सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका
GkExams on 13-11-2018
शिक्षा का समाज पर प्रभाव
समाज शिक्षा के प्रत्येक पक्ष को प्रभावित करता है तो ठीक उसी प्रकार शिक्षा भी समाज को प्रत्येक पक्ष पर प्रभावित करती है, चाहे आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक स्वरूप हो। इस पर हम बिन्दुवार आगे कुछ विस्तार से देखेंगे-
1. शिक्षा व समाज का स्वरूप -
शिक्षा का प्रारूप समाज के स्वरूप् को बदल देती है क्योंकि शिक्षा परिवर्तन का साधन है। समाज प्राचीनकाल से आत तक निरन्तर विकसित एवं परिवर्तित होता चला आ रहा है क्येांकि जैसे-जैसे शिक्षा का प्रचार-प्रसार होता गया इसने समाज में व्यक्तियों के प्रस्थिति, दृष्टिकोण , रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाजों पर असर डाला और इससे सम्पूर्ण समाज का स्वरूप बदला।
2. शिक्षा व सामाजिक सुधार एवं प्रगति -
शिक्षा समाज के व्यक्तियों को इस योग्य बनाती है कि वह समाज में व्याप्त समस्याओं, कुरीतियों गलत परम्पराओं के प्रति सचेत होकर उसकी आलोचना करते है, और धीरे-धीरे समाज में परिवर्तन हेाता जाता है। शिक्षा समाज के प्रति लेागों को जागरूक बनाते हुये उसमें प्रगति का आधार बनाती है। जैसे शिक्षा पूर्व में वर्ग विशेष का अधिकार थी जिससे कि समाज का रूप व स्तर अलग तरीके का या अत्यधिक धार्मिक कट्टरता, रूढिवादिता एवं भेदभाव या कालान्तर में शिक्षा समाज के सभी वर्गों के लिये अनिवार्य बनी जिससे कि स्वतंत्रता के पश्चात् सामाजिक प्रगति एवं सुधार स्पष्ट परिलक्षित हो रहा है। डयूवी ने लिखा है कि- शिक्षा में अनिश्चितता और अल्पतम साधनों द्वारा सामाजिक और संस्थागत उद्देश्यों के साथ-साथ, समाज के कल्याण, प्रगति और सुधार में रूचि का दूषित होना पाया जाता है।3. शिक्षा और सामाजिक नियंत्रण -
शिक्षा समाज का स्वरूप बदलकर उस पर नियंत्रण भी करती है अभिप्राय यह है कि व्यक्ति का दृष्टिकोण एवं उसके क्रियाकलाप समाज को गतिशील रखते हैं। शिक्षा व्यक्ति के दृष्टिकोण में परिवर्तन कर उसके क्रियाकलापों में परिवर्तन कर समूह मन का निर्माण करती है और इससे अत्यव्यवस्था दूर कर उपयुक्त सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करती है।4. शिक्षा और सामाजिक परिवर्तन -
समाज की रचना मनुष्य ने की है, और समाज का आधार मानव क्रिया है ये- अन्त: क्रिया सदैव चलती रहेगी और शिक्षा की क्रिया के अन्तर्गत होती है इसीलिये शिक्षा व्यवस्था जहां समाज से प्रभावित हेाती है वहीं समाज को परिवर्तित भी करती है जैसे कि स्वतंत्रता के पश्चात् सबके लिये शिक्षा एवं समानता के लिये शिक्षा हमारे मुख्य लक्ष्य रहे हैं इससे शिक्षा का प्रचार-प्रसार हुआ और समाज का पुराना ढांचा परिवर्तन होने लगा। आध्यात्मिक मूल्यों के स्थान पर भौतिक मूल्य अधिक लोकप्रिय हुआ। सादा जीवन उच्च विचार से अब हर वर्ग अपनी इच्छाओं के अनुरूप जीना चाहता है। शिक्षा ने जातिगत व लैंगिक असमानता को काफी हद तक दूर करने काप्रयास किया। और ग्रामीण समाज अब शहरी समाजों में बदलने लगे और सामूहिक परिवारों का चलन कम हो रहा है। शिक्षा के द्वारा सामाजिक परिवर्तन और इसके द्वारा शिक्षा पर प्रभाव दोनों ही तथ्य अपने स्थान पर स्पष्ट है।
सैयदेन ने इस बात को और स्पष्ट करते हुये लिखा है कि- इस समय भारत में शिक्षा बहुत नाजुक पर रोचक अवस्था में से होकर गुजर रही है, यह स्वाभाविक है क्योंकि समग्र रूप में राष्ट्रीय जीवन भी जिसका शिक्षा भी अनिवार्य अंग है, ऐसी ही अवस्था में से होकर गुजर हरा है।
शिक्षा का समाज में स्थान
वैंकटरायप्पा ने शिक्षा व समाज के सम्बंध को स्पष्ट करते हुये लिखा है- ‘‘शिक्षा समाज के बालकों का समाजीकरण करके उसकी सेवा करती है। इसका उद्द्देश्य - युवकों को सामाजिक मूल्यों विश्वासों और समाज के प्रतिमानो को आत्मासात करने के लिये तैयार करना और उनको समाज की क्रियाओं में भाग लेने के योग्य बनाना है।’’ शिक्षा व्यक्ति व समाज के लिये यह कार्य करती है।
