खड़ग (Khadag) = Kharag
खड़ग पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ खड्ग] दे॰ 'खड्ग' ।
खड्ग (संस्कृत) या खड़ग (अपभ्रंश) एक प्राचीन शस्त्र जिसे हम तलवार का रूप कह सकते हें। इसमें दो भाग होते हैं - मूठ और लंबा पत्र। तलवार के पत्र में केवल एक ओर धार होती हैं। ख्ड्ग के दोनों ओर धार होती है। इससे काटना और भोंकना, दोनों कार्य किए जाते हैं। खड्ग की उत्पत्ति के संबंध में एक पौराणिक कथा इस प्रकार है - दक्ष प्रजापति की साठ कन्याएँ थीं जिनसे सारी सृष्टि का निर्माण हुआ। उनसे देव, ऋषि, गंधर्व, अप्सरा ही नहीं हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यपु सदृश दैत्यों ने भी जन्म लिया। इन दैत्यों ने सब लोगों को तंग करना आरंभ किया तब देवों ने हिमालय पर एक यज्ञ किया। इस अग्नि की ज्वाला से नील वर्ण, कृशोदर, तीक्ष्णंदत एवं तेजपुंजयुक्त एक आयुध की उत्पत्ति हुई। उसके प्रभाव से सारी पृथ्वी थरथरा उठी। तब ब्रह्मा ने कहा कि मैंने लोकरक्षा के लिये इस खड्ग का निर्माण किया है। खड्ग के तीन प्रकार बताए गए हैं-५० अंगुल लंबे खड्ग को वराहमिहिर ने सर्वोत्तम माना है। इससे छोटे आकार के खड्गों को आकार के अनुसार तलवार, दीर्घक, नारसिंहक (कटार), कात्यायन, ऊना, भुजाली, करौली और लालक कहते हैं। खड्ग का उल्लेख मुख्यत: देवियों के आयुध के रूप में हुआ है। बौद्ध मंजुश्री के हाथ के खड्ग को 'प्रज्ञा खड्ग' कहा गया है। उससे अज्ञान का विनाश होता है।
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Khadag meaning in Gujarati: ખડગ
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Khadag meaning in Marathi: खडग
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Khadag meaning in Bengali: খড়গ
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Khadag meaning in Telugu: ఖడగ్
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Khadag meaning in Tamil: கடாக்
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