Mahatma Gandhi Ki Jeevani In Hindi PDF महात्मा गांधी की जीवनी इन हिंदी पीडीएफ

महात्मा गांधी की जीवनी इन हिंदी पीडीएफ

GkExams on 18-09-2022


महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Mahatma Gandhi Biography) : महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी हे। वे एक महान व्यक्ति थे। उनका बड़ा हाथ रहा हे हमें आजादी दिलाने में। उन्होंने हमेशा अहिंसा और सत्य का रास्ता अपनाकर हमारे देश को स्वतंत्रता दिलाई हे। उन्होंने अपनी जान का परवाह किये बिना अंग्रेजों से लड़ा हमारे देश को आजाद किया हे।




महात्मा गांधी (mahatma gandhi essay) ने हमेशा सच्चाई,साहस और निडरता से लड़ा और इसीलिए वे पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गए। आज हम जो आजादी की जिंदगी जी रहे हैं वो गाँधी जी के बदौलत ही जी रहे हैं वरना हम आज भी अंग्रेजों क गुलाम बने रहते। उनकी इन्ही सब कुर्बानियों की वजह से उन्हें भारत ने राष्ट्रपिता घोषित कर दिया। उन्हें हम प्यार और सम्मान से बापू भी कहते हैं।


महात्मा गाँधी जी का प्रारम्भिक जीवन :




महात्मा गाँधी का जन्म 02 अक्टूबर सन् 1869 (mahatma gandhi born date) को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की पोरबंदर दूर बडौदा पहाड़ियों से अनदेखी एक पुरानी बंदरगाह हे। वहां उन्होंने एक छोटे से चुना के घर में एक हिदू बनिया के परिवार (mahatma gandhi family) में जन्म लिया।


गांधीजी के दादा का नाम उत्तमचंद गाँधी था। उनके पित्ताजी करमचंद गाँधी थे और उनकी माताजी का नाम पुतलीबाई थी। ध्यान रहे की पुतलीबाई करमचंद जी के चौथी बीवी थीं। पुतलीबाइ और करमचंद जी के चार बच्चे थे। उनमे से गांधीजी उनके सबसे छोटे बच्चे थे। छोटे और सबसे लाडले बच्चे होने की वजह से वो अपने माँ बाप के प्यारे बच्चे थे।


गांधीजी हम साधारण बच्चों जैसे ही थे। वे छोटे से और सावंला रंग क थे। पर बचपन से ही वो एक बहुत ही सच्चे और इमानदार बच्चे थे वो एक सकारात्मक सोच वाले इंसान थे। उनके पित्ताजी राजकोट के चीफ दीवान थे। उनके पास बहुत कम औपचारिक शिक्षा थी लेकिन उनके ज्ञान और अनुभव ने उन्हें एक बहुत अच्छा वियावास्थापक बनाया था।


गांधीजी बचपन से ही अपनी माता के धार्मिक और पवित्र व्यवहार से बहुत ही प्रेरित थे। वे अपने माता पिता से बहुत प्यार करते थे। पुतलीबाई ने उन्हें बचपन में सबके प्रति दया,प्रेम और इश्वर के प्रति निस्वार्थ श्रधा के भावना को रखना सिखाया हे। और उनकी यही सिख गांधीजी के जीवन के अन्तक तक दिखती रही। जिसकी वजह से गांधीजी भले ही इस दुनिया में न हों पर आज भी सबके दिलों में जिन्दा हैं।


गांधीजी की शिक्षा (mahatma gandhi education) और वैवाहिक जीवन :




गांधीजी ने 7 साल तक अपनी प्राथमिक शिक्षा पोरबंदर में ही ली थी। उसके बाद उनके पित्ताजी राजकोट के दीवान बने इसलिए उन्हें पोरबंदर छोड़ना पड़ा। वहां राजकोट के लोकल स्कूल में 9 साल की उम्र तक पढाई चलती रही। वहां उन्होंने हिस्ट्री ,जियोग्राफी और गुजराती भाषा सिखा।


