पाठकों को बता दे की इस गाजर को स्थानीय रूप से “मधुबन गजर” कहा जाता है। यह बीटा कैरोटीन और आयरन से भरपूर होता है। जूनागढ़ ज़िले के 200 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में इसकी खेती की गई है। जहाँ इसकी औसत पैदावार 40-50 टन प्रति हेक्टेयर है। इसका उपयोग विभिन्न मूल्य वर्द्धित उत्पादों जैसे- गाजर चिप्स, जूस एवं अचार आदि के लिये भी किया जा सकता है। भारत के राष्ट्रपति ने फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन-2017 कार्यक्रम में वल्लभभाई वसरमभाई मरवानिया को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था। वहीं उनके इस असाधारण कार्य के लिये वर्ष 2019 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।