परमार (Parmar) = Parmar
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परमार संज्ञा पुं॰ [सं॰ पर ( = शत्रु) + हिं॰ मारना] राजपूतों का एक कुल जो अग्निकुल के अंतर्गत है । पँवार । विशेष—परमारों की उत्पत्ति शिलालेखों तथा पद्मगुप्तरचित 'नवसाहसांकचरित' नामक ग्रंथ में इस प्रकार मिलती है । महर्षि वशिष्ठ अर्बुदगिरि (आबू पहाड़) पर निवास करते थे । विश्वामित्र उनकी गाय वहाँ से छीन ले गए । वशिष्ठ ने यज्ञ किया और अग्निकुंड़ से एक बीर पुरुष उत्पन्न हुआ जिसने बात की बात में विश्वामित्र की सारी सेना नष्ट करके गाय लाकर वशिष्ठ के आश्रम के पर बाँध दी । वशिष्ठ ने प्रसन्न होकर कहा 'तुम परमार (शत्रुओं को मारनेवाले) हो और तु्म्हारा राज्य चलेगा' । इसी परमार के वंश के लोग परमार कहलाए । पृथ्वीराज रासो (आदि पर्व) के अनुसार उपद्रवी दानवों से आबू के ऋषियों की रक्षा करने के लिये वशिष्ठ ने अग्निकुंड़ से परमार की उत्पत्ति की । टाड साहब ने परमारों की अनेक शाखाएँ गिनाई हैं, जैसे, मोरी (जो गहलोतों के पहले चित्तौर के राजा थे), सोडा, या सोढा, संकल, खैर, उमर सुमरा (जो आजकल मुसलमान हैं), विहिल, महीपावत, बलहार, कावा, ओमता, इत्य़ादि । इनके अतिरिक्त चाँवड़, खेजर, सगरा, वरकोटा, संपाल, भीवा, कोहिला, धंद, देवा, बरहर, निकुंभ, टीका, इत्यादि और भी कुल हैं जिनमें से कुछ सिंध पार रहते हैं और पठान मुसलमान हो गए हैं । परमारों का राज्य मालवा में था । यह तो प्रसिद्ध ही है कि अनेक स्थानों पर मिले हुए शिलालेखों तथा पद्मगुप्त के नव- साहसांकचरित से मालवा के परमार राजाओं की वंशावली इस प्रकार निकलती है— परमार कृष्ण उपेंद्र वैरिसिंह(1 म) सीयक (1 म) वाक्पति (1म) वैरिसिंह वज्रट (द्वितीय) सीयक हर्ष वाक्पति (2 य) सिंधुराज नवसाहसांक भोज उदयादित्य ईसा की आठवीं शताब्दी में कृष्ण उपेंद्र ने मालवा का राज्य प्राप्त किया । सीयक (द्वितीय) या श्रीहर्षदेव के संबंध में पद्मगुप्त ने लिखा है कि उसने एक हूण राजा को पराजित किया । उदयपुर की प्रशस्ति से यह भी जाना जाता है कि उसने राष्ट्रकूट वंशीय मान्यखेट (मानखेडा़) के राजा खेट्टिग- देव का राज्य ले लिया । 'पाइअलच्छी नाममाला' नाम का 'धनपाल' का लिखा एक प्राकृत कोश है जिसमें लिखा है कि 'विक्रम' संवत् 1026 में मालवा के राजा ने मान्यखेट पर चढा़ई की और उसे लूटा । उसी समय में यह ग्रंथ लिखा गया । श्रीहर्षदेव या सीयक (द्वितीय) के पुत्र वाक्पतिराज (द्वितीय) का
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किस ग्रंथ के उल्लेख के आधार पर यह माना जाता हैं कि मलेच्छों के अत्याचार से त्रस्त होकर महर्षि वशिष्ठ ने अत्याचारियों के विनाश हेतु आबू पर्वत पर एक यज्ञ किया एंव यज्ञ के अग्निकुंड से 4 राजपूत कुले - परमार , चौलुक्य / सोलंकी , प्रतिहार एंव चौहान - का जन्म हुआ -
किस परमार शासक के संबंध में वर्णन मिलता है कि वह एक ही बाण से तीन भैंसों को बींध डालता था ?
किराडू के परमारों में कौनसा प्रसिद्ध शासक हुआ जिसने 1161 ई . में जज्जक को परास्त कर तनोट और नौसर के किले उससे छीन लिये ?
भोज परमार कहां का शासक था ?
परमार वंश का अन्तिम शासक
Parmar meaning in Gujarati: પરમાર
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Parmar meaning in Marathi: परमार
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Parmar meaning in Bengali: পারমার
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Parmar meaning in Telugu: పర్మార్
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Parmar meaning in Tamil: பர்மர்
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