धारा 125 में बदलाव 2017
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता देने का आदेश और घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत गुजारा भत्ता देने का आदेश दोनों ही एक-दूसरे से स्वतंत्र अस्तित्व रखते हैं। कोर्ट ने इस बारे में उठाए गए प्रश्न के संदर्भ में यह बात कही।...
कोर्ट ने कहा- “…ऐसा लगता है कि घरेलू हिंसा क़ानून के तहत जो राशि देने का आदेश दिया गया है वह सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारे भत्ते के आदेश के बदले नहीं हो सकता”। इसके आगे कोर्ट ने कहा कि धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता देने के आदेश के खिलाफ पति ने ...
आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर किया हुआ है और इसे 25 जुलाई 2016 को खारिज कर दिया गया। इस याचिका में कहा गया था कि चूंकि याचिकाकर्ता पति घरेलू हिंसा क़ानून के तहत पहले से ही गुजारा भत्ता दे रहा है तो फिर धारा 125 के तहत भी उसे यही करने को नहीं कहा जा सक...
कहा जा सकता। पर हाई कोर्ट ने इस दलील को सीधे नकार दिया।...
पत्नी, नाबालिग बच्चों या बूढ़े मां-बाप, जिनका कोई अपना भरण-पोषण का सहारा नहीं है और जिन्हें उनके पति/पिता ने छोड़ दिया है या बच्चे अपने मां बाप के बुढापें में उनका सहारा नहीं बनते हैं और उनको भरण-पोषण का खर्च नहीं देते हैं तो धारा 125 दण्ड प्राक्रिया संहिता के अन्तर्गत ऐसे व्यक्ति खर्चा गुजारा प्राप्त करने का अधिकार रखते हैं। इस धारा 125 दण्ड प्राक्रिया संहिता, 1973 के तहत पति या पिता का यह कानूनी कर्तव्य है कि वह पत्नी, जायज या नाजायज नाबलिग बच्चों का पालन पोषण करें। अगर ऐसा पति या पिता पत्नी या बच्चों को खर्चा देने से इन्कार करें तो उनके द्वारा प्रार्थना पत्र या दरखास्त देने पर न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी को कानूनी अधिकार है कि वह आवदेक को 500 रूपये खर्च प्रति व्यक्ति की दर से प्रदान करें और यह रकम उस पति से या पिता से अदालत के निर्देश द्वारा जबरन वसूल की जा सकती है।
भरण-पोषण धारा 125 द.प्र.स. 1973 के प्रावधान
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 से 128 तक इस सामाजिक समस्या निवारण के लिए बनाए गये कानून हैं। इन धाराओं के अधीन, निश्रित पत्नी, बच्चे व माता-पिता याचिका प्रथम श्रेणी के ज्युडिशियल मैजिस्ट्रेट की अदालत में दायर कर सकते हैं।
खर्चा प्राप्त करने के लिए याचिका ऐसे अधिकार क्षेत्र वाले ज्युडिशियल मैजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी की अदालत में दी जा सकती है।
जहां पति उस समय रह रहा हो।जहां प्रतिवादी हाल तक आवेदक के साथ रहता रहा हो,
जहां आवेदक रहता हो/जहां प्रतिवादी का स्थाई निवास हो,
जहां पति-पत्नी याचिका से पहले (चाहे अस्थाई रूप से) रह रहे हों।
धारा 125 सी0आर0पी0सी0 की कार्यवाही की प्रणाली
खर्चे के लिए दी गई याचिका-आरोप पत्र न होकर एक याचिका होती है इसलिए प्रतिपक्षी को अभियुक्त नहीं बल्कि प्रत्यार्थी माना जाता है। यह कार्यवाही पूर्णतया फौजदारी नहीं होती बल्कि अर्ध-फौजदारी होती है। याचिका अदालत में प्रत्यार्थी को सम्मन जारी किये जाते हैं। अगर प्रत्यार्थी सम्मन लेने से जान बूझकर इन्कार करे या सम्मन मिलने के बावजूद अदालत में उपस्थित न हों तो उनके खिलाफ एक तरफा कार्यवाही के आदेश दिये जा सकते हैं। एक तरफा फैसले का आदेश उचित कारण साबित किये जाने पर तीन महीने के अन्दर रद्द करवाया जा सकता है। प्रार्थी या प्रत्यार्थी दोनों पक्षों को अपने आरापों को साबित करने के लिए गवाही देने का अधिकार है। दोनों पक्ष स्वयं अपने गवाह के तौर पर अदालत के समक्ष पेश होने का अधिकार रखते हैं। केस व अनुमान सावित्री बनाम गोबिन्द सिंह रावत,1986(1) सी.