हम समाज का अध्ययन किस प्रकार करते हैं
समाज के अध्ययन की पद्धतियाँ समाज के अध्ययन की निम्नलिखित पद्धतियों पर प्रकाश डालते है।
(प) ऐतिहासिक पद्धति समाज के अध्ययन के लिए इतिहास का बहुत महत्व है। इतिहास मनुष्य के अतीत की क्रमबद्ध जानकारी देता है। वह मनुष्य के अतीत के सामाजिक जीवन में आए बदलाव को दर्शा ता है। यह ये बताता है किन-किन परिवर्तनों के बाद वह वर्तमान रूप तक पहुँचा है। अनेक परम्पराएं संस्थाएं पुरातन काल में चलन में थी लेकिन अब ज्यादातर लुप्त हो गई है उनकी जगह नई परम्पराओं ने ले ली है। यह क्यों हुआ किस कारण इनका पतन हुआ इसका उत्तर इतिहास के पन्ने पलटने से हमें मिलेगा। इसलिए इसे सामाजिक विज्ञान की प्रयोगशाला कहते है, इसमें परिक्षण का निष्कर्ष निकाला जाता है। सामाजिक विज्ञान की तरह सामाजिक अध्ययन भी अपने अध्ययन के लिए इतिहास द्वारा प्राप्त की हुई जानकारी का उपयोग करता है। महाभारत में इतिहास को एक दीप के रूप में कहा गया है। जिस तरह दीप के प्रकाश में सफेद वस्तु सफेद और काली वस्तु काली दिखती है और हमे सब कुछ साफ नजर आता है उसी तरह इतिहास से हमे सभी विषयों को जैसे है वैसा दिखाकर यथार्थ रूप का ज्ञान हमें होता हैं तथा मानव समाज के सभी पहलू हमारे सामने लाता है। जिससे हम समाज की समस्याओं का अध्ययन कर समाज का विकास का कार्य आसानी से कर सकते है। रसायन शास्त्र के अध्ययन में परखनली बहुत महत्वपूर्ण है। उसी तरह सामाजिक अध्ययन में इतिहास, आत्म-चरित्र और जीवन-चरित्रों का स्थान है। सामाजिक अध्ययन के अध्ययन का इतिहास आत्म-चरित्र और जीवन चरित्र के बिना अधूरा है। विभिन्न विद्वानों ने ऐतिहासिक पद्धति को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है। फ्रीमैन के अनुसार ’ ’ भूतकाल की राजनीति का नाम ही इतिहास है, और वर्तमान इतिहास को ही राजनीति कहते है।’ ’ समाजशास्त्र पर भी यह लागू होता है।’ ’ हावर्ड ने ’ ’ समाजशास्त्र को वर्तमान इतिहास की संज्ञा दी है’ ’ किंतु समाजशास्त्र के लिए ऐतिहासिक पद्धति के प्रयोग में बहुत सावधानी की आवश्यकता होती है क्योकि वर्तमान समय में घटित हुई घटना का विवरण अलग-अलग समाचार पत्रों के समाचार में अंतर होता है। सब अपने विचार व्यक्त करते है तो भूतकाल की घटनाओं को प्रकट करने में गलती होने की संभावना अधिक हो जाती है इसके लिए आवश्यक है कि उन घटनाओं का अध्ययन ध्यान पूर्ण हो और अपने निजी राय को अलग रखकर कार्य करे और कार्य अनुशासन से हो।
(ii) वैज्ञानिक पद्धति अध्ययन एक विज्ञान है। जिसमें वैज्ञानिक, क्रमबद्ध विधियों का उपयोग किया जाता है इनका उपयोग करने में अनेक कठिनाईयाँ आती है जो निम्नलिखित है।
1. रसायन शास्त्र, भौतिक शास्त्र, विज्ञान आदि के प्रयोग के लिए हम प्रयोगशाला, अनुसंधान सामग्री आदि सामग्री का उपयोग करते है लेकिन समाजशास्त्र के पर्यवेक्षण करने के लिए किसी भी प्रकार का साधन उपलब्ध नहीं होता है। इसके लिए न कोई प्रयोगशाला बना सकते है और न ही कोई उपकरण का उपयोग कर सकते है जहाँ इच्छा अनुसार प्रयोग किया जा सकता है।
2. मनुष्य एक जीवित प्राणी है पौधा या पदार्थ नहीं मनुष्य अपनी बुद्धि से निर्णय लेकर और विचारों के आधार पर अपनी संस्थाएं या सामाजिक संबंधो में परिवर्तन करता है। पदार्थ में भी परिवर्तन होता है किंतु यह परिवर्तन बाहरी प्रभाव के कारण होता है इसलिए इनमें पर्यवेक्षण व परीक्षण करना आसान है लेकिन मनुष्य समाज के संगठन आदि में केवल बाहरी प्रभाव के कारण परिवर्तन नहीं होता है मनुष्य विवेकशील है। वह अपने विवेक से निर्णय लेने में सक्षम है कि अपने विचारों से कैसे समाज में बदलाव आए। इसलिए यह कभी नहीं कह सकते है कि समाज पर बाहरी प्रभाव का क्या असर होगा।