यहाँ आपको बता दे की गांधीजी बहुत शर्मीले स्वाभाव के थे। उन्हें खेल कूद में ज्यादा रूचि नही थी उन्हें अपने किताबों से ज्यादा लगाव था। 11 साल की उम्र में उन्होंने राजकोट के हाई स्कूल में ज्वाइन किया। 19 साल की उम्र में वो उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए लन्दन गए।


और वहां उन्होंने विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद भारत में अपनी वकालत की अभ्यास की पर उसमे वो असफल रहे। उसी समय उन्हें दक्षिण अफ्रीका की एक कंपनी में उन्हें क़ानूनी सलाहकार के रूप में काम मिला।


गांधीजी की शादी उनकी बचपन में ही हो गयी थी। उस समय वो बस 13 साल के ही हुए थे। वो इतने छोटे थे की उन्हें शादी का मतलब भी नहीं पता था। वो बहुत खुश थे क्यूंकि उनके लिए शादी का मतलब था बस नए कपडे पहनना, मिठाइयाँ खाना और रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ खेलना कूदना। पर बाद में जब वे जानने लगे तो वे हमेशा बाल विवाह के खिलाफ खड़े हुए। यहाँ आपको बता दे की गांधीजी की पत्नी का पूरा नाम "कस्तूरबाइ माखंजी कपाडिया" है।


जिन्हें हम कस्तूरबा गाँधी के नाम से जानते हैं। कस्तूरबा और गांधीजी के 4 बच्चे थे। उनके नाम थे (mahatma gandhi children) हरिलाल,मणिलाल,रामदास और देवदास। वर्ष 1885 में गांधीजी की एक बेटी पैदा हुई थी पर वो कुछ ही दिनों तक जीवित रही। उसके बाद ये 4 पुत्र पैदा हुए थे। वर्ष 1888 में उनके पहले पुत्र हरिलाल ने जन्म लिया।


दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी का जीवन :




करीब 24 साल की उम्र में सन 1893 को गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गए। दक्षिण अफ्रीका जाते समय गांधीजी को बहुत से मुश्किलों का सामना करना पड़ा था पर हार न मानते हुए उन्होंने सारे मुश्किलों का सहस से सामना किया। ट्रेन में जाते समय उन्हें प्रथम श्रेणी का टिकेट मिलते हुए भी अंग्रेजों ने उन्हें तीसरे श्रेणी में बैठने को कहा और गांधीजी ने मना कर दिया तो अंग्रेजों ने उन्हें स्टेशन पर उतार दिया। वहां पर पहुंचकर गांधीजी ने भारतीयों पर हुए आत्याचार को देखकर चकित हो गए।


वहां भारतीयों के साथ रंग भेदभाव को देख कर उन्होंने रंग भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाने का प्रण लिया। सन 1894 में रंगभेद के खिलाफ लड़ने के लिए साउथ अफ्रीका ने प्रवासी भारतीय इंडियन कांग्रेस की स्थापना की। और सन 1897 को गांधीजी अपनी बीवी और बचों को साउथ अफ्रीका ले आये।


महात्मा गाँधी के आन्दोलन (Mahatma Gandhi Movements List) :




भारत को स्वतंत्रता दिलाने में गांधीजी ने कई सारे आन्दोलन किये हैं। इन सब के दौरान गांधीजी को कई बार जेल भी जाना पड़ा हे और वे कई बार अपने साहस के लिए सम्मानित भी किये गए हैं। इनमें से प्रमुख और यादगार हैं सत्याग्रह आन्दोलन,अहिंसा आन्दोलन और असहयोग आन्दोलन।


ध्यान रहे की सन 1906 में पहली बार दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन का प्रयोग किया हे। वैसे सत्याग्रह मतलब सत्य के प्रति आग्रह। बापू ने सत्याग्रह आन्दोलन के अंतर्गत अनेक कार्यक्रम चलाये जिनमें चम्पाचरण सत्याग्रह,बारडोली सत्याग्रह और खेडा सत्याग्रह हैं। और तब उन्हें उनके साहस के लिए स्पियाँ कोप की लड़ाई के लिए पुरस्कृत किया गया। वर्ष 1906 में उन्होंने अहिंसा आन्दोलन का आयोजन किया।


विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का समर्थन करने की वजह से वे सन 1915 में ब्रिटिश सरकार द्वारा “कैसर हिन्द” की उपाधि दिए गए थे। सन 1917 में उन्होंने चम्पाचरण के किसानों को अंग्रेजों के आत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी। वर्ष 1918 में वे मिल मालिकों और मजदूरों में समझोता करने में कामयाब हुए थे।


और इन्ही सब घटनाओं से वे असहयोग आन्दोलन से प्रेरित हुए। सन 1922-1924 तक उन्हें कैद कर दिया गया। जेल से बाहर निकलने के बाद सन 1930 को 26 जनवरी को गांधीजी ने और नेहरूजी ने स्वतंत्रता की घोषणा की जारी की। गांधीजी ने हमेशा भारतीयों को अपने खुद का सम्मान बना के इस्तमाल करना सिखाया। अपने खुद का नमक खुद बना के विदेशी सरकार को टैक्स न देने के लिए उकसाया।


नमक कानून तोड़ने के लिए वे अपने साथियों के साथ 12 मार्च 1930 को सफ़ेद खाड़ी कपडे पहन कर 24 दिनों तक करीब 390 किलोमीटर तक चलते रहे। इस प्रतिक्रिया को उन्होंने दांडी मार्च का नाम दिया। आखिर 5 अप्रैल 1930 को उन्होंने नमक कानून तोड़ ही दिया।


4 अप्रैल आधी रात को नींद में ही गांधीजी को गिरफ्तार कर दिया गया। इस समय उनके 800000 और समर्थकों भी गिरफ्तार कर दिया गया। कितने लड़ाइयों के बाद मार्च 1931 को सभी राजनैतिक कैदियों को मुक्त कर दिया गया। और इसी प्रकार से गांधीजी ने हार न मानते हुए सहस और अहिंसा से लड़ते हुए हमारे देश को सन 1947 को आजादी दिलाई।


गांधीजी की मृत्यु :




30 जनवरी 1948 भारत के आजादी के कुछ महीनों के अन्दर ही गाँधी जी एक प्रार्थना सभा की ओर जा रहे थे। तभी एक मराठी परिवार के आदमी नाथूराम गौडसे ने पहले गाँधी जी को प्रणाम किया और उसी पल अपनी रिवाल्वर से गाँधी को गोली से भून दिया (mahatma gandhi death) और खुद को आत्म – समर्पण कर दिया।


उसने अपने आप को पुलिस के हवाले कर दिया था। इस हत्याकांड के पीछे लोगो ने कई विचार रखें हैं। कुछ लोग तो भारत के विभाजन में पाकिस्तान का जन्म और दूसरा हिन्दू-मुस्लिम लड़ाई कई ऐसे राज आज भी हमारे बीच मौजूद हैं।

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Pradeep Chawla on 06-12-2023

गांधीजी का जीवन परिचय Download pdf from below link
PGFGS.pdf 
Check link below -

http://www.motivationalstoriesinhindi.in/2017/08/biography-gandhi-pdf.html


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Comments Akssh on 01-02-2021

Mahatma Gandhi ji ne kitne varsh ki aayu metalation ki pariksha pass ki thi

Rjg2h on 02-10-2020

Jeene India opinion Patrika ka Aarambh Kab Hua

Sunil kumar on 06-02-2020

Mahatma gandhi ji ka jivani

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रावी on 31-01-2020

मैं देश का नागरिक क्यों हूँ।

Rakesh on 18-12-2019

Narendra modi kon hai

Tara on 12-12-2019

Gandi ji ka janam

Kishan lal dhakar on 10-12-2019

Mohan das karam chand gandhi

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महात्मा गांधी का पूरा नाम बताओ on 04-12-2019

महात्मा गांधी का पूरा नाम बताओ

Mahatma gadhi ko mahatma ki upadhi kisne di on 03-12-2019

Mahatma gadhi ko mahatma ki upadhi kisne di

Dharmendra kumar on 01-10-2018

Mahatma Gandhi Jee kisses district keep tte

Rishabhdev on 12-09-2018

Nice


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