सफेद मूसली के भाव 2017
हाँ। आज हम जानेंगे इस जडी बूटी के बारे में जो अनेक रोगों की एक दवा है सफेद मूसली जो एक आर्युवेदिक दवा है स्वास्थ्य की दृष्टि से इसके अनगिनत फायदे हैं। यह एक चमत्कारिक औषधि है। बहुत ही जानी-मानी हर्ब है। जिसे बहुत सी बीमारियों, मुख्यतः पुरुषों के यौन रोग (Male Diseases) के उपचार में प्रयोग किया जाता है इसका कोई साईड-इफैक्ट नहीं होता है। ये एक वाजीकरण (Aphrodisiac) दवा है जो कि इंडियन जिन्सेग या नेचुरल वियाग्रा के विकल्प के रूप में इस्तेमाल होता है सारी दुनिया में सफेद मूसली की बहुत मांग है।
मूसली मधुर रसावती वर्धक पुष्टिकारक उष्ण और स्वाद में कड़वी होती है।
यह एक उत्तम वाजीकारक औषधि है और एन्टि-आक्सीडेंट है। इसका सेवन शरीर में शक्तिन ऊर्जा और बल बढ़ाता है। यह मूसली कपसनतमजपब है और शुक्र धातु को पुष्ट करती है। यह इम्युनिटि बढ़ाती है इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं है।
जीवन के किसी पल में जब हो जाति है निराशा
सब सफेद मूसली दवा के रूप में जगाता है आशा।
स्त्रियों में इसका प्रयोग स्वेत-प्रदर leucorrhoea के ईलाज और दूध बढाने के लिये किया जाता है प्रसव समसयाओं में भी उपचारात्मक रूप से इसका प्रयोग होता है।
इसका प्रयोग- यौन रोग नपुंसकता, तनाव, गठिया, मधुमेह, दस्त पेचिश पेशाब में दर्द स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध बढ़ाने तथा प्उउनदपजल बढ़ाने के टॉनिक और बाड़ी बिल्डिंग में भी उपयोग होता है। संधिशोध मधुमेह, बवासीर, और रजोनिवृत्ति में भी लाभ पहुंचाता है।
यह है अनेक रोगों की एक चमत्कारिक दवा जिससे हो जाता है रोग दफा।
बीज सम्बन्धित-एक एकड़ में 400 से 500 किलो मूसली के बीज की खेती की जाती है।
इस खेत में अगर आप को 500 kg high quality वाली मूसली निकले तो इसका बाजार में करीब 5 लाख रूप कीमत मिलती है और लागत करीब 2 लाख से 2.50 लाख तक आती है यानी ये काफी मुनाफे का सौदा है। और काम की बात ये है कि सरकार आज कल ओषधिय पौधों की तरफ काफी ध्यान दे रही है क्योंकि वो किसानों की आर्थिक हालत सुधारना चाहुती है।
खेत सम्बन्धि जानकारी-
एक एकड़ भूमि में 400 से 500 Kg मूसली के बीज की खेती की जा सकती है।
यह कदं युक्त पौधा है जिसकी उचाई डेढ फीट तक होती है। वेसे तो सफेद मूसली की अनेक प्रजातियां पायी जाती है परन्तु व्यवसायिक रूप से क्लोरीफाइटम, बीरिमिलियम व्यवसायिक ख्ेती के लिये बहुत लाभकारी है।
प्रश्न: सफेद मूसली को लगाने का समय, विधि एवं तैयारी की जानकारी
उत्तर: सफेद मूसली एक कंद युक्त पौधा होता है, जिसकी अधिकतम ऊँचाई डेढ़ फीट तक होती है इसके कंद जिसे फिंगर्स भी कहते हैं लगभग 10-12 इंच तक होता है। वैसे तो सफेद मूसली की कई प्रजातियाँ पायी जाती है परन्तु व्यवसायिक रूप से क्लोरोफाइटम बोरिभिलियम व्यवसायिक खेती के लिए/कंद के लिए बहुत ही लाभप्रद है।
प्रजातियाँ-
क्लोरिफाइटम, टयूवरोजम, अरुन्डीशियम, एटेनुएटम एवं क्लोरीफाइटम वोरिविलिएनम इत्यादि।
खेती पानी और खाद-
