Khinchi Rajput History In Hindi खींची राजपूत हिस्ट्री इन हिंदी

खींची राजपूत हिस्ट्री इन हिंदी

GkExams on 24-11-2018

20 खिंची चौहान :-- खिंची चौहानों की भी उत्पति विवाद से परे नहीं है | नेणसी के अनुसार आसराव के अपने पुत्र माणकराव से कहा ,सूर्य अस्त होने तक जितनी भूमि में फिर कर आएगा वह भूमि में तुम्हे दे दूंगा | माणकराव ऊंट पर चढ़कर दिन अस्त होने पर वापिस आया | आते समय उसे बहुत भूख लगी थी | रास्ते में ग्वारियों की खिंचड़ी खायी | तब पिता ने कहा की तुमने खिचड़ी खायी | तब से पिता ने कहा तुमने खिचड़ी खायी इसलिए तुम्हारे संतान खींची कहलायेंगे | पर यह कथन नेणसी का गले नहीं उतरता हे |
भारत राज मंडल ग्रन्थ में लिखा है की अजेराव ने खिलचीपुर बसाया जिससे खीची कहलाये | खिचलीपुर रियासत की ख्यात में लिखा हे की अजबराज ने सोना चांदी की खिचड़ी बांटी | जिससे इनके वंश वालों का नाम खींची पड़ा | लेकिन यह बात भी गले नहीं उतरती सोने की खिंचड़ी भला लोग केसे खायेंगे |
ठाकुर माधोसिंह खिंची ने लिखा हे की बारठ ,चारण व् भाटों का कथन हे की सांभर के चौहान हठ करने वाले थे और बातों को खींचते थे अर्थात निभाते थे | इससे उनका नाम खिंची हुआ | नैनसी के अनुसार आसराज ( 1167-1172) के पुत्र माणकराव से खिंचियों की उत्पत्ति माने तो यह इतिहास सम्मत नहीं हे | क्यूँ की सं.1194 के शिलालेख से पाया जाता हे की लाखन (लक्ष्मण ) खिंची के पुत्र की स्त्री सती हुयी अर्थात 1194 से पूर्व खिंची चौहान प्रसिद्द में आ चुके थे | यह लक्ष्मण इस आसराज का समकालीन था | अतः इस आसराज के पुत्र माणकराव के वंशजों से खिंची चौहानों की उत्पति नहीं हुयी है | नैनसी ने माणकराव से गुदलराव तक का वंशक्रम दिया है :- माणकराव ,अजबराव,चन्द्रपाल ,गायंदराव ,संगमराव व् गुदलराव |
गुदलराव प्रथ्वीराव 11 का समकालीन था | प्रथ्वीराज चौहान 2 का समय ( संवत 1222-1226 ) था | इस द्रष्टि से प्रति पीढ़ी का समय 20 वर्ष माने पर 6 mahine पूर्व का समय वि.1226-120=1106 वि.पड़ता है | जो इस आसराज से पुर्व का हे | अतः खिंचियों का पूर्व पुरुष माणकराव ( 1162-1172 वि, ) का पुत्र नहीं हो सकता | मुंशी देवीप्रसाद जी को वि. सं. 1968 में दोरा करते समय पीपाड़ के पास बाघार गाँव के पुराने मंदिर में ऐक शिलालेख सं,1111 का मिला ,जिसमे लिखा हे की सांखला राजपूत के साथ ऐक खींचन और दूसरी महिला दो स्त्रियाँ सती हुयी | यदि यह शिलालेख ठीक से पढ़ा होता तो इससे भी अच्छी तरह जाना जा सकता है | की माणकराव नाडोल के शासक आसराज (1162-1172 ) का पुत्र नहीं हो सकता |
