रेक्टिफायर क्या है
आपने alternating current (AC) और direct current (DC) करंट के बारे में तो सुना होगा. क्या-क्या होता है और कहां पर इस्तेमाल होता है. एसी करंट हमारे घरों में आने वाली सप्लाई एसी करंट की होती है. जिससे कि हमारे घर के लगभग सभी उपकरण काम करते हैं. लेकिन हमारे घर में कुछ ऐसे उपकरण भी होते हैं जो कि डीसी सप्लाई पर काम करते हैं. जैसे कि आपका इनवर्टर इसमें आपको 12 वोल्ट की एक बैटरी देखने को मिलेगी जो की पूरी तरह से डीसी वोल्टेज पर काम करती है.
तो हमारे घर में आने वाले एसी करंट को हमें बैटरी के अनुसार डीसी बनाना पड़ता है इसी के लिए हम ट्रांसफार्मर और रेक्टिफायर का इस्तेमाल करते हैं. Rectifier definition in hindi ? रेक्टिफायर की परिभाषा की बात करें तो एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जो की एसी करंट को डीसी में बदलने का काम करती है.रेक्टिफायर का इस्तेमाल कई सर्किट में किया जाता है. जहां पर भी हमें एसी से डीसी वोल्टेज बदलनी पड़ती है वहां पर हमें रेक्टिफायर का इस्तेमाल करना ही पड़ेगा .ऐसी सप्लाई को डीसी में बदलने के लिए रेक्टिफायर डायोड का इस्तेमाल करता है या यूं कह सकते हैं कि रेक्टिफायर बनाने के लिए डायोड का इस्तेमाल किया जाता है. और रेक्टिफायर मुख्यतः 2 प्रकार के होते हैं जिनके बारे में आपको ज्यादा अच्छे से नीचे बताया गया है.
Type Of Rectifiers in Hindi ? रेक्टिफायर को उसके काम करने के तरीके के अनुसार मुख्यतः तीन श्रेणियों में रखा गया है. तीनों का काम करने का तरीका एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. इनका डायग्राम और इनका काम करने का तरीका आपको नीचे बताया गया है.
Half wave rectifier theory in hindi ? यह रेक्टिफायर AC सप्लाई के सिर्फ half cycle को ही रेक्टिफायर कर पाता है. इस रेक्टिफायर में स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल किया जाता है. जिन्हें डायोड के साथ में जोड़ दिया जाता है. इस Half wave rectifier का सर्किट डायग्राम आपको नीचे दिया गया है .
सबसे पहले main सप्लाई वोल्टेज ट्रांसफार्मर को दी जाती है वहां से ट्रांसफार्मर अगर स्टेप डाउन इस्तेमाल किया है तो वह वोल्टेज को कम कर देगा और डाइट पर भेज देगा. यहां जो फोटो दिया गया है उसमें हमने स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर इसलिए दिखाया है क्योंकि सामान्यत है ट्रांसफार्मर रेक्टिफायर के लिए वोल्टेज को कम ही करता है. चाहे वह एक साधारण बैटरी चार्जर हो या फिर आपको उससे कोई उपकरण चलाना हो. इस रेक्टिफायर में सिर्फ एक डायोड होती है जो कि ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी वाइंडिंग के ऊपर सीरीज में जुड़ी होती है. और यह डायोड reverse bias current को रोक लेती है . इसीलिए यह सिर्फ Half wave को पास होने देती है इसीलिए इस रेक्टिफायर को Half wave rectifier कहा जाता है.
जब रेक्टिफायर पर ट्रांसफार्मर द्वारा वोल्टेज दी जाती है तो वह पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों साइकल होते हैं लेकिन यह रेक्टिफायर डायोड के कारण सिर्फ positive half cycles को ही आगे जाने देता है. और नेगेटिव half cycles को रोक लेता है.
क्योंकि रेक्टिफायर में लगी हुई डायोड Half पॉजिटिव cycle आने पर forward bias स्थिति में हो जाएगी और उस cycle को पास कर देगी . लेकिन जैसे ही डायोड पर Half नेगेटिव Cycle आएगा यह reverse bias स्थिति में आ जाएगी और उस Half नेगेटिव Cycle को पास नहीं करेगी.
