नरसिम्हन समिति की सिफारिशों
नरसिम्हन समिति रिपोर्ट ने भारत के बैंकिंग क्षेत्र में व्यापक सुधार के सुझाव दिये। इनमें एसअलआर एवं सीआरआर तथा लेखांकन स्तर में कटौती, आय निर्धारण के प्रावधान, पूंजी पर्याप्तता का प्रावधान आदि शामिल हैं।
बैंकिंग क्षेत्र में व्यापक स्तर पर बदलाव की दिशा में कदम उठाते हुए नरेंद्र मोदी सरकार चरणबद्घ तरीके से सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों का निजीकरण करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। वरिष्ठï सरकारी सूत्रों ने बताया कि करीब दो साल बाद बैंक इन्वेस्टमेंट कंपनी (बीआईसी) के गठन का प्रस्ताव है और यह कंपनी इस दिशा में सरकार का पहला कदम होगी। बीआईसी प्रस्तावित बैंक बोर्ड ब्यूरो की जगह लेगी और इसके लिए विधायिका स्तर पर ढेर सारे संशोधनों की दरकार होगी। इसके लिए सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी न्यूनतम हिस्सेदारी 51 फीसदी से घटाकर 33 फीसदी तक ला सकती है, जिसकी सिफारिश 1998 में एम नरसिम्हन समिति ने भी की थी।
नाम नहीं छापने की शर्त पर सरकार के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बताया, हां सुधार कार्यक्रम में निजीकरण शामिल है वरना हम बीआईसी की बात ही नहीं करते। बीआईसी के गठन के लिए सरकार को बैंक राष्टï्रीयकरण अधिनियम, 1970 और 1980, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम और भारतीय स्टेट बैंक (सहायक बैंक) अधिनियम में संशोधन करने होंगे। इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को भी कंपनी अधिनियम के दायरे में लाना होगा।
अधिकारी ने कहा, बीआईसी के लिए अधिनियमों में संशोधन की दरकार होगी और इससे हमें चरणबद्घ ढंग से बैंकों के निजीकरण का मौका मिलेगा, जहां बीआईसी पर हमारा नियंत्रण होगा लेकिन जरूरी नहीं कि बीआईसी के पास बैंकों में 51 फीसदी हिस्सेदारी रहे, इसे घटाकर 33 फीसदी भी किया जा सकता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने करीब दो हफ्ते पहले ही सरकारी बैंकों में सुधार के लिए सात सूत्रीय कार्यक्रम इंद्रधनुष पेश किया था। इसमें बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) का गठन भी शामिल है। 1 अप्रैल 2016 से काम शुरू करने वाला ब्यूरो असल में बीआईसी के गठन तक अंतरिम व्यवस्था के रूप में चलेगा। वह सार्वजनिक बैंकों के प्रमुखों का चयन करेगा और उन्हें पूंजी जुटाने की रणनीति जैसे नवोन्मेषी वित्तीय प्रक्रियाएं और योजनाएं विकसित करने में भी मदद करेगा। सरकारी बैंकों के लिए होल्डिंग कंपनी का विचार पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने 2012 के अपने बजट भाषण में दिया था। वित्तीय सेवा विभाग के सचिव हसमुख अधिया ने कहा था कि बीआईसी का गठन सुधारों का दूसरा चरण होगा।
राष्टï्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की पिछली सरकार के कार्यकाल में भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर एम नरसिम्हन की सिफारिशों को तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने स्वीकार किया था। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के ही एक धड़े ने सिफारिशों का विरोध किया और सरकार उन पर आगे नहीं बढ़ सकी। सिफारिशों में कहा गया था कि सार्वजनिक बैंकों में सरकार की न्यूनतम हिस्सेदारी 51 फीसदी से घटाकर 33 फीसदी करने पर उन्हें न्यूनतम पूंजी की जरूरत पूरी करने में मदद मिलेगी। पी जे नायक समिति ने भी पिछले साल सरकार को सार्वजनिक बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी घटाकर 50 फीसदी से कम करने की सिफारिश की थी। अधिकारी ने बताया, इस तरह हम बैंकों का निजीकरण करेंगे।
What is differenece narshimham committee and narsimhan committee
Narsiman sbmiti second 1998 ki sifarise
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