अब यदि माणक राव (माणिक्यराव ) इस आसराज का पुत्र नहीं था तो कोन था ? 1377 वि.के अचलेश्वर शिलालेख शाकम्भरी के चौहानों में लाखन ( लक्ष्मण ) नाडोल से पूर्व माणिक्यराज शासक का नाम आता है | कई विद्वानों ने चौहान शासक सामंत ?( 741-766) को माणिक्यराज माना है | अगर इस माणिक्यराज को खिंचियों का पूर्व पुरुष माने तो फिर समस्त चोहान हि खिंची हो जाते हे | इस द्रष्टि से यह माणिक्यराज भी खिंचियों का आदी पुरुष नहीं था | तो फिर यह मानिकराव कोन हो सकता हे | जैसे देवडों की उत्पति के सन्दर्भ में कई आसराज होने के बाद की ख्यातों वंश वृक्ष बडबडा गया और इस कारन इस कारन देवड़ा -खिंची आदी की उत्पति भी गडबडा गयी जैसा पहले लिखा जा चूका है की माणकराव का समय 1106 वि.के लगभग पड़ता है | माणिक्यराज के पूरवज लाखन नाडोल का समय वि.सं.1039 है | लाखन के ऐक पुत्र आसरा ( अधिराज -आश्पाल ) था | इसके पुत्र गद्धी 1082 विक्रमी में मिली | अतः इस आसराज का ऐक पुत्र माणकराव होना चाहिए | राव गणपतसिंह चितलवाना ने आसराज ( आश्पाल)शब्द की विवेचना कर आसराज ( आश्पाल) को हि माणिक्यराव माना है | अतः मत से आसराज का पुत्र हि माणिक्यराव हे | ऐसी स्थति में कहा जा सकता हे की खिंचियों का आदी पुरुष मानिकराव ,लाखन नाडोल के पत्र वंशज खींची हुए |
मी.एस ,सरदेसाई ने लिखा है की पंजाब में खींचीपुर पटके कारन खिंची कहलाये |
इन दोनों मतों को सत्य के नजदीक नहीं माना जा सकता | खिंचिपुर पट्टनको पंजाब में मानना सही नहीं हे वस्तुतः खिलचीपुर (मालवा ) में कालीसिंध के किनारे है | कालीसिंध को गलती से सिंध मानकर और खिलचीपुर पाटन को खिंचीपुर पटन मानकर use पंजाब मान लिया जिसका कोई ओचित्य नहीं | पहले कालीसिंध नदी को सिंध भी कह जाता था | गढ़ वासे नदी बहे छे | परगनों मऊ खिंचियो रो सिंध नदी बहे छे , इससे मालूम पड़ता हे की आलिसिंध को बाद के लेखकों ने गलती से सिंध पंजाब मान लिया | अतः धारणा गलत हे की खीचिपुर पट्टन स्थान से खिचियों की उत्पति हुयी | खिंचीयों का आदी स्थान तो राजस्थान में हि जायल था ,जैसा नेंसी ने लिखा हे - ''माणक ने जायल ,भदाने दो गढ़ कराया '' माणक का सत्व वंशज गुदलराव भी जायल क्षेत्र में रहता था | इससे जाना जा सकता हे की प्रारंभ में न तो खिंची पंजाब गए न हि खिलचीपुर |
खिलचीपुर पर तो उन्होंने अधिकार 14 वीं सताब्दी से संभव हे | अतः न तो खिंची शब्द की उत्पति खिचिपुर पत्तन से न खिलचीपुर से | खिलचीपुर नाम खिंचियों के वहां रहने से हुआ |
अब इनकी उत्पति केसे हुयी नेंसी ने कहा खिचड़ी खाने से माधोसिंह खींची ने कहा सांभर के चौहान बात को खींचते इसलिए | अतः खिंची कहलाये | यदि सांभर के चौहानों के लिए उक्ति प्रसिद्द होती तो समस्त चौहान खिंची कहलाते ,पर ऐसा नहीं है चौहानों को अनेक खापे है | पहले के किसी भी ख्यात में या ग्रन्थ में ऐसा उल्लेख नहीं हे अतः इसे कल्पना हि माना जावेगा | लगता हे खिंचियों के आदी पुरुष के सन्दर्भ में खिंची सम्बन्धी कोई घटना घाट गयी हे और इसी आधार पर खिचड़ी का विकृत रूप खिंची हो गया लगता हे या फिर लक्षमण ( नाडोल ) के पुत्र आसराज के पोत्र अजबराव का दूसरा नाम खिंची नाम पड़ने के सन्दर्भ में कुछ नहीं कहा जा सकता |
बूंदी राज्य में घाटी ,घाटोली ,गगरुण,,गुगोर ,चाचरनी ,चाचरड़ी ,खिंचियो के ठिकाने थे | तथा राघवगढ़ ,धरमावदा ,गढ़ा,नया किला ,मक़सूदगढ़ ,पावागढ़ ,असोधर व् खिलचीपुर (मालवा ) खिंचियो के ठिकाने थे |

