Apraadh Ki Samapti Ke Liye Mrityudand Awashyak Hai essay अपराध की समाप्ति के लिए मृत्युदण्ड आवश्यक है essay

अपराध की समाप्ति के लिए मृत्युदण्ड आवश्यक है essay

GkExams on 11-05-2022


मृत्युदंड (Capital punishment) क्या है : मृत्युदंड एक स्थापित सजा है, एक न्यायाधीश की राय के बाद, जिसमें उस व्यक्ति का जीवन लेना शामिल है जिसने कानून को तोड़कर एक गंभीर या पूंजीगत अपराध किया है। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की इसे मृत्युदंड या फांसी भी कहा जाता है।





मृत्युदंड (death penalty in india) की सजा उन सभी का अंत करती है, जो अपराधी होते है और जो इस प्रकार की आपराधिक सोच को रखते है। आजकल के समय में जैसा की हम सब देख रहे है किसी अपराधी को ऐसे जघन्य अपराध के लिए यदि उन्हें मृत्युदंड न देकर उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है, तो ऐसे अपराधी जेल के भीतर रहकर जेल के अंदर या बहार के लोगों को नुकसान पंहुचा सकते है।


मृत्युदंड की उत्पत्ति :


इतिहास के अनुसार मृत्युदंड की उत्पत्ति 17 वीं शताब्दी ईसा पूर्व हम्मुराबी कोड के साथ हुई है, जो कि ताल कानून और इसके प्रसिद्ध वाक्यांश "एक आंख के लिए एक आंख, एक दांत के लिए एक दांत" को संकलित करता है। हालाँकि, प्राचीन काल से मानवता में मृत्युदंड मौजूद है।


ध्यान रहे की यह शब्द लैटिन के पोएना मोर्टिस से निकला है, जो एक जुर्म है जिसे प्राचीन रोम में न्यायिक अर्थ से अधिक धार्मिक के साथ लागू किया गया था।


मृत्युदंड पर निबंध (capital punishment essay) :




हाँ ये बात भी सही है जैसा की हमने ऊपर बताया है की अपराध की समाप्ति के लिए मृत्युदण्ड आवश्यक है। यदि ऐसा नही होता है तो वहीँ जघन्य अपराधी लोग जेल के अंदर रहकर बाहर के लोगों को शांति से नही जीने देते। वैसे मृत्युदंड पर अभी भी विभिन्न देशों में विवाद जोरों पर है। इसके विपक्षियों का कहना है कि यह बहुत हद तक संभव है कि कानून को तोड़-मरोड़ कर और झूठी गवाही के आधार पर निर्दोष व्यक्ति को फांसी दे दी जाए।


इसके लिए आंकड़ों को आधार बनाकर कहा जाता है कि मृत्युदंड (capital punishment articles) के शिकार बनने जा रहे लोगों में से अधिकांश गरीब वर्ग के लोग होते हैं या ऐसे लोग जो अपनी पैरवी के लिए वकील नहीं रख सकते हैं।


इसके विपरीत, मृत्युदंड के पक्षधर अनेक आधारों पर विभिन्न सजाओं को श्रेणीबद्ध करते हुए यह कहते हैं कि किसी अपराधी को मृत्युदंड दिया जाना उसे सदा के लिए कारागार में रखने से कहीं सस्ता सौदा होता है। इसके अलावा इसे एक सबक के तौर पर भी मानते हैं, ताकि अन्य लोग सीख लें, लेकिन इसके बावजूद मृत्युदंड का भय अपराधों पर रोक नहीं लगाता।


वर्तमान स्थिति ये है कि 95 देशों ने मृत्युदंड निषेध कर दिया है, 9 देशों ने इसे अन्य सभी अपराधों के लिये निषेध किया है, सिवाय विशेष परिस्थितियों के और 35 देशों ने इसे पिछले दस वर्षों ने किसी को आरोपित नहीं किया है। अन्य 58 देशों ने इसे पूरी तरह लागू किया हुआ है। के अनुसार, वर्ष 2009 में 18 देशों ने कम से कम 714 मृत्युदंड दिये हैं और लागू भी किये हैं।


Capital Punishment In India :


अगर हम भारत (capital punishment in india) की बात करें तो आतंकवादी गतिविधियों और बलात्कार जैसे मामलों में हमने म्रत्युदंड देते हुए देखा है। जैसा की याकूब मेमन और निर्भया काण्ड के दोषियों को पिछले सालों में ऐसी सजा दी गयी है।


लेकिन भारत में निरतंर जेलों को एक सुधार ग्रह के रूप में बदला जा रहा है, जिसका उद्देश्य है की अगर अपराधी छोटा-मोटा गुनाह करता है तो अपने आप को जेल में बंद न समझकर एक अच्छा आदमी बनने की कोशिश करें।


अभी हाल ही में जैसा की महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा जेल में बंद कैदियों के लिए एक "जिव्हाळा नामक ऋण योजना" भी शुरू की गयी है। इस योजना का उद्देश्य ऐसे ही कैदियों को आगे बढ़ाना है ताकि वो सुधरने की कोशिश करने और अपने काम में ध्यान दे।


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Comments राघव गर्ग on 31-01-2023

Apraadh Ki Samapti Ke Liye Mrityudand Awashyak Hai essay

Uday jadoun on 21-04-2022

Apradh samapti ke liye mratyudand awashyak h????

Samriddhi on 29-12-2020

Ap ki समाप्ति के लिए मृत्युदंड आवश्यक है इस विषय पर अपने विचार प्रकट किजिए

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