सिंघाड़ा (Singhada) = Water chestnut
सिंघाड़ा या 'सिंघाण' (संस्कृत : शृंगाटक) पानी में पसरने वाली एक लता में पैदा होने वाला एक तिकोने आकार का फल है। इसके सिर पर सींगों की तरह दो काँटे होते हैं। चीनी खाने का यह एक अभिन्न अंग है। इसको छील कर इसके गूदे को सुखाकर और फिर पीसकर जो आटा बनाया जाता है उस आटे से बनी खाद्य वस्तुओं का भारत में लोग व्रत उपवास में सेवन करते हैं क्योंकि इसे एक अनाज नहीं वरण एक फल माना जाता है। अंग्रेजी भाषा में यह Water caltrop, Water Chestnut आदि नामों से भी जाना जाता है। सिंघाड़ा भारतवर्ष के प्रत्येक प्रांत में तालों और जलाशयों में रोपकर लगाया जाता है। इसकी जड़ें पानी के भीतर दूर तक फैलती है। इसके लिये पानी के भीतर कीचड़ का होना आवश्यक है, कँकरीली या बलुई जमीन में यह नहीं फैल सकता। इसके पत्ते तीन अंगुल चौड़े कटावदार होते हैं। जिनके नीचे का भाग ललाई लिए होता है। फूल सफेद रंग के होते हैं। फल तिकोने होते हैं जिनकी दो नोकें काँटे या सींग की तरह निकली होती हैं। बीच का भाग खुरदरा होता है। छिलका मोटा पर मुलायम होता है जिसके भीतर सफेद गूदा या गिरी होती है। ये फल हरे खाए जाते हैं। सूखे फलों की गिरी का आटा भी बनता है जो व्रत के दिन फलाहार के रूप में लोग खाते हैं। अबीर बनाने में भी यह आटा काम में आता है। वैद्यक में सिंघाड़ा शीतल, भारी कसैला वीर्यवर्द्घक, मलरोधक, वातकारक तथा रुधिरविकार और त्रिदोष को दूर करनेवाला कहा गया है।
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Singhada meaning in Gujarati: પાણી ચેસ્ટનટ
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Singhada meaning in Marathi: पाणी चेस्टनट
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Singhada meaning in Bengali: জল বুক
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Singhada meaning in Telugu: నీటి చెస్ట్నట్
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Singhada meaning in Tamil: தண்ணீர் கஷ்கொட்டை
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