Q.38950: रानी सौद्राही किस रियासत से सम्बद्ध थी ? |
रानी सौद्राही किस रियासत से सम्बद्ध थी ? - Rani Saudrahi was associated with which princely state? - Rani Saudrahi Kis Riyaasat Se Sambadhh Thi ? Haryana Gk in hindi, Modern-Haryana Kalasiya question answers in hindi pdf Jeend questions in hindi, Know About Balawli Haryana Gk online test Haryana Gk MCQS Online Coaching in hindi quiz book Raniyan
Jind
पुष्पभूति प्राचीन भारत का प्रसिद्ध राजवंश था जिसने लगभग छठी शताब्दी के अंत से लेकर लगभग सातवीं शताब्दी के मध्य तक राज्य किया। बाणभट्ट के अनुसार इस वंश का संस्थापक पुष्पभूति था। वह श्रीकंठ जनपद का राजा था तथा स्थाणीश्वर उसकी राजधानी थी। बाण ने बताया है, श्रीकंठ जनपद का नाम श्रीकंठ नामक नाग पर पड़ा (हर्षचरित् 267-268, जीवानंद संस्करण)। श्रीकंठ जलपद का राजा पुष्पभूति वीर, साहसी, नीतिवान्, तथा प्रजापालक था। वह शैव धर्मावलंबी था। उनके गुरु भैरवाचार्य दाक्षिणात्य महाशैव मत के माननेवाले थे। पुष्पभूति ने उन भैरवाचार्य के कहने पर महाकालहृदय नामक महामंत्र महाश्मशान में एक कोटि जप किया था। भैरवाचार्य ने पुष्पभूति को अट्टहास नामक तलवार भी दी। राजा की शिव के प्रति असीम और अखंड भक्ति जानकर स्वयं लक्ष्मी ने वरदान दिया- तुम महान् राजवंश के संस्थापक बनोगे जिस राजवंश में हरिश्चंद्र की भाँति समस्त द्वीपों का भोग करनेवाला हर्ष नामक चक्रवर्ती जन्म लेगा (हर्षचरित 322,329)।
बाणभट्ट द्वारा कथित पुष्पभूति वंश की इस उत्पत्ति की पुष्टि अन्य साधनों से नहीं होती। हर्षवर्धन के मधुबन ताम्रपत्र में उसके पूर्वपुरूषों की नामावली में कहीं भी पुष्पभूति नाम का उल्लेख नहीं प्राप्त होता। इस ताम्रपत्र के अनुसार हर्षवर्धन के पूर्वजों में प्रथम नाम नरवर्धन का उल्लिखित मिलता है। बाणभट्ट द्वारा दी हुई वंशावली में पुष्पभूति के बाद प्रभाकरवर्धन का नाम दिया गया है। अभिलेख में नरवर्धन के बाद राज्यवर्धन (= अप्सरादेवी), आदित्यवर्धन (= महासेनगुप्तादेवी) आता है। इसके बाद प्रभाकरवर्धन (यशोमतीदेवी) का नाम मिलता है। इस प्रकार बाणभट्ट ने नरवर्धन के बाद प्रभाकवर्धन का नाम देकर अभिलेख में वर्णित अन्य नरेशों के नामों को छोड़कर दिया है। नरवर्धन का समीकरण पुष्पभूति से करना अत्यंत कठिन है। संभवत: पुष्पभूति किसी परवर्ती गुप्त सम्राट् का सामंत था। हूणों के आक्रमण तथा विकेंद्रीकरण की शक्तियों का उदय होने तथा फलस्वरूप गुप्त साम्राज्य के छिन्न-भिन्न होने से पुष्पभूति ने श्रीकंठ प्रदेश में अपनी स्वाधीन सत्ता स्थापित कर ली थी।