कृषि एवं उद्यानिकी-कीड़े व रोग Gk ebooks


Rajesh Kumar at  2018-08-27  at 09:30 PM
विषय सूची: कृषि खेती और उद्यानिकी >> मिर्च की उन्नत खेती >>> कीड़े व रोग

कीड़े व रोग
सफेद लट : इस कीट की लटें पौधों की जड़ों को खा कर नुकसान पहुंचाती ? हैं। इस पर काबू पाने के लिए फोरेट 10 जी या कार्बोफ्यूरान 3 जी 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई से पहले जमीन में मिला देना चाहिए. सफेद मक्खी, पर्णजीवी (थ्रिप्स), हरा तेला व मोयला : ये कीट पौधों की पत्तियों व कोमल शाखाओं का रस चूस कर उन्हें कमजोर कर देते हैं। इन के असर से उत्पादन घट जाता ? है। इन पर काबू पाने के लिए मैलाथियान 50 ईसी या मिथाइल डिमेटोन 25 ईसी 1 मिलीलीटर या इमिडाक्लोरोपिड 0.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़ाकव करें. 15-20 दिनों बाद दोबारा छिड़ाकव करें.
मूल ग्रंथि सूत्रकृमि : इस के असर से पौधों की जड़ों में गांठें बन जाती ? हैं और पौधे पीले पड़ जाते हैं। पौधों की बढ़वार रुक जाती ? है, जिस से पैदावार में कमी आ जाती है। इस की रोकथाम के लिए रोपाई के स्थान पर 25 किलोग्राम कार्बोफ्यूरान 3 जी प्रति हेक्टेयर की दर से जमीन में मिलाएं.
आर्द्र गलन : इस रोग का असर पौधे जब छोटे होते हैं, तब होता है। इस के असर से जमीन की सतह पर स्थित तने का भाग काला पड़ कर कमजोर हो जाता ? है व नन्हे पौधे गिर कर मरने लगते हैं। रोकथाम के लिए बीजों को बोआई से पहले थाइरम या केप्टान 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. नर्सरी में बोआई से पहले थाइरम या केप्टान 4 से 5 ग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से जमीन में मिलाएं. नर्सरी आसपास की जमीन से 4 से 6 इंच उठी हुई जमीन में बनाएं.
श्याम ब्रण : इस रोग से पत्तियों पर छोटेछोटे काले धब्बे बन जाते हैं और पत्तियां झड़ने लगती ? हैं। जब इस का असर ज्यादा होता है, तो शाखाएं ऊपर से नीचे की तरफ सूखने लगती हैं। पके फलों पर भी बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं। रोकथाम के लिए जाइनेब या मेंकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल कर 2 से 3 बार छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर करें.
पर्णकुंचन व मोजेक विषाणु रोग : पर्णकुंचन रोग के असर से पत्ते सिकुड़ कर छोटे रह जाते हैं व उन पर झुर्रियां पड़ जाती ? हैं। मोजेक विषाणु रोग के कारण पत्तियों पर गहरे व हलका पीलापन लिए हुए धब्बे बन जाते हैं। रोगों को फैलाने में कीट सहायक होते ? हैं। रोकथाम के लिए रोग लगे पौधों को उखाड़ कर जला देना चाहिए. रोग को आगे फैलने से रोकने के लिए डाइमिथोएट 30 ईसी 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.
नर्सरी तैयार करते समय बोआई से पहले कार्बोफ्यूरान 3 जी 8 से 10 ग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से जमीन में मिलाएं. रोपाई के समय निरोगी पौधे काम में लें. रोपाई के 10 से 12 दिनों बाद मिथाइल डिमेटोन 25 ईसी 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. छिड़काव 15 से 20 दिनों के अंतर पर जरूरत के हिसाब से दोहराएं. फूल आने पर मैलाथियान 50 ईसी 1 मिलीलीटर प्रति लीटर के हिसाब से छिड़कें.
तना गलन : गर्मी में पैदा होने वाली मिर्च में तना गलन को रोकने के लिए टोपसिन एम 0.2 फीसदी से बीजोपचार कर के बोआई करें.



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