घोड़ा (Ghoda) = horse
घोड़ा पु॰घोड़ा संज्ञा पुं॰ [सं॰ घोटक, प्रा॰ घोडा] [स्त्रीलिंग घोड़ा] चार पैरोंवाला एक प्रसिद्ध और बडा पशु । अश्व । वाजि । तुरंग । विशेष—इसके पैरों में पंजे नहीं होते, गोलाकार सुम (टाप) होते हैं । यह उसी जाति का पशु है, जिस जाति का गदहा है, पर गदहे से यह मजबूत, बडा और तेज होता है । इसके कान भी गदहे के कानों से छोटे और खडे होते हैं । इसकी गरदन पर लंबे लंबे बाल होते हैं और पूँछ नीचे से ऊपर तक बहुत लंबे बालों से ढकी होती है । टापो के ऊपर और घुटनों के नीचे एक प्रकार के घट्टे या गाँठे होती हैं । घोड़े बहुत रंगों के होते हैं जिनमें से कुछ के नाम ये हैं— लाल, सुरंग, कुम्मैत, सब्जा, मुश्की, नुकरा, गर्रा, बादामी, चीनी, गुलदार, अबलक इत्यादि । बहुत प्राचीन काल से मनुष्य घोडे से सवारी का काम लेते आ रेह हैं, जिसका कारण उसकी मजबूती और तेज चाल है । पोइया, दुलकी, सरपट, कदम, रहवाल, लँगूरी आदि इसकी कई चालें प्रसिद्ध हैं । घोडे की बोली को हिनहिनाना कहते हैं । जिसमें घोडों की पहचान चाल, लक्षण आदि का वर्णन होता है; उस विद्या को शालिहोत्र कहते हैं । शालिहोत्र ग्रंथों में घोड़ों के कई प्रकार से कई भेद किए गए हैं । जैसे,—देशभेद से उत्तम, मध्यम, कनिष्ठ और नीच; जातिभेद से ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य और शूद्र, तथा गुणभेद से सात्विक, राजसी और तामसी । इनकी अवस्था का अनुमान इनके दाँतों से किया जाता है । इससे दाँतों की गिनती और रंग आदि के अनुसार भी घोडों के आठ भेद माने गए हैं—कालिका, हरिणी, शुक्ला, काचा, मक्षिका शंख, मुशलक और चलता । प्राचीन भारतवासियों को जिन जिन देशों के घोडों का ज्ञान था, उनके अनुसार उन्होंने, उत्तम, मध्यम आदि भेद किए हैं । जैसे,—ताजिक, तुषार और खुरासान के घोडों का उत्तम; गोजिकाण केकाण और प्रौढाहार के घोडों का मध्यम, गाँधार, साध्यवास और सिंधुद्वार के घोडों को कनिष्ठ कहा है । आजकल अरब, स्पेन, पलैइर्स, नारफाक आदि के घोडे बहुत अच्छी जाति हे गिने जाते हैं । नैपाल और बरमा के टाँगन भी प्रसिद्ध है । भारतवर्ष में कच्छ, काठिया- वाड और (पाकिस्तान में) सिंध के घोडे उत्तम गिने जाते हैं । शालिहोत्र में रंग, नाम और भँवरी आदि के अनुसार घोडे स्वामियों के लिये शुभ या अशुभ फल देनेवाले समझे जाते हैं । जैसे,—जिसके चारों पैर दोनों आँखें सफेद हों, कान और पूँछ छोटी हो, उसे चक्रवाक कह
Hindi Dictionary. Devnagari to roman Dictionary. हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा शब्दकोष। देवनागरी और रोमन लिपि में। एक लाख शब्दों का संकलन। स्थानीय और सरल भाषा में व्याख्या।
अश्व, घोड़ा,
समुद्री घोड़ा किस वर्ग का उदाहरण है ?
किस बोली में ‘ ऐ ‘ तथा ‘ और ‘ स्वर नहीं है । ऐ को ऐ तथा और को ओ बोला जाता है ? उदाहरण के लिए और नीला घोड़ा रा असवार
नीला घोड़ा रा असवार म्हारा मेवाड़ी सरदार
नीला घोड़ा रा असवार लिरिक्स इन हिंदी
गाड़ी खींचता हुआ घोड़ा किस बल के कारण आगे बढ़ता है ?
Ghoda meaning in Gujarati: ઘોડો
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Ghoda meaning in Marathi: घोडा
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Ghoda meaning in Bengali: ঘোড়া
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Ghoda meaning in Telugu: గుర్రం
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Ghoda meaning in Tamil: குதிரை
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