सौर ऊर्जा प्लांट इन राजस्थान
दुनिया के सबसे बड़े सोलर पार्क की स्थापना राजस्थान में होने से बढ़ी विकास की उम्मीदें, 900 कम्पनियों ने परियोजना लगाने के लिए कराया पंजीकरण
भारत सरकार के जवाहरलाल नेहरू सोलर मिशन के तहत जोधपुर जिले के बडला गांव में कुछ समय पहले दुनिया के सबसे बड़े सोलर पार्क का शिलान्यास केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री किया गया था। जिसका विकास तीन चरणों में किया जाना है। कुल 10,000 हेक्टेयर जमीन का चयन किया जा चुका है, जिसमें से पहले चरण के तहत 3,000 हेक्टेयर जमीन का सर्वेक्षण किया गया है। प्रथम चरण में 75 मेगावाट की सात परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी। मार्च 2014 तक इनका निर्माण पूरा होने की उम्मीद है। वर्ष 2018 तक यहां चार गीगवाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा।
भारत सरकार के इस मिशन के तहत देश की 900 प्रतिष्ठित कम्पनियों ने सौर ऊर्जा परियोजनाएं लगाने के लिए राजस्थान को चुना गया। इन कम्पनियों ने राजस्थान में निवेश करने के लिए पंजीकरण करवाए। ये कम्पनियां हजार मेगावाट की परियोजनाएं स्थापित करेंगी। पूरे देश के लिहाज से गुजरात के बाद राजस्थान में सर्वाधिक सोलर प्रोजेक्ट स्थापित हो रहे हैं। खासकर पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में सूरज का ताप सोना उगलेगा। यहां जोधपुर में 293 मेगावाट, जैसलमेर में 94 व बीकानेर में 65.9 मेगावाट के प्रोजेक्ट लग चुके हैं। आने वाले पूरे राजस्थान में पैदा होने वाली सोलर एनर्जी का सबसे ज्यादा हिस्सा इसी क्षेत्र से मिलेगा।
भारत सरकार के जवाहरलाल नेहरू सोलर मिशन से राजस्थान में दूर-दूर तक फैले अथाह रेत के टीलों की फिजा अब बदलने लगी है। इसका बड़ा कारण यहां ऊर्जा का उत्पादन है। यह राज्य पहले पवन ऊर्जा और अब सोलर हब बनने की राह पर अग्रसर हो रहा है। नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा मंत्रालय की योजना के तहत राजस्थान में विकसित किए जा रहे सौर ऊर्जा प्लांटों से हजारों बेरोजगारों को रोजगार मिल रहा है। सौर ऊर्जा से निकली इस रोजगार रूपी रोशनी से आज समूचा पश्चिम राजस्थान जगमग हो रहा है। एक प्रकार से ग्रामीणों पर धन वर्षा हो रही है। कभी दूसरे प्रदेशों में जाकर दो जून की रोटी का जुगाड़ करने वाले युवाओं को अब गांवों में ही रोजगार उपलब्ध होने लगा है।
भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की योजना से ग्रामीणों में रोजगार की उम्मीद जगी है। कानासर गांव के रहने वाले किशनलाल सियाग क्षेत्र में लग रही सोलर इकाइयों से काफी खुश हैं। उन्होंने बताया कि वह पहले गुजरात में मजदूरी के लिए जाता था। अब उसे यहीं रोजगार मिल रहा है। कभी पूरे इलाके में दूर-दूर तक लोग नजर नहीं आते थे। अब लोगों की स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलने लगा है। यही नहीं, जब से यहां सोलर एनर्जी की इकाइयां लगने लगीं, तब से महिलाओं को आमदनी होने लगी है। पशु पालन व अन्य गृह उद्योग चल पड़े हैं। बाप निवासी सुशीला बताती हैं कि उन्होंने डेयरी फार्म खोल लिया है। रोजाना सौ लीटर दूध बिकता है। इसी तरह अन्य उत्पाद बिकने से अच्छी आमदनी हो जाती है।
भारत सरकार की इस महती योजना से यहां के लोगों का जीवन स्तर सुधरने लगा है। बाप निवासी दिलीप कुमार शर्मा कहते हैं कि सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट आने से लोगों के मकान किराये पर चढ़ गए हैं। सैकड़ों होटल बन रहे हैं। नए मकान बन रहे हैं। कभी पूरे इलाके में मीलों तक गांव नहीं होते थे। अब सोलर कंपनियां गांवों के सामुदायिक विकास पर जोर दे रही हैं। रावरा गांव में दर्जनों प्रोजेक्ट लगे हैं। यहां के सरपंच पहाड़ सिंह बताते हैं कि सोलर कंपनियां गांव में कई विकास कार्य करवा रही हैं। रावरा में उप स्वास्थ्य केंद्र खुल गया है। सामुदायिक केंद्र व सड़कों का निर्माण हो रहा है। इसी तरह बड़ी स्टिड गांव में तीन सामुदायिक केंद्र बनावाये गए हैं। पूरे क्षेत्र में वृक्षारोपण का अभियान चलाया जा रहा है। कई कंपनियां निर्माण क्षेत्र में लगे लोगों के बच्चों की शिक्षा के लिए प्रयासरत हैं। बाप को तहसील उपखंड का दर्जा दिया है। इस बार पुलिस थाने को अपग्रेड किया गया है। यहां आईटीआई खुल रही है। साथ ही औद्योगिक क्षेत्र की प्लानिंग चल रही है। सोलर प्लांटों की सुरक्षा के लिए अलग से पुलिस चौकी प्रस्तावित है।
भारत सरकार के जवाहरलाल नेहरू सोलर मिशन से पूरा मध्य प्रदेश सोलर हब के रूप में उभरने लगा है। सोलर प्लांट लगाने के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। यही नहीं पिछले तीन साल में 513 मेगावाट के प्रोजेक्ट लगे हैं। इनमें से 330 मेगावाट के प्रोजेक्ट तो जोधपुर जिले में ही स्थापित हुए। मिशन के तहत इस साल राजस्थान में 270 मेगावाट के सोलर प्लांट मंजूर किए गए। इनमें से 200 मेगावाट के प्रोजेक्ट अकेले जोधपुर में लग रहे हैं। वर्ष 2018 तक चार गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य बनाया गया है। इसमें 15 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा। इतने निवेश से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। साथ ही राजस्थान बिजली के मामले में आत्मनिर्भरता की और बढ़ेगा।
सोलर प्रोजेक्ट आने से पश्चिम राजस्थान में ढांणियां भी सोलर लाइटों से जगमग हो रही हैं। वर्षों से अंधेरे में रह रहे यहां के लोगों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। इसमें भी उपभोक्ताओं को 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है। यही नहीं शैक्षणिक संस्थाओं, औद्योगिक इकाइयों, अस्पताल, नर्सिंग होम, होटल एवं रिसोर्ट्स, सरकारी संस्थानों और वाणिज्यिक संस्थानों को भी सोलर प्रोजेक्ट लगाने में अनुदान दिया जा रहा है। इस स्कीम के तहत क्रमश: 24, 37, 100, 250, 500 व 1000 वाट क्षमता के उपकरण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग व राजस्थान उद्यानिकी विभाग द्वारा राजस्थान में संचालित सौर ऊर्जा पंप सिंचाई प्रणाली को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। सोलर पंप प्रणाली में भी किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है।
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