मंत्रिमंडल सचिवालय के कार्य
भारत सरकार (कार्य आबंटन) नियम 1961 भारत सरकार के कार्य के आबंटन के लिए संविधान की धारा 77 के तहत राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए हैं। सरकार के मंत्रालय/विभाग राष्ट्रपति द्वारा इन नियमों के तहत प्रधानमंत्री की सलाह पर सृजित किए जाते हैं। सरकार के कार्य मंत्रालयों/विभागों, सचिवालयों तथा कार्यालयों (जिन्हें "विभाग" कहा जाता है) में इन नियमों के तहत निर्दिष्ट विषयों के वितरण के अनुसार किए जाते हैं। राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर प्रत्येक मंत्रालय का कार्य एक मंत्री को सौंपा जाता है। आम तौर पर प्रत्येक विभाग नीतिगत मुद्दों और सामान्य प्रशासन पर मंत्री को सहायता देने के लिए एक सचिव के प्रभार में कार्य करता है।
मंत्रिमंडलीय सचिवालय प्रधानमंत्री के प्रत्यक्ष प्रभार के तहत कार्य करता है। इस सचिवालय के प्रशासनिक प्रमुख मंत्रिमंडलीय सचिव होते हैं, जो नागरिक सेवा मंडल के पदेन अध्यक्ष भी होते हैं।
भारत सरकार (कार्य आबंटन) नियम, 1961 में "मंत्रिमंडलीय सचिवालय" को नियमों की प्रथम अनुसूची में स्थान दिया गया है। इस सचिवालय को आबंटित विषय हैं:
मंत्रिमंडलीय सचिवालय भारत सरकार (कार्य करना) नियम, 1961 के प्रशासन तथा भारत सरकार (कार्य आबंटन) नियम 1961 के प्रशासन के लिए उत्तरदायी है, जिसमें इन नियमों का पालन सुनिश्चित करते हुए मंत्रालयों/विभागों में कार्य का सुचारु रूप से निर्वहन करने की सुविधा दी जाती है। सचिवालय सरकार को अंतर मंत्रालयीन सहयोग सुनिश्चित करते हुए, मंत्रालयों/विभागों के बीच मतभेद दूर करते हुए तथा सचिवों की स्थायी तथा तदर्थ समितियों को युक्तिपूर्ण रूप से उपयोग करते हुए सर्व सम्मति के विकास द्वारा सहायता प्रदान करता है। इस प्रक्रिया के द्वारा नई नीतिगत पहलों को भी प्रोत्साहन दिया जाता है।
मंत्रिमंडलीय सचिवालय सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और मंत्रियों को उनकी गतिविधियों के मासिक सारांश के माध्यम से सभी मंत्रालयों/विभागों की प्रमुख गतिविधियों के बारे में सूचना दी जाए। देश में प्रमुख संकट की परिस्थितियों के प्रबंधन और इन परिस्थितियों में विभिन्न मंत्रालयों के समन्वय की गतिविधियां भी मंत्रिमंडलीय सचिवालय के कार्यों में से एक है।
मंत्रिमंडलीय सचिवालय को अंतर मंत्रालयीन समन्वय को प्रोत्साहन देने के लिए विभाग द्वारा एक उपयोगी प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है, क्योंकि मंत्रिमंडलीय सचिव नागरिक सेवाओं के प्रमुख भी हैं। सचिवों द्वारा मंत्रिमंडलीय सचिव को समय समय पर विकासों की जानकारी देना अनिवार्य समझा जाता है। कार्य नियमों के निर्वहन के लिए भी उन्हें अनौपचारिक रूप से मंत्रिमंडलीय सचिव को जानकारी देनी होती है, विशेष रूप से यदि वे इनमें से किसी नियम से परे जा रहे हों।
राष्ट्रीय प्राधिकरण, रासायनिक हथियार अभिसमय (सीडब्ल्यूसी) की स्थापना एक सम्मेलन में 130 देशों द्वारा आरंभिक रूप से हस्ताक्षरित रासायनिक हथियार अभिसमय में बताई गई बाध्यताओं को पूरा करने के लिए 5 मई 1997 को मंत्रिमंडलीय सचिवालय द्वारा एक संकल्प द्वारा की गई थी। यह सम्मेलन 14 जनवरी 1993 को सदस्य राज्यों द्वारा सभी रासायनिक हथियारों के विकास, उत्पादन, निष्पादन, अंतरण, उपयोग और भण्डारण की रोकथाम करने के प्रयोजन हेतु समाप्त हुआ, जो एक गैर भेदभावपूर्ण प्रक्रिया है। इसकी बाध्यताओं को पूरा करने के लिए प्रत्येक राज्य पक्षकार को राष्ट्रीय केन्द्रीय बिन्दु के रूप में कार्य करने के लिए एक राष्ट्रीय प्राधिकरण को नामनिर्दिष्ट या स्थापित करना है जो रासायनिक हथियारों की रोकथाम के लिए संगठन तथा अन्य राज्य पक्षकारों के साथ प्रभावी समन्वय कर सके और इस प्रकार मंत्रिमंडलीय सचिवालय के प्रशासनिक नियंत्रण में राष्ट्रीय प्राधिकरण, रासायनिक हथियार अधिसमय का गठन किया गया था।
मंत्रिमंडलीय सचिव की अध्यक्षता में सचिव (रसायन एवं पेट्रो रसायन), विदेश सचिव, रक्षा अनुसंधान तथा विकास सचिव, रक्षा सचिव और अध्यक्ष, राष्ट्रीय प्राधिकरण को सदस्यों के रूप में लेकर एक उच्च स्तरीय विषय निर्वाचन समिति द्वारा राष्ट्रीय प्राधिकरण के कार्यों का निरीक्षण किया जाएगा। राष्ट्रीय प्राधिकरण, रासायनिक हथियार अभिसमय सीडब्ल्यूसी तथा अन्य राज्य पक्षकारों के साथ सीडब्ल्यूसी अधिनियम, के कार्यान्वयन हेतु, घोषणा की बाध्यताओं को पूरा करने के आंकड़ों के संग्रह, करारों की सुविधा में बातचीत, ओपीसीडब्ल्यू निरीक्षणों के समन्वय, राष्ट्रीय निरीक्षकों तथा उद्योग कार्मिकों के लिए उपयुक्त सुविधाएं प्रदान करने, गोपनीय कार्य सूचना की सुरक्षा सुनिश्चित करने, घोषणाओं की एक रूपता, शुद्धता और पूर्णता की जांच, सीडब्ल्यूसी से संबंधित गतिविधियों में संलग्न इकाइयों के पंजीकरण आदि के लिए उत्तरदायी है।
सरकार में अनेक मंत्रालय/विभाग है। इनकी संख्या और प्रकार समय समय पर कारकों के अनुसार बदलते रहते हैं जैसे कि कार्य का परिमाण, विशिष्ट मदों के साथ जुड़े महत्व, अभिविन्यास में परिवर्तन, राजनैतिक शीघ्रता आदि। केन्द्र में मंत्रालयों की संख्या 15 अगस्त 1947 को 18 थी।
Raj
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