इस फसल की बुआई जून-जुलाई महीने के 1-2 सप्ताह में की जाती है जिसका कारण इन महीनों में प्राकृतिक वर्षा होती है अतः सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती। परन्तु वर्षा के बाद 10 दिनों में एक बार पानी देना उपयुक्त रहता है। ध्यान रखें पानी खेतों में रूकना नहीं चाहिए।
सफेद मूसली 3 से 4 महीने में तैयार होने वाली फसल है जिसे मानसून में लगा कर दिसंबर जनुअरी में खोद लिया जाता है। अच्छी खेती के लिये गर्मी में गहरी जुताई करनी चाहिये इसके लिये रेतीली और दौमट मिट्टी लेनी चाहिए उत्तम प्रकार के बीज ले उसका उपचार रासायनिक या जैविक विधि से करे। रायायनिक में विस्टिन का घौल और जैविक में पानी और गो मूत्र का 1 से 10 की मात्रा का मिश्रण बना कर इसमें 2 घंटे बीज को डाल कर छोड़ दे।
सफेद मूसली उगाते वक्त जमीन में गड्ढे बना दे। गड्ढे की गहराई उतनी होनी चाहिये जितनी बीजों की लम्बाई हो, बीजों का रोपण इन गड्ढों में कर ऊपर से हल्की मिट्टी डाल कर भर दे, ध्यान रखे कि बीज की दूरी 15 C.M. होनी चाहिए।
प्रश्न: सफेद मूसली की खेती में पानी एवं खाद की क्या जरूरत पड़ती है?
उत्तर: इस फसल की बुआई जून-जुलाई माह के 1-2 सप्ताह में की जाती है, जिसका कारण इन महीनों में प्राकृतिक वर्षा होती है अत: सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं होती है। परन्तु वर्षा के उपरांत प्रत्येक 10 दिनों के अंतराल पर पानी देना उपयुक्त होता है। सिंचाई हल्की एवं छिड़काव विधि हो तो अति उत्तम है। किसी भी परिस्थिति में खेत में पानी रुकना नहीं चाहिए।
खाद के लिए 30 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर दें। रासायनिक खाद न डालें तो अच्छा है परन्तु कंद वाली फसलों के लिए हड्डी की खाद 60 किलो/हेक्टेयर उपयुक्त होती है। मिट्टी में सॉयल कंडीसनर (माइसिमिल) डालना लाभप्रद होता है। यह दवा हिन्दुस्तान एंटी बाएटीक कम्पनी बनाती है।
सुविधा के लिए खेत में 10 मीटर लम्बे 1 मीटर चौड़े तथा 20 सें.मी. ऊँचे बेड लेते हैं। बेड से बेड की दूरी 50 सें.मी. रखते हैं। बेड के अंदर 30 सें.मी. की दूरी पर 10 मि. लम्बे एवं 20 सें.मी. ऊँचे रीज पर चिन्ह बनाते हैं। इस प्रकार 5-10 ग्राम वजन के क्राउन युक्त फिंगर्स 15-20 सें.मी. की दूरी पर लगा देते हैं। इस प्रकार प्रति एकड़ 4 क्विंटल या प्रति हेक्टेयर 10 क्विंटल फिग्रर्स/बीज की जरूरत पड़ती है। रोपने से पहले फिग्रर्स को दो मिनट के लिए बेवेस्टिन के घोल में रखते हैं। फिग्रर्स को तीन से चार इंच की गहराई में लगाना चाहिए।
सफेद मूसली के प्रकार-
यू तो सफेद मुसली की कई किस्म पाए जाते हैं परन्तु भारत में इसके कुछ ही किस्म की ख्ेती की जाती है। भारत में पाए जाने वाली सफेद मुसली के प्रकार- RC-5, RC-15, CTI-1, CTI-2, CTI-17 तथा उत्पादन और गुणवत्ता की दृष्टि से एमडीबी 13 एवं एमडीबी 14 कि किस्म भी बहुत अच्छी है, इस किस्म का छिलका उतारना आसान है।
कटाई का समय-
जब ये फरवरी मार्च में हल्का भूरा हो जाता है तब इसे निकाले और छिलका उतार कर धूप में अच्छी तरह से सुखाएँ और जब सुख जाए तब पैक करके बाजार में बेचें। एक एकड़ में लगभग 500 kg मूसली निकलती है तो उसकी कीमत मार्किट में बहुत अच्छी मिलती है।
लाभ पाना है अच्छा तो ना कर अनदेखी
सफेद मुसली कि कर खेती कर खेती।
