अश्वमेध (Ashwamedh) = Ashwamedha
अश्वमेध संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. एक बड़ा यज्ञ । विशेष—इसमें घोड़े के मस्तक पर जयपत्र बाँधकर उसे भूमं- डल में घूमने के लिये छोड़ देते थे । उसकी रक्षा के निमित्त किसी वीर पुरुष को नियुक्त कर देते थे जो सेना लेकर उसके पीछे पीछे चलता था । जिस किसी राजा को अश्वमेध करनेवाले का अधिपत्य स्वीकृत नहीं होता था, वह उस घोड़े को बाँध लेता और सेना से युद्ध करता था । अश्व बाँधनेवाले को पराजित कर तथा घोड़े को छुड़ाकर सेना आगे बढ़ती थी । इस प्रकार वह घोड़ा संपूर्ण भूमंडल में घूमकर लौटता था, तब उसको मारकर उसकी चर्बी से हवन किया जाता था । यह यज्ञ केवल बड़े प्रतापी राजा करते थे । यह यज्ञ साल भर में होता था ।
२. एक प्रकार की तान जिसमें षडज स्वर को छो़ड़कर शेष छह स्वर लगते हैं ।
अश्वमेध भारतवर्ष का एक प्रख्यात यज्ञ। सार्वभौम राजा अर्थात् चक्रवर्ती नरेश ही अश्वमेध का अधिकारी माना जाता था, परंतु ऐतरेय ब्राह्मण (8 पंचिका) के अनुसार अन्य महत्वशाली राजन्यों का भी इसके विधान में अधिकार था। आश्वलायन श्रौत सूत्र (10। 6। 1) का कथन है कि जो सब पदार्थो को प्राप्त करना चाहता है, सब विजयों का इच्छुक होता है और समस्त समृद्धि पाने की कामना करता है वह इस यज्ञ का अधिकारी है। इसलिए सार्वीभौम के अतिरिक्त भी मूर्धाभिषिक्त राजा अश्वमेध कर सकता था (आप.श्रौत. 20। 1। 1। ; लाट्यायन 9। 10। 17)। यह अति प्राचीन यज्ञ प्रतीत होता है क्योंकि ऋग्वेद के दो सूक्तों में (1। 162; 1। 163) अश्वमेधीय अश्व तथा उसके हवन का विशेष विवरण दिया गया है। शतपथ (13। 1-5) तथा तैतिरीय ब्राह्मणों (3। 8-9) में इसका बड़ा ही विशद वर्णन उपलब्ध है जिसका अनुसरण श्रौत सूत्रों, वाल्मीकीय रामायण (1। 13), महाभारत के आश्वमेधिक पर्व में तथा जैमिनीय अश्वमेध में किया गया है। अश्वमेध का आरंभ फाल्गुन शुक्ल अष्टमी या नवमी से अथवा ज्येष्ठ (या आषाढ़) मास की शुक्लाष्टमी से किया जाता था। आपस्तंब ने चैत्र पूर्णिमा इसके लिए उचित तिथि मानी है। मूर्धाभिषिक्त राजा यजमान के रूप में मंडप में प्रवेश करता था और उसके पीछे उसकी चारों पत्नियाँ सुसज्जित वेश में गले में सुनहला निष्क पहनकर अनेक दासियों तथा राजपुत्रियों के साथ आती थीं। इनके पदनाम थे: (क) महिषी (राजाके साथ अभिषिक्त पटरानी), (ख) वावाता (राजा की प्रियतमा), (ग) परिवृक्त्री (परित्य
पांडवों का अश्वमेध यज्ञ
अश्वमेध यज्ञ किसने किया
अश्वमेध यज्ञ का अर्थ
Ashwamedh meaning in Gujarati: અશ્વમેધ
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Ashwamedh meaning in Marathi: अश्वमेध
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Ashwamedh meaning in Bengali: অশ্বমেধ
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Ashwamedh meaning in Telugu: అశ్వమేధ
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Ashwamedh meaning in Tamil: அஸ்வமேத
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