एल.आर.पेज नं0 331 में उच्च न्यायालय द्वारा निर्देश दिया गया है कि जब तक 125 सी0आर0पी0सी0 के तहत कारवाई पूरी होने तक गुजारा भता बारे कोई अन्तिम फैसला नहीं होता तब तक अन्तरिम आदेश के तहत 125 सी0आर0पी0सी0 की दरखास्त दायर होते ही गुजारा भता दिया जा सकता है। यहां यह भी बताना उचित होगा कि केस व अनुमान श्रीमती कमला वगैरा बनाम महिमा सिंह, 1989(1) सी.एल.आर.पेज न0 501 में दर्ज, उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले के मुताबिक ऐसी हर दरखास्त जेर धारा 125 सी0आर0पी0सी0 दुबारा चालू हो सकती है जो प्रार्थीय के न आने के कारण खारिज कर दी गई हो। यहां यह भी बताना उचित होगा कि केस व अनुमान पवित्र सिंह बनाम भुपिन्द्र कौर, 1988 एस.एल.जे. पेज न0 164 में दर्ज उच्च न्यायालय के फैसले के मुताबिक ऐसी दरखास्त जेर धारा 125 सी0आर0पी0सी0 जो राजीनामा की वहज से वापिस ले ली गई हो दुबारा चलाई जा सकती है अगर उस केस का राजीनामा टूट जाये।
धारा 125 सी0आर0पी0सी0 के अधीन खर्चा प्राप्त करने की पात्रता हर उस व्यक्ति पर जो साधन सम्पन्न है, यह कानूनी दायित्व है कि वहः
अपनी पत्नी जो अपना, खर्चा स्वयं वहन न कर सकती हों,
अपने नाबालिग बच्चों (वैध व अवैध) जो स्वयं अपना खर्चा चलाने में असमर्थ हो,
अपने बालिग बच्चों (वैध व अवैध) सिवाय विवाहित पुत्री के) जो शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम होने पर अपना खर्चा स्वयं वहन न कर सकते हों,
अपने वृद्ध व लाचार माता पिता जो स्वयं अपना खर्चा उठाने में असमर्थ हो, कि वह उनका खर्चा व पालन पोषण का व्यय उठाएं।
ध्यान रहे कि केवल कानूनन व्याहिता पत्नी ही खर्चा लेने की अधिकारिणी है।
दूसरी (पत्नी जो विवाह कानून द्वारा मान्य नहीं है, या रखैल, खर्चा प्राप्त करने की हकदार नहीं है लेकिन वैध या अवैध सन्तानें इस धारा के अन्तर्गत खर्चा लेने की हकदार है।)
खर्चा प्राप्त करने हेतू साक्ष्य
खर्चा प्राप्त करने के लिए प्रार्थी को निम्नलिखित बातें साबित करना आवश्यक हैः-
कि प्रार्थी के पास खर्चा देने के पर्याप्त साधन हैं।
वह जानबूझकर भरण-पोषण देने में आनाकानी या इन्कार कर रहा है।
आवेदक प्रत्यार्थी के साथ न रहने के लिए मजबूर है, अगर पति के खिलाफ व्यभिचार (परस्त्रीगमन) निर्दयता (शारीरिक व मानसिक) दूसरी शादी या अन्य ऐसे कोई आरोप साबित हो तो पत्नी द्वारा अलग रह कर खर्चा प्राप्त करने का अधिकार मान्य होगा।
आवदेक के पास स्वयं अपना खर्चा चलाने के लिए कोई साधन उपलब्ध न है।
लेकिन अगर पत्नी स्वयं व्यभिचारणी का जीवन बिता रही है। या
पत्नी बिना किसी उचित कारण के पति के साथ रहने से मना करती हो
पति-पत्नी स्वयं रजाबन्दी से अलग रह रहे हों, तो खर्चा प्राप्त करने की याचिका रद्द की जा सकती है। अदालत द्वारा प्रति माह व्यक्ति (आवेदक) 500 रूपये से अधिक खर्चे का आदेश नहीं दिया जा सकता। यह आदेश अदालत द्वारा दोनों पक्षों की आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियों, उनकी जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जाता है। किसी भी पक्ष की परिस्थितियों में फेर बदल होने पर खर्च के आदेश को रद्द या कम या ज्यादा किया जा सकता है।
धारा 127 सी0आर0पी0सी0 के तहत खर्चे मे तबदीली