सफेद मूसली को गुणवत्ता के अनुसार तीन श्रेणी में रखा गया है-
‘अ’ श्रेणी- ये देखने में मोटी सफेद और कड़क होती है। अगर हम इसे दाँतों से चबाये तो दाँतों पर चिपकती है। बाजार में हमें इसका मूल्य 1000-1500 रु. प्रति किलो तक मिल सकता है।
‘ब’ श्रेणी- यह मूसली अ श्रेणी से कुछ हल्की होती है। इसका मूल्य बाजार में 700-800 प्रति किलो मिल जाता है।
‘स’ श्रेणी-इस श्रेणी की मूसली साईज में काफी छोटी तथा पतली एवं भूरे व काले रंग की होती है। बाजार में इस श्रेणी की मूसली की औसतन दर 200-300 रु. प्रति किलो ग्राम तक होती है।
और अन्त में सब बातों का ये ही निष्कर्ष है ये किसान भाईयों के लिये फायदे का ही सौदा है। क्योंकि ये एक चिर परिचित बूटी है जो कि सारा साल बिकने वाली वस्तु है इसकी खरीद अपने देश में ही नहीं दूसरे देश में भी की जाती है।
प्रश्न: मूसली के उत्पादन एवं खेती से अनुमानित लाभ क्या हो सकता है?
उत्तर: प्राय: प्रति एकड़ क्षेत्र में 80,000 पौधे मूसली के लगाये जाते हैं तो 70,000 अच्छे पौधे के रूप में तैयार होते हैं। एक पौधे में औसत 25-50 ग्राम कंद प्राप्त होता है। लगभग 18-20 क्विंटल/एकड़ तक कंद प्राप्त होते हैं एवं सूखकर लगभग 4 क्विंटल/एकड़ सूखी कंद प्राप्त होती है। अनुमानित 4-5 महीने के फसल से 1 से 1 ½ लाख रुपया नगद आमदनी हो सकती है।
अनुमानित खर्च प्रति एकड़ 1 ½ - 2 लाख
सूखी जड़ 1,000 रु. प्रति किलो के हिसाब से 4 क्विंटल
1,000 x 400 किलो 4 लाख
Achihkoaltee ki Safeadmosli kanhan meleage kheat mea bona hi jankare dea
आप यहाँ पर gk, question answers, general knowledge, सामान्य ज्ञान, questions in hindi, notes in hindi, pdf in hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं।
नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें
Culture
Current affairs
International Relations
Security and Defence
Social Issues
English Antonyms
English Language
English Related Words
English Vocabulary
Ethics and Values
Geography
Geography - india
Geography -physical
Geography-world
River
Gk
GK in Hindi (Samanya Gyan)
Hindi language
History
History - ancient
History - medieval
History - modern
History-world
Age
Aptitude- Ratio
Aptitude-hindi
Aptitude-Number System
Aptitude-speed and distance
Aptitude-Time and works
Area
Art and Culture
Average
Decimal
Geometry
Interest
L.C.M.and H.C.F
Mixture
Number systems
Partnership
Percentage
Pipe and Tanki
Profit and loss
Ratio
Series
Simplification
Time and distance
Train
Trigonometry
Volume
Work and time
Biology
Chemistry
Science
Science and Technology
Chattishgarh
Delhi
Gujarat
Haryana
Jharkhand
Jharkhand GK
Madhya Pradesh
Maharashtra
Rajasthan
States
Uttar Pradesh
Uttarakhand
Bihar
Computer Knowledge
Economy
Indian culture
Physics
Polity
इस टॉपिक पर कोई भी जवाब प्राप्त नहीं हुए हैं क्योंकि यह हाल ही में जोड़ा गया है। आप इस पर कमेन्ट कर चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं।