प्रशासनिक अधिकारी के कार्य
आईएएस अधिकारी द्वारा किए गए सामान्य कार्य हैं:
राजस्व और अपराध (राजस्व अदालतों और कार्यकारी मजिस्ट्रेटों की आपराधिक अदालतों) के मामलों में अदालतों के रूप में राजस्व और कार्य को इकट्ठा करने के लिए, कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए, क्षेत्रीय पदों पर पोस्ट किए जाने पर घास के स्तर पर संघ और राज्य सरकार की नीतियों को लागू करने के लिए उप-मंडल मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, जिला मजिस्ट्रेट और विभागीय आयुक्त, और क्षेत्र में सरकार के एजेंट के रूप में कार्य करने के लिए, यानी जनता और सरकार के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के लिए। [4] [38] [3 9] [40]
संबंधित मंत्रालय या विभाग के प्रभारी के परामर्श से नीति के निर्माण और कार्यान्वयन सहित सरकार के प्रशासन और दैनिक कार्यवाही को संभालने के लिए। [4] [38] [3 9] [40]
पॉलिसी फॉर्मूलेशन में योगदान देना, और कुछ मामलों में अंतिम निर्णय लेने के लिए, संबंधित मंत्री के समझौते या मंत्रियों की परिषद (मामले के वजन के आधार पर), जब भारत सरकार में उच्च स्तर पर संयुक्त सचिव के रूप में तैनात किया गया , अतिरिक्त सचिव, विशेष सचिव / सचिव समकक्ष, सचिव और कैबिनेट सचिव, और राज्य सरकारों में मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव / विशेष मुख्य सचिव और मुख्य सचिव के रूप में। [4] [38] [3 9] [40]
भूमिकाएं एवं दायित्व
विभाग और इसके सम्बद्ध कार्यालयों की भूमिका
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग
वैचारिक दृष्टि से कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की भूमिका को दो भागों में बांटा जा सकता है । यह विभाग अपनी महती नोडल भूमिका में नीति-निरूपक तथा सरकार के सजग प्रहरी के रूप में कार्य करता है और यह सुनिश्चित करता है कि यथानिर्धारित, कतिपय स्वीकृत मानकों और मानदण्डों का सभी मंत्रालयों/विभागों द्वारा भर्ती, सेवा-शर्तों के विनियमन एवं कार्मिकों की प्रतिनियुक्ति के साथ-साथ अन्य सम्बद्ध मामलों में पालन किया जाए । इस उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में विभाग द्वारा सभी मंत्रालयों/विभागों के लाभ हेतु मार्गदर्शी सिद्धांत जारी किए गए हैं । इस विभाग द्वारा इन मार्गदर्शी सिद्धांतों के कार्यान्वयन की निगरानी भी की जा रही है । कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग केन्द्रीय सरकार के सभी संगठनों को कार्मिक-प्रबंध के मुद्दों पर सलाह भी देता है । अधिक नजदीकी दृष्टि से देखें तो यह विभाग, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.ए.एस.) तथा केन्द्रीय सचिवालय सेवा (सीसीएस) का संवर्ग-नियंत्रक प्राधिकारी होने के नाते सीधे रूप से उत्तरदायी है । यह विभाग, केन्द्रीय स्टाफिंग योजना का भी संचालन करता है, जिसके अंतर्गत अखिल भारतीय सेवाओं तथा समूह ‘क’ केन्द्रीय सेवाओं के अधिकारियों में से उपर्युक्त अधिकारियों का चयन किया जाता है तथा उन्हें प्रतिनियुक्ति के आधार पर कार्यकाल विशेष हेतु उप सचिव/निदेशक तथा संयुक्त सचिव के स्तर के पदों पर तैनात किया जाता है । यह विभाग सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न