जाइलम और फ्लोएम में अंतर
जटिल ऊतक (Complex Tissue):
एक ही प्रकार के विशेष कार्य करने वाले विभिन्न प्रकार के कोशिकाओं का समूह जटिल ऊतक कहलाता है। ये ऊतक विषमांगी (Heterogeneous) प्रकृति के होते है। ये ऊतक युग्मकोद्भिद (Gametophyte) में अनुपस्थित होते है।
इसे दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है:
जाइलम (Xylem)
फ्लोएम (Phloem)
जटिल ऊतक – जाइलम एवं फ्लोएम (Xylem And Phloem in Hindi)
A. जाइलम (Xylem):
Xylem शब्द नागेली द्वारा दिया गया था। यह पादप में पानी और खनिज के परिवहन का कार्य करता है। यह फ्लोएम (Phloem) के साथ मिलकर संवहन बंडलों (Vascular Bundle) का निर्माण करता है। इसमें दोनों मृदूतक (Parenchyma) और स्थुलकोणोतक (Collenchyma) कोशिकाएं पायी जाती हैं। अवयव के आधार पर जाइलम को प्राथमिक जाइलम (Primary xylem) और द्वितीयक जाइलम (Secondary xylem) में वर्गीकृत किया जा सकता है। प्राथमिक जाइलम पादप के शरीर की प्राथमिक वृद्धि (Primary growth) में उपस्थित होते है, और प्राक एधा (Procambium) की कोशिकाओं से उत्पन्न होता है। यह प्रोटोजाइलम (Protoxylem) और मेटाजाइलम (Metaxylem) में विभेदित होता है। पादप की द्वितीयक वृद्धि (Secondary growth) के कारण द्वितीयक जाइलम (Secondary Xylem) का निर्माण होता है।
यह चार घटकों से बना है –
(ए) वाहिनिकाएं (Tracheid)
(बी) वाहिकाएं (Vessels)
(सी) जाइलम तंतु (Xylem Fibres)
(डी) जाइलम मृदूतक (Xylem Parenchyma)
(ए) वाहिनिकाएं (tracheid):
वाहिनिकाएं (tracheid) पानी के परिवहन में मदद करती है। यह यांत्रिक सहारा (Mechanical Support) और लकड़ी का निर्माण भी करती है। ये लम्बी, संकीर्ण गुहा, तथा नुकीले सिरों वाली कोशिकाएँ है। इनकी कोशिका भित्ती में लिग्निन का जमाव होता है। कोशिका भित्ति में स्थूलन (thickening) वलयाकार (Annular), सर्पिल (Spiral), सोपानवत् (Scalariform), जालिकावत (Reticulate), या गर्ती (Pitted) प्रकार का हो सकता है। वाहिनिकाएं (tracheid) टेरिडोफाइट, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्मों में पाए जाते हैं। वाहिनिकाएं (tracheid) एक दूसरे के ऊपर जुड़कर लंबी पंक्ति बनाते हैं परन्तु आपस में क्रॉस भित्ति द्वारा अलग रहते है।
(बी) वाहिकाएं (Vessels):
ये लम्बी, चौड़े सिरे वाली, तथा चौड़ी अवकाशिका वाली बेलनाकार तत्व हैं। ये पानी के संवहन में पाइप लाइन की तरह कार्य करती है। इनकी कोशिका भित्ति पर लिग्निन का जमाव होता हैं, और जमाव या स्थूलन (thickening) वलयाकार, सर्पिल, सोपानवत या जालीदार हो सकता है। कोशिका भित्ती में कई परिवेशित गर्त (Boarded Pits) होते हैं। वाहिकाओं की अंत: भित्ती छिद्रित प्लेटों के रूप में पायी जाती है। वाहिकाएं (Vessels) कठोर लकड़ी या छिद्रित लकड़ी का निर्माण करती हैं। संकीर्ण अवकाशिका या गुहा वाली वाहिकाएं (Vessels) प्रोटो जाइलम में और चौड़ी अवकाशिका या गुहा वाली वाहिकाएं (Vessels) मेटा जाइलम में जाती है। वाहिकाएं (Vessels) पानी के परिवहन, पादप को यांत्रिक सहारा और लकड़ी का निर्माण का कार्य करती है।
