Matar Ka Paudha मटर का पौधा

मटर का पौधा

GkExams on 15-03-2023


मटर के पौधे के बारें में : मटर एक फूल धारण करने वाला द्विबीजपत्री पौधा होता है इसकी जड़ों में गाठे बनी होती है। और मटर के बीज का वजन 0.1 से 0.36 ग्राम होती है इसका केंद्र अर्थात खेती का क्षेत्र दक्षिण एशिया में है। मटर के पौधे का वैज्ञानिक नाम "पाइसाम सटाइवाम (Pisum Sativum)" होता है।




इस लेख के जरिये हम आपको मटर की खेती (pea plant) से सम्बधित बातों से अवगत करायेंगे, जैसे इसकी खेती कब होती है, कैसे होती है, खेती का ख्याल कैसे रखा जाए इत्यादि...

मटर की खेती :




मटर की खेती (family of pea) करने के लिए लिए आपको सर्वप्रथम जमीन को अच्छी तरह से तैयार कर लेना है जैसे - खरीफ की फसल की कटाई के बाद भूमि की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल करके 2-3 बार हैरो चलाकर अथवा जुताई करके पाटा लगाकर भूमि तैयार करनी चाहिए।


विशेषज्ञ बताते है की मटर की खेती के लिए मटियार दोमट और दोमट भूमि सबसे उपयुक्त होती है। जिसका पीएच मान 6-7.5 होना चाहिए। इसकी खेती के लिए अम्लीय भूमि उपयुक्त नहीं मानी जाती है।


मटर की खेती का समय :




मटर की खेती के लिए (pea pronunciation) अक्टूबर-नवंबर माह का समय उपयुक्त होता है। इस खेती में बीज अंकुरण के लिए औसत 22 डिग्री सेल्सियस की जरूरत होती है, वहीं अच्छे विकास के लिए 10 से 18 डिग्री सेल्सियस तापमान बेहतर होता है।


मटर का बीज :




जैसा की हम सब जानते है मटर एक दलहनी फसल है इसलिए इसके बीज को राइजोबियम कल्चर से बीज (types of pea) उपचार करना चाहिए ताकि राइजोबियम कल्चर में उपस्थित लाभदायक जीवाणु इसकी जड़ों की गांठों को विकसित कर सके।


बीज उपचार के लिए ढाई सौ ग्राम गुड का 1 लीटर पानी में घोल बना लें एवं इसमें तीन पैकेट राइजोबियम कल्चर मिला देने तथा बीज को इस घोल में भली-भांति मिला देवे तथा उपचारित बीज को छाया में सुखाने के बाद बुवाई करें।


रासायनिक माध्यम से कार्बेण्डजीम 12% + मेंकोजेब 75% WP की 200 ग्राम मात्रा या कार्बोक्सिन 37.5% + थिरम 37.5% DS दवा की 250 ग्राम मात्रा प्रति 100 किलो बीज में मिलाकर बीज उचारित कर सकते है।


मटर की फसल में खरपतवार नियंत्रण :




अगर आपके खेत में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार, जैसे-बथुआ, सेंजी, कृष्णनील, सतपती अधिक हों तो 4-5 लीटर स्टाम्प-30 (पैंडीमिथेलिन) 600-800 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से घोलकर बुआई के तुरंत बाद छिडक़ाव कर देना चाहिए। इससे काफी हद तक खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है।


इसके अलावा फसल पर सफेद चूर्णी धब्बे दिखाई देते हैं। रोग की रोकथाम के लिए प्रति टेबुकोनाजोल 10%+ सल्फर 65% WG 400 ग्राम या 500 ग्राम घुलनशील सल्फर या थिओफिनेट मिथाइल 75 WP 300 जीएम प्रति 200 लीटर पनि में मिलाकर छिड़काव कर दें।

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Comments Ramphal Kumar on 05-05-2022

Biology


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