उपक्रमों/उद्यमों, निगमों, बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों के अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक, पूर्णकालिक कार्यात्मक निदेशकों/प्रबंध मण्डल के सदस्यों के पदों पर नियुक्ति के मामलों को भी देखता है । यह विभाग विभिन्न विकासशील देशों में भारतीय विशेषज्ञों की नियुक्ति का कार्य भी देखता है । यह विभाग अखिल भारतीय और केन्द्रीय सेवाओं की प्रशिक्षण नीतियां बनाने और उनका समन्वय करने और राज्य सरकार के कर्मचारियों की क्षमता निर्माण का कार्य भी करता है ।
भर्ती अभिकरण
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) ऐसे दो संगठन हैं जिनके माध्यम से यह विभाग केन्द्र सरकार के कामकाज के लिए कार्मिकों की भर्ती सुनिश्चित करता है । संघ लोक सेवा आयोग, संविधान के प्रावधान के अंतर्गत गठित हुआ है तथा इसकी जिम्मेदारी, अखिल भारतीय सेवाओं में भर्ती के साथ-साथ, संघ सरकार के अधीन उच्चतर सिविल सेवाओं तथा सिविल पदों पर नियुक्ति हेतु परीक्षाएं संचालित करने की है । भर्ती की पद्धतियों, एक सेवा से दूसरी सेवा में पदोन्नतियां तथा स्थानांतरण किए जाने में अपनाए जाने वाले सिद्धांतों तथा अनुशासनिक मामलों से जुड़े सभी मसलों में आयोग से परामर्श किए जाने के अनिवार्य प्रावधान हैं । कर्मचारी चयन आयोग की जिम्मेदारी, सहायकों, आशुलिपिकों इत्यादि अधीनस्थ कर्मचारियों की भर्ती करने की है । संघ लोक सेवा आयोग का कार्यालय धौलपुर हाऊस, नई दिल्ली में तथा कर्मचारी चयन आयोग का कार्यालय सी.जी.ओ. कॉम्प्लेक्स, लोदी रोड, नई दिल्ली में अवस्थित है ।
प्रशिक्षण प्रभाग
प्रशिक्षण प्रभाग राष्ट्रीय प्रशिक्षण नीति, जो कि अप्रैल, 1996 में अंगीकार की गई थी, के कार्यान्वयन का समन्वय करने का कार्य देखता है । यह विभाग केन्द्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए विभिन्न श्रेणियों के कई विषयों पर कई प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन भी करता है । प्रशिक्षण प्रभाग राज्य सरकार के विभिन्न स्तर के कर्मचारियों के लिए विशेष पैकेज के अंतर्गत क्षमता निर्माण पहलों को विकसित करता है और इनका आयोजन करता है । प्रशिक्षण प्रभाग, राज्य सरकारी की प्रशिक्षण संस्थाओं की प्रशिक्षण आधारभूत संरचना को अद्यतन करने के लिए सहायता प्रदान करता है । यह प्रभाग प्रशिक्षण के विभिन्न कौशलों में क्षमतावान व्यक्तियों को प्रशिक्षक के रूप में विकसित करने का कार्य देखता है और प्रशिक्षकों का डाटा बेस तैयार करता है । यह प्रशिक्षण सामग्री तैयार किया जाना सुकर बनाता है और समग्र देश की प्रशिक्षण संस्थाओं के बीच समन्वय भी स्थापित करता है । प्रशिक्षण प्रभाग केन्द्रीय और राज्य सेवाओं के अधिकारियों के लिए लोक नीति पर देश के अग्रणी प्रबंध संस्थानों में कई दीर्घावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है । केन्द्र और राज्य सरकार के अधिकारियों के लिए, चयन के अलावा विदेश प्रशिक्षण योजना, प्रशिक्षण प्रभाग लागू की जाती है । भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए मध्य कॅरिअर प्रशिक्षण की एक अनिवार्य नई योजना भी प्रशिक्षण प्रभाग द्वारा लागू की जा रही है ।