अगर खर्चा प्राप्त करने वाले व्यक्ति का समय व्यतीत हो जाने के उपरान्त अदालत द्वारा प्रदान किये हुए खर्चे से गुजारा नहीं होता या जिस व्यक्ति के विरूद्ध खर्चा लगवाया गया है उसकी आर्थिक स्थिति में खर्चे के निर्देश उपरान्त तबदीली आती है तो खर्चा प्राप्त करने वाले व्यक्ति को अधिकार है कि वहा न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी की अदालत में खर्चा बढ़ाने के लिए आवेदन धारा 127 दण्ड प्राक्रिया संहिता के तहत दे सकता है। 2001 के अधिनियम 50 ने तबदीली लाई है कि खर्चे की रकम अदालत हालत के मुताबिक तय करेगी और इसकी कोई सीमा न होगी। अगर इस प्रकार के आवेदन पर पत्नी, बच्चों या माता पिता के खर्चा तबदीली करने की सुनवाई करता है तो अदालत किसी दिवानी दावे में हुए फैसले को भी मद्देनजर रखेगी। इस प्रकार अगर किसी पत्नी ने तलाक लिया है या पति ने उसे तलाक दिया है और ऐसी पत्नी तलाक लेने के उपरान्त दूसरी शादी कर लेती है तो अदालत को अधिकार है कि वह पति के आवेदन पर ऐसी पत्नी के खर्चा गुजारे के आदेश को उसके द्वारा शादी करने की तारीख से रद्द कर सकती है।
धारा 128 सी0आर0पी0सी0 के अधीन आदेश कैसे लागू किया जाता है
अगर प्रत्यार्थी बिना किसी उचित कारण के आदेश का उलंघन करता है तो खर्चे की रकम के बारे में वारन्ट जारी किया जा सकता है। वारन्ट जारी होने के बावजूद मासिक खर्चे के भुगतान होने की स्थिति में प्रत्यार्थी को एक माह तक की कैद हो सकती है। खर्चे के आदेश को लागू करने की याचिका, देय तिथि के एक साल के भीतर दिया जाना अनिवार्य है। हमारे उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले के मुताबिक प्रत्यार्थी को उतने महीने तक लगातार जेल में बन्द रखा जा सकता है जितने महीने तक का गुजारा भता उसने नहीं अदा किया हो। यहां यह भी कहना उचित है कि किसी भी पत्नी को अपने पति से देय गुजारा वसूल करने के लिये अदालत में कोई पैसा जमा करवाने की जरूरत नहीं होती हैं। एमपरर बनाम सरदार मोहम्मद, ए.आई.आर. 1935, लाहौर, पेज 758
हिन्दू विवाहित स्त्री, हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा-24 के तहत गुजारा भत्ता ले सकती है और तो और पति की मृत्यु के पश्चात यदि स्त्री दूसरा विवाह नहीं करती तो उसे सास-ससुर से भी गुजारा भत्ता लेने का अधिकार है। हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार पत्नी अपने बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा और भरण-पोषण के लिए आवेदन कर सकती है। इसके लिये उसे यह साबित करना होता है कि जीवन यापन के लिए उसके पास आय का कोई स्थायी स्रोत नहीं है और वह वित्तीय तौर पर अपना गुजारा नहीं कर सकती। फैमिली कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि बिना कारण पति का घर छोड़ने से पत्नी को भरण-पोषण पाने का अधिकार नहीं है। इसी के साथ अदालत ने युवती द्वारा पति के खिलाफ लगाया गया भरण-पोषण का आवेदन खारिज कर दिया। फैमिली कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि बिना कारण पति का घर छोड़ने से पत्नी को भरण-पोषण पाने का अधिकार नहीं है। इसी के साथ अदालत ने युवती द्वारा पति के खिलाफ लगाया गया भरण-पोषण का आवेदन खारिज कर दिया।
Meri saadi ko saal 6month ke baad meri wife 2bachon ke saath apne maayke reh rahi hai or 125,dhaeaj,talak ka case daal diya mera 1saal 6 month se 5000kharchaa bahandha hua ha jo ki me aaj tek court me haazir nahi hua .mujhe ab kya karna chahiye
Ham dono ka hi dusra vivah hai use pahle pati se 1ladki hai 6sal ki. Mere Mere 2 bachche pahli patni se hai. Mera court se divorce hua hai aur usne Samajik panchayat se talaknama ki notary karwayi hai.