आम तौर पर वाहिकाएं (Vessels) सभी एंजियोस्पर्म में पायी जाती हैं। लेकिन winteraceae, Tetracentraceae, Trochodendraceae कुल में नहीं पायी जाती और जिम्नोस्पर्म में यह अनुपस्थित होती है। लेकिन Gnetum, Welwitschia and Ephedra में पाया जाता है। Yucca, Dracaena, Dejineria, में वाहिकाएं (Vessels) अनुपस्थित होती हैं।
(सी) जाइलम तंतु (Xylem Fibres) Xylem:
ये जाइलम में पाए जाने वाली मृत दृढ़ोतक कोशिकाएँ है। ये लंबे, मोटी लिग्निन युक्त कोशिका भित्ती और नुकीले सिरों कोशिकाएँ हैं। इनकी मात्रा द्वितीयक जाइलम में अधिक होती है यह यांत्रिक सहारा प्रदान करती है।
(डी) जाइलम मृदूतक (Xylem Parenchyma):
यह जाइलम का जीवित घटक हैं। ये मृदूतकी, पतली कोशिका भित्ती वाली, अंडाकार या लम्बी कोशिकाएँ है, जो प्राथमिक और द्वितीयक जाइलम दोनों में पायी जाती हैं। यह मुख्य रूप से स्टार्च और वसा को संग्रहीत करने में मदद करता है। यह मज्जा किरणों के गठन करता है। जो पानी का उसके परिधीय भागो में यानी अरीय संवहन करता है
चार घटकों में से केवल xylem parenchyma जीवित है और बाकी सभी भाग मृत होते हैं।
जाइलम के कार्य:
वाहिनिकाएं (tracheid) तथा वाहिकाएं (Vessels) पादप की जड़ो से ऊपर पत्तियों की ओर पानी और खनिज के प्रवाह का कार्य करते हैं। ये क्रमशः नरम (Soft) और कठोर लकड़ी (Hard Wood) के निर्माण में मदद करते हैं।
जाइलम मृदूतक (Xylem Parenchyma) भोजन का संग्रहण करता है।
जाइलम तंतु (Xylem Fibres) यांत्रिक सहारा प्रदान करता है।
B. फ्लोएम (Phloem):
शब्द फ्लोएम (Phloem) नागेली द्वारा गया। यह स्थायी जीवित जटिल ऊतक है। इसके द्वारा पादप के विभिन्न भागों में पत्तियों से प्रकाश संश्लेषण उत्पाद का सूक्रोज के रूप में स्थानांतरण किया जाता है। इसे बास्ट या leptome भी कहा जाता हैं।
उद्भव के आधार पर फ्लोएम को प्राथमिक फ्लोएम और द्वितीयक फ्लोएम में बांटा जाता है प्राथमिक फ्लोएम प्राक एधा (Pro-cambium) से और द्वितीयक फ्लोएम संवहन एधा (Vascular Cambium) से होता है
विकास के आधार पर प्राथमिक फ्लोएम को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है, जिनको प्रोटोफ्लोएम व मेटाफ्लोएम कहते है। प्रोटोफ्लोएम में संकरी चालनी नलिका जबकि मेटाफ्लोएम में बड़ी चालनी नलिका होती है ।
Phloem चार घटकों से बना है-
(ए) चालनी नलिका (Sieve Tubes)
(बी) साथी कोशिकाएं (Companion Cells)
(सी) फ्लोएम मृदूतक (Phloem parenchyma)
(डी) फ्लोएम तंतु (Phloem Fibres)
(ए) चालनी नलिका (Sieve Tubes) :