- शिक्षा - व्यक्ति व समाज की प्रक्रिया का आधार - शिक्षा को चाहे व्यक्तित्व के विकास की प्रक्रिया कहें या सामाजिक प्रक्रिया इन दोनों में वह व्यक्ति व समाज से सम
्बंध स्थापित करती है। शिक्षा समाज को गतिशील बनाती है, और विकास का आधार प्रदान करती है। - समाज के व्यक्तियों का व्यक्तित्व विकास - शिक्षा द्वारा व्यक्तित्व का विकास होता है। व्यक्तित्व के विकास से तात्पर्य शारीरिक, चारित्रिक, नैतिक और बौद्धिक गुणों के विकास के साथ सामाजिक गुणों का विकास होना। विकसित व्यक्तित्व का बाहुल्य समाज की प्रगति का आधार बनता है। व्यक्ति को निर्जीव मानकर समाज उसका उपयोग नहीं कर सकता।
- संस्कृति व सभ्यता के हस्तांतरण की प्रक्रिया - शिक्षा समाज की संस्कृति एवं सभ्यता के हस्तांतरण का आधार बनती है। शिक्षा के इस कार्य के विषय में ओटवे महोदय ने लिखा है कि - ‘‘शिक्षा का कार्य समाज के सांस्कृतिक मूल्यों और व्यवहार के प्रतिमानों को अपने तरूण और शक्तिशाली सदस्यों को प्रदान करना है। पर असल में यह उसके साधारण कार्यो में से एक है।’’ शिक्षा के इस कार्य पर टायलर ने लिखा है कि ‘‘संस्कृति वह जटिल समग्रता है, जिसमें ज्ञान विश्वास, कला, नैतिकता, प्रथा तथा अन्य योग्यतायें और आदतें सम्मिलित होती है, जिनको मनुष्य समाज के सदस्य के रूप शिक्षा से प्राप्त करता है।’’ महात्मा गांधी ने शिक्षा के इस कार्य की आवश्यकता एवं प्रशंसा करते हुये लिखा है - ‘‘संस्कृति ही मानव जीवन की आधार शिला और मुख्य वस्तु है यह आपके आचरण और व्यक्तिगत व्यवहार की छोटी सी छोटी बातों में व्यक्त होनी चाहिये।’’
- शिक्षा सामाजिक प्रक्रिया के अंग के रूप में - रासे के के अनुसार - ‘‘शिक्षा एक आधारभूत सामाजिक कार्य और सामाजिक प्रक्रिया का अंग है।’’ ओटवे ने शिक्षा को सामाजिक विज्ञान का रूप देते हुये स्पष्ट किया है- ‘‘शिक्षा समाज में होने वाली क्रिया है और इसके उद्देश्य एवं विधियां उस समाज के स्वरूप के रूप के अनुरूप होती है, जिनमें इसकी क्रिया होती है।’’
- भावी पीढ़ी के प्रशिक्षण- में शिक्षा समाज को प्रशिक्षित भावी पीढी़ प्रदान करती है, जो कि समाज का भविष्य हेाते हैं। ब्राउन लिखते है कि- ‘‘शिक्षा व्यक्ति व समूह के व्यवहार में परिवर्तन लाती है, यह चैतन्य रूप में एक नियंत्रित प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति के व्यवहार में और व्यक्ति द्वारा समूह में परिवर्तन किये जाते हैं। शिक्षा समाज को सभ्य एवं सुसंस्कृत पीढ़ी प्रदान करती है।’’
- शिक्षा समाज की प्रगति का आधार - शिक्षा समाज के लिये वह साधन है, जिसके द्वारा समाज के मनुष्यों के विचारों, आदर्शों, आदतों और दृष्टिकोण में परिवर्तन कर समाज की प्रगति की जाती है। एलवुड ने स्पष्ट किया है - ‘‘शिक्षा वह साधन है जिसमें समाज सब प्रकार की महत्वपूर्ण सामाजिक प्रगति की आशा कर सकता है।’’
- समाज में परिर्वतन का आधार - समाज का स्वरूप एवं प्रस्थिति में निरन्तर बदलाव की ओर अग्रसर होता है, और यह आवश्यक भी नही है, कि यह व्यक्ति और समाज के लिये हितकर हेा इसमें शिक्षा इस बदलाव एवं व्यक्ति व समाज के मध्य सम्बधं स्थापित करते हुये सामंजस्य बैठाती है। एलवुड ने स्पष्ट किया है- ‘‘समाज का सर्वोत्तम परिवर्तन मानव के स्वभाव में परिवर्तन कर किया जा सकता है और ऐसा करने की सर्वोत्तम विधि शिक्षा द्वारा ही सम्भव है।’’
- शिक्षा के द्वारा समाज की स्थिरता - शिक्षा समाज के मानव संसाधन को सुसंस्कृत बनाकर अपने व समाज के लिये उपयोग बनाती है। ओर्शिया ने इस तथ्य को स्पष्ट करते हुये कहा है कि ‘‘समाज की शिक्षा व्यवस्था व्यक्तियों का मानसिक, व्यावसायिक, राजनीतिक और कलात्मक विकास करके न केवल समाज के अधोपतन की रक्षा करती है, वरन उसको स्थिरता भी प्रदान करती है।’’