Wo mere sath sirf Karib 40 din rhi fir mere yaha achcha nahi lag raha ki bat kahkar uske ghar chali gyi. Fir usne 125 crpc antrgat case laga diya. Kya use bharan posshan dena hoga mai government job me hu.
यह आज भी सच है क्या और इस बात को कानून आज भी लागू करके रखा है क्या कि यदि पत्नी ससुराल छोड़कर पति का घर छोड़कर मायके में बिना कारण के रहती है तो पति के द्वारा भरण पोषण देने का अधिकार नहीं है इसके बारे में bata
अगर पत्नी का चौथा विवाह हौ तो भी पत्नी 125 का सहारा ले सकती है और अगर उसने दूसरे पती से गुजार लीया है तो भी
यह आज भी सच है क्या और इस बात को कानून आज भी लागू करके रखा है क्या कि यदि पत्नी ससुराल छोड़कर पति का घर छोड़कर मायके में बिना कारण के रहती है तो पति के द्वारा भरण पोषण देने का अधिकार नहीं है इसके बारे में bata
यह आज भी सच है क्या और इस बात को कानून आज भी लागू करके रखा है क्या कि यदि पत्नी ससुराल छोड़कर पति का घर छोड़कर मायके में बिना कारण के रहती है तो पति के द्वारा भरण पोषण देने का अधिकार नहीं है इसके बारे में bata
यह आज भी सच है क्या और इस बात को कानून आज भी लागू करके रखा है क्या कि यदि पत्नी ससुराल छोड़कर पति का घर छोड़कर मायके में बिना कारण के रहती है तो पति के द्वारा भरण पोषण देने का अधिकार नहीं है इसके बारे में bata
यह आज भी सच है क्या और इस बात को कानून आज भी लागू करके रखा है क्या कि यदि पत्नी ससुराल छोड़कर पति का घर छोड़कर मायके में बिना कारण के रहती है तो पति के द्वारा भरण पोषण देने का अधिकार नहीं है इसके बारे में bata
मेरो शदी कौ8 साल हौगे मेरा उपरे दहेज का केसा हौ सकता है क नहौ मेरी 2 लडकी हे मने 2013 मे शकशन 9 का केसा मेरी प़तनी पर किया था केसा मेरा हक मे हौ गया मैरी पतनी कोटै मै नही अयी उसने मेरा उपरे 125 खचौ का केसा कर हिया हमारे सौमता हौ गाया मेरी सारी जमीन मेरी पतनी के नाम हे अौर मेरी लडकी के नाम शादी की यौजन सीकम के पैैसे एलआईसी मे जमा करवा रहा ह् दौने लडकी के अब मेरी पतनी बिना किसी कारण के अपने माता पिता के पास चली गयी ह मेरी पतनी मेरे कहने से बाहर चला रही हे अपने माता पिता के कहने पर चलती हे अब उसे ने मेरे उपरे 125 का केसा कर दिया हे मेरे कौ द्बबारा फिरै शकशन9 का केसा करनी पडगै मे अपनी पतनी कौ लाना चाहता ह् अौर मेरे उपरे खचो क केसा वना सकता ह क नही
Maine dhara 9 ek tàrfa jeet liya hai. Use 2 saal pure ho gaye hai .Udar Meri patni ne gharelu hinsa ka kes karke 1500 ru mentanance lagvaya hai .ab muze bina kuch rupaye diye talak mil sakta hai.
