आंशिक मांगलिक दोष इन हिंदी
जब किसी कुण्डली में जब प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है तब मंगलिक दोष लगता है। इस दोष को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है। यह दोष जिनकी कुण्डली में हो उन्हें मंगली जीवनसाथी ही तलाश करना चाहिए ऐसी मान्यता है। जिनकी कुण्डली में मांगलिक दोष है वे अगर 28 वर्ष के पश्चात विवाह करते हैं, तब मंगल वैवाहिक जीवन में अपना दुष्प्रभाव नहीं डालता है।शादी से पहले अक्सर लोग होने वाले वर-वधू की कुंडली मिलवाते हैं। यदि किसी की कुंडली में मंगल दोष निकल आता है तो घबराने की जरुरत नहीं क्योंकि ज्यतिषी उपाय से सभी प्रकार के मंगल दोष को दूर किया जा सकता है।किसी अनुभवी ज्योतिषी से चर्चा करके ही मंगल दोष निवारण पूजन करना चाहिए। मंगल की पूजा का अंगारेश्वर महादेव, उज्जैन (मध्यप्रदेश) का विशेष महत्व है। अपूर्ण या कुछ जरूरी पदार्थों के बिना की गई पूजा प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकती है।
चंद्र लग्न से मंगल की यही स्थिति चंद्र मांगलिक कहलाती है। यदि दोनों ही स्थितियों से मांगलिक हो तो बोलचाल की भाषा में इसे डबल मांगलिक और केवल चंद्र मांगलिक हो तो उसे आंशिक मांगलिक भी कहते हैं।मांगलिक पुरुष जातक की कुंडली में मंगल की यह स्थिति हो तो वह पगड़ी मंगल (पाग मंगली) और स्त्री जातक की चुनरी मंगल वाली कुंडली कहलाती है।
मंगल की स्थिति से रोजी रोजगार एवं कारोबार मे उन्नति एवं प्रगति होती है तो दूसरी ओर इसकी उपस्थिति वैवाहिक जीवन के सुख बाधा डालती है.कुण्डली में जब प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है तब मंगलिक दोष (manglik dosha)लगता है.इस दोष को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है|यह दोष जिनकी कुण्डली में हो उन्हें मंगली जीवनसाथी ही तलाश करनी चाहिए ऐसी मान्यता है| सातवाँ भाव जीवन साथी एवम गृहस्थ सुख का है |इन भावों में स्थित मंगल अपनी दृष्टि या स्थिति से सप्तम भाव अर्थात गृहस्थ सुख को हानि पहुँचाता है | सामान्य तौर का अर्थ है कि विशेष परिस्थितियों में इन स्थानों पर बैठा मंगल भी अच्छे परिणाम दे सकता है। तो लग्न का मंगल व्यक्ति की पर्सनेलिटी को बहुत अधिक तीक्ष्ण बना देता है, चौथे का मंगल जातक को कड़ी पारिवारिक पृष्ठभूमि देता है। सातवें स्थान का मंगल जातक को साथी या सहयोगी के प्रति कठोर बनाता है। आठवें और बारहवें स्थान का मंगल आयु और शारीरिक क्षमताओं को प्रभावित करता है। इन स्थानों पर बैठा मंगल यदि अच्छे प्रभाव में है तो जातक के व्यवहार में मंगल के अच्छे गुण आएंगे और खराब प्रभाव होने पर खराब गुण आएंगे। मांगलिक व्यक्ति देखने में ललासी वाले मुख का, कठोर निर्णय लेने वाला, कठोर वचन बोलने वाला, लगातार काम करने वाला, विपरीत लिंग के प्रति कम आकर्षित होने वाला, प्लान बनाकर काम करने वाला, कठोर अनुशासन बनाने और उसे फॉलो करने वाला, एक बार जिस काम में जुटे उसे अंत तक करने वाला, नए अनजाने कामों को शीघ्रता से हाथ में लेने वाला और लड़ाई से नहीं घबराने वाला होता है। इन्हीं विशेषताओं के कारण गैर मांगलिक व्यक्ति अधिक देर तक मांगलिक के सानिध्य में नहीं रह पाता।किसी अनुभवी ज्योतिषी से चर्चा करके ही मंगल दोष निवारण पूजन करना चाहिए। मंगल की पूजा का अंगारेश्वर महादेव, उज्जैन (मध्यप्रदेश) का विशेष महत्व है। अपूर्ण या कुछ जरूरी पदार्थों के बिना की गई पूजा प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकती है।