इस विभाग के सीधे प्रशासनिक नियंत्रण में दो प्रमुख प्रशिक्षण संस्थाएं, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए), मसूरी एवं सचिवालय प्रशिक्षण और प्रबंध संस्थान (आई.एस.टी.एम.), नई दिल्ली है । पहली संस्था, मसूरी में स्थित अकादमी, मुख्यत: भारतीय प्रशासनिक सेवा तथा अन्य अखिल भारतीय सेवाओं और केन्द्रीय सेवाओं में भर्ती किए गए अधिकारियों को प्रवेशकालिक प्रशिक्षण सुलभ करवाने के लिए जिम्मेदार है । सचिवालय प्रशिक्षण और प्रबंध संस्थान, केन्द्रीय सचिवालय सेवा के सदस्यों के लिए जिम्मेदार है । सचिवालय प्रशिक्षण और प्रबंध संस्थान, केन्द्रीय सचिवालय सेवा के सदस्यों को प्रवेशकालीन प्रशिक्षण तथा सेवाकालीन प्रशिक्षण मुहैया करवाता है । भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली जो कि एक स्वायत्त संगठन है, को प्रशिक्षण प्रभाग द्वारा अंशकालिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ।
भारत सरकार के अधीन वरिष्ठ पदों पर नियुक्तियां
भारत सरकार के अधीन वरिष्ठ पदों पर नियुक्तियों के सभी प्रस्तावों की, जिनके सम्बन्ध में मंत्रिमण्डल की नियुक्ति समिति का अनुमोदन लिया जाना अपेक्षित होता है, जांच-पड़ताल और उन पर यथोचित कार्रवाई, मंत्रिमण्डल की नियुक्ति समिति के सचिव के रूप में कार्यरत स्थापना अधिकारी के माध्यम से की जाती है । इनमें, केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में बोर्ड स्तर की नियुक्तियां तथा मंत्रालयों/विभागों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और सचिवों की नियुक्तियां शामिल होती हैं । इसके अतिरिक्त, पदोन्नति द्वारा की जाने वाली ऐसी सभी नियुक्तियों के मामलों की जांच-पड़ताल भी स्थापना अधिकारी, जिसका कार्यालय नॉर्थ ब्लॉक में अवस्थित है, के माध्यम से की जाती है जिनके सम्बन्ध में मंत्रिमण्डल की नियुक्ति समिति का अनुमोदन लिया जाना अपेक्षित होता है ।
प्रशासनिक सतर्कता
कार्मिक प्रबंध का एक आवश्यक घटक है, नौकरशाही की व्यावसायिक आचार संहिता और मानकों को बनाए रखना । कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, लोक सेवाओं की सत्यनिष्ठा बनाए रखने और भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए सरकार की नीति का निर्धारण करता है और उस क्षेत्र में मंत्रालयों/विभागों के विभिन्न क्रियाक्लापों का समन्वय करता है । तथापि भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों और कार्यालयों की यह सीधी जिम्मेवारी है कि वे निवारक उपाय करके कर्मचारियों के बीच अनुशासन और सत्यनिष्ठा बनाए रखे और उनके कार्य के कार्यात्मक संचालनात्मक क्षेत्र में भ्रष्टाचार का उन्मूलन करे ।
केंद्रीय सतर्कता आयोग
केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा सभी सतर्कता मामलों पर सलाह प्रदान की जाती है । इसकी उन सभी मामलों में अधिकारिता और शक्तियां हैं जिनमें केन्द्रीय सरकार की कार्यकारी शक्तियां हैं । आयोग को संघ लोक सेवा आयोग की तरह स्वतंत्रता और स्वायत्ता प्राप्त है । आयोग का कार्यालय सतर्कता भवन, आई.एम.ए. कॉलोनी, नई दिल्ली में है ।
