Maurya Jati Ka Gotr मौर्य जाति का गोत्र

मौर्य जाति का गोत्र

Pradeep Chawla on 24-10-2018

कुशवाहा जाति खुद को चन्द्रगुप्त मौर्य का वंशज मानती है, तो उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन और पूवर्जों के सम्बन्ध में बहुत कम जानकारी हमें उपलब्ध है। चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्यारोहण की तिथि को लेकर भी विवाद है। इसी लेख में पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस.एस.सिंह को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि चन्द्रगुप्त मौर्य किस जाति के थे, इसका कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है। केवल यह जानकारी मिली है कि वे निम्न जाति में जन्मे थे।



Chandragupt_maurya_Birla_mandir_6_dec_2009_31_cropped copyउपर्युक्त दोनों इतिहासकारों के विचारों को पढऩे से प्रतीत होता है कि उन्हें जानकारियों की कमी है। इस दिशा में पर्याप्त शोध नहीं हुए हैं। चन्द्रगुप्त मौर्य के पूर्वज कौन थे तथा उनके बाद की पीढिय़ाँ कौन थीं, यह शोध का विषय है। यदि शोध के द्वारा किसी ने यह प्रमाणित किया है कि कुशवाहा जाति के पूर्वज मौर्य वंश के शासक थे तो उसे प्रकाशित किया जाना चाहिए। यदि पर्याप्त शोध नहीं हुआ है, तो इस जाति के इतिहासकारों का कर्तव्य है कि इस विषय में शोध करें तथा प्रमाण के साथ तथ्य प्रस्तुत करें। इतिहास का विद्यार्थी न होने के बावजूद, सतही तौर पर मुझे जो दिखाई देता है उससे यही प्रतीत होता है कि कुशवाहा जाति के इस दावे को सिरे से ख़ारिज नहीं किया जा सकता। क्षेत्र-अध्ययन किसी भी परिकल्पना को सिद्ध करने की सटीक एवं वैज्ञानिक पद्धति है। यदि हम मौर्य साम्राज्य से जुड़े या बुद्धकाल के प्रमुख स्थलों का अवलोकन करें तो पायेगें कि इन क्षेत्रों में कुशवाहा जाति की खासी आबादी है। 1908 में किये गए एक सर्वेक्षण में भी यह बात सामने आई थी कि कुम्हरार (पाटलिपुत्र), जहाँ मौर्य साम्राज्य के राजप्रासाद थे, उससे सटे क्षेत्र में कुशवाहों के अनेक गाँव ,यथा कुम्हरार खास, संदलपुर, तुलसीमंडीए रानीपुर आदि हैं, तथा तब इन गाँवों में 70 से 80 प्रतिशत जनसँख्या कुशवाहा जाति की थी। प्राचीन साम्राज्यों की राजधानियों के आसपास इस जाति का जनसंख्या घनत्व अधिक रहा है। उदन्तपुरी (वर्तमान बिहारशरीफ शहर एवं उससे सटे विभिन्न गाँव) में सर्वाधिक जनसंख्या इसी जाति की है। राजगीर के आसपास कई गाँव (यथा राजगीर खास, पिलकी महदेवा, सकरी, बरनौसा, लोदीपुर आदि) भी इस जाति से संबंधित हैं। प्राचीन वैशाली गणराज्य की परिसीमा में भी इस जाति की जनसंख्या अधिक है। बुद्ध से जुड़े स्थलों पर इस जाति का आधिक्य है यथा कुशीनगर, बोधगया, सारनाथ आदि। नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों के आसपास भी इस जाति के अनेक गाँव हैं यथा कपटिया, जुआफर, कपटसरी, बडगाँव, मोहनबिगहा आदि। उपर्युक्त उदाहरणों से यह प्रतीत होता है कि यह जाति प्राचीनकाल में शासक वर्ग से संबंधित थी तथा नगरों में रहती थी। इनके खेत प्राय: नगरों के नज़दीक थे अत: नगरीय आवश्यकता की पूर्ति हेतु ये कालांतर में साग-सब्जी एवं फलों की खेती करने लग। आज भी इस जाति का मुख्य पेशा साग-सब्जी एवं फलोत्पादन माना जाता है। इस जाति की आर्थिक-सामाजिक परिस्थिति में कब और कैसे गिरावट आई, यह भी शोध का विषय है। राजपूत और कायस्थ जातियों का उदय 1000 ई. के आसपास माना जाता है। राजपूत, मध्यकाल में शासक वर्ग के रूप में स्थापित हुए तथा क्षत्रिय कहलाए। प्रश्न उठता है राजपूतों के उदय से पूर्व और विशेषकर ईसा पूर्व काल में क्षत्रिय कौन थे? स्पष्ट है वर्तमान दलित या पिछड़ी जातियाँ ही तब क्षत्रिय रहीं होंगी। इतिहास बताता है कि जिस शासक वर्ग ने ब्राह्मणों को सम्मान दिया तथा उन्हें आर्थिक लाभ पहुँचाया, वे क्षत्रिय कहलाए तथा जिसने उनकी अवहेलना की या विरोध किया, शूद्र कहलाये। यदि आज इन जातियों द्वारा अपनी क्षत्रिय विरासत पर दावा किया जा रहा है तो तथाकथित उच्च जातियों के लोगों को आश्चर्य क्यों होना चाहिए?

