कार्बन एवं उसके यौगिक notes
अध्याय 4. कार्बन और इसके यौगिक
कार्बन का परिचय:
कार्बन एक अधातु है, इसका रासायनिक प्रतिक चिन्ह C है तथा परमाणु क्रमांक 6 है | प्राकृतिक रूप से इसके समस्थानिकों की संख्या तीन है जो 12C, 13C तथा 14C हैं | इसका इलेक्ट्रोनिक विन्यास 2, है तथा संयोजकता है इसलिए यह चतुर्संयोजक है |
भोजन, कपड़े, दवाइयाँ, पुस्तकें या अन्य बहुत सी वस्तुएं जिसे आप सूचीबद्ध कर सकते हैं सभी इस सर्वतोमुखी तत्व कार्बन पर आधारित है | दुसरे शब्दों में, सभी सजीव आकृतियाँ कार्बन से बनी हैं |
कार्बन की उपस्थिति :
कार्बन प्रकृति में बहुत ही अधिक संख्या में यौगिकें बनाता है | भुपर्पति में खनिजों (जैसे कार्बोनेट, हाइड्रोजन कार्बोनेट , कोयला एवं पेट्रोलियम) के रूप में केवल 0.02% कार्बन उपस्थित है तथा वायुमंडल में 0.03% कार्बनडाइऑक्साइड उपस्थित है | कार्बन एक समान्य तत्व है जो ब्रह्माण्ड में सभी जगह पाया जाता है और विभिन्न प्रकार के यौगिक बनाता है | बहुत से हमारे आस-पास के निर्जीव व सजीव वस्तुएँ कार्बन के बने है जैसे पौधे, जन्तुयें, चीनी, ईंधन, कागज, भोजन, वस्त्र, धागे, दवाइयाँ, सौंदर्य प्रसाधन इत्यादि | ये सभी कार्बनिक यौगिक है जो या तो पौधे से या जीवों से प्राप्त होते हैं | कार्बनिक यौगिकों के रसायन शास्त्र को कार्बनिक रसायन के नाम से जाना जाता है |
कार्बन के अपररूप:
अपररूप: किसी तत्व के वे विभिन्न रूप जिनकी भौतिक गुण तो अलग-अलग होते है परन्तु रासायनिक गुणधर्म सामान होते है वे उस तत्व के अपररूप कहलाते है |
कार्बन के तीन अपररूप जो अच्छी तरह ज्ञात हैं, वे हैं ग्रेफाइट, हीरा तथा बक मिनस्टर फुलेरिन जो कार्बन अणुओं से बने है |
ग्रेफाइट (Graphite) : प्रत्येक कार्बन अणु तीन अन्य कार्बन अणुओं से उसी तल में बने हैं जिससे षटकोणीय व्यूह मिलता है | इनमें से एक आबंध द्विआबंध होता है | इस प्रकार कार्बन की संयोजकता संतुष्ट हो जाती है | ग्रेफाइट विद्युत का एक बहुत ही अच्छा सुचालक है जबकि अन्य अधातु सुचालक नहीं होते हैं |
ग्रेफाइट की संरचना
हीरा (diamond) : प्रत्येक कार्बन परमाणु कार्बन के ही अन्य चार परमाणुओं से जुड़ कर एक कठोर तीन विमाओं वाला संरचना बनाता है | हीरा अब तक का ज्ञात सर्वाधिक कठोर पदार्थ है, जबकि ग्रेफाइट चिकना तथा फिसलनशील होता है | शुद्ध कार्बन को अत्यधिक उच्च दाब एवं ताप पर उपचारित (subjecting) हीरे को संश्लेषित किया जा सकता है। ये संश्लिष्ट हीरे आकार में छोटे होते हैं, लेकिन अन्यथा ये प्राकृतिक हीरों से अभेदनीय होते हैं।