चौहानों के अन्य ठिकाने :- राजस्थान में चीतलवाना ,कारोली ,डडोसण ,सायला ,(जालोर) जोजावर ( पाली ) नामली उजेला ,झर संदला ,उमरण ,पीपलखुटा मलकोई आदी रतलाम रियासत ( म.प्र.) चौहानों का ऐक ठिकाना था | मुंडेटी (गुजरात ) आदी सोनगरो चौहानों के मुख्या ठिकाने थे |
मेरा मत हे की किसी भी खाप को प्रसिद्द होने में सो साल लग हि जाते हे | खिंची चौहानों की उत्पति में सन्दर्भ में हम देखते हे तो पाते हे की वि.1111 के शिलालेख में खींचन शब्द स्त्री के लिया आया हे तो लक्ष्मण वि.1039 के पुत्र पोत्रों से खिंची शब्द की उत्पति मुक्ति सांगत नहीं हे तो फिर खिंची कोंसे मानिकराव से सम्बन्ध रखते है | इसके बाद हमारे पास केवल सांभर के चौहानों का आदी पुरुष मानिकराव सेष रहता हे | इस मानिकराव के वंशजों के सन्दर्भ में बही भाटों की बही के आधार पर सूर्यमल मिश्रण ने वंश भाष्कर में लिखा हे की मानिकराव के पुत्र मोहकम का पुत्र अन्नड़ ( खींची) राज हुआ | इसके वंशज खिंची कहलाये | वीर विनोद की द्रष्टि से देखे तो चौहानों में सबसे पहले काटने वाली खाप खिंची हे |म इसके अतिरिक्त खिंची जाती की उत्पति के सन्दर्भ में हमारे पास कोई अन्य आधार नहीं हे | वह यह हे की कर्नल टाड को नानी उमरखा ( चांपानेर के पास ) गुजरात में विक्रमी 1525 का ऐक gujrati भाषा का शिलालेख मिला हे |रघुनाथ के सोजन्य से जिससे मालूम होता हे की चांपानेर चावागढ़ पर शासन करने वाली शासक रणथम्भोर के प्रसिद्द 6ठी हम्मीर के वंशधर थे और यहाँ के प्रसिद्ध शासक जयसिंह देव ( पताई रावल ) के वंशज अपने को खिंची मानते है यधपि शिलालेख में खिंची शब्द नहीं हे ,पर जब इनके वंशज आपने को खिंची मानते हे तो निश्चिन्त रूप से जयदेव खिंची थे | अगर जयदेव खींची नहीं थे तो उसके पूरवज प्रथ्वीराज चौहान ( अजमेर ) के वंशज थे | अतः प्रथ्विराज भी खिंची चौहान हुए पर इतिहास ,साहित्य ,शिलालेख आदी किसी में भी प्रथ्वीराज या छठी हम्मीर किसी का खिंची नहीं लिखा गया है | सबमे इनको चौहान हि लिखा गया है फिर चांपानेर पावागढ़ के चौहानों के वंशजों को खिंची क्यूँ मान रहे हे ? यदि आदी पुरुष माणिक्यराय को हि खिंची मान ले तो खिंची और चौहान ऐक दुसरे के प्रयाय्वाची वाची शब्द हो गए फिर खिंची चौहानों की कोई खाप नहीं ,पर यह कथन भी युक्ति संगत नहीं | वस्तुत खिंची चौहानों की अन्य खांप देवड़ा हाड़ा आदी की तरह खाप हि हे अतः अभी मानिकराव से खिंचियों की उत्पति केसे मानी जाय | अगर ऐसा नहीं तो छठी हम्मीर के वंशजो द्वारा स्थापित चांपानेर पावागढ़ ( गुजरात ) के शासक जयदेव के वंशज आपने को खिंची क्यूँ मानते हे ? यधपि कोई प्रमाण नहीं पर ऐक संभावना 1480 में मालवा को शासक होसंगशाह के आक्रमण होने पर गागरोण दुर्ग की रक्षा करते हुए काम आये | उनके पुत्र पल्हन वंश रक्षा के लिए किले के बहार निकल गए |उन्होंने फिर मेवाड़ की सहायता से मुसलमानों से गागरोन छीन लिया पर फिर मुहम्मद शाह ने गागरोण छीन लिया संभतः इसके बाद पालहण काम आये | अचलदास के दुसरे पुत्र उदयसिंह थे | सम्भत व् पाल्ह्ण के उतराधिकारी हुए | शायद पाल्हण के उतराधिकारी उनकी उपाधि रावल थी | चांपानेर पावागढ़ के शासक जयसिंह को फारसी तवारीखों में उदयसिंह का पूरा लिखा हे जबकि शिलालेख में गंगदास के बाद जयसिंह का नाम आया है | मालूम होता हे शिलालेख में अंकित नामवली ,राजावली मालूम होती हे वंशवली नहीं | इस कारन अंकित किया गया है की गंगदास के बाद जयसिंह हुए जबकि वे उदयसिंह के पुत्र थे गंगदास से वि. 1503 में गुजरात के सुल्तान मुह्मद्द शाह ने चांपानेर छीन लिया | संभतः उसके बाद जयसिंह गंगदास के गोद थे | और उसी ने फिर चांपानेर पर अधिकार किया हो | इस द्रष्टि से जयसिंह खिंची संभतः अचलदास खिंची का वंशज हे इसके कारन चांपानेर के जयसिंह के वंशज खिंची कहलाते हे | पावागढ़ से निकलने वाले चौहान नहीं पावेचा कहलाते हे |
चितोड़ के राणा उदयसिंह का लालन पालन करने वाली आपने स्वामी की रक्षा करने वाली पन्ना धाय खिंची हि थी | मालवा के शासक हुसेन शाह ने अब गागरेंण पर आक्रमण किया तो उसका मुकाबला करने वाला अचलदास खिंची हि था