जातिगत पहचान और आत्मगौरव



इस लेख में पिछड़ी या दलित जातियों को क्षत्रिय साबित करने का यह अर्थ नहीं है कि मैं हिन्दू धर्म की वर्णाश्रम व्यवस्था में विश्वास रखता हूँ तथा किसी जाति को क्षत्रिय साबित कर उसे ‘ऊंचा दर्जा’ देना चाहता हूँ। मेरा उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि कोई भी जाति या वर्ण जन्म से आज तक शूद्र के रूप में मौजूद नहीं है। आर्थिक एवं राजनैतिक स्थिति में बदलाव के साथ उसकी सामाजिक हैसियत में भी बदलाव हुए हैं। ऐसी स्थिति में आज हम जिस भी जाति या वर्ण में पैदा हुए हैं, उसके लिए हममें हीनताबोध क्यों पैदा किया जाता है? जाति को आधार बनाकर हमारे आत्मगौरव एवं आत्मसम्मान को कुचलने की कोशिश क्यों की जाती है? यदि ऐसा किया जाता है तो हम दो तरीकों से उसका जबाव दे सकते हैं। एक तो ‘संस्कृतिकरण’ के जरिए अर्थात खुद को अपनी प्राचीन संस्कृति के उज्ज्वलतम अंश से जोड़कर। दूसरा,अपनी वर्तमान पहचान पर गर्व करके। दूसरे तरीके का बड़ा अच्छा उदाहरण चमार जाति के द्वारा न सिर्फ आधुनिक काल में वरन् मध्यकाल में भी पेश किया गया है। पंजाब में अनेक युवक, जो इस जाति से सम्बद्ध हैं, आज गर्वपूर्वक अपने मोटरबाइक पर अपनी जाति का इजहार करते हुए लिख रहे हैं ‘हैण्डसम चमार’ या ‘चमरा दा पुत्तर’। मध्यकाल में रैदास अपनी जातिगत पहचान के प्रति न सिर्फ मुखर रहे (कह रैदास खलास चमारा) वरन् उसे आत्मगौरव का विषय भी बनाया।



यह आलेखए कुशवाहा जाति के मौर्यवंशीय दावे पर जो प्रश्न खड़े किये गए हैं, उन पर विचार करते हुए मूलत: यह स्पष्ट करने का प्रयास है कि हम चाहे जिस भी जाति में जन्म लें, आत्मगौरव का भाव बनायें रखें, उसके लिए अपने भीतर या बाहर चाहे जैसे भी तर्क गढऩे पड़ें। जाति भले न बदली जा सके, विश्वास बदला जा सकता है।

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Comments Videsh on 22-04-2024