ये लम्बी बेलनाकार एवं जीवित कोशिका है। जो नलिका की तरह दिखाई देती है। ये सेल्यूलोज की पतली भित्ती युक्त कोशिकाएँ है। परिपक्व चालनी नलिका (Sieve Tubes) में केन्द्रक अनुपस्थिति होता हैं, और जीवद्रव्य में बड़ी रिक्तिका पायी जाती है। जिम्नोस्पर्म में, चालनी नलिका (Sieve Tubes) के स्थान पर चालनी कोशिका (Sieve Cell) होती हैं। दो चालनी नलिका (Sieve Tubes) के बीच कई छिद्रित चलानी प्लेटें पायी जाती हैं।
सर्दियों के मौसम के दौरान एक पॉलिसैक्रेराइड पदार्थ जिसका नाम callose है, चालनी प्लेटों पर जमा हो जाता है। जिसे केलोज प्लग कहते है। ये केलोज प्लग भोजन के परिवहन को रोकते हैं। वसंत की वापसी पर, एंजाइम callase की मदद से केलोज प्लग का अपघटन हो जाता है। और भोजन का परिवहन फिर से शुरू हो जाता और पौधे के विकास की शुरुआत हो जाती हैं। callose β-1,3- glucan होता है
चालनी नलिका जीवित सिनसाइट जबकि वाहिनिकाएं मृत सिनसाइट है।
(बी) साथी कोशिका (Companion Cells):
ये लम्बी, संकीर्ण, पतली भित्ती वाली जीवित कोशिकाएँ होती है जो चलनी नलिका से जुड़ी हुई होती है। चालनी नलिका (Sieve Tubes) और साथी कोशिका गर्त के माध्यम से जुड़ी हुई होती हैं। जिम्नोस्पर्म में साथी कोशिकाओं की जगह एल्बुमिन्स कोशिकाएं / स्ट्रासबर्गर कोशिका पायी जाती हैं। साथी कोशिकाएं (Companion Cells) चालनी नलिकाओं (Sieve Tubes)के साथ भोजन के परिवहन में मदद करती हैं। साथी कोशिकाओं का केन्द्रक चालनी नलिकाओं (Sieve Tubes)के कार्य को नियंत्रित करता है। क्योंकि चालनी नलिकाओं (Sieve Tubes) में केन्द्रक नहीं पाया जाता। Austrobaileya एक एंजियोस्पर्म है, जिसमें साथी कोशिका नहीं पायी जाती।
(सी) फ्लोएम मृदूतक(Phloem Parenchyma):
यह लम्बी, नुकीले, जीवित, मृदूतकी कोशिका है। यह सभी एकबीजपत्री पादपो और द्विबीजपत्री रैननकुलस में अनुपस्थित होती है। बास्ट मृदूतक भी कहलाता हैं।
(डी) फ्लोएम तंतु(Phloem Fibres):
ये मृत लम्बी दृढ़ोतक कोशिकाएं हैं। जो लिग्निन के जमाव वाली, गर्त युक्त भित्ती वाले होते हैं। यह चालनी तत्वों (चालनी कोशिका व चालनी नलिका (Sieve Tubes)) को दृढ़ता प्रदान करता है। ये प्राथमिक में फ्लोएम (Phloem) अनुपस्थित और द्वितीयक फ्लोएम (Secondary Phloem) में पाये जाते हैं। यह यांत्रिक सहारा प्रदान करने का कार्य करता है।
चार घटकों में से केवल फ्लोएम तंतु मृत होता है और बाकी सभी जीवित होते हैं।
फ्लोएम (Phloem) के कार्य:
यह पादप के शीर्ष से आधार तक भोजन का स्थानांतरण करता है।
द्वितीयक फ्लोएम (Secondary Phloem) तंतु जैसे जूट तंतु आर्थिक मूल्य के हैं।
फ्लोएम मृदूतक (Phloem Parenchyma) रेजिन, लैटेक्स एवं म्युसिलेज आदि का संग्रहण करता है
फ्लोएम मृदूतक (Phloem Parenchyma) भोजन का अरीय संवहन करता है
Xylum floyam mein antar
जाइलम एवं फ्लोयम में अंतर स्पष्ट कीजिए
Yash
Primary tisuu
सहवनी ओर चालानी ऊतक में अंतर किया है।
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