मंगली व्यक्ति इन उपायों पर गौर करें तो मांगलिक दोष को लेकर मन में बैठा भय दूर हो सकता है और वैवाहिक जीवन में मंगल का भय भी नहीं रहता है|| जीवन साथी के चयन के लिऐ ग्रह मेलापक (गुण-मिलान) की चर्चा होती है,तो मांगलिक विचार पर खासतौर पर विचार करते है,समाज मे मांगलिक दो का हव्वा इतनी फैल गया है ।कि मांगलिक के नाम पर महत्वपूर्ण निर्णय अटक जाते है।कई बार अमंगली कुंडली को मांगलिक और मांगलिक कुंडली को अमांगलिक घोषित कर दिया जाता है,जिससे परिजन असमंजस मे पड जाते है,॥
मांगलिक कुंडली का निर्णय बारिकी से किया जाना चाहिऐ क्योकि शास्त्रोँ मै मांगलिक दोष निवारण के तरीके उपलब्ध है.शास्त्रवचनो के जिस श्लोक के आधार पर जहा कोई कुंडली मांगलिक बनती है .वही उस श्लोक के परिहार (काट) कई प्रमाण है,ज्योतिष और व्याकरण का सिध्दांत है,कि पूर्ववर्ती कारिका से परवर्ती कारिका (बाद वाली) बलवान होती है .दोष के सम्बन्ध मै परवर्ती कारिका ही परिहार है ,इसलिये मांगलिक दोष का परिहार मिलता हो तो जरूर विवाह का फैसला किया जाना चाहिये॥ परिहार नही मिलने पर भी यदि मांगलिक कन्या का विवाह गैर मांगलिक वर से करना हो तो शास्त्रो मे विवाह से पूर्व “घट विवाह” का प्रावधन है ,मांगलिक प्रभाव वाली कुंडलीसे भयभीत होने कि जरूरत नही है ॥यह दोष नही है वल्कि इसी मंगल के प्रभाव से जातक कर्मठ, प्रभावशाली, धैर्यवान तथा सम्मानीय बनता है ॥ जहां तक हो मांगलिक से मांगलिक का संबंध करें।ऐसे में अन्य कई कुयोग हैं। जैसे वैधव्य विषागना आदि दोषों को दूर रखें। यदि ऐसी स्थिति हो तो ‘पीपल’ विवाह, कुंभ विवाह, सालिगराम विवाह तथा मंगल यंत्र का पूजन आदि कराके कन्या का संबंध अच्छे अच्छे ग्रह योग वाले वर के साथ करें। मंगल यंत्र विशेष परिस्थिति में ही प्रयोग करें। देरी से विवाह, संतान उत्पन्न की समस्या, तलाक, दाम्पत्य सुख में कमी एवं कोर्ट केस इत्यादि में ही इसे प्रयोग करें। छोटे कार्य के लिए नहीं।किसी अनुभवी ज्योतिषी से चर्चा करके ही मंगल दोष निवारण पूजन करना चाहिए। मंगल की पूजा का अंगारेश्वर महादेव, उज्जैन (मध्यप्रदेश) का विशेष महत्व है। अपूर्ण या कुछ जरूरी पदार्थों के बिना की गई पूजा प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकती है।
मांगलिक शब्द का अर्थ कुछ अलग है लेकिन अपने निजी स्वार्थ हेतु कुछ ज्योतिष मित्र इसे राइ का पहाड़ बन देते हैं। भोले-भाले लोग इस पर तुरंत भरोसा करके बड़े भयभीत होते हैं।
पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार ‘मंगल” शब्द सुनने में इतना मीठा और सुन्दर हैं, क्या वह किसी का बुरा/अमंगल कर सकता हैं ?
सामान्यतया “मंगल” शुभ कार्यों में,आशीर्वाद देने में प्रयुक्त होता हैं || मंगलमय हो, आदि…
इतना ही नहीं ऐसे जातकों की जब शादी की बात आती है, तो मानों इन्होंने जन्म लेकर कोई बड़ा पाप कर दिया हो। ऐसे में कई बार मांगलिक जातकों को अपमान भी महसूस होता है। हम यह बात नहीं भूल सकते की बड़े-बड़े वीर भी मांगलिक थे।
Kya aanshik manglik kanya se bina manglik ladke ka vivah ho sakta hai
Mere kundli ke 12 be haven me mangl he 8 ve bhav me sni he to kya hmari sadi saman ldke se ho sakti he
ANSIK MANGLIK KA NIVARAN KAISE KIYA JA SAKTA HAI
ANSHIK MANGLIK DOOR KARNE KE LIYE UPAI
Meri shadi dhanjay shukla se hoge
Meri shadi kis disha me hoge
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