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Comments Uttamveer singh khinchi on 28-02-2024

Khinchi Chauhan ki ek shakha h
Or hmari 3 kuladeviya h alag alag
Shakambhri mata
Jeen mata
Ashapura

Chahat baisa on 07-12-2023

Khinchi Rajput ki still mata kha he

Mithun khichi on 01-12-2023

Khichi ko so category me aate h

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Khichi thikana kuship histori on 24-06-2023

Khichi thikana kuship histori

Purushottam on 14-04-2023

खिंची चौहान की कुलदेवी माँ आशापूर्ण है

Ramsingh khinchi@.g on 06-04-2023

khinchi Rajput ka adi purush kaun he

Rajesh Kumar Verma on 06-04-2023

सबल सिंह जी महू महल वाले ये kon he पूरी जानकारी मिल सकती है क्या

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khinchi Rajput history on 15-03-2023

khinchu Rajput gistory

Gurmeet Khenchi on 14-02-2023

Haryana M Hum Baba Deva Singh Ki Vansaj Khichi H

मनीष on 03-02-2023

रतन कुवार के काका का नाम करणसिंह है और ये 11 भाई है

Chandra Shekhar khinchi on 24-01-2023

खींची राजपूत की सती माता और भेरुजी कहां पर है कोई बताएं

Krishan rajput chauhan on 30-12-2022

Khinchi chauhan ki sari khap ke naam bataye

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Krishna khichi on 26-12-2022

My srnaem khichi

Ok

Vijay Singh chapoli on 25-12-2022

Khchi rajputo ki kuldavi kon h

Deewan Singh khichi on 12-10-2022

खींची khichi Rajput राजपूत

Deewan Khichi on 08-07-2022

Mera saval hai ki khichi ne itihas me kya kiya

Bhimraj on 16-04-2022

रतन कवर के काकाजी कौन है और कितने भाई है

Naresh Singh on 17-03-2022

खींची राजपूतों का संपूर्ण इतिहास की जानकारी दे वर्तमान में राजस्थान के kon kon se jilo main niwas karte hai

