उपराष्ट्रपति की नियुक्ति कौन करता है
1. उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होता है। उपराष्ट्रपति के पद के लिए किसी व्यक्ति को निर्वाचित किए जाने हेतु निर्वाचकगण में संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं।*
2. उपराष्ट्रपति संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होता है। यदि संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का कोई सदस्य उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है, तो यह समझा जाता है कि उसने उस सदन में अपना स्थान उपराष्ट्रपति के रूप में अपने पद ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है।
3. कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति तभी निर्वाचित हो सकता है जब वह-
कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीन या किसी अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, वह भी इसका पात्र नहीं है।
4. उपराष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति से हुई रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, पदावधि की समाप्ति से पहले ही पूर्ण कर लिया जाता है। यदि रिक्ति मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से होती है, तब उस रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, रिक्ति होने के पश्चात् यथाशीघ्र किया जाता है**। इस प्रकार निर्वाचित व्यक्ति अपने पद ग्रहण की तारीख से पूरे पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करने का हकदार होता है।
उपराष्ट्रपति के निर्वाचन का अधीक्षण:
भारत का निर्वाचन आयोग उपराष्ट्रपति के पद के लिए निर्वाचन कराता है।
उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित महत्वपूर्ण उपबंध:
1. अगले उपराष्ट्रपति का निर्वाचन निवर्तमान उपराष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर किया जाना होता है।
2. उपराष्ट्रपति निर्वाचनों को संचालित करने के लिए सामान्यत: नियुक्त निर्वाचन अधिकारी चक्रानुक्रम में संसद के किसी भी सदन का महासचिव होता है। निर्वाचन अधिकारी विहित प्रपत्र में अभ्यर्थियों का नामांकन आमंत्रित करते हुए निर्वाचन के संबंध में इस आशय की सार्वजनिक सूचना जारी करता है और उस स्थान को विनिर्दिष्ट करता है जहां नामांकन पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।
निर्वाचित होने के लिए अर्हित तथा उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचन के लिए खड़े होने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम 20 संसद सदस्यों द्वारा प्रस्तावक के रूप में और कम से कम 20 संसद सदस्यों द्वारा समर्थक के रूप में नामित किया जाना अपेक्षित है।
निर्वाचन अधिकारी को नामनिर्देशन पत्र ऐसे स्थान पर व ऐसे समय व तारीख तक प्रस्तुत किये जाने होते हैं जिन्हें सार्वजनिक सूचना में विनिर्दिष्ट किया गया हो। किसी अभ्यर्थी द्वारा या उसकी ओर से अधिकतम चार नामांकन-पत्र प्रस्तुत किए जा सकते हैं या निर्वाचन अधिकारी द्वारा स्वीकार किए जा सकते हैं।
3. उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचन चाहने वाले अभ्यर्थी को 15,000/- रू. की जमानत राशि जमा करनी होती है। अभ्यार्थी की ओर से दायर नामांकन पत्रों की संख्या चाहे कितनी भी हो, उसे सिर्फ यही राशि जमा करानी होगी।
4. नामांकन पत्रों की संवीक्षा निर्वाचन अधिकारी द्वारा विनिर्दिष्ट तिथि पर अभ्यर्थी व उसके प्रस्तावक या समर्थक तथा विधिवत् प्राधिकृत किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में की जाती है।
5. कोई भी अभ्यर्थी विनिर्दिष्ट समय के भीतर निर्वाचन अधिकारी को विहित प्रपत्र में लिखित सूचना देकर अपनी अभ्यर्थिता वापस ले सकेगा।
6. निर्वाचन में निर्वाचक के पास उतनी ही वरीयताएं होती हैं जितने अभ्यर्थी होते हैं। अपना मत डालने में, मतदाता को अपने मत-पत्र पर उस अभ्यर्थी के नाम के सामने दिए स्थान पर अंक 1 अभिलिखित करना अपेक्षित है जिसका चयन वह अपनी प्रथम वरीयता के रूप में करता है और इसके अतिरिक्त वह अपने मत-पत्र पर अन्य अभ्यर्थी के नामों के सामने दिए स्थान पर अंक 2,3,4 इत्यादि अभिलिखित करके उतनी परवर्ती वरीयताएं अभिलिखित कर सकेगा जितनी वह चाहता है। मतों को भारतीय अंकों के अंतरराष्ट्रीय रूप में या रोमीय रूप में या किसी भारतीय भाषा के रूप में अभिलिखित किया जाना चाहिए, परन्तु शब्दों में नहीं दर्शाया जाना चाहिए।
प्रत्येक मत पत्र प्रत्येक गणना में एक मत व्यपदिष्ट करता है। मतों की गणना की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण सम्मिलित हैं :
यदि इस गणना के अंत में, कोई अभ्यर्थी कोटा प्राप्त कर लेता है, तो उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जाएगा।
सूची में निम्नतम अभ्यर्थियों के अपवर्जन की यह प्रक्रिया अविच्छिन्न अभ्यर्थियों में से एक के कोटा प्राप्त करने तक दोहराई जाएगी।
7. निर्वाचन कराये जाने और मतों की गणना कराए जाने के बाद, निर्वाचन अधिकारी निर्वाचन का परिणाम घोषित करता है। उसके पश्चात्, वह केन्द्रीय सरकार (विधि और न्याय मंत्रालय) तथा भारत के निर्वाचन आयोग को इस परिणाम की जानकारी देता है और केन्द्रीय सरकार राजपत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित व्यक्ति का नाम प्रकाशित कराती है।
उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवाद
1. उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के संबंध में पैदा होने वाले संदेहों और विवादों की भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा जांच की जाती है और निर्णय किया जाता है। उसका निर्णय अंतिम होता है।
2. उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर भारत के उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुनवाई की जाती है।
3. इस याचिका के साथ अनिवार्य रूप से 20,000/-रूपये की जमानत राशि जमा करनी होती है।
उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान का पाठ :
"मैं, __________________ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा तथा जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूं उसके कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करूंगा।"
*भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्वाचकगण में सिर्फ संसद और राज्यों की विधानसभाओं के निवार्चित सदस्य होते हैं।
**संविधान में इन परिस्थितियों में भारत के राष्ट्रपति के पद हेतु निर्वाचन के लिए छह माह (अनुच्छेद 62) की अधिकतम सीमा का उपबंध है।
राष्टपति की नियुक्ति कोन करता है
Oprashtpati ki niyukti kaun karta hai
Uprastrapati ki niyukti kaun karta hai
Vice president ki niyucti kon krta h
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