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो देश का अग्रिम अन्वेषण अभिकरण है और भष्टाचार की बढ़ती चुनौती को नियंत्रित करने और बैंकिंग, गैर-बैंकिंग तथा आर्थिक और अन्य परम्परागत अपराधों की एक बड़ी संख्या का अन्वेषण करने के लिए राष्ट्र प्रहरी है । इसके कार्यों में जुड़े नए कार्य हैं– आतंकवादी अपराधों और जानबूझकर किए गए सम्पत्ति-विध्वंस अथवा कला विध्वंस के अपराधों का अन्वेष्ण । राज्य सरकारों , उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय की सहमति से इस अभिकरण को मामले भेजे जाते हैं और इस सामान्य धारणा, कि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो अधिक सच्ची होती है, के कारण केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा जांच करवाए जाने की मांग बढ़ती जा रही है । केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो का मुख्यालय ब्लॉक संख्या-3, सी.जी.ओ. कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में है ।
संयुक्त परामर्शदायी तंत्र
ऐसे सेवा मामले जिनका प्रशासन और सरकारी कर्मचारियों के सामान्य हितों से सरोकार है, के सम्बन्ध में केन्द्र सरकार और इसके कर्मचारियों के बीच संयुक्त परामर्श के लिए एक सुसंरचित तंत्र है । यह त्रि-स्तरीय तंत्र है जिसमें राष्ट्रीय परिषद्, विभागीय कार्यालय परिषद् और श्रेत्रीय/कार्यालय परिषद् शामिल हैं । कर्मचारियों के हितों अथवा इसके विशिष्ट समूहों के हितों सम्बन्धी सेवा मामलों पर इस तंत्र द्वारा विचार किया जाता है ।
केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण
कार्मिक प्रबंधन को नियंत्रित करने वाले नियमों तथा विनियमों की विस्तृत व्यवस्था के बावजूद भी कुछ सरकारी कर्मचारी कभी-कभी सरकार के निर्णयों से व्यथित हो सकते हैं । इन मामलों का निपटान करने में न्यायालयों को कई वर्ष लग जाते थे और मुकद्दमेबाजी बहुत महंगी थी । सरकार के निर्णयों से व्यथित कर्मचारियों को शीघ्र और सस्ता न्याय मुहैया करवाने के प्रयोजन से, सरकार ने 1985 में केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण स्थापित किया था जो अब सेवा से सम्बन्धित ऐसे सभी मामलों पर विचार करता है जिन पर पहले उच्च न्यायालयों सहित उनके स्तर तक के न्यायालयों द्वारा कार्रवाई की जाती थी । केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण की दिल्ली में स्थित प्रधान न्यायपीठ सहित, अब इसकी 17 नियमित न्यायपीठें देश के विभिन्न भागों में कार्य कर रही हैं ।
कर्मचारी कल्याण
इस तथ्य के आलोक में कि कर्मचारियों के कामकाज की स्थिति तथा उनके और उनके परिवारों की रहन-सहन की स्थितियों में सुधार से उनकी कार्य कुशलता और उनका मनोबल बढ़ता है यह विभाग विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रमों को सहायता प्रदान करता है । यह सहायता विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के मनोरंजन कक्षों/क्लबों, दिल्ली से बाहर स्थित केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों की, केन्द्रीय सरकारी कर्मचारी-कल्याण-समन्वय-समितियों, आवासी-कल्याण-संघों (एसोसिएशनों)/क्षेत्र-कल्याण-अधिकारियों, हितकारी-निधि तथा विभागीय कैंटीनों के माध्यम से दी जाती है । कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों के कल्याण हेतु स्थापित चार पंजीकृत समितियों के सम्बन्ध में नोडल अभिकरण (एजेंसी) है । ये समितियां हैं – केन्द्रीय सिविल सेवा सांस्कृतिक और खेल-कूद बोर्ड, गृह-कल्याण-केन्द्र, केन्द्रीय भण्डार और सिविल सेवा अधिकारी संस्थान है । ये चारों समितियां दिल्ली में अवस्थित हैं ।