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Iam a khichi rajput on 06-02-2022

Iam a khichi rajput

Khatik khinchi k bare m kch jankari de on 28-01-2022

Khinchi khatik k bare me koi jankari de

SOHAN SINGH Khinchi on 04-01-2022

khichi chauhan ki utpati ke bare me sahi jankari den please or kuldevi kon kha pe h

Lokendra Singh Rajput on 25-08-2021

खींची चौहान के भेरू महाराज कहा स्थित है

Rajesh on 21-07-2021

kya khinchi or hada rajputo me koi ladai ki kahai prachalit he

A S Khinchi on 03-07-2021

खींची गोत्र क्या अन्य जाती में भी है । क्या जिनका गोत्र खींची है वह खींची राजपूत समाज में से ही निकले है कर्म (काम) की वजह से जाती बदल गई है? कृपया उत्तर जरूर दें धन्यवाद

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shiv vijay on 26-06-2021

khichi chauhan ki utpati ke bare me sahi jankari den please

Khichi yaspal on 22-06-2021

Khichi ka sacha itiyash

KUNWAR ANKIT KHICHI RAJPUT on 08-06-2021

RAJA RATAN SINGH IS MY GRANDFATHER IS GREAT-GRANDFATHER

Deepanshu singh mer on 08-04-2021

Shree ranjeet singh ji naresh kon hai marwad ke ratan kanwar ji ke Kako sa

Shailendra kumar singh on 02-04-2021

खींची राजपूत जो khechad भी कहलाते है की कुलदेवी chhitiki mai और कुलदेवता talaka बाबा है, इसे दर्ज किया जाये

Anandpal singh khichi on 22-03-2021

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Khichi chandraveer singh on 06-03-2021

Im a khichi rajput

Narendar on 21-02-2021

Khichi ki kuldevi ka naam kya hai

Shrawan Singh on 05-02-2021

Tejaji maharaja..khichi Chouhan thee?

Devraj malviya on 14-01-2021

श्री खींची महाराज आज भी राजस्थान के झालावाड़ जिले मे स्थित महु महल। मे विराजमान हे। महु महल खींची दरबार बहुत से लोगो के शरीर मे आते हे। महु महल। जाने के लिए आप गूगल पर सर्च कर सकते हे ।
धन्यवाद।
जय श्री खींची दरबार कि।

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Rajesh on 07-01-2021

Kya ap bata sakte he ki ratan kawar ke pita ji ka kya nam he

Chandra Shekhar khinchi on 22-12-2020

Khinchi ki kuldevi Jon and Kaha hai with address bataye
Chandra Shekhar Singh khinchi

Surendra Singh khichi on 10-10-2020

खींची के भेरू महाराज कहा है कोई बता सकते है

Narendra Singh khichi on 08-10-2020

Im khichi rajput

Rajkumar Singh on 23-09-2020

Khinchi rajpoot kis category me aate hain

Mai khinchi rajpoot hoon

Deepak mahawar on 06-09-2020

मुरली सिंह खींची जी कोन है

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परमदेव on 20-03-2020

सब खिंची गए मोक्ष हो गया ।।अब तो राडोड खिंची बनकर आरहे है ।

Balram rav on 04-03-2020

Moti Singh Ji khinchi ke bhatijon ka kya Naam tha

Deewan Singh khichi on 01-03-2020

Deewan Singh khichi
Bhesani
Gathla

Bhairulal on 04-02-2020

खींची राजपुत वंश की कूल देवी राता देवी हैं झालावाड़ जिला राजस्थान में ,,,। मऊ मऊ धरा भीमसागर डैम के पास खींची राजाओं के महल स्थित है जोकि अचल दास जी खींची राजा के पूर्वज थे और गूगल में भी खींची राजाओं के रियासत थी जोकि शेरगढ़ के राजा नवाब से युद्ध हुआ था इन की कुलदेवी राता देवी हैं

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रामसिंह खींची on 16-01-2020

खींची गौत्र अन्य जाति मै क्यो पायी जाती हे


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