महाराष्ट्र का पठार
यह भारत का सबसे बड़ा पठार है। दक्कन का पठार त्रिकोणीय है तथा इसका विस्तार 7,005,000 वर्ग किमी. क्षेत्र में है। उत्तर में यह 3000 मीटर ऊंचा है तथा पश्चिम में 900 मीटर ऊंचा है। इसे महाराष्ट्र पठार भी कहते हैं। इस पठार के अंतर्गत महाराष्ट्र मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात तथा आंध्र प्रदेश राज्यों के भू-भाग आते हैं। इसकी उत्तरी सीमा ताप्ती नदी बनाती है और पश्चिम में पश्चिमी घाट। यह पठार बेसाल्ट चट्टानों से बना हुआ है। इन चट्टानों में खनिजों की प्रचुरता है तथा लोहा, अभ्रक, मैग्नेसाइट तथा बॉक्साइट इत्यादि खनिज पदार्थ पाये जाते हैं। गोदावरी नदी द्वारा इसे दो भाग में विभाजित किया गया है-तेलंगाना पठार एवं कर्नाटक पठार।
तेलंगाना पठार गोदावरी नदी के उत्तरी भाग में स्थित वनों से आच्छादित पठार है। यहां पर वर्धा नदी बहती है दक्षिणी भाग पर उर्मिल मैदान है, जिन पर सिंचाई के लिए तालाब बनाने हेतु उपयुक्त भूमि है। इसका निचला भाग समतल है, जिनमें बड़े-बड़े नगर मिलते हैं। हैदराबाद और सिकंदराबाद इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
कर्नाटक पठार को 600 मीटर की ऊंचाई वाली समुच्च रेखा दो भागों में विभाजित करती है- उत्तरी भाग और दक्षिणी भाग। उत्तरी भाग पर कृष्णा व तुंगभद्रा नदियां बहती हैं। यहां घाट-प्रभा व माल-प्रभा नदियां कृष्णा नदी में उसके दाएं भाग पर मिलती हैं। कर्नाटक पठार के दक्षिणी भाग को मैसूर पठार कहते हैं। यह दक्षिण भारत का उच्च सीमा वाला पठार है। सामान्यतया इसका ढाल पूरब की ओर है, जबकि उत्तरी भाग का ढाल उत्तर की ओर है। इसके पश्चिम में पश्चिमी घाट और पूरब में पूर्वी घाट स्थित हैं। नीलगिरि पहाड़ियों द्वारा इसकी दक्षिणी सीमा का निर्माण होता है। पश्चिमी भाग मालवाड़ के नाम से जाना जाता है, जो एक पहाड़ी क्षेत्र है। इसकी औसत ऊंचाई 1000 मीटर है। इस पहाड़ी क्षेत्र में काफी कटाव हैं। ढाल काफी तेज है और नदी घाटियां गहरी हैं। यह भाग वनों से पूर्णरूपेण आच्छादित है। पूरब की ओर का भाग उर्मिल मैदानों वाला है। मैसूर पठार की प्रमुख नदी कावेरी है। यहां पर ग्रेनाइट पहाड़ियां मिलती हैं, जो नीचे धंसी हुई होती हैं।
मालवा का पठार: यह पठार लावा द्वारा निर्मित काली मिट्टी का पठार है। इसका ढाल गंगा घाटी की ओर है। इसमें पारवती, बेतवा, माहि, चम्बल एवं कलि सिंध आदि नदियाँ प्रवाहित होते हुए यमुना में मिल जाती हैं।
औसतन 250 मीटर ऊंचे इन पठारों पर कहीं-कहीं उर्मिल मैदान मिलते हैं, जिनमें चपटी पहाड़ियां भी स्थित हैं। उदाहरणस्वरूप उत्तर में ग्वालियर की पहाड़ियां प्रमुख हैं। इस पठार की उत्तरी व उत्तर-पूर्वी सीमा पर बुंदेलखण्ड व बाघेलखण्ड के पठार स्थित हैं, परंतु पठार के उत्तर भांग को चंबल और उसकी सहायक नदियों ने बीहड़ खडु में परिवर्तित कर दिया है।
छोटानागपुर का पठार
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महाराष्ट्र पठार का निर्माण कैसे हुआ
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