3. प्राकृतिक विज्ञान में घटनाएं व क्रियाएँ एक निश्चित क्रम में निश्चित समय के लिए होती है इस लिए उनमें कार्य का कारण भाव को दिखाना आसान होता है। जैसे ऋतु निश्चित होती है और निश्चित समय के लिए क्रमबद्ध तरीके से आती है जैसे गर्मी के बाद बारिश, बारिश के बाद पतझड़ फिर शीत ऋतु और फिर बसंत आती है इसी तरह चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण दिन-रात आदि अपने निश्चित क्रम के अनुसार आते है सूर्योदय, सूर्यास्त का प्रत्यक्ष नियम होता है किंतु मनुष्य समाज का कोई क्रम नियम नहीं होता है। मनुष्य पर आर्थिक स्थिति और भौगोलिक स्थिति में किसका प्रभाव ज्यादा होगा यह कहना संभव नहीं। समाज में कोई भी प्रभाव क्रमबद्ध या निश्चित समय का नहीं होता है इसलिए पर्यवेक्षण भी आसान नहीं होता है।
4. मनुष्य की परंपराएं, धारणाएं, विश्वास आदि वैज्ञानिक प्रयोग में बाधक होती है। सभी मनुष्य अपने-अपने धर्म, जाति को सबसे अच्छा मानते है। धर्म रीति रिवाज को लेकर सब के बीच पक्षपात हमेशा चलता है। किसी के लिए दूसरे का धर्म अपने धर्म के बराबर है यह मानना सुगम नहीं होता।
(iii) विपरीत निगमन पद्धति - मनुष्य तथा सभी जीवधारी प्राणी नाशवान (मरणधर्मा) है यानि सभी जीवधारियों को एक न एक दिन मृत्यु को प्राप्त होना होगा। जिसका जन्म हुआ उसकी मृत्यु निश्चित होती है। कोई भी मनुष्य या प्राणी अमर नहीं है। पर्यवेक्षण से हम आसानी से यह निष्कर्ष निकाल सकते है कि मनुष्य तथा अन्य मरणधार्म होते है। इसकी पद्धति के तर्कषास्त्र में आगमन-पद्धति कहते है। न्यूटन ने पेड़ से गिरते हुए सेब को देखकर यह निर्णय लिया की पृथ्वी में गुरूत्वाकर्षण होता है। जब हम कोई भी वस्तु या पत्थर आसमान में उछालते है, वह उतनी ही तेजी से जमीन पर वापस आते है। पृथ्वी पर तो सब वस्तु आ जाती है पर कुछ अधिक समय लेती है तो कुछ कम समय लेती है। कोई सीधे नीचे आ जाती तो कोई वस्तु गोल गोल घूमकर आ जाती है इससे इस बात की सत्यता का प्रमाण मिलता है कि पृथ्वी में गुरूत्वाकर्षण है लेकिन उसके साथ वायु दबाव भी है तभी वस्तु के नीचे आने तक अनेक रूकावट आती है। इसलिए वस्तु उपर से नीचे सीधे नहीं आती है। निगमन-पद्धति द्वारा हम इन नियमों की सत्यता का प्रमाण निकालते है। विभिन्न विज्ञानों में जिन नियमों का हम पता लगाते है, उनके लिए यह विधि उपयोग की जाती है। किसी ज्ञात नियम पर जब हम किन्ही घटनाओं पर निगमन करते है, उन घटनाओं को ज्ञात नियम से घटाकर दिखाते है, तो उसे निगमन पद्धति कहते है। निगमन पद्धति के दो प्रकार है प्रत्यक्ष निगमन पद्धति और विपरीत निगमन पद्धति। सामाजिक अध्ययन में विपरीत निगमन पद्धति का प्रयोग किया जाता है। प्रत्यक्ष निगमन पद्धति द्वारा पहले एक नियम को लेकर चलते है और फिर दृष्टान्तों द्वारा उसकी सत्यता प्रमाणित करते है पर विपरीत निगमन पद्धति में नियम की सत्यता दृष्टान्तों द्वारा प्रमाणित नहीं की जाती। उसके लिए सबसे पूर्व एक परीक्षणात्मक साधारणीकरण को अपने सम्मुख रखा जाता है और मनुष्य के सामाजिक जीवन के जिन भिन्न-भिन्न पहलुओं में कार्य विषयक सह संबंध हो उनको अपने सामने लाया जाता है।