फुल वेव रेक्टिफायर Input वोल्टेज waveform के positive और negative दोनों cycles को रेक्टिफायर करता है. इस रेक्टिफायर की आउटपुट half wave rectifier से कहीं ज्यादा होती है. और इसके आउटपुट में AC components इनपुट की बजाए बहुत कम इस्तेमाल होते हैं.फुल वेव रेक्टिफायर को आगे दो श्रेणियों में बांटा गया है .
Center tapped full wave rectifier में 2 डायोड का इस्तेमाल किया जाता है. और यह डायोड center tapped ट्रांसफार्मर के साथ में जुड़ी होती है जैसा कि आपको नीचे सर्किट डायग्राम में दिखाया गया है . दोनों डायोड के पॉजिटिव टर्मिनल ट्रांसफार्मर के दोनों छोर पर जुड़े होते हैं. और Center tap टर्मिनल नेगेटिव होता है जिसे सीधा Load के साथ में जुड़ जाता है.
ट्रांसफार्मर की प्राथमिक वाइंडिंग पर Ac वोल्टेज दी जाती है. और ट्रांसफार्मर की दूसरी बाइंडिंग पर तो डायोड Connected होती है.क्योंकि half वेव रेक्टिफायर में एक डायोड सिर्फ half cycle को ही rectify कर पाता था तो दूसरे half cycle को rectify करने के लिए यहां पर दूसरा डायोड लगाया गया है.तो जब डायोड D1 forward bias स्थिति में होगा तो यह करंट को आगे जाने देगा और उस समय डायोड D2 reverse biased स्थिति में होगा और वह करंट को आगे नहीं जाने देगा.
तो इस तरह half cycle Rectify हो जाता है. और जब डायोड D2 forward bias स्थिति में होगा तो यह करंट को आगे जाने देगा और उस समय डायोड D1 reverse biased स्थिति में होगा और वह करंट को आगे नहीं जाने देगा. तो इस तरह दूसरा half cycle भी Rectify हो जाता है और हमें दोनों डायोड के कारण आउटपुट में Full Wave मिल जाती हैं.
लेकिन इसके द्वारा rectified आउटपुट शुद्ध नहीं होती इसे और शुद्ध करने के लिए dc component का इस्तेमाल किया जाता है.
Full wave bridge rectifier theory in hindi ? ब्रिज रेक्टिफायर में डायोड को ब्रिज के रूप में बनाया जाता है और यह full wave rectification के लिए इस्तेमाल किया जाता है और यह बहुत सस्ता होता है इसीलिए यह इलेक्ट्रॉनिक्स के बहुत सारे उपकरण में इस्तेमाल किया जाता है.
यह रेक्टिफायर दिखने में जितना मुश्किल लगता है यह उतना ही आसान है. एक बार समझ आने के बाद में आप इसे कभी नहीं भूलोगे. इसका सर्किट डायग्राम आपको ऊपर दिया गया है. जहां पर आप डायोड के कनेक्शन देख सकते हैं कि कैसे डायोड को जोड़कर bridge बनाया गया है. ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी वाइंडिंग को points 1और 3 से जोड़ा गया है और RLoad को points 2 और 4 से जोड़ा गया है.
AC वोल्टेज का पहला half cycle आने पर D1 और D4 डायोड forward biase स्थिति में आ जाएंगे और यह करंट को जाने देंगे. लेकिन D2 और D3 डायोड उस समय reverse base स्थिति में रहेंगे तो यह करंट को आगे नहीं जाने देंगे. दूसरे half cycle आने पर D2 और D3 डायोड forward biase स्थिति में आ जाएंगे और यह करंट को जाने देंगे. लेकिन D1 और D4 डायोड उस समय reverse biase स्थिति में रहेंगे तो यह करंट को आगे नहीं जाने देंगे.
तो इस प्रकार यह रेक्टिफायर दोनों half cycle को rectifies करेगा. और आउटपुट में हमें Full Wave के आउटपुट मिलेगी.
Ac to dc convert
Transformer kya hai
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