Meri saadi ko saal 6month ke baad meri wife 2bachon ke saath apne maayke reh rahi hai or 125,dhaeaj,talak ka case daal diya mera 1saal 6 month se 5000kharchaa bahandha hua ha jo ki me aaj tek court me haazir nahi hua .mujhe ab kya karna chahiye
Agar patni ka chotha viva hy to bi 125 ka sahara lay sakti hai aur agar dusare pati kay paas sy gujara liya hy to bi sir
यह आज भी सच है क्या और इस बात को कानून आज भी लागू करके रखा है क्या कि यदि पत्नी ससुराल छोड़कर पति का घर छोड़कर मायके में बिना कारण के रहती है तो पति के द्वारा भरण पोषण देने का अधिकार नहीं है इसके बारे में bata
Sir mery patni ne dhara 125 me bhardh poshan laga de h me kuch nahi karta or mery paas ladki he patni ke paas ladka h 6 month ka upay please sir
यह आज भी सच है क्या और इस बात को कानून आज भी लागू करके रखा है क्या कि यदि पत्नी ससुराल छोड़कर पति का घर छोड़कर मायके में बिना कारण के रहती है तो पति के द्वारा भरण पोषण देने का अधिकार नहीं है इसके बारे में bata
Mai gov job me hu KY muje guzra batta MIL Sakta hai
sir mera nam sitala aur meri bibi ka nam sunaina hai.meri shadi 26 may 2010 me hui hai. meri bibi shadi ke bad sirf 3 mah mere sath rahi hai. mujhe bina kisi karan 6 sal pahale chhod kar apane maike chali gayi unake jane ke 7 mah bad vahi par unako ek bachcha paida hua. phir mai vaha par unako dekhane gaya 1 din bad jab mai vaha se ane laga to mai bola ki papa bidai ke liye bole hai to unaki badi bahan boli sunaina jayegi lekin bachcha nahi jayaga to mai bola bachcha kyo nahi jayega to unaki bahan boli ki sunaina ne bachche ko mujhe de diya hai. to mai bola ki mujhase bina kuchh puchhe app log aisa kaise kar sakate hai tab unaki bahan boli tumhare pas rahane ka thikana nahi hai aye ho bidai karane. mai vaha se chala aya usake bad mujhe dhamaki dene lage ki shanti raho nahi to mai tumhe dahej me phasa dugi jisase mai dar gaya. tab mai nyayalay ki saran me vaya aur dhara 9 dakhil kiya usake bad bhi wo nahi ayi tab mujhe dhara 9 ki digri mili. sir 06 sal ho gaya hai abhi tak mujhe nyay nahi mila hai. mai ek pair se bikalang hoo. kab tak aise hi nyayalay ke chakkar lagauga. meri bibi bhi bikalang hai lekin wo bade ghar ki mai unaka pata nahi likhuga nahi to wo mere sath kuchh bhi kar sakati hai. mujhase koi galati hui ho to mujhe maph kijiyaga .
125खर्चे का केस खारिज होने पर क्या करें फैमिली कोर्ट से केस खारिज होने पर कौनसी कोर्ट में जाए प्लीज मुझे बताएं
Wife 10000 bharan posan 10 saal se le Rahi hai 5 saal se sath mai rahti tab bhi le Rahi hai do bacche hai 1 boy 1 girl dono balige hai,
Ab wife ne 125.3 ka summens bheja hai uske bad maine Ghar Diya, gharelu hinsha bhi laga hua hai, sir pse help me
यह आज भी सच है क्या और इस बात को कानून आज भी लागू करके रखा है क्या कि यदि पत्नी ससुराल छोड़कर पति का घर छोड़कर मायके में बिना कारण के रहती है तो पति के द्वारा भरण पोषण देने का अधिकार नहीं है इसके बारे में bata
यह आज भी सच है क्या और इस बात को कानून आज भी लागू करके रखा है क्या कि यदि पत्नी ससुराल छोड़कर पति का घर छोड़कर मायके में बिना कारण के रहती है तो पति के द्वारा भरण पोषण देने का अधिकार नहीं है इसके बारे में bata
mujhe samman nahin aye to mujh par gujara kyun badha
यह आज भी सच है क्या और इस बात को कानून आज भी लागू करके रखा है क्या कि यदि पत्नी ससुराल छोड़कर पति का घर छोड़कर मायके में बिना कारण के रहती है तो पति के द्वारा भरण पोषण देने का अधिकार नहीं है इसके बारे में bata
Kya Talak sida patni bharnposan le Sakti
पत्नी का मेंटेनेंस केस खारिज होने पर भी क्या पत्नी दुबारा उसी कोर्ट में मेंटेनेंस का केस डाल सकती है
कृपया बताइए
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