1. (
4. सामाजिक सर्वेक्षण पद्धति सामाजिक सर्वेक्षण पद्धति, समाज के लिए बहुत लाभदायक होती है इस पद्धति में रहन-सहन, रीति-रिवाज, खान-पान, जन समूह आदि का अध्ययन किया जाता है। इस पद्धति से नगर, जाति या परिवार का अध्ययन कर सकते है उनकी वर्तमान दशा और समस्या को जानकर समाधान निकाल सकते है। इस पद्धति में आँकड़े के आधार पर गरीबी, बेरोजगारी, कुप्रथाओं के कारण जान सकते है और उन पर हुए अपव्यय का अध्ययन कर सकते है। सामाजिक सर्वेक्षण के लिए अग्रलिखित विधियां निम्नलिखित है।
1. पर्यवेक्षण - जन समूह का सामाजिक सर्वे करना है, इसमें पर्यवेक्षण से उस विषय में अनेक तथ्यों को आसानी से पता लगाना सुलभ होता है। पर्यवेक्षण जन समूह का अंग हो सकता है। अलग एक व्यक्ति नगर, गाँव , संगठन आदि के पर्यवेक्षण से हम यह पता लगा सकते है लोगो की क्या समस्या है ? उनका जीवन स्तर कैसा है ? गाँव के लोग स्वास्थ्य के प्रति कितने जागरूक है।
2. साक्षात्कार - गाँव या समूह का अध्ययन करते समय लोगो का प्रत्यक्ष साक्षात्कार लिया जाता है, जिससे उनकी समस्याओं को समझने में आसानी होती है और सामाजिक व्यवहार स्थापित होते है यह साक्षात्कार समाजशास्त्र के छात्रों को उनके अध्ययन में सहायक सिद्ध होते है।
3. प्रश्नावली - प्रश्नावली प्रश्नों की वह क्रमबद्ध तालिका है जो विषय-वस्तु के सम्बन्ध में जानकारियाँ एकत्रित करने में सहयोग देती है। गुडे एवं हैट के शब्दों में ’ ’ सामान्यत: प्रश्नावली शब्द से एक ऐसे उपकरण का बोध होता है, जिसमें प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने के लिए एक प्रपत्र का उपयोग किया जाता है, जिसे सूचनादाता स्वंय अपने आप भरता है।
1.
4. सांख्यिकीय विधि - सांख्यिकीय विधि से किसी विषय के तथ्यों का आंकड़ो के आधार पर ज्ञान प्राप्त होता है। जिन प्रश्नों का संबंध आंकड़ो और संख्याओं से होता है उसमें इस विधि का प्रयोग होता है जैसे गाँव की जनसंख्या कितनी है, कितने पुरूष महिला और बच्चे हैं, उनकी आयु कितनी है, परिवार की आय कितनी है, कितने साक्षर है, और कितने निरक्षर है, कितने लोग बेरोजगार है, मृत्यु दर कितनी है, आदि। गाँवों का अध्ययन आंकडे़ के आधार पर होता है अगर हम गाँव का अध्ययन करना चाहते है तो हमें ऐसे गाँव को चुनना होगा जो शहर से लगा हुआ न हो क्योंकि शहर के पास होने से उस पर शहर का प्रभाव होगा।
5. व्यक्तिगत अध्ययन (केस अध्ययन) - सांख्यिकीय विधि में यह कमी है कि यह परिमाणात्मक अध्ययन करती है गुणात्मक अध्ययन इसके द्वारा नहीं किया जा सकता । व्यक्ति अध्ययन ने इस कमी को दूर किया है। व्यक्ति का अध्ययन एक ऐसी विधि है जिससे सामाजिक इकाई के जीवन की घटनाओं का विश्लेषण किया जाता है। सामाजिक इकाई के तौर पर व्यक्ति, परिवार, समाज, समुदाय आदि को लिया जा सकता है। गुडे तथा हैट के अनुसार व्यक्ति अध्ययन सामाजिक आंकड़ों को संगठित करने का एक तरीका है ताकि अध्ययन किये जाने वाले सामाजिक वस्तु के एकात्मक स्वरूप को बनाकर रखा जा सके। थोड़े भिन्न ढ़ंग से इसकी अभिव्यक्ति करते हुए यह कहा जा सकता है कि यह एक ऐसा उपागम है जिसमें किसी भी सामाजिक इकाई को पूर्ण रूपेण ढ़ंग से देखा जाता है। करीब-करीब हमेशा ही इस उपागम में इकाई एक व्यक्ति एक परिवार या अन्य सामाजिक समूह प्रक्रियाओं या संबंधों का एक सेट या सम्पूर्ण संस्कृति भी हो सकता है।
1.
