Sompura VishwaVidyalaya सोमपुरा विश्वविद्यालय

सोमपुरा विश्वविद्यालय

Pradeep Chawla on 12-05-2019

प्राचीन “सोमपुरा बौद्ध विश्वविद्यालय” छठे नंबर का था । प्राचीन बंगाल

और मगध में पाला राजाओं के अवधि के दौरान वरेन्द्र के विजय अभियान के बाद

बनाया (लगभग 810-850) गया था। जिसके धर्मपाल और देवापला उत्तराधिकारी थे

पहर्पुर स्तंभ शिलालेख भिक्षु अजयागार्भा के नाम के साथ साथ भदंत

महेंद्रपाला उत्तराधिकारी (लगभग 850-854) का उल्लेख है । तारानाथ “पग- सैम

जॉन झांग” रिकॉर्ड कि और विद्यालय की मरम्मत “महिपाला” (लगभग 995-1043 ई.)

के शासनकाल के दौरान पुनर्निर्मित किया गया था । सोमपुरा बौद्ध

विश्वविद्यालय के अवशेष वर्तमान के “बांगलादेश” देश में है । जिसका स्त्रोत

सम्राट अशोक के स्तुपो-शिलालेख रहे है।
तिब्बती सूत्रों के अनुसार,

“सोमपुरा बौद्ध विश्वविद्यालय” धर्माकयाविधिंद (Buddha moral values)-

मध्यमका (Mass communication )- रत्नाप्रदिपा (wisdom) तर्क (Logic), कानून

(law), इंजीनियरिंग (Engineering), चिकित्सा विज्ञान (medical sciences)

इन विषयों में प्रभुत्व था । तारानाथ के बौद्ध इतिहास के रचनाओं में

“पग-सैम-जॉन झांग” का तिब्बती अनुवाद सहित तिब्बती साहित्य के रचना का

स्रोत “सोमपुरा बौद्ध विश्विद्याल” रहा है।

इस विश्वविद्यालय में

बौद्ध शिक्षा के निल्तिमुल्ल्यो के आधार पर मानवजातिका के विकास के साथ

विद्यामुल्क-विज्ञानं के विषय निशुल्क पढाये जाते थे। और लगभग 8500 छात्र

के लिये सुविद्धा थी। बौद्धकालीन युग में प्रमुख बौद्ध विश्वविद्यालय के

साथ सोमपुरा बौद्ध विश्वविद्यालय का पाला राजाओ द्वारा नेटवर्क का गठन किया

गया था । ताकि राज्य पर्यवेक्षण के अंतर्गत ‘सोमपुरा बौद्ध विश्वविद्यालय”

को सभी सुविधाए प्राप्त हो और समन्वय के प्रणाली के अंतर्गत इके “अस्तित्व

में” लाया जा सके जिसका श्रेय पाला राजाओं दिया जाता है ।


सभी

प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय आपस में संस्थाओं का समूह था, यह इसलिए की

राज्य-राज्य में समन्वय स्थापित हो सके और स्थिति में समन्वय बनाए रखने में

महान बौद्ध भिक्षु विद्वानों के लिये उपुक्त साबित हो, और आपस को

स्थानांतरित करने के लिये इस नेटवर्क समन्वय को बनाए रखने में यह प्रणाली

बेहतरीन उपयोग साबित हुई । एक प्रकार “International relations” नेटवर्क

स्थापित करने का श्रेय प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय को दिया जाता है ।




भदंत अतिष दीपांकर, भदंत सृज्नन ने यहाँ कई वर्षों के लिए रुके थे, और

तिब्बती भाषा में मध्यमका और रत्नाप्रदिपा के अनुवाद किया, अधिक समय के

लिये भदंत आतिश बौद्ध आध्यात्मिक आचार्य के रूप में रहे, भदंत रत्नाकरशांति

ने विद्यलय की स्थविर के रूप में सेवा की. भदंत महापंदिताचार्य बोधिभाद्र,

निवासी भिक्षु के रूप में सेवा की है, और कई अन्य बौद्ध भिक्षु विद्वानों

ने आपने जीवन का कुछ हिस्सा खर्च किया, भदंत कलामहपदा , विर्येंद्र और

करुनाश्रीमित्र सहित इस बौद्ध विश्वविद्यालय में अपने जीवन को समर्पित

किया, तिब्बती भिक्षुओं 9 वीं और 12 वीं सदियों बीच सोमपुरा बौद्ध

विश्वविद्यालय का दौरा किया ।


चतुष्कोणीय 177 कोशिकाओं और केंद्र

में पारंपरिक बौद्ध स्तूप की संरचना की गई थी। कमरे आवास और ध्यान के लिए

भिक्षुओं द्वारा इस्तेमाल किया गया. एक विशाल सोमपुरा बौद्ध विश्वविद्यालय

27 एकड़ (110.000 m2) में विकशित था । और बुद्ध धर्म के शिक्षा का प्रभाव

को प्रदर्शित करता था । एक प्रकार बर्मा के बौद्ध विहार और विश्वविद्यालय

की याद ताजा करती है, जावा और कंबोडिया, दक्षिण – पूर्व एशिया को बौद्ध

विश्वविद्यालय, वास्तुकला और शिक्षा को भारत के प्रतिनिधित्व के रूप में

मानक बन गया था । “विपुलाश्रीमित्र” रिकॉर्ड के वृतान्त चीख-चीख कर कह रहा

की बौद्ध विश्वविद्यालय के ग्रंथालयो को कट्टर ब्राम्हणवादियों ने आग लगी

थी।


कर्नातादेशातागता ब्रह्मक्सत्रिया को सेन राजवंश, के रूप में

जाना जाता है इनके शासन के दौरान, 12 वीं सदी की दूसरी छमाही में

विश्वविद्यालय गिरावट शुरू हुई थी । अंततः 13 वीं सदी के दौरान जब क्षेत्र

मुस्लिम कब्जे में आया था, लेकिन एक विद्वान भिक्षु लिखते हैं की

विश्वविद्यालय को और Pāhāपुर के विहारों को मुस्लिम आक्रमणकारी द्वारा बड़े

पैमाने पर विनाश के कोई स्पष्ट निशान नहीं मिलते. पतन, परित्याग, विनाश और

मुस्लिम आक्रमण के फलस्वरूप जनसंख्या का विस्थापन अशांति के बीच में बौद्ध

नीतीमुल्लयो के विश्वविध्यालयो दास्तान खंडरो में तब्दील हुई, जो आज भी

हमें स्मरण कराती है ।(यह चित्र “सोमपुरा बौद्ध विश्विद्याल” का है)


जग मे बुद्ध का नाम है यही तो भारत देश की शान है

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Comments Harishchandra C Sompura on 09-02-2022

Please tell me that Is sthapatya kala teached in SOMPURA VISHV VIDYALAYA?.

Sompura vishwavidyalaya mahiti on 04-08-2020

Ujxisopsuejxidkxjeizeko


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