Sanskrit Bhasha Ke Mahatva Par Nibandh संस्कृत भाषा के महत्व पर निबंध

संस्कृत भाषा के महत्व पर निबंध

Pradeep Chawla on 12-05-2019

संस्कृत एक यंत्र है। यंत्र का क्या मतलब है? देखो, यह माइक्रोफोन यंत्र है। सौभाग्य से यह बोल नहीं सकता, लेकिन जो कुछ भी मैं बोल रहा हूं, उसकी यह आवाज बढ़ा देता है। अगर यह बोलने वाला यंत्र होता और मैं जो कहना चाहता, उसकी बजाय यह कुछ और कह देता तो यह मेरे लिए एक अच्छा यंत्र नहीं होता। आप किसी चीज को यंत्र तभी कह सकते हैं, जब आप उसे उस तरीके से इस्तेमाल कर पाएं जैसे आप करना चाहते हैं।

संस्कृत ऐसी भाषा नहीं है, जिसकी रचना की गई हो। इस भाषा की खोज की गई है।



तो हमने कहा कि संस्कृत भाषा एक यंत्र है, महज संवाद का माध्यम नहीं। दूसरी ज्यादातर भाषाओं की रचना इसलिए हुई, क्योंकि हमें हर चीज को एक नाम देना पड़ता था। इनकी शुरुआत कुछ थोड़े से शब्दों से हुई और फिर वही शब्द जटिल होकर बढ़ते गए। लेकिन संस्कृत ऐसी भाषा नहीं है, जिसकी रचना की गई हो। इस भाषा की खोज की गई है। हम जानते हैं कि अगर हम किसी दोलनदर्शी में कोई ध्वनि प्रवेश कराएं, तो हम देखेंगे कि हर ध्वनि के साथ एक आकृति जुड़ी है। इसी तरह हर आकृति के साथ एक ध्वनि जुड़ी है। इस अस्तित्व में हर ध्वनि किसी खास तरीके से कंपन कर रही है और खास आकृति पैदा कर रही है। बचपन में एक बार मेरे साथ एक घटना हुई। मैं कुछ लोगों की ओर ध्यान से देख रहा था। वे लोग बातचीत कर रहे थे। शुरू में मैंने उनके शब्दों को सुना, फिर केवल ध्वनि को। कुछ समय बाद मैंने देखा कि उनके चारों ओर कुछ विचित्र सी आकृतियां बन रही हैं। इन आकृतियों में मैं खो गया। मुझे इनसे इतनी हैरानी और खुशी हो रही थी कि मैं लोगों को गौर से देखते हुए और बिना उसके एक भी शब्द को समझे हमेशा के लिए बैठा रह सकता था। दरअसल, मैं शब्दों को सुन ही नहीं रहा था।

संस्कृत ऐसी भाषा है जिसमें आकृति और ध्वनि का आपस में संबंध होता है।… पूरा अस्तित्व ध्वनि है। जब आप को यह अनुभव होता है कि एक खास ध्वनि एक खास आकृति के साथ जुड़ी हुई है, तो यही ध्वनि उस आकृति के लिए नाम बन जाती है।

संस्कृत भाषा



ऐसी भाषा है जिसमें आकृति और ध्वनि का आपस में संबंध होता है। उदाहरण के लिए अंग्रेजी में अगर आप ‘son’ या ‘sun’ का उच्चारण करें, तो ये दोनों एक जैसे सुनाई देंगे, बस वर्तनी में ये अलग हैं। आप जो लिखते हैं, वह मानदंड नहीं है, मानदंड तो ध्वनि है क्योंकि आधुनिक विज्ञान यह साबित कर चुका है कि पूरा अस्तित्व ऊर्जा की गूंज है। जहां कहीं भी कंपन है, वहां ध्वनि तो होनी ही है। इसलिए एक तरह से देखा जाय तो पूरा अस्तित्व ध्वनि है। जब आप को यह अनुभव होता है कि एक खास ध्वनि एक खास आकृति के साथ जुड़ी हुई है, तो यही ध्वनि उस आकृति के लिए नाम बन जाती है। अब ध्वनि और आकृति आपस में जुड़ गईं। अगर आप ध्वनि का उच्चारण करते हैं, तो दरअसल, आप आकृति की ही चर्चा कर रहे हैं, न सिर्फ अपनी समझ में, न केवल मनोवैज्ञानिक रूप से, बल्कि अस्तित्वगत रूप से भी आप आकृति को ध्वनि से जोड़ रहे हैं। अगर ध्वनि पर आपको महारत हासिल है, तो आकृति पर भी आपको महारत हासिल होगी। तो संस्कृत भाषा हमारे अस्तित्व की रूपरेखा है। जो कुछ भी आकृति में है, हमने उसे ध्वनि में परिवर्तित कर दिंया। आजकल इस मामले में बहुत ज्यादा विकृति आ गई है। यह एक चुनौती है कि मौजूदा दौर में इस भाषा को संरक्षित कैसे रखा जाए। इसकी वजह यह है कि इसके लिए जरूरी ज्ञान, समझ और जागरूकता की काफी कमी है।

यही वजह है कि जब लोगों को संस्कृत भाषा पढ़ाई जाती है, तो उसे रटाया जाता है। लोग शब्दों का बार बार उच्चारण करते हैं। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि उन्हें इसका मतलब समझ आता है या नहीं, लेकिन ध्वनि महत्वपूर्ण है, अर्थ नहीं।

संस्कृत भाषा का महत्व



यही वजह है कि जब लोगों को संस्कृत भाषा पढ़ाई जाती है, तो उसे रटाया जाता है। लोग शब्दों का बार बार उच्चारण करते हैं। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि उन्हें इसका मतलब समझ आता है या नहीं, लेकिन ध्वनि महत्वपूर्ण है, अर्थ नहीं। अर्थ तो आपके दिमाग में बनते हैं। यह ध्वनि और आकृति ही हैं जो आपस में जुड़ रही हैं। आप जोड़ रहे हैं या नहीं, सवाल यही है। तो संस्कृत भाषा इस तरह से बनी, इसीलिए इसका महत्व है और इसलिए यह तमिल को छोडक़र लगभग सभी भारतीय और यूरोपीय भाषाओं की जननी है। तमिल संस्कृत से नहीं आती। यह स्वतंत्र तौर से विकसित हुई है। आमतौर पर ऐसा भी माना जाता है कि तमिल संस्कृत से भी प्राचीन भाषा है। बाकी सभी भारतीय भाषाओं और लगभग सभी यूरोपीय भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत से ही हुई है।

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Comments रामचन्द्र on 12-05-2019

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Pragati on 12-05-2019

Rashtra ke yogdan mein Sanskrit Bhasha ka mahatva nibandh so shabdo mei

Prem on 06-02-2019

Sanskrit Bhasha ka mahatva 10 line Sanskrit

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