परिसीमन आयोग के कार्य Pariseeman Ayog Ke Karya
भारत संविधान के अनुच्छेद 82 के अन्तर्गत केन्द्र सरकार को परिसीमन अधिनियम , 2002 के अनुसार परिसीमन आयोग के गठन हेतु अधिकार प्रदत किए गए है । परिसीमन आयोग राज्यों में विधानसभा एवं लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं का निर्धारण करता है । वर्तमान में न्यायमूर्ति कुलदीपसिंह की अध्यक्षता में गठित परिसीमन आयोग की आदेश संख्या 16 दिनांक 25 जनवरी , 2006 दिनांक 18 फरवरी 2008 से लागू है इसके अनुसार राज्य में लोकसभा के लिए 25 क्षेत्र अधिसूचित है जिसमें से 4 क्षेत्र अनुसूचित जाति एवं 3 क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है । आयोग द्वारा विधानसभा हेतु 200 निर्वाचन क्षेत्र अधिसूचित किए गए है जिसमें 34 क्षेत्र अनुसूचित जाति ( एससी ) एवं क्षेत्र अनुसूचित जनजाति ( एसटी ) के लिए आरक्षित है । परिसीमन के बाद जयपुर जिले में विधानसभा सीटों की संख्या में सर्वाधिक वृद्धि ( चार सीटों ) की हुई है और अब जिले में 19 विधानसभा सीटें हो गई है ।
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण 200 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को 8 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के गुणन में विभाजित कर किया गया है । अर्थात प्रत्येक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 8 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र है ।
अलवर , बिकानेर व नागौर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार केवल संबंधित जिले में ही है ।
जयपुर जिला ही प्रमुख दो लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में विभक्त है ।
राजसमंद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एकमात्र ऐसा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है जिसका विस्तार चार जिलों – राजसमंद , पाली , अजमेर व नागौर में है ।
3 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र दौसा , उदयपुर व चितौड़गढ का विस्तार 3 - 3 जिलों में है ।
बांसवाड़ा लोसभा निर्वाचन क्षेत्र क्षेत्र ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जिसके सभी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है ।
जोधपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र ही एकमात्र ऐसा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है जिसका एक भी विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति या जनजाति के लिए आरक्षित नहीं है ।
क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बाड़मेर है ।
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