प्रत्यक्षवाद (Pratyakshwaad) = Positivism
प्रत्यक्षवाद संज्ञा पुं॰ [सं॰ प्रत्यक्ष + वाद] वह सिद्धांत जिसमें प्रत्यक्ष प्रमाण को ही माना जाय । इंद्रियजन्य ज्ञान को सत्य माननेवाला सिद्धांत । उ॰— इस कठोर प्रत्यक्षवाद की समस्या बड़ी कठिन होती है । — स्कंद॰, पृ॰ ५ ।
प्रत्यक्षवाद या तथ्यवाद (positivism) के दर्शन के अनुसार केवल वही ज्ञान प्रामाणिक ज्ञान (authentic knowledge) है जो ज्ञानेन्द्रियों से प्राप्त अनुभव पर आधारित हो। बीज रूप में तथ्यवाद (Positivism) कुछ प्राचीन विचाराकों की शिक्षा में विद्यमान था, परंतु इसे एक दर्शन शाखा का पद देने का श्रेय आगस्त काँत (1798-1857) को है। काम्ट के सिद्धांत में मौलिक स्थान मानसिक विकास के उस नियम का है, जिसे उसने ऐतिहासिक रूप में ज्ञान की सभी शाखाओं पर लागू किया। यह मानसिक विकास की तीन मंजिलों या अवस्थाओं का नियम (Law of three stages) है। उसका कथन है-विज्ञान की सभी शाखाएँ समान वेग से प्रगति नहीं करतीं, कोई आगे निकल जाती है, कोई पीछे रह जाती है। काम्ट ने विज्ञान की शाखाओं को क्रमबद्ध किया। सामान्य और सरल से चलकर विशेष और असरल की और बढ़ा। इस क्रम में उसने गणित, ज्योतिष, भौतिकी, रसायन, जीवविद्या और समाजशास्त्र को स्थान दिया। समाजशास्त्र का तो वह जन्मदाता ही समझा जाता है। काम्ट ने धर्म और दर्शन को भूतकाल की वस्तु कहा, परंतु अपने सिद्धांत को पॉजिटिव फिलासोफी नाम दिया और "मानवता के धर्म" की नींव रखी। मनुष्यों में भी स्त्री को प्रथम स्थान दिया और कहा अब आगे मनुष्य का सिर स्त्री के सामने ही झुकेगा।
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Pratyakshwaad meaning in Gujarati: હકારાત્મકવાદ
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Pratyakshwaad meaning in Marathi: सकारात्मकता
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Pratyakshwaad meaning in Bengali: ইতিবাচকতা
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Pratyakshwaad meaning in Telugu: సానుకూలత
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Pratyakshwaad meaning in Tamil: நேர்மறைவாதம்
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