What Is Carbon 14 Dating In Hindi व्हाट इस कार्बन १४ डेटिंग इन हिंदी

व्हाट इस कार्बन १४ डेटिंग इन हिंदी

GkExams on 11-01-2019

कार्बन-14 द्वारा कालनिर्धारण की विधि (अंग्रेज़ी:कार्बन-14 डेटिंग) का प्रयोग पुरातत्व-जीव विज्ञान में जंतुओं एवं पौधों के प्राप्त अवशेषों के आधार पर जीवन काल, समय चक्र का निर्धारण करने में किया जाता है। इसमें कार्बन-12 एवं कार्बन-14 के मध्य अनुपात निकाला जाता है। कार्बन के दो स्थिर अरेडियोधर्मी समस्थानिक: कार्बन-12 (12C) और कार्बन-13 (13C) होते हैं। इनके अलावा एक अस्थिर रेडियोधर्मी समस्थानिक (13C) के अंश भी पृथ्वी पर मिलते हैं। अर्थात कार्बन-14 का एक निर्धारित मात्रा का नमूना 5730 वर्षों के बाद आधी मात्रा का हो जाता है। ऐसा रेडियोधर्मिता क्षय के कारण होता है। इस कारण से कार्बन-14 पृथ्वी से बहुत समय पूर्व समाप्त हो चुका होता, यदि सूर्य की कॉर्मिक किरणों के पृथ्वी के वातावरण की नाइट्रोजन पर प्रभाव से और उत्पादन न हुआ होता। ब्रह्माण्डीय किरणों से प्राप्त न्यूट्रॉन नाइट्रोजन अणुओं (N2) से निम्न परमाणु प्रतिक्रिया करते हैं:







n + 7 14 N → 6 14 C + p {displaystyle n+mathrm {^{14}_{7}N} ightarrow mathrm {^{14}_{6}C} +p} {displaystyle n+mathrm {^{14}_{7}N} ightarrow mathrm {^{14}_{6}C} +p}







कार्बन-14 के उत्पादन की अधिकतम दर 9-15 कि.मी. (30,000 से 50,000 फीट) की भू-चुम्बकीय ऊंचाइयों पर होती है किन्तु कार्बन-14 पूरे वातावरण में समान दर से फैलता है और ऑक्सीजन के अणुओं से प्रतिक्रिया कर कार्बन डाईआक्साइड बनाता है। यह कार्बन डाईआक्साइड सागर के जल में भि घुल कर फैल जाती है। पौधे वातावरण की कार्बन डाईआक्साइड को प्रकाश-संश्लेषण द्वारा प्रयोग करते हैं, एवं उनका सेवन कर पाचन के बाद जंतु इसे निष्कासित करते हैं। इस प्रकार प्रत्येक जीवित प्राणी लगातार कार्बन-14 को वातावरण से लेन-देन करता रहता है, जब तक वो जीवित रहता है। उसके जीवन के बाद ये अदला-बदली समाप्त हो जाती है। इसके बाद कार्बन-14 की शरीर में शेष मात्रा का रेडियोधर्मी बीटा क्षय के द्वारा ह्रास होने लगता है। इस ह्रास की दर अर्ध आयु काल यानि 5,730±40 वर्ष में आधी मात्रा होती है।







6 14 C → 7 14 N + e − + ν ¯ e {displaystyle mathrm {~_{6}^{14}C} ightarrow mathrm {~_{7}^{14}N} +e^{-}+{ar { u }}_{e}} {displaystyle mathrm {~_{6}^{14}C} ightarrow mathrm {~_{7}^{14}N} +e^{-}+{ar { u }}_{e}}







कार्बन 14 की खोज 27 फरवरी, 1940 में मार्टिन कैमेन और सैम रुबेन ने कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय रेडियेशन प्रयोगशाला, बर्कले में की थी। जब कार्बन का अंश पृथ्वी में दब जाता है तब कार्बन-14 (14C) का रेडियोधर्मिता के कारण ह्रास होता रहता है। पर कार्बन के दूसरे समस्थाकनिकों का वायुमंडल से संपर्क विच्छे1द और कार्बन डाईआक्साइड न बनने के कारण उनके आपस के अनुपात में अंतर हो जाता है। पृथ्वी में दबे कार्बन में उसके समस्थानिकों का अनुपात जानकर उसके दबने की आयु का पता लगभग शताब्दी में कर सकते हैं।







कार्बनकाल विधि के माध्यम से तिथि निर्धारण होने पर इतिहास एवं वैज्ञानिक तथ्यों की जानकारी होने में सहायता मिलती है। यह विधि कई कारणों से विवादों में रही है वैज्ञानिकों के अनुसार रेडियोकॉर्बन का जितनी तेजी से क्षय होता है, उससे 27 से 28 प्रतिशत ज्यादा इसका निर्माण होता है। जिससे संतुलन की अवस्था प्राप्त होना मुश्किल है। ऐसा माना जाता है कि प्राणियों की मृत्यु के बाद भी वे कार्बन का अवशोषण करते हैं और अस्थिर रेडियोधर्मी-तत्व का धीरे-धीरे क्षय होता है। पुरातात्विक नमूने में उपस्थित कॉर्बन-14 के आधार पर उसकी डेट की गणना करते हैं। 356 ई. में भूमध्य सागर के तट पर आये विनाशाकारी सूनामी की तिथि निर्धारण वैज्ञानिकों ने कार्बन डेटिंग द्वारा ही की है।







रेडियोकार्बन डेटिंग तकनीक का आविष्कार 1949 में शिकागो विश्वविद्यालय के विलियर्ड लिबी और उनके साथियों ने किया था। 1960 में उन्हें इस कार्य के लिए रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कार्बन डेटिंग के माध्यम से पहली बार लकड़ी की आयु पता की थी। वर्ष 2004 में यूमेआ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों कोस्वीडन के दलारना प्रांत की फुलु पहाड़ियों में लगभग दस हजार वर्ष पुराना देवदार का एक पेड़ मिला है जिसके बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यह विश्व का सबसे पुराना वृक्ष है। कार्बन डेटिंग पद्धति से गणना के बाद वैज्ञानिकों ने इसे धरती का सबसे पुराना पेड़ कहा है। इसके अलावा कार्बन-14 डेटिंग का प्रयोग अनेक क्श्जेत्रों में काल-निर्धारण के लिए किया जाता है। व्हिस्की कितनी पुरानी है, इसके लिए भी यह विधि कारगर एवं प्रयोगनीय रही है। आक्सफोर्ड रेडियो कार्बन एसीलरेटर के उप निदेशक टाम हाइहम के अनुसार 1950 के दशक में हुए परमाणु परीक्षण से निकले रेडियोसक्रिय पदार्थो की मौजूदगी के आधार पर व्हिस्की बनने का समय जाना जा सकता है


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Comments Williambeara on 04-01-2020

In any the actuality, the standards of righteous news-casting havent been minded of by this noteworthy net index. Google in actuality thinks usually to the style and substance of articles, solely as a component of its XML. Great news-casting is tied in with being straightforward and as level headed as could be expected.



For what judgement do you meditate on the Google XML sitemap creeps, lists, and distributes general area site content from CNN, BBC, Techcrunch, The Enclosure Street Fortnightly and others in its list items?



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