jatiwaad Ek Samasya MaRaathi जातिवाद एक समस्या मराठी

जातिवाद एक समस्या मराठी

GkExams on 23-10-2022


जातिवाद क्या है : जातिवाद या जातीयता एक ही जाति के लोगो की वह भावना है। जो अपनी जातिविशेष के हितो की रक्षा के लिये अन्य जातियो के हितो की अवहेलना आरै उनका हननकरने के लिये प्रेरित करती है। इस प्रभावना के आधार पर एक ही जाति के लोग अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिये अन्य जाति के लोगो को हानि पहुंचाने के लिये प्रेरित होते है।




हमारे समाज में जातिवाद (jativad kya hai) ने पिछले कुछ समय से अपनी जड़े काफी मजबूत कर ली है। इनमे मुख्य रूप से जैसा जातिवाद राजनीति में देखने को मिलता है वो काफी घातक है। इस लेख में हम आपको जातिवाद के प्रभाव या दुष्प्रभाव (jativad ke dushparinam) के बारें में बतायेगे जो निम्नलिखित है....


जातिवाद से सामाजिक एकता का कमजोर होना :




जातिवाद सामाजिक अलगाव की प्रवृत्ति का परिचायक है। जातिवाद (jativad kise kahate hain) के चलते व्यक्ति की निष्ठा अपनी जाति तक सीमित हो जाती है। वह जातीय हित को सामाजिक हित से श्रेष्ठ समझता है जिसकी वजह से वह उसकी पूर्ति मे जायज या नाजायज ढंग से लगा रहता है। इससे समाज मे सामुदायिक भावना का ह्रास होता है। सामुदायिक भावना के ह्रास से सामाजिक एकता कमजोर होती है। जातिवाद ने सामाजिक एकता के साथ राष्ट्रीय एकता को भी कमजोर किया है।


जातिवाद से सामाजिक संगठन को क्षति :




जातिवाद (jativad ke karan) के चलते हिन्दू समाज अलग-अलग जाति समूहों मे बँट जाता है। जिसमे हर एक का अपना जीवन ढंग, आदर्श, आराध्य देव व आदर्श पुरुष होता है। दूसरें शब्दों मे, हर एक की अपनी उप संस्कृति होती है। परिणामस्वरूप, हिन्दू समाज मे सामूहिक जीवन पद्धति का लोप हो जाता है। अलग-अलग जातियों की जीवन पद्धति मे भिन्नता की वजह से हिन्दू समाज मे आपसी भाईचारे, सहयोग और संगठन का अभाव होता है। फलस्वरूप, हिन्दूओं मे असुरक्षा, अलगाव व एकाकीपन व्याप्त हो जाता है।


अयोग्य व्यक्तियों का चयन :




जातिवाद के कारण निर्वाचन के समय व्यक्ति अपनी जाति के अयोग्य व्यक्तियों का निर्वाचन कर डालते है। इससे अयोग्य व्यक्तियों को सरकार मे पहुंचने का अवसर मिलता है तथा प्रशासकीय कार्यों मे बाधा पड़ती है।


जातिवाद से भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन :




अयोग्य व्यक्ति जातिवाद (jativad par nibandh) के कारण निर्वाचित हो जाते है तथा प्रशासन मे भ्रष्टाचार फैलता है। घूसखोरी, कार्य मे विलंब, अनियमितताएं आदि सभी दुर्बलताएं जातिवाद के आधार पर निर्वाचित अथवा नियुक्त पदाधिकारियों की ही देन है।


राष्ट्रीय एकता मे बाधक :




जातिवाद का एक दुष्प्रभाव राष्ट्रीय एकता मे बाधा पड़ना है। जातिवाद के कारण अनेक छोटे-छोटे उपजाति समूह संगठित हो जाते है। इससे व्यक्ति की सामुदायिक भावना अत्यंत संकुचित हो जाती है। यह केवल अपने समूह के हितों के बारे मे और सुख-सुविधाओं के बारे मे ही सोचता है। यह स्थिति राष्ट्रीय एकता मे बाधक है।


गतिशीलता मे बाधक :




जातिवाद के कारण व्यक्ति स्थानीय बंधनों मे जकड़ जाता है। शिक्षा, अधिक धन प्राप्त करने, आदि के लिये बाहर जाना पड़ता है, लेकिन जातिवाद के बंधन उसे ऐसा करने से रोकते है। इस प्रकार गतिशीलता मे जातिवाद बाधक है।


योग्य व्यक्तियों मे बेकारी :




जातिवाद के कारण अयोग्य व्यक्तियों का निर्वाचन हो जाता है, इससे समाज मे योग्य तथा कुशल व्यक्तियों को आगे बढ़ने का अवसर नही मिलता है। अतः योग्य व्यक्तियों मे बेकारी तथा असंतोष फैलता है।


नैतिक पतन :




जातिवाद के कारण व्यक्ति अपनी जाति के सदस्यों को आगे बढ़ाने के लिये हर उचित-अनुचित साधनों का प्रयोग करते है। इससे नैतिक मूल्यों का पतन होता है।


राष्ट्रीय विकास मे बाधा :




जातिवाद के कारण समाज विभिन्न भागो मे विभाजित हो जाता है, हर जाती अपनी ही जाति के सदस्यों का भला चाहती है। इससे राष्ट्रीय विकास कार्य मे बाधा पड़ती है।

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