फुलेरिन (Fullerenes): फुलेरिन कार्बन अपररूप का अन्य वर्ग है। सबसे पहले C-60 की पहचान की गई जिसमें कार्बन के परमाणु फुटबॉल के रूप में व्यवस्थित होते हैं। चूँकि यह अमेरिकी आर्किटेक्ट बकमिन्स्टर फुलर द्वारा डिशाइन किए गए जियोडेसिक गुंबद के समान लगते हैं, इसीलिए इस अणु को फुलेरिन नाम दिया गया।
कार्बन में बंध (BONDING IN CARBON):
कार्बन के सबसे बाहरी कोश में चार इलेक्ट्राॅन होते हैं तथा उत्कृष्ट गैस विन्यास को प्राप्त करने के लिए इसको चार इलेक्ट्राॅन प्राप्त करने या खोने की आवश्यकता होती है। यदि इन्हें इलेक्ट्रॉन्स को प्राप्त करना या खोना हो तो -
(i) ये चार इलेक्ट्राॅन प्राप्त कर C4- ऋणायन बना सकता है। लेकिन छः प्रोटाॅन वाले नाभिक के लिए दस इलेक्ट्राॅन, अर्थात चार अतिरिक्त इलेक्ट्राॅन धारण करना मुश्किल हो सकता है।
(ii) ये चार इलेक्ट्राॅन खो कर C4+ धनायन बना सकता है। लेकिन चार इलेक्ट्राॅनों को खो कर छः प्रोटाॅन वाले नाभिक में केवल दो इलेक्ट्राॅनों का कार्बन धनायन बनाने के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी।
इन दोनों ही स्थितियों में कार्बन के साथ समस्या है अत: कार्बन इस समस्या का निवारण अपने संयोजी इलेक्ट्रान की साझेदारी खुद कार्बन से या अन्य परमाणुओं से करके कर पाता है | कार्बन ही नहीं अन्य तत्व के परमाणु भी इसी प्रकार साझेदारी कर यौगिक बनाते हैं |
रासायनिक बंध (Chemical Bond):
किसी यौगिक में तत्वों के परमाणुओं के बीच लगने वाले बल से बनने वाले आबंध को रासायनिक आबंध कहते हैं |
रासायनिक आबंध दो प्रकार के होते हैं |
(i) आयनिक आबंध (Ionic Bond): वह आबंध जो इलेक्ट्रानों के पूर्णत: स्थानान्तरण के द्वारा होता है आयनिक आबंध कहलाता है | उदाहरण:
Na+ + Cl- -------> NaCl
(ii) सह्संयोजी आबंध (Covalent Bond): वह आबंध जो दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रोनों के एक युग्म की साझेदारी से आबंध बनता है सह्संयोजी आबंध कहलाता है |
सहसंयोजी आबंध के प्रकार (Types of Covalent Bond):
सह्संयोजी आबंध के तीन प्रकार होते हैं :
(A) एकल सहसंयोजी आबंध (Single Covalent Bond): दो परमाणुओं के बीच एक एक इलेक्ट्रोन के युग्म की साझेदारी से बनने वाले संयोजी आबंध को एकल आबंध कहते हैं | यह दो अणुओं के बीच एक रेखा ( - ) द्वारा इसे प्रदर्शित किया जाता है |.
उदाहरण: H - H, Cl - Cl, Br - Br
हाइड्रोजन परमाणुओं के बीच एकल आबंध
(B) द्वि सह्संयोजी आबंध (Double Covalent Bond): दो परमाणुओं के बीच दो दो इलेक्ट्रोनों की साझेदारी से बनने वाले सहसंयोजी आबंध को द्वि आबंध कहते हैं | इसे दो परमाणुओं के बीच दो छोटी रेखाओं (=) से प्रदर्शित किया जाता है |.