Maorya jati kya hai

Ashok kumar Maurya on 24-01-2024

Mera Name Ashok Kumar Maurya Hai Mera Gotra Kay hai

Hari Maurya on 14-10-2023

चंद्रगुप्त की मां का नाम मूरा काल्पनिक है जो श्रीधर स्वामी ने कल्पना की थी मूरा शब्द ही काल्पनिक है , मोरिय पाली में है वंश का नाम , मुरिय प्राकृत में । वास्तव में प्राकृत "रिअ" के स्थान पर संस्कृत में "र्य" हो जाता है। चंद्रगुप्त मोरिय (अ) वह संस्कृत में चंद्रगुप्त मौर्य हो जाता है । मूरा से मुराव बन सकता है लेकिन मौर्य नही बन सकता संस्कृत व्याकरण के नियम अनुसार । चंद्रगुप्त की मां का नाम धर्मादेवी मोरिय था । पिता का नाम चंद्रवर्धन मोरीय । दोनों पिपिलिवन गणराज्य के राजा रानी थे जिसका विनाश धनानंद ने किया था । दरअसल धनानंद ने क्षत्रियों के सारे १० गणराज्यों का विनाश किया था । मोरिय नगरे चन्दवडूनो खत्तिया राजा नाम रज्ज करोति मोरिव नगरे नाम पिप्पलिवावनिया गामो अहोसि । तेन तस्स नगरस्स सामिनो साकिया च तेसं पुत्त पुत्ता सकल जम्बूद्वीपे मोरिया नाम ति पाकटा जाता । ततो पभुति तेसं वंसो मोरियवंसो ति वुच्चति, तेन वृत्त मोरियानं खत्तियानं वंसजातं ति । चन्द वड्ढनो राजस्स मोरियरञो सा अहू । अग्ग महेसी धम्ममोरिया पुत्ता तस्सासि चन्द्रगुप्तो ति ॥ आदिच्चा नाम गोतेन साकिया नाम जातिया । मोरियानं खात्तियानं वंसजातं सिरिधरं । चन्द्रगुप्तो ति पञ्ञात विण्डुगुप्तो ति भातुका ततो ॥ (उत्तरविहार अट्टकथा : प्रथम भाग : पृष्ठ सांख्य 1 ) अर्थात- मौर्य नगर में चन्द्र वर्द्धन राजा नाम के क्षत्रिय राज्य कर रहे थे। पिप्पलिवन में मौर्यनगर नामक एक गाँव था। तब उस नगर गाँव समीप शाक्यों के पुत्र पं पौत्र सकल जम्बुद्वीप में मौर्य (मोरिय) नाम से प्रसिद्ध हुए। तत्पश्चात उनके वंश का नाम मौर्य वंश (मोरिय) पड़ा। मौर्य राजा चन्द्र वर्द्धन कि महारानी धम्ममोरिया बनी। उन दोनों से उपन्न पुत्र चन्द्रगुप्त नाम से जगत में विख्यात हुए। आदित्य गोत्र (सूर्यवंश) शाक्य जाति में जन्मे मौर्य वंश के क्षत्रियों में श्रीमान चन्द्रगुप्त राजा हुये तथा उनके भाई विण्डुगुप्त प्रज्ञा सम्पन्न हुवे।

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SANTOSH KUMAR MAURYA on 04-09-2023

Varna vyavasta bharat me kaise ayi?

Gaurav maurya on 16-04-2023

Suryavanshi kshatriya hai maurya inka gotra gautam hai kuldevi durga mata chamunda mata isht dev ram aur mahadev hai inke sun name maurya khush waha sakta saini hai kachhwaha alag hai kacwaha alag hai

Raj maurya on 16-01-2023

Maurya ka konsa gotra hota hai

Rajendra maurya on 06-12-2022

Maurya jaati ka gotra kya hota hai

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Shiva Maurya Jaipur on 20-10-2022

Maurya Ek Jaat Hai Iske Anek gotra Hain jaise kushvaha Sa ke Saini Gahlot koiri kanaujiya haldiha koiri yah sab Milkar Maurya Vansh kahlata hai yah Ek Rajput hai OBC Mein Aate Hain

Mahendra mourya on 07-10-2022

Mourya got regards me h kua

Archana maurya on 31-08-2022

Questions- Kashyap maurya kaun se hote h

Maneesh Kumar on 31-08-2022

Maurya vansh ka growth hua hai jisse Rajvansh kahate hai

Hanuman Saini on 29-05-2022

जिस प्रकार अशोक गहलोत जी माली जाति से आते है ,
उसी तरह कैशवप्रसाद मौर्य जी कोनसी जाति से है??????

