पाश्चात्य शिक्षा क्या है
शिक्षा का विकास
शिक्षा एक ऐसा शक्तिशाली औजार है जो स्वतंत्रता के स्वर्णिम द्वार को खोलकर दुनिया को बदल सकने की क्षमता रखता है| ब्रिटिशों के आगमन और उनकी नीतियों व उपायों के कारण परंपरागत भारतीय शिक्षा प्रणाली की विरासत का पतन हो गया और अधीनस्थ वर्ग के निर्माण हेतु अंग्रेजियत से युक्त शिक्षा प्रणाली का आरम्भ किया गया|
प्रारंभ में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी शिक्षा प्रणाली के विकास के प्रति गंभीर नहीं थी क्योकि उनका प्राथमिक उद्देश्य व्यापार करना और लाभ कमाना था| भारत में शासन करने के लिए उन्होंने उच्च व मध्यम वर्ग के एक छोटे से हिस्से को शिक्षित करने की योजना बनायीं ताकि एक ऐसा वर्ग तैयार किया जाये जो रक्त और रंग से तो भारतीय हो लेकिन अपनी पसंद और व्यवहार के मामले में अंग्रेजों के समान हो और सरकार व जनता के बीच आपसी बातचीत को संभव बना सके| इसे ‘निस्पंदन सिद्धांत’ की संज्ञा दी गयी| शिक्षा के विकास हेतु ब्रिटिशों ने निम्नलिखित कदम उठाये-
शिक्षा और 1813 का अधिनियम
• चार्ल्स ग्रांट और विलियम विल्बरफोर्स,जोकि मिशनरी कार्यकर्ता थे ,ने ब्रिटिशों पर अहस्तक्षेप की नीति को त्यागने और अंग्रेजी शिक्षा के प्रसार हेतु दबाव डाला ताकि पाश्चात्य साहित्य को पढ़ा जा सके और ईसाईयत का प्रचार हो सके| अतः ब्रिटिश संसद ने 1813 के अधिनियम में यह प्रावधान किया की ‘सपरिषद गवर्नर जनरल’ एक लाख रुपये शिक्षा के विकास हेतु खर्च कर सकते है और ईसाई मिशनरियों को भारत में अपने धर्म के प्रचार-प्रसार की अनुमति प्रदान कर दी|
• इस अधिनियम का इस दृष्टि से महत्व है कि यह पहली बार था जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में शिक्षा के विकास हेतु कदम उठाया |
• राजा राममोहन राय के प्रयासों से पाश्चात्य शिक्षा प्रदान करने के लिए ‘कलकत्ता कॉलेज’ की स्थापना की गयी | कलकत्ता में तीन संस्कृत कॉलेज भी खोले गए|
जन निर्देश हेतु सामान्य समिति,1823
इस समिति का गठन भारत में शिक्षा के विकास की समीक्षा के लिए किया गया था| इस समिति में प्राच्यवादियों का बाहुल्य था,जोकि अंग्रेजी के बजाय प्राच्य शिक्षा के बहुत बड़े समर्थक थे |इन्होने ब्रिटिश सरकार पर पाश्चात्य शिक्षा के प्रोत्साहन हेतु दबाव डाला परिणामस्वरूप भारत में शिक्षा का प्रसार प्राच्यवाद और अंग्रेजी शिक्षा के भंवर में फंस गयी |अंततः मैकाले के प्रस्ताव के आने से ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली का स्वरुप स्पष्ट हो सका|
लॉर्ड मैकाले की शिक्षा प्रणाली,1835
• यह भारत में शिक्षा प्रणाली की स्थापना का एक प्रयास था जिसमें समाज के केवल उच्च वर्ग को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान करने की बात थी|
• फारसी की जगह अंग्रेजी को न्यायालयों की भाषा बना दिया गया |
• अंग्रेजी पुस्तकों की छपाई मुफ्त में होने लगी और उन्हें सस्ते दामों पर बेचा जाने लगा |
• प्राच्य शिक्षा की अपेक्षा अंग्रेजी शिक्षा को अधिक अनुदान मिलने लगा |
• 1849 में बेथुन ने ‘बेथुन स्कूल’ की स्थापना की |
• पूसा (बिहार) में कृषि संस्थान खोला गया |
• रुड़की में इंजीनियरिंग संस्थान खोला गया|
वुड डिस्पैच ,1854
• इसे ‘भारत में अंग्रेजी शिक्षा का मैग्नाकार्टा’ कहा जाता है क्योकि इसमें भारत में शिक्षा के प्रसार के लिए समन्वित योजना प्रस्तुत की गयी|
• इसमें जनता में शिक्षा के प्रसार की जिम्मेदारी राज्य को सौंपने की बात कही गयी|
• इसने शिक्षा के एक पदानुक्रम का प्रस्ताव दिया-सबसे निचले स्तर पर वर्नाकुलर प्राथमिक स्कूल, जिला स्तर पर वर्नाकुलर हाईस्कूल और सम्बद्ध कॉलेज ,और कलकत्ता, मद्रास व बम्बई प्रेसिडेंसी के सम्बद्ध विश्वविद्यालय |
