागो अपना हजारों साल का गौरवशाली इतिहास पढो़,अपनी जडो़ से जुड़ी जानकारियाँ पढिए,शेयर कीजिए।
मीणा कौम,आन,बान,शान में सबसे बहादुर कौम रही है।अंग्रेज इतिहास कार कर्नल जेम्स टाँड ने भी स्पष्ट लिखा है।
फिर गर्व से कहो हम मीणा है।
जैन ,बौद्ध साहित्य में भी मीणा राजाओं का स्पष्ट उल्लेख मिलता है।
जैन मुनि मगन सागर द्वारा रचित मीन पुराण में मीणा इतिहास की आदिकाल से लेकर 12वीं शताब्दी तक के,मीणा राजाओं की गौत्रों सहित विस्तृत,अमुल्य जानकारीयां उपलब्ध हैं।
भारत की प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के प्राचीन शासक भी मीणा ही रहे थे।आज सिंधु लिपि को पढ़ने से स्पष्ट हो गया है।की मीणा वहां के शासक रहे थे।इसे भी छिपा दिया गया है।
भारत के प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में भी मीणा राजाओं का स्पष्ट उल्लेख मिलता है।
मीणा इस देश,प्रांत,के मूल निवासी रहे हैं ।
मनुवादीयों,राजपुतों और सभी सरकारों द्वारा मीणाओं का इतिहास क्यों छिपाया गया है।
आज शोध के साथ उजागर किया जाने के भरसक प्रयास की जरूरत है।
हम मीणा वापस अपना पुराना गौरव लेकर रहेंगे। इतिहास में अपनी मौजूदगी,उपस्थिति दर्ज कराकर रहेंगे।।
जय जोहार
वि.के.मीणा
Marmat gotra ki mata दुगाय माता ka mandir। Niwai ( Tonk) me hai bhaiyo
All the meenas please do a historical work the people of our community who accepted Islam in ancient time and became mohhamdan now we want to new coming of them in our community again.thanks .
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