- सामाजिक दोषो के सुधार का आधार - शिक्षा में नैतिकता चारित्रिक एवं दार्शनिक पक्ष की प्रधानता हेाती है और शिक्षा अपनी व्यवस्था में भावी पीढ़ी को समाज में व्याप्त दोषों को इंगित कर उनमें सुधार हेतु समझ एवं मार्ग प्रदान करती है।
- समाज की सदस्यता की तैयारी का आधार - शिक्षा व्यक्ति को अपने व समाज के लिये उपयोगी बनाती है, प्रारम्भ में बालक परिवार का सदस्य होता है और उन्हें सामाजिक कर्तव्यों एवं नागरिकता के गुणों को विकसित कर उन्हें समाज के भावी सदस्य के रूप में तैयार करती है।
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Comments
Laxmi kasera on 24-11-2023
समाज में शिक्षा की दृष्टि की विवेचना कीजिए
।
Samina on 17-10-2023
1- Sarkar ka gyan k prati uttardayitva ?
2- Samaj ki pratyek ikai dwara gyan ka pradattikaran ?
Nishi nag on 13-05-2023
सामाजिक परिवर्तन के संबंध के लिए शिक्षा किस प्रकार सहायक है?
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Anamika on 28-12-2022
Samajik Parivartan Parivartan mein Shiksha ki bhumika kya hai iske niraakaran ka iska niraakaran kaise kar sakte hain
Shilpi tripathi on 12-12-2022
शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का साधन है । इस कथन की विवेचना कीजिएॽ
Ashish kanasiya on 08-11-2022
सामाजिक परिवर्तन मै शिक्षा की भूमिका स्पस्ट कीजिये
Ashish kansiya on 08-11-2022
Samajik parivartan me sikhsa ki bhumika spast kijiye
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Banti on 23-09-2022
Bharat ke Gramin kshetron Mein Urja Prapti ke parivartit Swaroop ka ullekh karo
Shivani on 05-05-2022
Describe the of education in social welfare
Alka soni on 27-04-2022
Bhart me jaati vayvastha ko bdalne me shikcha ki bhumika?
शुभम on 16-04-2022
शिक्षा का योगदान वेश्विकरण और आधुनिकीकरण
Sandhya on 08-02-2022
Samaj mein samajik Parivartan Shiksha ko prabhav kaise prabhavit karte hain
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Shikha dwived on 19-11-2021
Samajik samanjas mein Shiksha ki bhumika kya hai
SP on 07-11-2021
सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका क्या है
Tanu sardar on 05-09-2021
Meri shiksha ka nabintam upakkaram
Arvi on 23-07-2021
Samajik parivartan ko ek upkaran ke roopsiksha ki vivechana
Arvi on 23-07-2021
Samajik parivartan ko ek upkaran ke roop me siksha ki vivechana kre
Vandana bhashant on 30-04-2021
Sikhsa me samajik privartan ke abhikrta ke rup me kis prakar karya krti Hai
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Jyoti bharti on 26-03-2021
Shikshakon Ki Seva Kalian PrashikshanSe aap kya samajhte hain is main sudhar Hetu upay bataiye
Gulshan Singh on 25-03-2021
4. बताइए कि सामाजिक परिवर्तन लाने में शिक्षा कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
ज्ओम on 18-01-2021
भारत मे सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका का विस्तृत वर्णन कीजिए?
PRAGATI kumari on 14-09-2020
Samajik Parivartan Mein Shiksha ki Bhumika likhiye Hindi mein
Jyoti on 01-03-2020
Samajik parivartan me shikcha ki bhumika btaiye
Neha sahu on 27-02-2020
सामाजिक परिवतन मे शिक्षा कि भूमिका
Mamta on 17-08-2018
Vartman shiksha parnali samajik uthan me sahak hai
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