लोक उद्यम चयन बोर्ड
इस मंत्रालय के तीन विभागों के अतिरिक्त, लोक उद्यम चयन बोर्ड अगस्त, 1986 से कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के हिस्से के रूप में कार्य कर रहा है । लोक उद्यम चयन बोर्ड, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में उच्च प्रबंधकीय पदों के कार्मिकों के चयन और तैनाती का काम देखने वाला विशेषज्ञ निकाय है । बोर्ड का मूल रूप से 1974 में गठन किया गया था और इस उद्योग मंत्रालय (लोक उद्यम ब्यूरो) के प्रशासनिक नियंत्रण में रखा गया था । 1986 में बोर्ड का प्रशासनिक नियंत्रण, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को अंतरित कर दिया गया । इस बोर्ड में पूर्णकालिक अध्यक्ष और तीन सदस्य होते हैं । इस बोर्ड के सचिवालय का अध्यक्ष, सचिव के पदनाम से पदनामित होता है जो भारत सरकार के संयुक्त सचिव के रैंक का अधिकारी होता है । बोर्ड का कार्यालय तृतीय मंजिल, ब्लॉक-14, सी.जी.ओ. कॉम्प्लेक्स, लोदी रोड, नई दिल्ली में अवस्थित है ।
Good. Morning sir
D.m.jalore
To
Sir.help ग्राम पंचायत पर अतिक्रमण हटवाने हेतु मैंने जिला कलेक्टर साहब जालोर से लिखित रूप में पत्र लिखकर अवगत कराया मगर आज तक वहां पर अतिक्रमण ग्राम पंचायत का नहीं हटा karan पूछे जाने पर उन्होंने बताया आप ग्राम पंचायत का कार्य है पंचायत स्वयं करेगी मगर पंचायत का कार्य पूर्ण रुप से नहीं हो रहा है इसलिए हम जिला प्रशासन से निवेदन कर रहे हैं कि बावड़ी में ग्राम पंचायत में अतिक्रमण 95% हो चुका है सरकारी भूमि पर मगर प्रशासन पिछले कई 4 साल से यहां पर लापरवाही बरत रहा है अतिक्रमण नहीं माननीय जिला प्रशासन से निवेदन है कि जल्दी से जल्दी कार्रवाई करके यहां पर अतिक्रमण हटवाया जाए तहसीलदार साहब को भी लिखित रूप में एप्लीकेशन दिया हुआ है मगर ग्राम पंचायत भालनी में जगह जगह कचरे के ढेर गंदगी और अतिक्रमण की भरमार लगी हुई है इस पर प्रशासन अपनी लापरवाही बरत रहा है और कोई कार्य नहीं हो रहा है ना तो अतिक्रमण हटाया जा रहा है ना साफ सफाई हो रही है जिला प्रशासन अपनी राय पेश करें क्यों नहीं हो रहा है प्रशासनिक कार्य माननीय जिला कलेक्टर साहब से निवेदन है कि बंशीलाल बिश्नोई से संपर्क करें प्रशासन में होने वाली लापरवाही का जवाब देने का कष्ट करावे
माननीय जिला कलेक्टर साहब से निवेदन है कि ग्राम पंचायत भालनी में होने वाले अतिक्रमण को जल्द से जल्द हटवाया जाए कई बार जिला प्रशासन से लिखित रूप में दिए जाने के बाद भी ग्राम पंचायत भालनी में ना तो अतिक्रमण हटा है और ना ही पंचायत के आसपास गंदगी के ढेर हटे हैं माननीय जिलाधिकारी सब से निवेदन है कि ग्राम पंचायत भालनी में होने वाले प्रशासनिक लापरवाही पर कार्रवाई करें कहां की अपने ग्राम पंचायत को साफ सुथरा और सुंदर स्मार्ट विलेज बनाने में सहयोग करावे हम सभी ग्रामवासी मिलकर के आपका सहयोग करिए करेंगे ताकि प्रशासन इस पर अवश्य पहुंच कर हमारी प्रार्थना पत्र स्वीकार करें
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