वैशेषिक (Vaisheshik) = Mimamsa
वैशेषिक हिन्दुओं के षडदर्शनों में से एक दर्शन है। इसके मूल प्रवर्तक ऋषि कणाद हैं (ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी)। यह दर्शन न्याय दर्शन से बहुत साम्य रखता है किन्तु वास्तव में यह एक स्वतंत्र भौतिक विज्ञानवादी दर्शन है। इस प्रकार के आत्मदर्शन के विचारों का सबसे पहले महर्षि कणाद ने सूत्र रूप में लिखा। कणाद एक ऋषि थे। ये "उच्छवृत्ति" थे और धान्य के कणों का संग्रह कर उसी को खाकर तपस्या करते थे। इसी लिए इन्हें "कणाद" या "कणभुक्" कहते थे। किसी का कहना है कि कण अर्थात् परमाणु तत्व का सूक्ष्म विचार इन्होंने किया है, इसलिए इन्हें "कणाद" कहते हैं। किसी का मत है कि दिन भर ये समाधि में रहते थे और रात्रि को कणों का संग्रह करते थे। यह वृत्ति "उल्लू" पक्षी की है। किस का कहना है कि इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ईश्वर ने उलूक पक्षी के रूप में इन्हें शास्त्र का उपदेश दिया। इन्हीं कारणों से यह दर्शन "औलूक्य", "काणाद", "वैशेषिक" या "पाशुपत" दर्शन के नामों से प्रसिद्ध है। पठन-पाठन में विशेष प्रचलित न होने के कारण वैशेषिक सूत्रों में अनेक पाठभेद हैं तथा 'त्रुटियाँ' भी पर्याप्त हैं। मीमांसासूत्रों की तरह इसके कुछ सूत्रों में पुनरुक्तियाँ हैं - जैसे "सामान्यविशेषाभावेच" (4 बार) "सामान्यतोदृष्टाच्चा विशेष:" (2 बार), "तत्त्वं भावेन" (4 बार), "द्रव्यत्वनित्यत्वे वायुना व्यख्याते" (3 बार), "संदिग्धस्तूपचार:" (2 बार)। इसके नामकरण के दो कारण कहे जाते हैं -(1) प्रत्येक नित्य द्रव्य को परस्पर पृथक् करने के लिए तथा प्रत्येक तत्व के वास्तविक स्वरूप को पृथक्-पृथक् जानने के लिए इन्होंने एक "विशेष" नाम का पदार्थ माना है ;(2) "द्वित्व", "पाकजोत्पत्ति" एवं "विभागज विभाग" इन तीन बातों में इनका अपना विशेष मत है जिसमें ये दृढ़ हैं। अभिप्राय यह है कि वैशेषिक दर्शन व्यावहारिक तत्वों का विचार करने में संलग्न रहने पर भी स्थूल दृष्टि से सर्वथा व्यवहारत: समान रहने पर भी, प्रत्येक वस्तु दूसरे से भिन्न है। इन्होंने इसके परिचायक एकमात्र पदार्थ "विशेष" पर बल दिया है, इसलिए प्राचीन भारतीय दर्शन की इस धारा को "वैशेषिक" दर्शन कहते हैं। अन्य शास्त्रों ने इस बात का विवेचन नहीं किया है। पर उक्त कुछ कारणों से इस दर्शन को "वैशेषिक दर्शन" की संज्ञा दी गई है। वैशेषिक तथा न्याय दोनों दर्शन ही "समानतंत्र" हैं। व्यावहा
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संख्या , योग , न्याय , वैशेषिक मीमांसा एंव वेदांत - इन छः भिन्न भारतीयों दर्शनों की स्पष्ट रूप से अभिव्यक्ति हुई -
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वैशेषिक दर्शन के प्रतिपादक है -
Vaisheshik meaning in Gujarati: વૈશેષિક
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