हसदेव Baango Pariyojana हसदेव बांगो परियोजना

हसदेव बांगो परियोजना

GkExams on 21-02-2019



हसदेव बांगो बांध एक बांध है जिसका निर्माण 1961-62 में छत्तीसगढ़, भारत में हसदेव नदी के पार किया गया था। यह छत्तीसगढ़ में सबसे लंबा, चौड़ा बांध है। यह छत्तीसगढ़ में पहली बहुउद्देश्यीय जल परियोजना है। यह कोरबा, कोरबा जिले से 70 किमी दूर स्थित है। इसका जलग्रहण क्षेत्र 6,730 किमी है। 

मिनिमाता बांगो परियोजना के डिज़ाइन के समय प्रस्ताव में तीनों मौसमों के लिये सम्मिलित रूप से 433,500 हेक्टेयर खेत प्रतिवर्ष सिंचाई की ही बात कही गई थी, मगर मौजूदा स्थिति से इसकी तुलना की जाये तो यह काफी कम है।

2014-15 में प्राप्त जानकारी के आधार पर आरबीसी इरिगेशन के तहत 102,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हुई और एलबीसी इरिगेशन के तहत सिर्फ 37,000 हेक्टेयर की। हालांकि ये आँकड़े खरीफ के मौसम से सम्बन्धित हैं। रबी और गरम मौसम में इस परियोजना से बिल्कुल सिंचाई नहीं हुई है (एके श्रीवास्तव, पूर्व इंजीनियर, हसदेव बांगो परियोजना)।

विभिन्न अधिकारियों और विशेषज्ञों से बातचीत से मिले आँकड़ों से पता चलता है कि लगभग 139,000 हेक्टेयर जमीन पर इस साल खरीफ के मौसम में सिंचाई की गई है। रबी के मौसम में 17,000 हेक्टेयर ज़मीन पर सिंचाई उपलब्ध कराने की योजना थी, मगर पानी की कमी और कैनाल नेटवर्क में आई तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से बिल्कुल सिंचाई नहीं हो पायी। जबकि 2014 में नहरों में 25 अक्तूबर तक पानी आता रहा था। 455 एमसीएम पानी उद्योगों और शहरों को निर्बाध रूप से उपलब्ध कराया जाता रहा, उद्योगों और शहरों की ज़रूरतों में कोई कटौती नहीं की गई, पर खेत-सिंचाई के लिये पानी की मात्रा कम कर दी गई।

यह जानना रोचक होगा कि 2013-14 में खरीफ के मौसम में 222,500 हेक्टेयर ज़मीन पर सिंचाई की गई थी। इसी साल में रबी के मौसम में सिर्फ 2061 हेक्टेयर खेत पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई गई, जबकि प्रस्ताव तो यह था कि इस साल की रबी में 127,500 हेक्टेयर ज़मीन की सिंचाई के लिये 720 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी उपलब्ध कराया जाएगा। जो हुआ नहीं।

15 अक्तूबर 2013 को जब खरीफ की सिंचाई का अन्तिम चरण चल रहा था बाँध में 2463.68 एमसीएम पानी मौजूद था, अगर योजनाबद्ध तरीके से रबी के मौसम में सिंचाई की गई होती तो कहीं अधिक जमीन तक पानी पहुँचाया जा सकता था।

2013-14 में गर्मी के मौसम के लिये 51,000 हेक्टेयर ज़मीन तक सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके लिये 404 एमसीएम पानी की जरूरत थी, इसके बावजूद गर्मी में बिल्कुल सिंचाई के लिये पानी नहीं दिया गया। ऐसा तब हुआ जब मई 2014 में जलाशय लगभग आधा भरा हुआ था।

आँकड़े बताते हैं कि 2011-12 और 2012-13 में रबी के दौरान 35,000 हेक्टेयर ज़मीन की सिंचाई हुई थी। हालांकि अधिकारियों से बातचीत की कोई साफ तस्वीर समझ नहीं आती, पर अधिकारियों से मिली जानकारी के आधार पर कहा जा सकता है कि परियोजना के पूरी अवधि के दौरान रबी की बहुत कम सिंचाई हुई है।

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Comments Ritu on 19-12-2022

हसदेव बागो परियोजना से क्या समझते हो


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