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Mayank Maurya on 03-03-2022

Maurya ka gotra

Shiv maurya on 31-12-2021

Maurya jati ka gotra kya hi

GANESH BHAGAT on 27-12-2021

कोइरी जाति के गौत्र कायशव हैं। कृपया करके करके बताइये कुलदेवी कौन हैं

mukesh Maurya on 24-11-2021

Marriage article got through

Rajnesh Kumar on 26-10-2021

Shakya samaj ke kitane gotr hai

SHRI PRAKASH MAURYA on 07-08-2021

Maurya Ka gotta kya h

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Deepak maurya on 27-07-2021

Hamari jati kashyapkaise hain hamari gotra kaise hai

DINESH KUMAR on 28-06-2021

उपर्युक्त इतिहासकारों कुछ ज्ञान नहीं है ऐसा प्रतीत हो रहा है मौर्य खतिय समुदाय से आते थे जो एक पाली प्राकृतिक भाषा है और इसी का अनुवाद बाद में संस्कृत में क्षत्रिय हो गया ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र वर्ण व्यवस्था मौर्य काल के समय नहीं था यह बाद में ब्राह्मणों ने गुप्त वंश के बाद बनाया

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Prit kushwaha on 26-05-2021

Maurya and kushwaha are same .. thats it
My gotra is Kashyap ..

Karan singh mourya on 12-11-2020

Mourya me kitne gotro hote hai

Par vind mourya on 17-06-2020

Nadia Murad ka gotra

Parvind mourya on 17-06-2020

Bhartiya Maurya ki gotra kya hai

Mashuriyadeen on 11-06-2020

Maurya k gotra

Suresh on 11-06-2020

Maurya kis m ate

Vivek Kumar Maurya on 24-12-2019

Maurya ka gotra kay hai

Anurag Maurya on 20-11-2019

Maurya kis gotr me aate hi

शंकर on 17-08-2019

मौर्य का गोत्र मौर्य जाति का गोत्र

Shiv Kumar maurya on 24-06-2019

Q:- maurya jati ka gotr kya hota Hai....

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Rohit Maury on 15-05-2019

Maury getara kya hai

Rohit Maury on 15-05-2019

Maury gotra kya hai oer kish jati me aate hai

Vijay Kumar on 02-05-2019

मौर्य जाति का गोत्र क्या है

Harendra Singh mour on 27-04-2019

Maurya Vansh ka gotra kya hai Bataye

Rajkumar on 30-01-2019

Gotar

Jitendra Maurya on 20-12-2018

Don’t know about Kurmi but I have studied a lot of Shakya clan due to my interest in Buddhism.
Those who do not know already, Lord Buddha’s real name was Prince Siddhartha Shakya. He was the son of King Shuddhodhana Shakya of the Kingdom of Kapilavastu ( Shakya Ganarajya).
The Shakya caste belongs to Gautama gotra, which is a Brahmin gotra.
This is because the Shakya clan, even though a Kshatriya caste, traces its lineage from Maharishi Gautam (Hindi: महर्षि गौतम) one of the great seven rishis or Saptrishi.
This is the reason why Buddha is known as Gautam Buddha. But not only Buddha himself, but also his father Shuddhodhana and his cousin Ananda, were addressed as Gautama while Mahapajapati and her sister Maya, both belonging to Shakya clan(kula), bore the name Gautami. That it was customary, in addressing the individuals in question, to use not the kula name (Shakya) but gotra (Gautama), shows how high a value was set – precisely in the ranks of Khattiya (Kshatriya) – upon membership in one of the ancient gotras. This finds expression also in a verse which frequently recurs in Buddhist Suttas: “The Khattiya is regarded as the best among people who set a value on gotta”.

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Mourya jati konsi thi on 07-11-2018

Kay mourya raiger jati me aate ha phir konsi jati me aate ha

मो on 11-10-2018

मौर्य का गोत्र क्या है

Vijay tiwari on 07-10-2018

Maurya jati ka gotra kya hai?

vimlesh maurya on 07-09-2018

maurya ka gotra kya hai

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