साबुन का आविष्कार किसने किया
साबुन के बिना स्वच्छ जीवन की कल्पना करना एक बेमानी लगती गई. साबुन के बिना न तो कपड़ों की सफाई हो सकती है और न शरीर की. साबुन का उपयोग तो सभी करते है, लेकिन इसका इतिहास किया है और इसकी उत्पति कैसे हुई, यह जानकारी बहुत कम लोगों को ही है. आइए, जाने कहां से आया है यह साबुन.
कपड़ों से तेल के दाग और मैल निकालने वाला साबुन सबसे पहले टे और राख से मिलाकर बनाया गया था. ऐसा माना जाता है की करीब 4 हजार साल पहले रोमन महिलाएं जब टिबर नदी के किनारे बैठकर कपड़े धो रही थी, तभी इस नदी के ऊपरी सिरे से बलि चढाए गए कुछ जानवरों की वसा भी बह कर आई और नदी किनारे की मिट्टी में जम गई. जब यह मिट्टी कपड़ों में लगी तो कपड़ों में अनोखी चमक आ गई. चूंकि ये वसा माउंट सापो से बहकर आई थी, इसलिए इस विशेष मिट्टी को ‘सोप’ नाम दिया गया.
रोमन महिलाओं को कपड़े तो साफ़ मिले, लेकिन उन्होंने यह जानने का प्रयास नहीं किया की यह सफाई आखिर हुई कैसे? यह काम पानी का पृष्ठ तनाव (सरफेस टेंशन) कम करके किया जाता है.
असल में पानी के अणु एक दूसरे की ओर आकर्षित होने के बजाय पानी की तरह की खिंचते है. यह खिंचाव ही पृष्ठ तनाव है. जब तक यह रहता है, पानी न तो कपड़े से मैल निकालता है और न ही उसमें मैल खींचने वाला ‘गीलापन’ रहता है. जैसे ही पृष्ठ तनाव दूर होता है, पानी में गीलापन आ जाता है. यह तनाव तोड़ने का काम साबुन करता है.
साबुन बनाने के लिए वसा और तेल की फैटी एसिड का उपयोग किया जाता है. इस एसिड को तीव्र अल्कली के साथ मिलाया जाता है और इनके बीच होने वाली प्रतिक्रिया के कारण जो अणु बनते है, उन्हें सरफेस एक्टिव एजेंट या सरफेक्टेंट्स कहते है. यही पृष्ठ तनाव तोड़ने का काम करते है. साबुन में दो तरह के अणु होते है.
एक वे जो पानी प्रेमी या हाइड्रोफिलिक होते है. और एक तेल प्रेमी या हाइड्रोफोबिक. हाइड्रोफोबिक तैलीय गंदगी से जाकर चिपक जाता है. और पानी इस गंदगी को कपड़े से अलग करने का काम करता है. जब कपड़े को साफ पानीमें धोया जाता है, तो साबुन के साथ ही गंदगी भी बह जाती है. और कपड़ा फिर चमकने लगता है. अब साबुनों में अल्कमी की जगह सोडियम हाइड्रोक्साइड या पोटेशियम हाइड्रोक्साइड का उपयोग किया जाता है, जबकि पहले इसकी जगह ‘वुड एश लाई’ का उपयोग होता था. इसे बनाने के लिए लकड़ी की राख को बाहर रखा जाता था और बारिश का पाने अपने साथ जो राख बहा लाता था, उसे फैटी एसिड के साथ उबालकर साबुन बनाया जाता था.
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