O=O [ऑक्सीजन से ऑक्सीजन के बीच द्वि-आबंध ]
ऑक्सीजन परमाणुओं के बीच द्वि-आबंध
(C) त्रि सह्संयोजी आबंध (Triple Covalent Bond): दो परमाणुओं के बीच तीन-तीन इलेक्ट्रोनों की साझेदारी से बनने वाले आबंध को त्रि-आबंध कहते है | यह दो परमाणुओं के बीच तीन छोटी रेखाओं (≡) द्वारा दर्शाया जाता है |
N ≡ N [नाइट्रोजन से नाइट्रोजन]
नाइट्रोजन का नाइट्रोजन के बीच त्रि आबंध
सहसंयोजी आबंध बनाने वाले यौगिकों के गुण :
(i) सह्संयोजी आबंध बनाने वाले यौगिकों के अणुओं के बीच प्रबल आबंध होता है |
(ii) इनमें अंतराणुक बल कम होता है |
(iii) इनका गलनांक एवं क्वथनांक भी कम होता है |
(iv) ये यौगिक सामान्यत: विद्युत के कुचालक होते हैं |
1. श्रृंखलन (Catenation): कार्बन में कार्बन के ही अन्य परमाणुओं के साथ आबंध बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है जिससे बड़ी संख्या मे अणु बनते हैं। इस गुण को श्रृंखलन
(Catenation) कहते हैं।
सह्संयोजी आबंध की प्रकृति कार्बन को बड़ी संख्या में यौगिक बनाने का गुण देता है |
2. चतुर्संयोजकता (Tetravalency): कार्बन की संयोजकता चार होती है, अतः इसमें कार्बन के चार अन्य परमाणुओं अथवा कुछ अन्य एक संयोजक तत्वों के परमाणुओं के साथ आबंधन
की क्षमता होती है। कार्बन के इस गुण को कार्बन की चतुसंयोजकता कहते है |
कार्बन बंध के कुछ गुण (Somes Features of Carbon Bond):
(i) अधिकतर अन्य तत्वों के साथ कार्बन द्वारा बनाए गए आबंध अत्यंत प्रबल होते
हैं जिनके फलस्वरूप ये यौगिक अतिशय रूप में स्थायी होते हैं।
(ii) कार्बन द्वारा प्रबल आबंधों के निर्माण का एक कारण इसका छोटा आकार भी है।
(iii) इसके कारण इलेक्ट्राॅन के सहभागी युग्मों को नाभिक मज़बूती से पकड़े रहता है।
(iv) बड़े परमाणुओं वाले तत्वों से बने आबंध तुलना में अत्यंत दुर्बल होते हैं।
कार्बन द्वारा बने यौगिक और अन्य दुसरे बड़े परमाणुओं द्वारा बने यौगिकों में अंतर :
कार्बन द्वारा प्रबल आबंधों के निर्माण का एक कारण इसका छोटा आकार भी है। इसके कारण इलेक्ट्राॅन के सहभागी युग्मों को नाभिक मज़बूती से पकड़े रहता है। बड़े परमाणुओं वाले तत्वों से बने आबंध तुलना में अत्यंत दुर्बल होते हैं।
कार्बन द्वारा बड़ी संख्या में यौगिक निर्मित होते हैं |
कार्बन के निम्नलिखित गुणों के कारण प्रकृति में बड़ी संख्या में कार्बनिक यौगिक बनते हैं |
(i) सहसंयोजी आबंध का बनाना (Forming covelent bond): सहसंयोजी आबंध बनाने के गुण के कारण कार्बन बड़ी संख्या में यौगिक का निर्माण करता है |
(ii) श्रृंखलन (Catenation): कार्बन-कार्बन बंध बहुत ही मजबूत और स्थायी होता है | इसके कारण कार्बन से ही कार्बन में एक दुसरे से जुड़कर बड़ी संख्या में यौगिक देता है |
(iii) चतुसंयोजकता (Tetravalency): चूँकिकार्बन की संयोजकता चार होती है, अतः इसमें कार्बन के चार अन्य परमाणुओं अथवा कुछ अन्य एक संयोजक तत्वों के परमाणुओं के साथ आबंधन की क्षमता होती है। जिसके कारण बड़ी संख्या में यौगिक बनाता है |
What.is.carbon
Sangmarmar
Pasrav partipan ki paribhasa
Isme se kisme carbon compound nhi h
1)sangmarmar
2)diamond
3)chok
4)charckol
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