6. समाजमिति पद्धति सामाजिक समस्याओं का परिमाणात्मक और गुणात्मक दो प्रकार से अध्ययन होता है। जिसे हम पढ़ चुके है सांख्यकीय विधि जो समाज के परिमाणात्मक सिद्धांतों पर अध्ययन करती है और आदर्श कल्पना विश्लेषण विधि से समाज की गुणात्मकता का अध्ययन होता है। इन दोनो विधियों को अलग-अलग नहीं किया जा सकता है सामाजिक समस्याओं के अनुशीलन के लिए यह आवश्यक है कि इन दोनो पहलुओं का साथ साथ अध्ययन किया जाए। इसके लिए वर्तमान में नई विधि उपयोग में लाई जा रही है। जिसे समाजमिति कहते है। एन्ड्रयू तथा विली के अनुसार ’ ’ समाजमिति एक रेखाचित्र है जिसमें कुछ चिन्ह् का प्रयोग करके सामाजिक समूह में सदस्यों द्वारा प्रदर्शित स्वीकृति या अस्वीकृति का प्रतिरूप अंकित होता है।’ ’ समाजमिति का अध्ययन व्यक्तियों के पारस्परिक सम्बंध को प्रकट करता है।
1. अपनी प्रगति की जाँच कीजिए नोटः- नीचे दिए गए रिक्त स्थान में अपने उत्तर लिखिए। प्रश्न
1. सर्वेक्षण विधि को रेखांकित कीजिए है ? ......................................................... प्रश्न
2. ऐतिहासिक शोध विधि से आप क्या समझते है ? .................................................
सामाजिक विज्ञान में हम किन किन विषयों का अध्धयन करते हैं
हम समाज का अध्ययन किस प्रकार करते हैं। चर्चा कीजिये
hum samaj ka adhayan kis Parker karta hai 500 sabdo mai utter d
हम समाज का अध्ययन किस प्रकार करते हैं
Ham samaj Ko kid pramarth adhyayan karte hai 500sabdo me
Ham samaj ka adhyan kis prakar karte h
हम अपने समाज का अध्यन किस प्रकार करते है
हम समाज का अधयन किस प्रकार करते है
हम समाज का अधयन किस प्रकार करते
मानव सुरक्षा शब्द से आप क्या समझते है 500-500 शब्दो मे बताईए
आप यहाँ पर gk, question answers, general knowledge, सामान्य ज्ञान, questions in hindi, notes in hindi, pdf in hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं।
नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें
Culture
Current affairs
International Relations
Security and Defence
Social Issues
English Antonyms
English Language
English Related Words
English Vocabulary
Ethics and Values
Geography
Geography - india
Geography -physical
Geography-world
River
Gk
GK in Hindi (Samanya Gyan)
Hindi language
History
History - ancient
History - medieval
History - modern
History-world
Age
Aptitude- Ratio
Aptitude-hindi
Aptitude-Number System
Aptitude-speed and distance
Aptitude-Time and works
Area
Art and Culture
Average
Decimal
Geometry
Interest
L.C.M.and H.C.F
Mixture
Number systems
Partnership
Percentage
Pipe and Tanki
Profit and loss
Ratio
Series
Simplification
Time and distance
Train
Trigonometry
Volume
Work and time
Biology
Chemistry
Science
Science and Technology
Chattishgarh
Delhi
Gujarat
Haryana
Jharkhand
Jharkhand GK
Madhya Pradesh
Maharashtra
Rajasthan
States
Uttar Pradesh
Uttarakhand
Bihar
Computer Knowledge
Economy
Indian culture
Physics
Polity
इस टॉपिक पर कोई भी जवाब प्राप्त नहीं हुए हैं क्योंकि यह हाल ही में जोड़ा गया है। आप इस पर कमेन्ट कर चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं।