अंग्रेजों की विलय नीति क्या थी
Pradeep Chawla on 22-10-2018
1848 र्इ. से 1856 र्इ. का काल ब्रिटिश कालीन भारत के इतिहास में अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। इस काल में लॉर्ड डलहौजी भारत का गवर्नर जनरल रहा। वह बहुत ही सक्रिय प्रशासक था, उसने युद्धों और कूटनीतियों से भारतीय राज्यों पर अधिकार करके भारत में ब्रिटिश कंपनी के साम्राज्य का विस्तार किया। डलहौजी साम्राज्यवादी विचारों का व्यक्ति था अत: उसने भारत में गवर्नर जनरल का पदभार संभालने के साथ ही नाम कमाने का दृढ़ निश्चय किया।
डलहौजी द्वारा जो नीति भारतीय राज्यों के प्रति अपनायी गर्इ उसके विषय में इतिहासकारों ने लिखा है, ‘‘उससे पहले के गवर्नर जनरलों ने साधरणतया इस सिद्धान्त के आधार पर कार्य किया कि जिस प्रकार भी संभव हो, राज्य विस्तार नहीं किया जावे। डलहौजी ने इस सिद्धान्त पर कार्य किया कि जिस भी प्रकार संभव हो सके, ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार किया जाये।’’
गोद-प्रथा निषेध
डलहौजी उग्र साम्राज्यवादी था और पंजाब, पीगू तथा सिक्किम को उसने युद्ध के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य में विलीन कर लिया। तत्पश्चात उसने शांतिपूर्ण ढंग से अन्य भारतीय राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य में विलीन करने का निश्चय किया। इसके लिए उसने जिस नीति को अपनाया, उसे इतिहास में गादे -निषेध सिद्धान्त कहते हं।ै इस नीति के अनुसार उन सन्तानहीन देशी नरेशों को जो कंपनी के अधीन थे अथवा जिनका अस्तित्व कंपनी के कारण हुआ था अथवा जो कंपनी पर निर्भर थे, उन सभी को पुत्र गोद लेने की आज्ञा नहीं देकर उनके राज्य को कंपनी के राज्य में विलीन करने का निणर्य लिया गया। डलहौजी ने यह अधिकार केवल उन राज्यों को देना उचित समझा जिनसे वर्तमान तथा भविष्य में राजनीतिक लाभ उठाये जा सकते थे। यदि किसी राजा का औरस पुत्र नहीं होता था तो वह अपने दत्तक पुत्र को अपना राज्य नहीं दे सकता था वरन उसका राज्य ब्रिटिश राज्य में मिला लिया जाता था।
लॉर्ड डलहौजी ने कुछ सन्तानहीन भारतीय शासकों को उत्तराधिकारी बालक को गादे लेने की अनुमति नहीं दी और उनके राज्य को हड़प करके अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये डलहौजी ने भारतीय राज्यों को तीन श्रेणियों में विभक्त किया था।
- स्वतंत्र राज्य जो भारत में ब्रिटिश राज्य के अस्तित्व में आने के पूर्व से ही विद्यमान थे, जैसे-जयपुर, उदयपुर आदि राज्य।
- आश्रित राज्य जो पहिले से मुगल सम्राट या पेशवा को वार्शिक कर देते थे, किन्तु अब वे ब्रिटिश सरकार को कर देने लगे थे और अंग्रेजों के आश्रय और संरक्षण में थे, जैसे नागपुर, ग्वालियर के राज्य।
- अधीनस्थ राज्य जिनको ब्रिटिश कंपनी ने बनाया था, अथवा जिनको जीतकर ब्रिटिश कंपनी ने पुन: स्थापित किया था और जो पूर्ण रूप से अंग्रेजों के अधीन थे जैसे झाँसी, सतारा के राज्य।
हड़प नीति का क्रियान्वयन
लॉर्ड डलहौजी ने अपनी हड़प नीति के आधार पर गोद लेने की प्रथा को अमान्य कर निम्नलिखित राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य में विलीन कर लिया।
- सतारा (1848 र्इ.)- डलहौजी की हड़प नीति का पहला निशाना सतारा था। कम्पनी के संचालकों ने भी डलहौजी के इस कार्य का समर्थन किया किन्तु संतारा का कम्पनी के राज्य में सम्मिलित किया जाना सर्वथा अनुचित था क्योंकि सतारा का राज्य न ही कम्पनी द्वारा निर्मित था और न ही कम्पनी के अधीन था अतएव एक स्वतंत्र राज्य के प्रति डलहौजी की ये नीति अत्यत घृणित थी।
- सम्भलपुर और जैतपुर (1849 र्इ.)- उड़ीसा में सम्भलपुर राज्य का शासक नारायणसिंह नि:संतान मर गया। मृत्यु पूर्व वह कोर्इ पुत्र गोद नहीं ले सका था। इसलिये उसकी विधवा रानी ने शासन प्रबंध अपने हाथों में ले लिया। किन्तु डलहौजी ने सिंहासन पर रानी के अधिकार को अस्वीकृत कर दिया और सम्भलपुर को तथा बुन्देलखंड में स्थित जैतपुर राज्य को भी हड़प नीति के आधार पर 1849 र्इ. में ब्रिटिश राज्य में मिला लिया।
- झाँसी (1853 र्इ.)- 1817 र्इ. में पेशवा ने झांसी का राज्य ब्रिटिश कम्पनी को दे दिया। कम्पनी ने झांसी के राजा रामचंद्र के साथ एक संधि की और वचन दिया कि झांसी का राज्य राजा रामचंद्र और उसके उत्तराधिकारियों के अधिकार में वंशानुगत चलेगा। किन्तु 1843 र्इ. में झांसी के राजा गंगाघर राव का निधन हो गया। निधन पूर्व उन्होंने दामोदरराव नामक एक बालक को गोद ले लिया था और कम्पनी ने उन्हें इसकी स्वीकृति भी दे दी थी किन्तु 20 फरवरी 1854 र्इ. को डलहौजी ने यह निर्णय लिया कि झांसी का दत्तक पुत्र राज्य का अधिकारी नहीं हो सकता है। इन परिस्थितियों में झांसी की रानी लक्ष्मीबार्इ ने डलहौजी को 1817 र्इ. की संधि याद दिलार्इ किंतु डलहौजी पर इसका कोर्इ प्रभाव न पड़ा और उसने एक घोषणा द्वारा झांसी को कम्पनी के राज्य में मिला लिया। फलत: 1853 र्इ. में झाँसी को ब्रिटिश राज्य में विलय कर लिया गया।
- नागपुर (1854 र्इ.)- नागपुर के शासक राघोजी भोसले का देहान्त संतान विहीन अवस्था में हुआ। किन्तु मृत्यु पूर्व उसने अपनी रानी को यशवन्तराव को गोद लेने की अनुमति दे दी थी। लेकिन ब्रिटिश कंपनी ने रानी को गोद लेने की स्वीकृति नहीं दी और उसने नागपुर राज्य को ब्रिटिश राज्य में मिला लिया। यही नहीं, ब्रिटिश कंपनी ने शासक की सम्पत्ति भी नीलाम कर बेच दी।
हड़प नीति की समीक्षा
लॉर्ड डलहौजी ने भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवादी नीति के अंतर्गत गोद-प्रथा निषेध की नीति या हड़प नीति को अपनाया। हड़प नीति के द्वारा उसने ब्रिटिश साम्राज्य को संगठित और सुदृढ़ कर दिया। भारत में ब्रिटिश कंपनी के राज्य की सीमाओं का अत्यधिक विस्तार हुआ। किन्तु डलहौजी के इस साम्राज्य विस्तार का नैतिक, न्याायिक और निष्पक्ष रूप से समर्थन नहीं किया जा सकता। डलहौजी की हड़प नीति अनैतिकता और स्वार्थ से परिपूर्ण थी। उसके दुष्परिणाम के फलस्वरूप ही 1857 र्इ. में भारत में अंग्रेजों को एक विशाल क्रान्ति देखना पड़ी जिसने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव कमजोर कर दी।
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Comments
Sushma kumari on 16-09-2023
Ranjana on 17-08-2023
Deepika on 22-11-2022
Stai bando bast kise kahte h
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Natasha on 16-09-2022
Vilya niti ke baare me vistar se bataiye?
Vampire on 21-05-2022
Vilay niti par ek lekh likhiye
sonu on 23-03-2022
राहुल on 30-03-2021
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Reshma on 21-12-2020
shrishty on 13-09-2020
vilay niti kya hai ? vistar se bataye
Bilay niti kya thi on 29-07-2020
Bhavna on 09-05-2020
विलय नीति का क्या अर्थ है?
Dalhoji ki vilay ki niti
Dalhoji ki vilay niti on 28-01-2020
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Bittu kumar
Hii
on 20-12-2019
स्थाई बंदोबस्त किसे कहते हैं on 13-12-2019
स्थाई बंदोबस्त किसे कहते हैं
जिताआशं on 20-10-2018
Angrejo ki Villa Niti kya thi
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