• इसने उच्च शिक्षा हेतु अंग्रेजी माध्यम और स्कूल शिक्षा के लिए देशी भाषा (वर्नाकुलर) माध्यम की वकालत की|
हंटर आयोग(1882-83)
• इस आयोग का गठन डब्लू.डब्लू.हंटर की अध्यक्षता में 1854 के वुड डिस्पैच के तहत विकास की समीक्षा हेतु किया गया था|
• इसने प्राथमिक और सेकेंडरी शिक्षा में सुधार व प्रसार में सरकार की भूमिका को महत्व दिया |
• इसने शिक्षा के नियंत्रण की जिम्मेदारी जिला और म्युनिसिपल बोर्डों को देने की बात कही|
• इसने सेकेंडरी शिक्षा के दो रूपों में विभाजन किया –विश्विद्यालय तक साहित्यिकवाणिज्यिक भविष्य हेतु रोजगारपरक शिक्षा |
सैडलर आयोग
• वैसे तो इस आयोग का गठन कलकत्ता विश्विद्यालय की समस्याओं की के अध्ययन हेतु किया गया था लेकिन इसके सुझाव अन्य विश्वविद्यालयों पर भी लागू होते थे|
• इसके सुझाव निम्नलिखित थे:
a. 12 वर्षीय स्कूल पाठ्यक्रम
b. 3 वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम(इंटरमीडिएट के बाद)
c. विश्वविद्यालयों की केंद्रीकृत कार्यप्रणाली,
d. प्रयोगात्मक वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा हेतु सुविधाओं में वृद्धि,शिक्षक के प्रशिक्षण और महिला शिक्षा का सुझाव दिया|
निष्कर्ष
अतःहम कह सकते है की ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली ईसाई मिशनरियों की आकांक्षाओं से प्रभावित थी| इसका वास्तविक उद्देश्य कम खर्च पर अधीनस्थ प्रशासनिक पदों पर शिक्षित भारतीयों को नियुक्त करना और ब्रिटिश वाणिज्यिक हितों की पूर्ति करना था| इसीलिए उन्होंने शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी को महत्त्व दिया और ब्रिटिश प्रशासन व ब्रिटिशों की विजयगाथाओं को महिमामंडित किया |
पाश्चात्य शिक्षा की विशेषताएं बताइए
Nice
Kya pachatya sikha jaruri hai.agar hai.to kyon
Paschatay shiksha ki visheshtaye
पाश्चात्य शिक्षा
Land stock
पाश्चात्य शिक्षा की विशेषताएं क्या है
Dear sir
पाश्चात्य वृद्धि bad se kya tatpry h..
पाश्चात्य शिक्षा समीक्षा के कार्य लिखिए
Prach panchayt vivad ka ant kisne kiya
पाश्चात्य शिक्षा के लक्ष्य एवं कार्य बताइए
Bhartiya aur pashchatya shiskha ke lakshaya aur Karyo ko samjhaiye
Paschatya sicha kiya hai
आप यहाँ पर gk, question answers, general knowledge, सामान्य ज्ञान, questions in hindi, notes in hindi, pdf in hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं।
नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें
Culture
Current affairs
International Relations
Security and Defence
Social Issues
English Antonyms
English Language
English Related Words
English Vocabulary
Ethics and Values
Geography
Geography - india
Geography -physical
Geography-world
River
Gk
GK in Hindi (Samanya Gyan)
Hindi language
History
History - ancient
History - medieval
History - modern
History-world
Age
Aptitude- Ratio
Aptitude-hindi
Aptitude-Number System
Aptitude-speed and distance
Aptitude-Time and works
Area
Art and Culture
Average
Decimal
Geometry
Interest
L.C.M.and H.C.F
Mixture
Number systems
Partnership
Percentage
Pipe and Tanki
Profit and loss
Ratio
Series
Simplification
Time and distance
Train
Trigonometry
Volume
Work and time
Biology
Chemistry
Science
Science and Technology
Chattishgarh
Delhi
Gujarat
Haryana
Jharkhand
Jharkhand GK
Madhya Pradesh
Maharashtra
Rajasthan
States
Uttar Pradesh
Uttarakhand
Bihar
Computer Knowledge
Economy
Indian culture
Physics
Polity
इस टॉपिक पर कोई भी जवाब प्राप्त नहीं हुए हैं क्योंकि यह हाल ही में जोड़ा गया है। आप इस पर कमेन्ट कर चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं।